चुनाव आयोग की सिफ़ारिश को दोषपूर्ण बताते हुए अदालत ने कहा कि इसमें नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है. अदालत ने आयोग नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया.
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने लाभ के पद मामले में उसके 20 विधायकों की अयोग्यता शुक्रवार को रद्द कर दी. साथ ही अदालत ने चुनाव आयोग को मामले पर नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने कहा कि आप विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली अधिसूचना क़ानूनन सही नहीं थी और उनका मामला फिर से सुनवाई के लिए चुनाव आयोग के पास भेज दिया.
विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए चुनाव आयोग की सिफ़ारिश को ‘दोषपूर्ण’ बताते हुए पीठ ने कहा कि इसमें नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन हुआ है और आयोग ने इन विधायकों को दिल्ली विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने की सिफ़ारिश करने से पहले कोई मौखिक सुनवाई का अवसर नहीं दिया.
अदालत ने कहा, ‘चुनाव आयोग की ओर से (राष्ट्रपति को) 19 जनवरी 2018 को दी गई राय नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं करने की वजह से क़ानूनन ग़लत और दोषपूर्ण है.’
इस फैसले से ख़ुश मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे सच्चाई की जीत क़रार दिया.
आप प्रमुख केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा, ‘निर्वाचित प्रतिनिधियों को ग़लत तरीके से अयोग्य ठहराया गया. उच्च न्यायालय ने दिल्ली की जनता को न्याय दिया है. यह उनकी जीत है. दिल्ली की जनता को बधाई.’
पीठ ने अपने 79 पन्नों के आदेश में कहा कि चुनाव आयोग की राय को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं करने के कारण रद्द किया जाता है.
अदालत ने कहा कि मौखिक सुनवाई और मुद्दे के गुण-दोष के आधार पर दलीलों को रखने का अवसर नहीं देकर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया.
अदालत ने कहा, ‘दलीलों को सुनने के लिए मामला चुनाव आयोग को भेजने के लिए आदेश दिया जाता है और इसलिए सभी महत्वपूर्ण और बुनियादी मुद्दों यथा शब्द सरकार के तहत लाभ के पद से क्या आशय है इस पर फैसला किया जाए.’
अदालत ने चुनाव आयोग से इस बात का फैसला करने के लिए मामले के तथ्यों का फिर से परीक्षण करने को कहा कि क्या याचिकाकर्ता (आप विधायकों) संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति की वजह से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य थे. अदालत ने आयोग से पिछले आदेश या इस आदेश में उस पहलू पर की गई टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना इस बारे में फैसला करने को कहा.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने खचाखच भरी अदालत में फैसला पढ़ा. इसके बाद इस फैसले से गदगद वहां मौजूद आप विधायकों ने एक-दूसरे को बधाई दी.
इन विधायकों ने लाभ का पद धारण करने को लेकर अपनी अयोग्यता को चुनौती दी थी. विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने की वजह से अयोग्य ठहराया गया था.
बहस के दौरान विधायकों ने अदालत से उनका मामला चुनाव आयोग को भेजने और उस पर नए सिरे से सुनवाई करने का आदेश देने का अनुरोध किया था. उन्होंने चुनाव आयोग की सिफ़ारिश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मंज़ूरी देने के बाद अपनी अयोग्यता के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए राष्ट्रपति को की गई सिफ़ारिश का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग ने कहा था कि विधायक यह दावा नहीं कर सकते कि वे लाभ के पद पर नहीं थे. उसने यह भी दावा किया था उनकी याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं और खारिज किए जाने के योग्य हैं.
चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को आप के 20 विधायकों- अल्का लांबा, आदर्श शास्त्री, संजीव झा, राजेश गुप्ता, कैलाश गहलोत, विजेंदर गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल, शिवचरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोम दत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह को अयोग्य ठहराने की सिफ़ारिश की थी.
राष्ट्रपति ने अगले ही दिन चुनाव आयोग की सिफ़ारिश स्वीकार कर ली थी.
केजरीवाल ने कहा कि यह सत्य की जीत है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी आदेश का स्वागत किया. दिल्ली विधानसभा में सिसोदिया सहित आप के विभिन्न विधायकों ने इस आदेश का मेज थपथपा कर स्वागत किया. विधायकों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए.
केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘यह सत्य की जीत है. निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को गलत तरीके से अयोग्य ठहरा दिया गया. उच्च न्यायालय ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया है. यह लोगों की जीत है. दिल्ली के लोगों को बधाई.’
सत्य की जीत हुई। दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को ग़लत तरीक़े से बर्खास्त किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया। दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत। दिल्ली के लोगों को बधाई। https://t.co/eDayHziHSn
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 23, 2018
वहीं, आप नेता अल्का लांबा ने चुनाव आयोग पर साजिश का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ न हो.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, फैसले के बाद आम आदमी पार्टी की अल्का लंबा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब हम 20 विधायक बने रहेंगे और अब दिल्ली में कोई उपचुनाव नहीं होगा. अब हम ऑफिस जा सकेंगे और दिल्ली के लोगों का काम कर सकेंगे.
