इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में नगालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, असम, मेघालय और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
कोहिमा: भाजपा ने ओडिशा के राज्यपाल एससी जमीर पर नगालैंड में कांग्रेस और एक क्षेत्रीय पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाया है. पार्टी ने चुनाव आयोग से इस विषय पर गौर करने को कहा है.
गौरतलब है जमीर नगालैंड में मुख्यमंत्री रह चुके हैं. भाजपा की नगालैंड इकाई ने कोहिमा स्थित चुनाव आयोग कार्यालय में जमीर के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई और कांग्रेस के पूर्व नेता पर अपने कार्य के जरिए लोकतंत्र को खतरे में डालने का आरोप लगाया.
भाजपा की प्रदेश इकाई प्रमुख वी. लहोंगु ने कहा कि जमीर राज्य में हैं व कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टी के कुछ उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं.
ज्ञात हो कि राज्य में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने की चुनावी तैयारियों की समीक्षा
कोहिमा: मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत ने गुरुवार को नगालैंड में चुनाव तैयारियों की समीक्षा की और ‘भयरहित और निष्पक्ष’ ढंग से चुनाव संपन्न कराना सुनिश्चित करने के लिए राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिये.
रावत ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक शीर्ष स्तर की टीम का नेतृत्व किया. सीईसी ने कहा कि पिछले वर्ष नवंबर में उनके पहले दौरे के बाद से चीजों में सुधार हुआ है.
हालांकि चुनाव से पहले उग्रवाद मुद्दे का समाधान निकाले जाने के नगा आदिवासी संगठनों के आह्वान के कारण कुछ बाधाएं आयीं थी.
रावत ने पत्रकारों से कहा कि लेकिन सभी जिला चुनाव अधिकारियों के साथ चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के बाद आयोग संतुष्ट है कि काफी प्रगति हुई है.
समीक्षा बैठक में रावत के साथ दो चुनाव आयुक्तों सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा, निर्वाचन उपायुक्त सुदीप जैन, दो महानिदेशकों दिलीप शर्मा एवं धीरेंद्र ओझा और प्रधान सचिव नरेंद्र एन बुटोलिया थे.
60 सीटों में से 59 सीटों पर मतदान होगा क्योंकि नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) प्रमुख नेफियू रियो को 11-उत्तरी अंगामी-द्वितीय विधानसभा सीट से निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया है.
रावत ने बताया कि अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न कराने के लिए मुद्दों और चिंताओं को समझने के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की.
उन्होंने बताया कि राजनीतिक दलों ने राज्य में चुनाव कराये जाने के आयोग के निर्णय का स्वागत किया और चुनाव तैयारियों पर संतोष व्यक्त किया.
कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर उन्होंने बताया कि चुनाव निष्पक्ष ढंग से संपन्न कराने के लिए राज्य प्रशासन और पुलिस को सुरक्षा के व्यापक प्रबंध करने के लिए कहा गया हैं. उन्होंने बताया कि कुल 11,91,513 मतदाताओं में से 6,01,707 (50.50 प्रतिशत) पुरूष मतदाता हैं और 5,89,806 (49.50 प्रतिशत) महिलाएं है.
नगालैंड में अब तक नहीं चुनी गई है कोई महिला विधायक
नगालैंड को राज्य का दर्जा मिले 54 वर्ष होने और राज्य विधानसभा के चुनाव 12 बार संपन्न होने के बावजूद राज्य में अब तक कोई महिला विधायक नहीं चुनी गई है.
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव 27 फरवरी को होंगे और परिणामों की घोषणा तीन मार्च को की जायेगी. इस बार 60 सदस्यीय विधानसभा में 195 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं जिनमें से केवल पांच महिलायें हैं.
वेदिइ-यू क्रोनू और मंगयांगपुला ‘नेशनल पीपुल्स पार्टी’ (एनपीपी) के टिकट से क्रमश: दीमापुर-तृतीय और नोकसेन विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रही हैं. राखिला तुएनसांग सदर-द्वितीय सीट से भाजपा की उम्मीदवार हैं.
अवान कोन्याक नवगठित एनडीपीपी से अबोई सीट से चुनाव मैदान में हैं जबकि रेखा रोज दुक्रू चिझामी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं.
सत्तारूढ़ नगालैंड पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने इस बार किसी भी महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है.
एनपीएफ के अध्यक्ष शुरहोझिली लिजित्सू ने हाल में कहा था कि पार्टी में किसी भी महिला ने चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई.
राखिला को छोड़कर चार अन्य महिला उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रही है. भाजपा उम्मीदवार राखिला पूर्व मंत्री और चार बार के विधायक लकीउमोंग की पत्नी है. लकीउमोंग का वर्ष 2006 में लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया था.
राखिला तुएनसांग सदर-द्वितीय सीट से पिछला चुनाव लगभग 800 वोटों से हार गई थी. एनडीपीपी उम्मीदवार अवान कोन्याक चार बार विधायक रहे नेयिवांग कोन्याक की बेटी हैं, जिनका हाल में निधन हो गया था.
उन्होंने कहा, ‘महिलाएं प्रतिदिन समाज में महत्वपूर्ण योगदान कर रही हैं. उनकी समस्याओं की आमतौर पर अनदेखी की जाती है. मैं लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण पर ध्यान केन्द्रित करना चाहती हूं.’
महिला उम्मीदवारों का स्वागत करते हुए नगालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अभिजीत सिन्हा ने कहा कि पिछले चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या दो से बढ़कर इस बार पांच हो गई हैं.
एनआईए ने जांच के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के तीन अधिकारियों को किया तलब
कोहिमा: नगालैंड के मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने आज कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के तीन अधिकारियों का किसी प्रतिबंधित संगठन से कोई लेना देना नहीं है, खासतौर पर वसूली के मामले में, जिसकी जांच एनआईए कर रही है.
