एक फायरमैन का काम बहुत ही जोख़िमभरा होता है. दिल्ली दमकल विभाग के एक फायरमैन को हर दूसरे दिन 24 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है ताकि राजधानी के लोगों की ज़िंदगियां सुरक्षित रह सकें.
दलकम कर्मचारियों को काम सबसे ज़्यादा जोख़िम वाले कामों में से एक है. बीती 25 फरवरी को पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी स्थित एक रेस्टोरेंट में आग बुझाने गए दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई. ये फायरमैन हरि सिंह मीणा और हरिओम थे.
आग और धुंए के बीच हरि सिंह मीणा और हरिओम वहां की स्थिति का अंदाज़ा नहीं लगा पाए थे. इन्हें नहीं पता था कि वहां एक एलपीजी सिलेंडर भी रखा है जो कुछ ही समय में फटने वाला है. इस दर्दनाक घटना में उनके शव बुरी तरह से जल गए थे.
आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले चार महीने में आठ फायरमैन की मौत हो चुकी है. यही नहीं पिछले पांच सालों में दिल्ली में आग लगने के मामलों में 2,091 लोगों की मौत हो चुकी है. ये फायरमैन अपनी जान जोख़िम में डालकर दूसरों की जान बचाते हैं.
आग और धुंए के बीच स्थितियों को अंदाज़ा लगा पाना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन इस बात की परवाह किए बगैर ये फायरमैन अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं. दिल्ली फायर विभाग को पिछले साल तीन हज़ार फोन कॉल आए थे. ये हर कॉल का जवाब देते हैं, क्योंकि एक भी चूक किसी की जान पर भारी हो सकती है. हर वक्त सतर्क रहते हुए ये कर्मचारी दूसरों की जिंदगी को सुरक्षित बनाते हैं.
सरिता विहार फायर स्टेशन के स्टेशन अधिकारी जगबीर सिंह कहते हैं, ‘मौत तो निश्चित है, लेकिन हमें डरने की ज़रूरत नहीं, हम फायरप्रूफ (अग्निरोधक) हैं.’ इस नौकरी का अपना नफा और नुकसान है. यहां के कर्मचारी लगभग हर रोज मौत देखते हैं. इसके बावजूद अपनी ज़िम्मेदारियों को लेकर इनका जुनून कम नहीं होता. इनका टीमवर्क प्रभावित करता है और बहुत कुछ सिखाता है.
(सभी तस्वीरें: समीर ख़ान)