हिंसा में मारे गए युवक के परिजन को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा. परिवार ने की शहीद का दर्जा देने की मांग. हिंसा में घायल एक अन्य व्यक्ति ने अपनी आंख गंवाई. कासगंज के अधिकतर बाज़ार अब भी बंद, सड़कों पर आवागमन शुरू.
लखनऊ/कासगंज/अलीगढ़/नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने गणतंत्र दिवस पर कासगंज में दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प को ‘कलंक’ और शर्मनाक क़रार देते हुए सोमवार को कहा कि मामले में सरकार को और गहराई से जांच करनी चाहिए.
राज्यपाल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘कासगंज में जो भी हुआ, वह किसी को शोभा नहीं देता है. किसने शुरुआत की और किसने बाद में जवाब दिया, यह बात तो जांच में बाहर आएगी, लेकिन निश्चित तौर पर कासगंज में जो भी घटनाएं हुईं वे उत्तर प्रदेश के लिए कलंक हैं. सरकार इसकी जांच कर रही है और इसमें कड़ा से कड़ा रुख़ अपनाया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोग जो माहौल को ख़राब करते हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए कम है. मैं चाहता हूं कि सरकार और तफ़सील में जाकर जांच करे. पिछले आठ नौ-माह के दौरान प्रदेश में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई थी. यह (कासगंज की घटना) हम सब के लिए शर्म की बात है. मैं आशा करता हूं कि ऐसे क़दम उठाए जाएंगे कि उत्तर प्रदेश में फिर कभी ऐसे दंगे नहीं हों.’
मालूम हो कि गणतंत्र दिवस पर कासगंज शहर में कथित रूप से आपत्तिजनक नारों को लेकर दो समुदायों के बीच पथराव और गोलीबारी में चंदन गुप्ता नाम के युवक की मौत हो गई थी तथा कुछ अन्य घायल हो गये थे. घटना के बाद से शहर में रह-रहकर हिंसक वारदात हुईं. मामले में अब तक 112 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
इस बीच, कासगंज शहर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. हालांकि अधिकतर बाज़ार अब भी बंद हैं, लेकिन सड़कों पर लोगों का आवागमन शुरू हो चुका है.
बहरहाल, ज़िला प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को एहतियातन सोमवार रात 10 बजे तक बंद रखा है. पुलिस, पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स की टुकड़ियां शहर में लगातार गश्त कर रही हैं. शहर की सीमाएं अब भी सील हैं.
जिलाधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि कासगंज में हालात सामान्य हैं. रविवार रात एक मकान में आग लगने की घटना का पता चला था, हालांकि आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी थी. पिछले 36 घंटे के दौरान शहर में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है. मामले के आरोपियों की धरपकड़ जारी है.
सिंह ने बताया कि वारदात में मारे गए युवक के परिवार को सोमवार को 20 लाख रुपये का चेक दिया गया. इस दौरान परिजन ने युवक को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की. ज़िला प्रशासन ने कहा कि परिवार सरकार को अगर संबंधित मांगपत्र दे तो उसे शासन के पास भेज दिया जाएगा. हालांकि अभी तक कोई पत्र नहीं मिला है.
Sunil Kumar Singh, Superintendent of Police (SP) of Kasganj transferred to Meerut; Piyush Srivastava to be new Kasganj SP #KasganjClashes
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 29, 2018
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कासगंज के एसपी सुनील कुमार सिंह का तबदला मेरठ कर दिया गया है. उनकी जगह पीयूष श्रीवास्तव को कासगंज का नया एसपी बनाया गया है.
इस बीच, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने घटना को साज़िश का नतीजा बताते हुए इसकी जांच उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से कराने की मांग की.
उन्होंने कासगंज की हिंसा को पूरी तरह प्रदेश सरकार की नाक़ामी क़रार दिया.
कासगंज हिंसा को लेकर विपक्ष के निशाने पर आई प्रदेश की भाजपा सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष ने हमेशा तुष्टीकरण का परिचय दिया.
उन्होंने कहा कि सपा के शासनकाल में एक जाति विशेष के लिए ही नौकरियां बनती थीं. धर्म विशेष के लोगों पर मुक़दमें नहीं दर्ज होते थे. बसपा ने भी कोई अलग परिचय नहीं दिया. सपा और बसपा जब भाजपा सरकार पर उंगली उठाते हैं तो उनकी बाकी की उंगलियां उनकी तरफ़ ही इशारा करती हैं.
सपा के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने इस घटना को सरकार के अंदर चल रही ‘उठापटक’ से जुड़े होने का शक़ ज़ाहिर करते हुए कहा कि इससे साफ़ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में सरकार और क़ानून नाम की चीज़ नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम के बीच फ़साद कराने की साज़िश रची गई है.
इस बीच, बसपा अध्यक्ष मायावती ने कासगंज में हुए उपद्रव का ज़िक्र करते हुए कहा कि सूबे में जंगलराज है. इसका ताज़ा उदाहरण कासगंज की घटना है जहां हिंसा की आग अब भी शांत नहीं हुई है. बसपा इसकी कड़ी निंदा के साथ-साथ दोषियों को सख़्त सज़ा देने की मांग करती है.