जेलियांग ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा पूछताछ के लिए सीएमओ के तीन अधिकारियों को तलब किए जाने के विषय पर एक सवाल का जवाब देते हुए यह कहा.
मालूम हो कि एनआईए ने राज्य में कथित उगाही के सिलसिले में पूछताछ के लिए नगालैंड सीएमओ के तीन अधिकारियों को 13 फरवरी को सम्मन किया. एनआईए के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तीन अधिकारियों को एनआईए के पुलिस उपाधीक्षक एवं मुख्य जांच अधिकारी जसवीर सिंह के समक्ष 15 फरवरी को पेश होने के लिए सम्मन किया गया है.
सूत्रों ने बताया कि सम्मन मंगलवार को जारी किये गये. सूत्रों ने बताया कि इन तीनों को नगालैंड में उगाही से जुड़े एनआईए के परिस्थितिजन्य मामले में तलब किया गया है.
एनआईए नगालैंड में उगाही के मामलों की अगस्त 2016 से ही जांच कर रही है. इस जांच के दौरान बड़ी मात्रा में दस्तावेज जब्त किये गए हैं जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय के तीन अधिकारियों की संलिप्तता का पता चला है.
इसलिए एनआईए ने मामले से संबंधित कुछ सवालों के उत्तर के लिए तीनों अधिकारियों को एनआईए के गुवाहाटी शाखा कार्यालय में 15 फरवरी को पेश होने के लिए सम्मन किया है. एनआईए सूत्रों के मुताबिक सात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ पहले से ही मामला चल रहा है.
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह कोई नया मामला नहीं है क्योंकि पिछले साल भी एनआईए ने उन्हें तलब किया था लेकिन मामला जुलाई अगस्त में वापस ले लिया गया था और अब एनआईए ने फिर से यह मामला शुरू किया है.
उन्होंने कहा कि सीएमओ के अधिकारी जाएंगे और ब्योरा देंगे. जेलियांग ने कहा कि यदि आतंकवादी संगठनों को रकम का भुगतान किया गया है तो उसकी जांच करने का एनआईए के पास अधिकार है.
उन्होंने कहा कि नगालैंड में एनएससीएन (के) एक प्रतिबंधित संगठन है. यदि कोई उसे भुगतान कर रहा तो यह गैर कानूनी है लेकिन सीएमओ का एनएससीएन (के) या किसी अन्य संगठन से कोई लेना देना नहीं है.
गौरतलब है कि एनआईए ने कल सीएमओ के तीन अधिकारियों को गुवाहाटी स्थित अपने शाखा कार्यालय में पेश होने के लिए समन जारी किया, जहां कल पूछताछ होनी है.
नगा समझौते के रास्ते में नहीं आएगी भाजपा या उसकी सरकार: किरेन रिजिजू
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि यदि भाजपा-एनडीपीपी गठबंधन नगालैंड में सत्ता में आया तो वह प्रस्तावित नगा समझौते के ‘सुचारू क्रियान्वयन’ के रास्ते में नहीं आएगा.
हालांकि रिजिजू ने इस सवाल का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया कि क्या इसका यह मतलब है कि नई सरकार जरूरत पड़ने पर समझौते के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए नगालैंड विधानसभा भंग करने की सिफारिश करेगी.
उन्होंने यहां कहा, ‘हमारी पार्टी और सरकार यदि निर्वाचित हुई तो वह समझौते के क्रियान्वयन के रास्ते में नहीं आएगी, जैसा और जब उस पर हस्ताक्षर हो. इसके बजाय हम सहयोग करेंगे.’
रिजिजू नगालैंड के लिए भाजपा के चुनाव प्रभारी हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में कोई भी राजनीतिक पार्टी नगा उग्रवादी समूह एनएससीएन (आईएम) समूह के साथ अंतिम शांति समझौते के क्रियान्वयन के रास्ते में नहीं आएगी और यह नगालैंड में सभी संबंधितों को अवगत करा दिया गया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी टिप्पणी का यह मतलब है कि 27 फरवरी के चुनाव के बाद यदि भाजपा-एनडीपीपी की सरकार बनी तो वह जरूरत पड़ने पर नई विधानसभा भंग करने और ताजा चुनाव कराने की सिफारिश करेगी, रिजिजू ने कहा कि इस मुद्दे पर बोलना उनके लिए संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह चर्चा के लिए एक विषय है और इस पर निर्णय विधायकों द्वारा किया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्य में सात दशक पुराने उग्रवाद का एक ऐसे सम्मानजनक हल के प्रति प्रतिबद्ध है जो कि सभी को स्वीकार्य हो.
कांग्रेस ने नगालैंड राजनीतिक समस्या के समाधान की दिशा में काम करने का वादा किया
कोहिमा: कांग्रेस ने सोमवार को विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी करते हुए वादा किया कि सत्ता में आने पर पार्टी राज्य के राजनीतिक मसले के समाधान की दिशा में भरपूर प्रयास करेगी.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक कैप्टन प्रवीण डावर और नगालैंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के थेरी ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणापत्र जारी किया.
कांग्रेस ने नगालैंड की कुल 60 में से 19 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और घोषणापत्र जारी किये जाने के समय सभी उम्मीदवार वहां मौजूद थे. थेरी ने घोषणापत्र को उद्धत करते हुए कहा कि सभी नागरिकों को नकदी रहित स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाएगा.
उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता में असंतुलन को दूर करने के लिए राज्य भर में ‘एक क्लासरूम’ की शुरुआत का जिक्र किया. राज्य कांग्रेस के प्रमुख ने लोगों के समर्थन से भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा किया.
