केरल के आदिवासी बहुल इलाके अट्टाप्पदी में हुई घटना. आदिवासी युवक को बांधकर पीटते हुए लोगों ने ली थी सेल्फी. मुख्यमंत्री ने घटना की निंदा की.
पलक्कड़ (केरल): केरल के पलक्कड़ ज़िले के अट्टाप्पदी में 27 वर्षीय आदिवासी युवक मधु की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने के संबंध में केरल पुलिस ने शुक्रवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया.
एसपी प्रथीश कुमार ने बताया कि जिन दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, उनमें से एक के. हुसैन है. वह पाकुलम में उस दुकान का मालिक है, जहां से मधु पर खाने का सामान चुराने का आरोप है. गिरफ़्तार किए गए दूसरे व्यक्ति का नाम पीपी अब्दुल करीम है.
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिन पहले कदुकुमन्ना के आदिवासी इलाके में रहने वाले मधु को भीड़ ने बांधकर बुरी तरह से पीटा था. उन पर खाने-पीने का सामान चुराने का आरोप था.
27 वर्षीय मधु की मौत भीड़ द्वारा बुरी तरह पीटे जाने के बाद पुलिस वाहन में हो गई थी. आरोप था कि उसने अगाली नगर में कुछ दुकानों से खाद्य वस्तुओं की चोरी की थी. भीड़ मधु को बांधकर पास के जंगलों में ले गई. उसे पीटने के दौरान लोगों ने सेल्फियां ली. दो से ढाई घंटे के बाद तकरीबन छह बजे मधु को पुलिस के हवाले किया गया.
घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने और टीवी चैनलों पर प्रसारित होने के बाद राज्य में आदिवासियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को जगह-जगह प्रदर्शन किए.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कि अनुसार, इस हत्या के संबंध में अब तक 10 लोगों को हिरासत में लिया गया है. केरल राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग (केएससीएससीएसटी) ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पलक्कड़ ज़िला कलेक्टर और एसपी को इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए एसपी प्रथीश कुमार ने बताया, ‘आठ संदिग्धों की पहचान हो चुकी है. इस संबंध में और भी लोगों को हिरासत में लिया जाएगा. जिन लोगों ने मधु के साथ मारपीट की, सेल्फी ली और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किए जा रहे हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि मधु के शरीर पर बाहरी चोट के निशान नहीं मिले हैं. त्रिशूर मेडिकल कॉलेज से पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही इस बारे में उचित जानकारी मिल सकेगी.
उधर, युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और भाजपा ने शनिवार को मन्नारकड़ तालुका में 12 घंटे हड़ताल का आह्वान किया है.
हिरासत में लिए गए लोगों में से एक की पहचान स्थानीय युवक उबैद के रूप में हुई है जिसे घायल मधु और पीछे खड़े एक अन्य व्यक्ति के साथ सेल्फी लेते देखे गया था. फोटो में मधु के हाथ बंधे हुए हैं.
मधु के मौत पर उभरे जनाक्रोश पर राज्य सरकार ने शुक्रवार को मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. इसकी घोषणा राज्य के अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री एके बालन ने की.
त्रिशूर रेंज के आईजी एमआर अजीथकुमार की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम मामले की जांच कर रही है.
एक फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री पी. विजयन ने घटना की निंदा करते हुए लिखा है, ‘यह घोर निंदनीय है. राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी. इस संबंध में राज्य पुलिस के आला अधिकारी को निर्देश दे दिए गए हैं.’
मलयालम मीडिया ने पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के हवाले से बताया है कि मधु ने पुलिस के हवाले करने वाले लोगों द्वारा उसके साथ किए गए अमानवीय व्यवहार के बारे में भी बताया था. उसने पुलिस को बताया कि से भीड़ द्वारा उसे लात-घूंसों से बुरी तरह पीटा गया और गालियां भी दी गईं.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मधु का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं था. पुलिस मामले में 15 लोगों की संलिप्तता मानती है. अन्य आरोपियों की तलाश जारी है.
कौमुदी आॅनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय युवक उबैद जिसने मधु को पीटे जाने के दौरान सेल्फी ली थी, उसके संबंध स्थानीय विधायक एन. शमसुद्दीन से जोड़े जा रहे हैं. आरोपों को हवा तब मिली जब इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता शमसुद्दीन के चुनाव प्रचार में उबैद के शामिल होने की एक तस्वीर सामने आई.
हालांकि शमसुद्दीन ने आरोपी के साथ किसी भी प्रकार का संबंध होने से इनकार किया है और बिना किसी राजनीतिक दबाव के मामले की जांच की मांग की है.
घटना की व्यापक निंदा और विरोध
वहीं, इस घटना के विरोध में विभिन्न आदिवासी संगठन सड़कों पर उतर आए. उन्होंने प्रदर्शन किया और सड़कों पर जाम लगा दिया. एक जगह तो प्रदर्शनकारियों ने सभी आरोपियों को हिरासत में लिए जाने की मांग को लेकर मधु के मृत शरीर को पोस्टमार्टम के लिए ले जा रही एम्बुलेंस का भी रास्ता रोक लिया.
बाद में, अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों की मांगे माने जाने का आश्वासन दिए जाने पर प्रदर्शनकारियों ने एम्बुलेंस को जाने दिया. प्रदर्शनकारियों में मधु के परिवार के सदस्य भी शामिल थे.
अट्टाप्पदी, पल्लकड़ ज़िले का एक आरक्षित वन क्षेत्र है जहां राज्य की आदिवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है. यह क्षेत्र अक्सर आदिवासी समुदाय से संबंधित विभिन्न मुद्दों जैसे- कि आदिवासी बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु, नवजात मृत्यु और आदिवासी महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए सुर्खियों में रहता है.