यह सब इसलिए हुआ क्योंकि मैंने इस्लाम क़ुबूल किया: हादिया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हादिया ने कहा कि संविधान हर किसी को अपना धर्म चुनने की आज़ादी देता है, लेकिन मेरे साथ यह सब इसलिए हुआ क्योंकि मैंने इस्लाम को अपनाया.

(फोटो: रॉयटर्स)

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हादिया ने कहा कि संविधान हर किसी को अपना धर्म चुनने की आज़ादी देता है, लेकिन मेरे साथ यह सब इसलिए हुआ क्योंकि मैंने इस्लाम को अपनाया.

(फोटो: रॉयटर्स)
हादिया (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

कोझीकोड (केरल): सुप्रीम कोर्ट द्वारा शफीन जहां से अपनी शादी को बरकरार रखने के फैसले के बाद हादिया शनिवार को पहली बार अपने गृह राज्य केरल पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने इस्लाम कुबूल किया.

इस दौरान हादिया ने कहा, ‘संविधान हमें अपना धर्म चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता देता है, जो हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. लेकिन, यह सब इसलिए हुआ क्योंकि मैंने इस्लाम कुबूल किया.’

आईएएनएस की खबर के अनुसार, हादिया और उनके पति शनिवार को पॉपुलर फ्रंट ऑप इंडिया (पीएफआई) के कार्यालय पहुंचे थे, जहां मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने यह बात कही.

हादिया ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमारी शादी को वैध ठहराए जाने से हम ऐसा महसूस कर रहे हैं कि मानो हमें आज़ादी मिल गई.’

गुरुवार को देश के उच्चतम न्यायालय ने  केरल हाईकोर्ट द्वारा दिए हादिया की शादी को रद्द करने वाले फैसले को पलट दिया. 26 वर्षीय हादिया जो पहले अखिला अशोकन थीं, ने इस्लाम धर्म अपनाकर शफीन जहां नाम के एक मुस्लिम युवक से निकाह कर ली थी.

हादिया के पिता ने आरोप लगाया था कि आतंकी संगठनों से जुड़े एक समूह द्वारा जबरन उनकी बेटी का धर्म परिवर्तन कराया गया था.  हादिया के पिता अशोकन ने इसे लव जिहाद का नाम देते हुए केरल उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था.

उन्होंने हादिया को लेकर चिंता जताई थी कि हादिया को आतंकवादी संगठन आईएस में शामिल होने के लिए सीरिया भेज दिया जाएगा. दरअसल हादिया से निकाह करने वाले शफीन मस्कट में काम करते हैं और उनके माता पिता भी वहीं रहते हैं.

शुरुआत में शफीन हादिया को अपने साथ मस्कट ले जाना चाहते थे लेकिन अदालत का फैसला उनके ख़िलाफ़ आया. केरल उच्च न्यायालय ने इस विवाह को अवैध क़रार देते हुए इसे लव जिहाद की संज्ञा देते हुए हादिया को उनके परिवारवालों के संरक्षण में भेज दिया. और 16 अगस्त 2017 को मामले की जांच एनआईए को सौंप दी.

उच्च न्यायालय द्वारा इस विवाह को अमान्य घोषित करने के फैसले को चुनौती देते हुए उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की जिसमें उसने इस निर्णय को देश में महिलाओं की स्वतंत्रता का अपमान बताया था.

बीते नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने हादिया से बातचीत की और उसे होम्योपैथी की शिक्षा आगे जारी रखने के लिए तमिलनाडु के सलेम भेज दिया. कोर्ट ने हादिया को सुरक्षा प्रदान करने और यथाशीघ्र उसका सलेम पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए केरल पुलिस को निर्देश दिया था.

बीते जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि हादिया बालिग है, किसी कोर्ट या जांच एजेंसी को शादी पर सवाल उठाने का हक़ नहीं है. एनआईए कथित लव जिहाद के बारे में जांच कर सकता है लेकिन वह किसी की शादी की स्थिति के बारे में जांच नहीं कर सकता.

गुरुवार को इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि हादिया और शफीन अब पति-पत्नी की तरह रह सकेंगे.

पीएफआई कार्यालय में बात करते हुए हादिया ने आगे कहा, ‘सिर्फ पीएफआई ही था जिसने हमारे बुरे समय में हमारा साथ दिया. चौंकाने वाला यह था कि जिन दो मुस्लिम संगठनों से हमने मदद के लिए संपर्क साधा था, उन्होंने हमारी मदद से इनकार कर दिया.’

हादिया तीन दिन केरल में रहने के बाद तमिलनाडु के सलेम वापस लौटेंगी जहां वे पढ़ाई कर रही हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की पीठ ने गुरुवार को मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि हादिया उर्फ अखिला अशोकन कानून के मुताबिक अपने भविष्य के फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मामले में अगर कोई आपराधिक कोण है तो अपनी जांच जारी रखेगी. वहीं हादिया के पिता ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम फैसले पर कानूनी सलाह ले रहे हैं.