जिन सीटों पर प्रत्याशी नहीं, वहां धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवारों का साथ देंगे: कांग्रेस
भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों को ‘नगालैंड के लोगों के जीवन जीने के तरीकों के साथ खिलवाड़ करने से रोकने’ के लक्ष्य से कांग्रेस उन विधानसभा सीटें पर धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवारों का समर्थन करेगी जिन सीटों पर वह स्वयं चुनाव नहीं लड़ रही है.
कांग्रेस ने 60 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. कांग्रेस के 20 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था, लेकिन उनमें से एक ने बाद में नामांकन वापस ले लिया.
नगालैंड प्रदेश कांग्रेस समिति ने एक बयान में कहा, ‘इस फैसले का लक्ष्य भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों को हमारे लोगों के अधिकारों को कमजोर करने और हमारी जीवन पद्धति में खलल डालने से रोकना है.’
पार्टी की ओर से जारी बयान के अनुसार, कांग्रेस के अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रत्याशियों का समर्थन करें.
भाजपा ने एनडीपीपी के साथ गठबंधन किया है. गठबंधन का नेतृत्व तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके और वर्तमान सांसद नेफियू रियो कर रहे हैं. भाजपा और एनडीपीपी प्रदेश की 60 में से क्रमश: 20 और 40 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.
अरुणाचल प्रदेश: चीन ने किया मोदी के दौरे का विरोध
बीजिंग: चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे का ‘कड़ा विरोध’ किया है, जिसे वह दक्षिणी तिब्बत बताता है. चीन ने कहा कि वह भारत के साथ राजनयिक विरोध दर्ज कराएगा.
मोदी के हालिया अरुणाचल दौरे की खबरों के बारे में पूछने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुयांग ने कहा, ‘चीन-भारत सीमा के सवाल पर चीन का रूख नियमित एवं स्पष्ट है.’
सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने गेंग के हवाले से खबर दी, ‘चीन की सरकार ने कभी भी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी और वह भारतीय नेताओं के विवादित इलाके के दौरे का पूरी तरह विरोध करता है.’
उन्होंने कहा, ‘हम भारतीय पक्ष के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराएंगे.’ गेंग ने कहा कि विवादों का उचित तरीके से प्रबंधन करने के लिए भारत और चीन के बीच महत्वपूर्ण आम सहमति है और दोनों पक्ष बातचीत और विचार-विमर्श के जरिये जमीन विवाद सुलझाने पर काम कर रहे हैं.
गेंग ने कहा, ‘चीनी पक्ष भारतीय पक्ष से आग्रह करता है कि इसकी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करें और उपयुक्त सहमति का पालन करें और ऐसा कोई काम करने से बचें जिससे सीमा विवाद और जटिल हो जाए.’
शिन्हुआ से उन्होंने कहा, ‘भारत और चीन के बीच अवैध मैकमोहन रेखा और परंपरागत सीमा के बीच स्थित ये तीन इलाके हमेशा से चीन का हिस्सा रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन द्वारा 1914 में खींची गई मैकमोहन रेखा इन इलाकों को भारतीय क्षेत्र में शामिल करने का प्रयास था. चीन अरुणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं के दौरे का नियमित रूप से विरोध करता है और राज्य पर अपना दावा करता है.
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर विवादित क्षेत्र है. दोनों पक्षों के बीच मुद्दे के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधि के माध्यम से अभी तक 20 दौर की वार्ता हो चुकी है.
मोदी ने यूपीए सरकार पर लगाया पूर्वोत्तर की अनदेखी का आरोप
इटानगर: चीन के विरोध के साये के बीच अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इस सीमावर्ती राज्य के देशभक्ति के जज्बे की सराहना की. उन्होंने नई दिल्ली-नहरलगुन एक्सप्रेस का नाम बदलकर ‘अरुणाचल एक्सप्रेस’ करने की घोषणा की.
मोदी की इस दूसरी अरुणाचल प्रदेश यात्रा का चीन ने जबर्दस्त विरोध किया है और उसने भारत से कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाने की अपील की है जिससे सीमा का प्रश्न और जटिल हो जाए. पिछले साल डोकलाम में चीनी सैनिकों के साथ हुए सेना के गतिरोध के बाद प्रधानमंत्री की इस सीमावर्ती राज्य की यह पहली यात्रा है.
इससे पहले मोदी ने फरवरी, 2015 में अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की थी. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताकर उसपर दावा करता है.
अरुणाचल प्रदेश की पारंपरिक वेशभूषा में मोदी ने राज्य सिविल सचिवालय के भवन को लोगों को समर्पित किया, टोमो रीबा इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस के अकादमिक ब्लॉक की आधारशिला रखी और दोरजी खांडू राज्य कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन किया.
उन्होंने यहां इंदिरा गांधी पार्क में जनसभा में कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश की मेरी यात्रा राज्य की तीन अहम परियोजनाओं के संबंध में है. सचिवालय पहले ही चालू हो चुका है और यह राज्य सरकार द्वारा उठाया गया अच्छा कदम है. ’’
उन्होंने यह कहते हुए अरुणाचल प्रदेश के लोगों के देशभक्ति के जज्बे की प्रशंसा की कि वे ‘जय हिंद’ कहकर एक दूसरे का अभिवादन करते हैं.
मोदी ने ऐलान किया कि नई दिल्ली-नहरलगुन एक्सप्रेस ट्रेन अब ‘अरुणाचल एक्सप्रेस’ के नाम से जानी जाएगी. यह ट्रेन राज्य के लोगों को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ती है. यह ट्रेन हफ्ते में एक के बजाय अब दो दिन चलेगी.
उन्होंने मुख्यमंत्री पेमा खांडू की उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों को लेकर प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने इस बात के लिए बिल्कुल उत्तम रोडमैप बनाया है कि वर्ष 2027 में अरुणाचल प्रदेश कैसा होना चाहिए. वह केवल अधिकारियों से ही नहीं बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से जानकारी लेते हैं.’