उन्होंने कहा कि ख़ासकर भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा महाराष्ट्र आदि में अपराध-नियंत्रण और कानून-व्यवस्था के साथ-साथ जनहित तथा विकास का बुरा हाल है. इससे यह साबित होता है कि भाजपा एंड कंपनी का हर स्तर पर घोर अपराधीकरण हो गया है.
सपा उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कासगंज की घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि हमेशा चुनाव के पहले दंगा होता है. मुज़फ़्फ़रनगर में भी लोकसभा चुनाव से पहले दंगा हुआ था. कासगंज में भी दंगा हुआ. चुनाव से पहले ही क्यों दंगा होता है. इसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए.
मालूम हो कि गणतंत्र दिवस पर विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, बजरंग दल समेत विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया था. शहर के बड्डूनगर इलाके में दूसरे पक्ष के लोगों ने झंडारोहण कार्यक्रम रखा हुआ.
इसी दौरान आपत्तिजनक नारों को लेकर दोनों पक्षों के बीच पथराव और गोलीबारी हुई थी, जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी तथा एक अन्य जख़्मी हो गया था. वारदात के दूसरे दिन भी शहर में हिंसा जारी रही. उपद्रवियों ने तीन दुकानों, दो निजी बसों और एक कार को आग के हवाले कर दिया था.
आगरा ज़ोन के अपर पुलिस महानिदेशक, अलीगढ़ के मंडलायुक्त, अलीगढ़ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक लगातार मौके पर हैं.
हिंसा में घायल व्यक्ति की नहीं बचाई जा सकी आंख
कासगंज शहर में हुई सांप्रदायिक हिंसा में गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति की आंख ख़राब हो गई.
अलीगढ़ में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर एहतेशाम ने बताया कि शुक्रवार की रात को अलीगढ़ से लखीमपुर खीरी जाने के दौरान हिंसा का शिकार हुए 31 वर्षीय मोहम्मद अक़रम की आंख में गंभीर चोटें लगी थीं. चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बावजूद उसकी आंख नहीं बचायी जा सकी.
उन्होंने बताया कि अक़रम अब ख़तरे से बाहर हैं और उनकी हालत में तेज़ी से सुधार हो रहा है.
एहतेशाम ने बताया कि कासगंज हिंसा के दौरान पैर पर गोली लगने से घायल हुए नौशाद नामक युवक का भी जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. वह भी ख़तरे से बाहर है.
कांग्रेस ने कासगंज हिंसा की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराने की मांग की
कांग्रेस ने कासगंज में हिंसा की स्वतंत्र न्यायिक जांच उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से कराए जाने की मांग की है.
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही एवं कुप्रबंधन के कारण कासगंज में दो समुदायों के बीच झड़पें हुईं.
उन्होंने कहा कि लगातार हो रही हिंसा के कारण पूरे राज्य में शांति ख़तरे में पड़ गई है.
राज्यसभा सांसद तिवारी ने कहा, ‘यह कैसे हुआ, किसने किया? सच्चाई तभी सामने आ पाएगी जब उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाएगी.’
उन्होंने कहा, ‘हम उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से घटना की स्वतंत्र जांच कराने की मांग करते हैं.’
तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया, ‘आपके शासन में और भाजपा शासित राज्यों में कब तक सामूहिक बलात्कार की घटनाएं होती रहेंगी? आप दोषियों को कब पकड़ेंगे और कड़ी सज़ा देंगे?’
कासगंज में तनावपूर्ण शांति: अब तक 112 लोग गिरफ़्तार
गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश के कासगंज में दो समुदायों के बीच हिंसा के बाद इलाके में तनाव बना हुआ है. पुलिस ने इस मामले में अब तक 112 लोगों को गिरफ्तार किया है.
हिंसा भड़कने के तीसरे दिन यानी बीते रविवार को अराजक तत्वों ने एक दुकान में आग लगा दी. हालांकि स्थिति पर जल्द ही काबू पा लिया गया. पुलिस का दावा है कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है लिहाज़ा अब कर्फ्यू लागू नहीं किया गया है. इलाके पर ड्रोन कैमरों की मदद से नज़र रखी जा रही है.
पुलिस द्वारा रविवार रात जारी बयान के मुताबिक कासगंज हिंसा मामले में अब तक कुल 112 लोग गिरफ़्तार किए गए हैं इनमें से 31 अभियुक्त हैं जबकि 81 अन्य को एहतियातन गिरफ़्तार किया गया है. हिंसा के मामले में अब तक पांच मुक़दमे दर्ज किए गए हैं. इनमें से तीन कासगंज के कोतवाल की तहरीर पर पंजीकृत हुए हैं.
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि हिंसा में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) की तामील की जाएगी. घर-घर में तलाशी ली जा रही है. कुछ जगहों पर विस्फोटक तत्व बरामद हो रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)