बीते 14 मार्च को गोरखपुर उपचुनाव की मतगणना के दौरान गोरखपुर के ज़िलाधिकारी राजीव रौतेला पर आरोप लगा था कि जैसे ही भाजपा गिनती पीछे हुई उन्होंने मीडिया को मतगणना केंद्र पर आने से प्रतिबंधित कर दिया था.
नई दिल्ली: बीते 14 मार्च को गोरखपुर उपचुनाव की मतगणना के दौरान गोरखपुर के ज़िलाधिकारी राजीव रौतेला पर आरोप लगा था कि जैसे ही भाजपा गिनती पीछे हुई उन्होंने मीडिया को मतगणना केंद्र पर आने से प्रतिबंधित कर दिया था.
मालूम हो कि बीते 14 मार्च को गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव की मतगणना के दिन गोरखपुर के ज़िलाधिकारी राजीव रौतेला पर आरोप लगा था कि जैसे ही भाजपा गिनती पीछे हुई उन्होंने मीडिया को मतगणना केंद्र से बाहर कर दिया था.
एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि पीसीआई के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 14 मार्च को गोरखपुर में गोरखपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मतगणना केंद्र पर मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया क्योंकि यह प्रथम दृष्टया प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात है.
पीसीआई ने कहा कि इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और गोरखपुर जिला मजिस्ट्रेट से मामले के तथ्यों पर एक रिपोर्ट के साथ एक लिखित जवाब मांगा गया है.
मीडिया को मतगणना केंद्र पर मीडिया के रोक के आरोप पर डीएम राजीव रौतेला ने कहा था कि जितना चाहे शूटिंग किया जा सकता है, लेकिन जहां ईवीएम है वहां मीडिया को जाने की अनुमति नहीं है.
गोरखपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ल को 21,961 मतों से शिकस्त दी है. यह सीट 1989 से भाजपा के पास थी. फूलपुर उपचुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद बीते 17 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 16 मार्च की आधी रात को 37 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया था, जिसमें 17 ज़िलाधिकारी भी शामिल थे.
इसमें गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला समेत 17 ज़िलों के डीएम और वाराणसी सहित चार मंडलों के आयुक्त भी शामिल थे.
सपा ने चुनाव आयोग से की थी शिकायत
इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव की मतगणना में संबंधित ज़िलाधिकारी द्वारा धांधली किये जाने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की.
सपा के प्रांतीय अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में कहा था कि गोरखपुर उपचुनाव मतगणना शुरू होते ही प्रशासन ने पुलिस के ज़रिये लोगों पर लाठीचार्ज करके उन्हें खदेड़ दिया.
साथ ही आरोप था कि जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने सपा के कई अभिकर्ताओं (एजेंट) को मतगणना केंद्र से बाहर करा दिया.
मतगणना में गड़बड़ी का आरोप लगाकर विधानसभा और विधान परिषद में विपक्षा ने किया था हंगामा
ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों में गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव की मतगणना में ज़िला प्रशासन द्वारा गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए सपा समेत विपक्षी सदस्यों ने हंगामा भी किया था.
विधान परिषद में 14 मार्च को सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता विपक्ष अहमद हसन, आनंद भदौरिया तथा अन्य सपा सदस्यों ने गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में मतगणना में ज़िला प्रशासन और सरकार द्वारा गड़बड़ी किये जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था.
उस समय सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित भी कर दी गई थी. बाद में स्थगन के समय को 20-20 और मिनटों के लिये तथा उसके बाद अपराह्न एक बजे तक के लिये बढ़ा दिया गया था.
नेता विपक्ष अहमद हसन ने बाद में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि गोरखपुर के ज़िलाधिकारी राजीव रौतेला शुरू से ही चुनाव में गड़बड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं. उच्च न्यायालय ने उन्हें तीन महीने पहले ही हटाने का आदेश दिया था, मगर सरकार ने नहीं हटाया.
सपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य नरेश उत्तम आरोप लगाया था कि भाजपा चुनाव परिणाम प्रभावित करने के लिये बड़ी साजिश रच रही है. इसीलिये मतगणना रोक दी गयी है.
उधर, विधानसभा में भी इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई. विधानसभा में सपा और विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि गोरखपुर मतगणना केंद्र में मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है. यह ‘लोकतंत्र की हत्या’ है.
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)