अन्य मुद्दों पर मोदी ने केंद्र की पिछली संप्रग सरकार पर पूर्वोत्तर की अनदेखी का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार ने पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दी है और मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी नियमित तौर पर क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं.
क्षेत्र के महत्व पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ही सारी अहम बैठकें नहीं होनी चाहिए, बल्कि ‘हमें सभी राज्यों में जाना चाहिए. और इसलिए मैं पूर्वोत्तर परिषद की बैठक के लिए शिलॉन्ग आया. सिक्किम में कृषि से जुड़ी एक अहम बैठक की गई थी.’
मनमोहन सिंह का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री काम का बोझ होने का बहाना बनाकर राज्य के दौरे पर नहीं आते थे. उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं ऐसा प्रधानमंत्री हूं जो आप सब से मिले बगैर नहीं रह सकता.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत रुप से लोगों से कन्वेंशन सेंटर में अहम बैठकें करने के लिए अरुणाचल प्रदेश जाने को कहेंगे.
उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को किसी परियोजना के उद्घाटन का बाट नहीं जोहने बल्कि उसके पूरा हो जाने पर उसका इस्तेमाल शुरू करने का निर्देश दिया है.
मोदी ने आयुष्मान भारत योजना को एक अहम पहल करार देते हुए कहा, ‘इस योजना का दायरा असमानांतर है और इससे हमारे स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक अनुकरणीय बदलाव आएगा. यह भारत को एक ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली देने का वक्त है जो पांच लाख रुपये प्रति परिवार की सीमा में गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध कराती है.’
भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की मुहिम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘केंद्र ने करीब 400 सरकारी योजनाओं में आधार आधारित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से 54,000 करोड़ रुपये बचाये हैं. ’
बीआरओ ने राज्य में किया रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण
इटानगर: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती ऊपरी सुबनसिरी जिले में एक महत्वपूर्ण सड़क और पुल के निर्माण में सफलता हासिल हुई है. यह क्षेत्र भारत-चीन सीमा से लगा हुआ है.
इसके निर्माण का कार्य बीआरओ ने अपनी परियोजना अरुणांक के तहत किया है. यह परियोजना राज्य के दुर्गम इलाकों को सड़क से जोड़ने की एक पहल है.
परियोजना अरुणांक के मुख्य इंजीनियर बी आर त्रिपाठी ने बताया कि यह रणनीतिक सड़क तमा चुंग चुंग (टीसीसी) को ऊपरी सुबनसिरी के बिदाक क्षेत्र से जोड़ती है. आम लोगों के लिए यह मार्ग 30 जनवरी से खुल गया था.
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में आठ से नौ महीने तक बारिश होती है इसलिए निर्माण का कार्य चुनौतीभरा था. इस परियोजना को साल 2017 में उस समय तीव्र गति हासिल हुई जब 200 फुट बेली पुल का निर्माण सुबनसिरी नदी पर पूरा हुआ.
त्रिपाठी ने बताया कि यह पुल मानसून के समय भी वाहनों के लिए खुला रहेगा.
मिज़ोरम: पीडब्ल्यूडी मंत्री ने ली पुल गिरने की जिम्मेदारी
आइजोल: जिले में एक पुल के गिर जाने के बाद इस्तीफे की मांग का दबाव झेल रहे मिजोरम के लोक निर्माण मंत्री लाल थंजारा ने शुक्रवार को कहा कि वह घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी.
इससे पहले विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट, पीपुल्स रिप्रेजेंटशन फॉर आइडेंटिटी एंड स्टेटस ऑफ मिजोरम और मिजो पीपुल्स पार्टी ने पीडब्ल्यूडी मंत्री और मुख्यमंत्री लालथनहावला के इस्तीफे की मांग की थी.
लाल थंजारा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘यह एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में लगा कि यह मेरी जिम्मेदारी है.’ मालूम हो कि आइजोल में मंगलवार को तुइरीनी नदी पर निर्माणाधीन पुल गिर गया था.
मंत्री ने कहा कि उन्होंने कार्यवाहक मुख्यमंत्री आर लालजिरलियाना और कांग्रेस विधायक दल के सचिव के समक्ष इस्तीफे की पेशकश की थी.
थंजारा ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने मुझसे कहा कि इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके क्षेत्र के लोगों ने उनसे पद छोड़ने को नहीं कहा है.’ लालथनहावला के आधिकारिक कार्यों से दिल्ली में होने के कारण लालजिरलियाना कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज देख रहे हैं.
त्रिपुरा: भाजपा ने माकपा पर लगाया अफवाह फैलाने का आरोप
नई दिल्ली: भाजपा ने त्रिपुरा की सत्तारूढ़ पार्टी माकपा पर आरोप लगाया है कि उनके कार्यकर्ता यह अफवाह उड़ा रहे हैं कि वह इस बात का पता लगा लेंगे कि किसने किस पार्टी को वोट दिया है. भाजपा ने इसके लिए चुनाव आयोग से संपर्क किया है.
बुधवार को यहां भाजपा ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि पिछले कई चुनावों में माकपा यहां ‘बड़े पैमाने पर हेराफेरी’ और अफवाह फैलाकर मतदाताओं को डराने और हिंसा करने में संलिप्त रहकर’ चुनावी प्रक्रिया को बाधित कर रहा था.
ज्ञापन में कहा गया है कि कथित अफवाह के अनुसार अगर कोई भाजपा को मतदान करता है तो ईवीएम मशीन से तेज आवाज आएगी और प्रत्येक पोलिंग बूथ पर कैमरा लगे होंगे जिसके जरिए माकपा के कार्यकर्ता चुनावी प्रक्रिया पर नजर रखने में सक्षम होंगे.
