पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के भानगर-2 ब्लॉक नाम के इलाके में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) की ओर से शुरू की गई परियोजना का स्थानीय लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं
परियोजना के तहत फरक्का और कहलगांव से बिहार के पूर्णिया जिले तक एनटीपीसी की ट्रांसमिशन लाइनें बिछाई जानी हैं. भानगर-2 ब्लॉक के पोलरहट-2 पंचायत के कई गांव के लोग इस परियोजना के खिलाफ हैं.
गांववालों में पिछले छह महीने से इसके खिलाफ रोष है और लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. बीते 17 जनवरी को पुलिस और गांववालों के बीच हुए संघर्ष के दौरान आलमगीर मोल्लाह और मोफिजुल खान नाम के दो युवाओं को गोली मार दी गई, जिससे उनकी मौत हो गई. घटना में कई गांववाले घायल भी हुए थे.
कुछ गांववालों ने आरोप लगाया है कि दोनों युवाओं की हत्या में स्थानीय टीएमसी नेता अरबुल इस्लाम के लोगों का हाथ है. यह भी आरोप है कि 2013 में अरबुल इस्लाम ने पावर सब स्टेशन के निर्माण के लिए 40 बीघा जमीन का अधिग्रहण करने में सरकार की मदद की थी. जिले के पुलिस महानिदेशक सुनील चौधरी का कहना है कि दोनों युवकों की मौत की जांच जारी है.
छह महीने पहले सीपीआई (एमएल) रेड स्टार संगठन के कुछ नेताओं ने इस विरोध को आगे ले जाने के लिए गांववालों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया गया.
गांववालों का दावा है उन्हें सिर्फ इतना बताया गया था कि यहां बिजली का एक सब स्टेशन लगाया जाना है, ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. इसके अलावा गांववाले इस हाईटेंशन लाइन के उनके खेतों और घरों पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों को लेकर भी चिंतित हैं.
17 जनवरी की घटना के बाद परियोजना का काम रोक दिया गया है. साथ ही पोलरहट-2 पंचायत की मुख्य सड़क की दोनों ओर जहां परियोजना से प्रभावित गांववाले रहते हैं, पर काफी संख्या में पुलिस के जवान तैनात कर दिए गए हैं.
जिलाधिकारी पीबी सलीम के अनुसार, ‘कुछ बाहरी तत्व गांववालों को भड़का जा रहे हैं. हमारे देश में पिछले 20 से 40 वर्षों से ट्रांसमिशन लाइनें हैं. इसमें कुछ भी नया नहीं है.’
बहरहाल राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपने बयान में कह दिया है कि किसी भी तरह की जमीन अधिग्रहीत नहीं की जाएगी और इस परियोजना को कहीं और स्थापित किया जाएगा. हालांकि गांववालें इस पर भरोसा नहीं कर रहे हैं. वे सरकार से लिखित आश्वासन चाहते हैं.
इस बीच कोलकाता और दक्षिण 24 परगना जिलों में रैलियां और सभाएं करके परियोजना के लिए खिलाफ विरोध दर्ज कराया जा रहा है. बहरहाल सवाल ये है कि क्या भानगर में जमीन को लेकर हो रहा संघर्ष एक और सिंगूर या नंदीग्राम जैसी घटना की आहट है.
(मनीरा मल्टीमीडिया पत्रकार हैं और दिल्ली में रहती हैं)