भाजपा ने ज्ञापन में दावा किया है कि इस अफवाह ने राज्य में पकड़ बना ली है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि मुख्य चुनाव अधिकारी ने मतदाताओं को वीवीपीएटी मशीन के बारे में और अन्य चीजों के बारे में शिक्षित करने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया है.
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि गारो हिल्स में उग्रवाद का उभार फिर से हो रहा है.
विधानसभा चुनाव लड़ रहे 22 उम्मीदवारों पर दर्ज हैं आपराधिक मामले
अगरतला: त्रिपुरा विधानसभा का चुनाव लड़ रहे 297 उम्मीदवारों में से 22 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. संवैधानिक सुधार की दिशा में काम कर रहे एक गैर सरकारी संगठन ने यह दावा किया.
गैर सरकारी संगठन त्रिपुरा इलेक्शन वॉच के द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि 17 उम्मीदवारों के खिलाफ दंगा, हत्या, आपराधिक धमकी और बलात्कार के आरोप हैं.
इन 17 उम्मीदवारों में से नौ भाजपा , तीन कांग्रेस, दो आईपीएफटी, एक तृणमूल कांग्रेस और अन्य स्वतंत्र उम्मीदवार हैं. त्रिपुरा इलेक्शन वॉच के संयोजक बिस्वेंदु भट्टाचार्य ने बताया कि ये जानकारियां उम्मीदवारों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान दिए गए हलफनामों में मौजूद है.
वहीं, सबसे ज्यादा संपत्ति रखने वाले शीर्ष 10 उम्मीदवारों में सात भाजपा के और तीन कांग्रेस के हैं.
चारीलाम विधानसभा सीट पर 12 मार्च को होगा मतदान
अगरतला: मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीराम तरणीकांति ने बताया कि राज्य के चारीलाम विधानसभा सीट पर अब 12 मार्च को मतदान होगा. माकपा प्रत्याशी के निधन के कारण यहां मतदान टल गया था.
सीट से माकपा उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देबबर्मा का चुनाव प्रचार के दौरान 11 फरवरी को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
श्रीराम ने बुधवार शाम बताया था कि प्रत्याशी की मौत के कारण अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित चारीलाम सीट पर विधानसभा चुनावों के साथ मतदान नहीं होंगे. चारीलाम सीट के लिए नामांकन 22 फरवरी तक भरा जा सकेगा.
नाम 26 फरवरी तक वापस लिये जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस मामले में सिर्फ माकपा को नये सिरे से नामांकन भरने की अनुमति होगी क्योंकि अन्य पुराने प्रत्याशियों के नामांकन को वैध करार दिया गया है.
इस सीट का चुनाव परिणाम 15 मार्च को घोषित होगा.
मेघालय: भाजपा का वादा, सत्ता में आने पर देगी दिहाड़ी मजदूरों को पेंशन
शिलॉन्ग: भाजपा ने गुरुवार को मेघालय के लिए दृष्टिपत्र जारी किया और वादा किया कि सत्ता में आने पर वह गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों की महिलाओं के लिए मुफ्त सैनिटरी नैपकिन और दिहाड़ी मजदूरों को पेंशन देगी.
मेघालय में 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 27 फरवरी को चुनाव होंगे और नतीजा तीन मार्च को आएगा. भाजपा 47 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने किसी भी दल के साथ चुनाव पूर्व गठजोड़ नहीं किया है.
यहां संवाददाता सम्मेलन में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जारी घोषणापत्र में भाजपा ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह कोयला खनन पर रोक का समाधान निकालेगी क्योंकि इस पाबंदी के चलते हजारों परिवार प्रभावित हैं.
भाजपा ने राज्य सरकार के कर्मचारियों से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का भी वादा किया. उसने कहा कि वह बड़े उद्योगों के वास्ते निवेश का माहौल बनाएगी तथा बड़ी संख्या में रोजगार पैदा करेगी.
सीतारमण ने मेघालय में जमीनी समर्थन का दावा किया
शिलॉन्ग: केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भाजपा मेघालय में आगामी विधानसभा चुनाव अकेले ही जीत सकती है क्योंकि राज्य में पार्टी के पक्ष में सकारात्मक जमीनी समर्थन है.
पार्टी का ‘दृष्टिपत्र’ जारी करने के बाद भाजपा नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम भाजपा के पक्ष में जमीनी स्तर पर बहुत अच्छा सकारात्मक समर्थन देख रहे हैं. हम अकेले ही जीत सकते हैं.’
भाजपा ने राज्य में 60 सीटों में 47 सीटों पर उम्मीदवार उतारा है और किसी भी क्षेत्रीय दल के साथ उसने चुनाव पूर्व समझौता नहीं किया है. उन्होंने कहा कि पार्टी यहां चुनाव के बाद गठबंधन के विरुद्ध नहीं है .
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हम यह नहीं कह रहे कि हम किसी के साथ तालमेल नहीं करना चाहते. चुनाव के बाद हमारा गठबंधन हो सकता है. समान सोच वाले दलों के लिए हमारा दरवाजा कभी बंद नहीं रहा.’
आरएसएस के प्रभाव में काम कर रही है केंद्र सरकार: कांग्रेस
शिलॉन्ग: कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भाजपा नीत राजग सरकार पर बुधवार को निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार ‘आरएसएस द्वारा, आरएसएस की और आरएसएस के लिए संचालित की जा रही है.’
असम से कांग्रेस के सांसद गोगोई ने कहा, ‘राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपालों की नियुक्तियों को देखिये. ये सभी आरएसएस के लोग हैं.’
उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस मिलकर देश के ‘सामाजिक तानेबाने को नष्ट कर देंगे.’ गोगोई ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की योजनाओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सिफारिशों पर शुरू किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी भारतीय रिजर्व बैंक का विचार नहीं था, वह आरएसएस की सलाह पर किया गया.’ उन्होंने कहा कि भाजपा के पतन की शुरुआत मेघालय से होगी.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा युवाओं के लिए दो करोड़ नौकरियां सृजित करने के वादे को पूरा करने में असफल रही है. उन्होंने कहा कि सत्ताधारी सरकार की ‘रुचि केवल लोगों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने में है.’
मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए फेसबुक चला सकता है अभियान
शिलॉन्ग: फेसबुक ने मेघालय में होने वाले चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए मेघालय चुनाव कार्यालय के साथ मिल कर एक बड़ा अभियान चलाने की इच्छा व्यक्त की है. पूर्वोत्तर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एफआर खारकोंनगोर ने सोमवार को यह जानकारी दी.
भारत, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए फेसबुक के पब्लिक पॉलिसी के प्रमुख नितिन सलूजा ने राज्य निर्वाचन कार्यालय को कल एक विज्ञप्ति भेज कर कहा, ‘फेसबुक के नागरिक भागीदारी प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हम आने वाले चुनावों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए मेघालय के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के साथ मिल कर काम करना चाहते हैं.’
खारकोंनगोर ने बताया कि इस अभियान में उसी तरीके का इस्तेमाल किया जाएगा जो ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा में हो चुका है और हाल ही में तमिलनाडु तथा गुजरात में चुनावों में जिनका इस्तेमाल हुआ था.
पूर्वोत्तर में अपना आधार बढ़ाने पर ध्यान दे रही है भाजपा: रूडी
शिलॉन्ग: भाजपा ने सोमवार को कहा कि वह मेघालय, त्रिपुरा, कर्नाटक और नगालैंड को भी उन राज्यों की सूची में शामिल करेगी जहां उसकी सरकार है.
वरिष्ठ भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने यहां पत्रकारों से कहा कि वर्ष 2009 में नौ राज्यों में पार्टी की सरकार थी और यह आंकड़ा अब बढ़कर 19 राज्यों तक पहुंच गया है.
रूडी ने कहा, ‘हम इस सूची में और राज्य जोड़ने जा रहे हैं और इसकी शुरुआत मेघालय, त्रिपुरा, कर्नाटक और नगालैंड से होगी.’
मेघालय में 60 सदस्यों वाली विधानसभा के लिये भाजपा ने 47 उम्मीदवारों को खड़ा किया है जबकि केंद्र में उसकी सहयोगी एनपीपी अकेले 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
रूडी ने भरोसा जताया कि आगामी चुनावों में पार्टी को बहुमत हासिल होगा.
मिज़ोरम: राज्य सरकार की अपील, म्यांमार सीमा की सुरक्षा बढ़ाए केंद्र
आइजोल: मिजोरम के मुख्यमंत्री लालथनहावला ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपील की है कि वह म्यांमार से सटी सीमा वाले राज्यों के पास सुरक्षा चाक-चौबंद कराएं ताकि रोहिंग्या मुस्लिमों को पूर्वोत्तर राज्य में दाखिल होने से रोका जा सके.
एक आधिकारिक बयान में आज कहा गया कि लालथनहावला ने मंगलवार को दिल्ली में राजनाथ से मुलाकात की और उनसे सुरक्षा संबंधी कई मुद्दों पर चर्चा की.
मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को बताया कि यदि म्यांमार के रखाइन प्रांत से रोहिंग्या शरणार्थी और आतंकवादी मिजोरम में दाखिल होने में कामयाब हो गए तो राज्य को गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ सकता है.
म्यांमार में शांति प्रक्रिया से पूर्वोत्तर के राज्यों को लाभ होगा: भारत
नई दिल्ली: म्यांमार की सरकार के साथ दो विद्रोही समूहों के संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत ने मंगलवार को कहा कि इससे शांति प्रक्रिया में मदद मिलेगी और पड़ोसी देश में राष्ट्रीय सुलह होने से पूर्वोत्तर के राज्यों को लाभ होगा.
विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि म्यांमार में समग्र शांति और राष्ट्रीय सुलह से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि के लिए अनुकूल माहौल बनेगा.
कुमार ने कहा, ‘भारत म्यांमार में शांति प्रक्रिया का समर्थन करता है. समग्र शांति और राष्ट्रीय सुलह से पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति और समृद्धि के लिए अनुकूल माहौल बनेगा.’
‘न्यू मोन स्टेट पार्टी’ (एनएमएसपी) और ‘लाहू डेमोक्रेटिक यूनियन’ (एलडीयू) नामक दो विद्रोही संगठनों ने शांति प्रक्रिया में शामिल होते हुए संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
असम: कोई भी वास्तविक नागरिक एनआरसी से बाहर नहीं रहेगा- सोनोवाल
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने आश्वस्त किया है कि किसी भी वास्तविक नागरिक का नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से नहीं छूटेगा.
उन्होंने राज्य विधानसभा को एनआरसी को अपडेट करने और पिछले साल 31 दिसंबर को इसका पहला मसौदा जारी करने के बारे में अवगत कराते हुये यह आश्वासन दिया.
मुख्यमंत्री सदन में राज्यपाल के संबोधन के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे थे. उन्होंने विपक्ष से समाज के समग्र विकास के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने की अपील की.
मणिपुर: न्यायेतर हत्याओं की एसआईटी जांच में बहुत गड़बड़ियां- सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित तौर पर की गई न्यायेतर हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ के मामलों में सीबीआई के विशेष जांच दल की जांच में प्रगति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इसमें ‘बहुत अधिक गड़बड़’ है.
शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि उसने केंद्रीय जांच ब्यूरो को यह सोचकर जांच सौंपी थी कि सच्चाई सामने आयेगी. न्यायालय ने अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से कहा है कि वह 42 में से 17 मामलों की जांच के लिये विशेष जांच दल के साथ अपने तीन व्यक्तियों को संबद्ध करे.
जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस यूयू ललित की पीठ से विशेष जांच दल ने कहा कि उसने 42 मामले दर्ज किये हैं और न्यायालय के निर्देशानुसार ही उनकी जांच की जा रही है.
पीठ ने जांच दल की स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद आश्चर्य व्यक्त करते हुये विशेष जांच दल से पूछा कि उन व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी कैसे दर्ज की गयी, जिन्हें मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारा जा चुका है.
पीठ ने कहा, ‘हम चाहते थे कि सीबीआई इस मामले की जांच करे ताकि आप सच्चाई का पता लगा सकें. यह किस तरह की जांच है? हम चाहते थे कि कुछ तेजी से किया जाये. हम नहीं चाहते कि विशेष जांच दल को किसी प्रकार की असुविधा हो. हम सिर्फ यह चाहते हैं कि इस प्रक्रिया को गति प्रदान की जाये.’
विशेष जांच दल के प्रभारी सीबीआई के उपमहानिरीक्षक शरद अग्रवाल ने कहा कि ये सारी प्राथमिकी मणिपुर पुलिस ने पहले दर्ज की थीं और जांच दल ने इन्हें फिर से दर्ज किया है. इस पर पीठ ने कहा, ‘हम विशेष जांच दल की जांच में प्रगति से संतुष्ट नहीं है.’
पीठ ने जांच दल की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह से जानना चाहा कि इस स्थिति रिपोर्ट को सीबीआई के निदेशक की स्वीकृति क्यों नहीं है? सिंह ने शुरू में तो यह कहा कि रिपोर्ट को सीबीआई निदेशक की मंजूरी है, बाद में कहा कि वह इस बारे में हलफनामा दाखिल करेंगे.
पीठ ने कहा, ‘आपकी अगली स्थिति रिपोर्ट को स्पष्ट रूप से सीबीआई निदेशक की स्वीकृति होनी चाहिए.’ न्यायालय ने इसके साथ इस मामले की सुनवाई 12 मार्च तक स्थगित कर दी. पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा तैनात तीन व्यक्ति विशेष जांच दल के साथ संबद्ध रहेंगे और यह जांच ‘प्राथमिकता के आधार’ पर की जानी चाहिए.
पीठ ने कहा, ‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि मानवाधिकार आयोग की संबद्धता कुछ समय के लिये इन 17 मामलों के बारे में ही है.’
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्जाल्विस ने दलील दी कि दो मामलों के अलावा अन्य प्राथमिकियां उन व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गयी हैं जिनकी पहले ही मृत्यु हो चुकी है.
पीठ ने विशेष जांच दल से इस बारे में सवाल पूछे और इन मामलों में जांच आयोग, शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित एक अन्य आयोग और मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट और गौहाटी उच्च न्यायालय के निष्कर्ष का जिक्र किया.
पीठ ने विशेष जांच दल में अपना भरोसा व्यक्त करते हुये कहा कि सीबीआई ने हमें ठीक से समझा नहीं. कृपया इसे सुधार लें और तत्काल काम करें. बहुत हो चुका. पीठ ने यह भी कहा कि आपको हमारे फैसले के अनुरूप ही आगे बढ़ना है. हमारा फैसला बहुत स्पष्ट है.
जस्टिस लोकुर ने सवाल किया, ‘आपने सिर्फ फिर से प्राथमिकियां दर्ज क्यों कीं? मुझे दुख है लेकिन इसमें भयानक गड़बड़ है.’ उन्होंने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि ‘अज्ञात वर्दीधारी व्यक्तियों’ के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं.
सीबीआई के उपमहानिरीक्षक ने पीठ से कहा कि प्राथमिकियां न्यायालय के निर्देश के अनुसार दर्ज की गयी हैं और वे मामले की जांच करेंगे और सक्षम अदालत में आरोप पत्र दायर करेंगे. पीठ ने कहा, ‘आपको इन्हें देखना होगा और सारे पहलुओं की जांच करनी होगी.’
शीर्ष अदालत मणिपुर में न्यायेतर हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. न्यायालय ने पिछले साल 14 जुलाई को सीबीआई के पांच अधिकारियों का विशेष जांच दल गठित किया था और उसे इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज करके जांच करने का आदेश दिया था.
सीबीआई को एसआईटी में पांच अधिकारी शामिल करने की इजाज़त
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सीबीआई की वह अर्जी स्वीकार कर ली जिसमें उसने मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित रूप से की गई न्यायेतर हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों की जांच कर रही अपनी एसआईटी में पांच और अधिकारियों को शामिल करके उसका विस्तार करने की इजाजत मांगी थी.
इन अधिकारियों में दो वे अधिकारी शामिल हैं जो कि व्यापम घोटाला मामले की जांच कर रहे हैं. एसआईटी ने जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस यूयू ललित की एक पीठ को बताया कि वर्तमान में टीम में पांच अधिकारी शामिल हैं लेकिन उसे पांच और अधिकारियों की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन मामलों में तेजी से और जांच करने की जरूरत है.
पीठ ने सीबीआई द्वारा अर्जी में दिये नामों पर गौर करने के बाद कहा कि इनमें से दो अधिकारी मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले की जांच से जुड़े हुए हैं. पीठ ने सीबीआई की तरफ से पेश होने वाले अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह से पूछा, ‘इनमें से दो व्यापम मामले की जांच में शामिल हैं?’
सिंह ने कहा कि व्यापम घोटाले में करीब 170 मामले थे और इनमें से 100 मामलों में अंतिम रिपोर्ट हो चुकी है. बाकी के मामलों में जांच अंतिम चरण में है.
उन्होंने कहा कि ये दो अधिकारी व्यापम मामले में अपना ‘अंतिम काम’ कर रहे हैं और एक बार वहां अपनी जांच पूरी करने के बाद वे मणिपुर मामलों के लिए एसआईटी में शामिल हो सकते हैं. पीठ ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि इससे अन्य चीजें (व्यापम मामलों में जांच) प्रभावित हों.’
सिंह ने यद्यपि अदालत को बताया कि एसआईटी में पांच अधिकारियों की कोर टीम न्यायालय की अनुमति के बिना बदली नहीं जाएगी.
जब एएसजी ने सीबीआई को एसआईटी में और अधिकारी जोड़ने की इजाजत देने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा, ‘आप इसके लिए अर्जी बढ़ाइये.’
सुनवाई के दौरान सीबीआई के डीआईजी एवं एसआईटी के प्रभारी शरद अग्रवाल ने पीठ को बताया कि अभी तक उन्होंने मणिपुर मामलों में 42 मामले दर्ज किये हैं और जांच चल रही है. पीठ ने सवाल किया, ‘आपको (एसआईटी) जांच पूरी करने और आरोपपत्र दाखिल करने में कितना समय लगेगा?’
अग्रवाल ने कहा कि इसमें करीब छह महीने लगेंगे क्योंकि इन मामलों की जांच के वास्ते मणिपुर का दौरा करने के लिए एक फॉरेंसिक टीम की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एसआईटी टीम मणिपुर पहुंच गई है और चार मामलों में जांच चल रही है और कई गवाहों से पूछताछ की गई है.
सीएसआर व्यय का 10 फीसदी पूर्वोत्तर के लिए तय करने की मांग
नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत खर्च होने वाली कुल राशि का कम से कम 10 फीसदी पूर्वोत्तर के राज्यों के लिये तय करने की मांग की है ताकि देश के इस हिस्से में शिक्षा, स्वास्थ्य और खासकर बाल अधिकारों की स्थिति में सुधार हो सके.
एनसीपीसीआर ने कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पूर्वोत्तर के लिए सीएसआर का 10 फीसदी सुनिश्चित करने के लिये कंपनी कानून-2013 के सीएसआर दिशानिर्देशों में संशोधन किया जाए.
एनसीपीसीआर के सदस्य (शिक्षा एवं आरटीई) प्रियंक कानूनगो ने ‘भाषा’ को बताया, ‘पूर्वोत्तर देश का सबसे उपेक्षित हिस्सा रहा है. वहां सामाजिक क्षेत्र में बहुत कुछ किये जानी की जरूरत है. परन्तु दुखद स्थिति यह है कि सीएसआर के मामले में भी उपेक्षा हो रही है. हमने इस मामले में पिछले सप्ताह कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा कि पूर्वोत्तर के लिए सीएसआर का 10 फीसदी सुनिश्चित करने के लिये 2013 के सीएसआर दिशानिर्देशों में संशोधन किया जाए.’
गौरतलब है कि कंपनी कानून- 2013 के तहत लाभ कमा रहे समूहों को अपने तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का कम-से-कम 2 प्रतिशत एक वित्त वर्ष में सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है.
कानूनगो ने कहा, ‘पूर्वोत्तर के इलाकों का दौरा करने के बाद हमने यह पाया कि यहां शिक्षा, स्वास्थ और विशेषकर बाल अधिकारों को लेकर बहुत काम किये जाने की जरूरत है. लेकिन धन की कमी होने की वजह से सामाजिक क्षेत्र के लोग भी बहुत कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए हमने महसूस किया कि अगर पूर्वोत्तर में सीएसआर का एक अच्छा-खासा हिस्सा खर्च हो तो स्थिति में बहुत बदलाव आ सकता है. सीएसआर का लाभ सबसे पहले बच्चों तक पहुंचता है.’
एनसीपीसीआर ने पिछले साल जून में पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों की सरकारों के साथ मिलकर सीएसआर को बढ़ावा देने के लिये गुवाहाटी में एक सम्मेलन का आयोजन किया था. इस सम्मेलन में 37 कॉरपोरेट इकाइयों और कई गैरसरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
कानूनगो ने कहा, ‘पूर्वोत्तर में बड़ी औद्योगिक इकाइयां नहीं हैं और वहां देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले बड़ा बाजार भी नहीं है. शायद यही वजह है कि कॉरपोरेट जगत की तरफ से इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई है. हम अपने स्तर से कॉरपोरेट समूहों को मनाने की कोशिश करते रहेंगे ताकि वे पूर्वोत्तर में ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें.’
असम: काजीरंगा में गैंडों का शिकार रोकने के उपाय करें- राज्यपाल
गुवाहाटी: असम के राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को काजीरंगा नेशनल पार्क में गैंडों के शिकार की घटना रोकने के लिए सभी उपाय करने का निर्देश दिया है.
उन्होंने कहा, ‘काजीरंगा नेशनल पार्क के कारण असम को नाम मिला है और विश्व भर में इसे ख्याति मिली है. शिकारियों द्वारा गैंडों की अंधाधुंध हत्या केवल प्राणी पर हमला नहीं है बल्कि यह राज्य के गौरव पर एक हमला है.’
राज्यपाल ने बीते रविवार गोलाघाट जिले में अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक में यह बात कही. उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में शिकार की घटनाओं में भारी कमी आयी है लेकिन गैंडों को नुकसान पहुंचाने के किसी नापाक इरादे को असफल करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को जरूर तैयार रहना चाहिए.
राज्यपाल ने जिला पुलिस अधिकारियों से अन्य राज्य से लगने वाले जिले के सीमावर्ती इलाकों में पूरा सामंजस्य सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. उन्होंने जिले में शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों के सभी प्रयासों का स्वागत किया.
राज्यपाल ने जिले में स्वास्थ्य और स्वच्छता, पेयजल, सफाई, शिक्षा, रोड और संचार, कृषि सहित अन्य मुद्दों की भी समीक्षा की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)