वहीं, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायकों को त्वरित राहत दी गई है. आम आदमी पार्टी को खुश होने की जरूरत नहीं. हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति के फैसले को निरस्त नहीं किया है. हाईकोर्ट ने यह नहीं कहा है कि चुनाव आयोग का फैसला आया है, वह गलत है. आप को हाईकोर्ट से तत्काल राहत मिली है.
गौरतलब है कि आप विधायकों को 19 जनवरी 2018 को चुनाव आयोग ने लाभ के पद पर रहने का आरोप लगाते हुए अयोग्य घोषित कर दिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सलाह पर मुहर लगाते हुए सभी 20 विधायकों को अयोग्य बताया था. आप के इन 20 विधायकों को दिल्ली सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था.
क्या था मामला?
मार्च 2015 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इस पर प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने राष्ट्रपति को याचिका भेजकर लाभ का पद बताते हुए इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी.
राष्ट्रपति द्वारा यह मामला चुनाव आयोग में भेजा गया, जहां उन्होंने मार्च 2016 में इन विधायकों को नोटिस भेजकर इस मामले की सुनवाई शुरू की.
इसके बाद दिल्ली सरकार द्वारा संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से निकालने के लिए दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन एक्ट 1997 में संशोधन करने का प्रयास किया लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली.
इसके बाद से इन विधायकों की सदस्यता पर सवाल खड़े हो गए. इन 21 विधायकों में से एक जरनैल सिंह (विधायक राजौरी गार्डन) विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं.
वो 20 विधायक और उनके विधानसभा क्षेत्र, जिन्हें अयोग्य घोषित किया गया है:
1. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
2. सोम दत्त, सदर बाजार
3. अनिल कुमार बाजपेयी, गांधी नगर
4. शरद कुमार, नरेला
5. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
6. विजेंदर गर्ग, राजिंदर नगर
7. शिव चरण गोयल, मोती नगर
8. जरनैल सिंह, तिलक नगर
9. मनोज कुमार, कोंडली
10. नितिन त्यागी, लक्ष्मीनगर
11. अलका लाम्बा, चांदनी चौक
12. सरिता सिंह, रोहतास नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. नरेश यादव, मेहरौली
15. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
16. सुखवीर सिंह, मुंडका
17. कैलाश गहलोत, नज़फ़गढ़
18. अवतार सिंह, कालकाजी
19. आदर्श शास्त्री, द्वारका
20. राजेश ऋषि, जनकपुरी
आप के 20 विधायकों से अयोग्य ठहराए जाने का घटनाक्रम
लाभ का पद मामले में शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले को रद्द कर दिया. इस मामले में घटनाक्रम इस प्रकार रहा:
13 मार्च 2015: अरविंद केजरीवाल सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने का आदेश पारित किया.
19 जून 2015: नियुक्ति को अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने चुनौती दी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से आप के इन विधायकों को अयोग्य क़रार देने का अनुरोध किया.
24 जून 2015: विधानसभा ने अयोग्यता निरस्तगी के संबंध में संशोधन विधेयक पारित किया. इसे भूतलक्षी प्रभाव से लागू करते हुए संसदीय सचिवों को लाभ के पद के दायरे से बाहर किया.
13 जून 2016: राष्ट्रपति मुखर्जी ने विधेयक को स्वीकृति देने से इनकार किया.
25 जून 2016: केंद्र ने दिल्ली सरकार द्वारा पारित 14 विधेयक लौटाए, इसमें संसदीय सचिवों से संबंधित विधेयक भी शामिल.
14-21 जुलाई 2016: चुनाव आयोग ने 21 आप विधायकों के मामले की सुनवाई की.
08 सितंबर 2016: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार के 21 आप विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने के आदेश को रद्द किया.
08 सितंबर 2016: चुनाव आयोग ने 21 आप विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
06 जनवरी 2017: राजौरी गार्डन से आप विधायक जरनैल सिंह ने इस्तीफ़ा दिया.
24 जून 2017: चुनाव आयोग ने लाभ का पद मामले को ख़त्म करने के आप विधायकों के अनुरोध को अस्वीकार किया.
अगस्त 2017: चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश के ख़िलाफ़ 20 आप विधायक उच्च न्यायालय पहुंचे.
09 अक्टूबर 2017: चुनाव आयोग ने आप विधायकों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा.
19 जनवरी 2018: चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को विधायकों को अयोग्य क़रार देने की सिफ़ारिश भेजी.
20 जनवरी 2018: राष्ट्रपति कोविंद ने 20 आप विधायकों को अयोग्य क़रार देने की चुनाव आयोग की अनुशंसा को मंज़ूरी दी.
24 जनवरी 2018: आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर विधायक उच्च न्यायालय पहुंचे.
07 फरवरी 2018: उच्च न्यायालय ने विधायकों की याचिकाओं पर प्रतिदिन सुनवाई का फैसला किया.
28 फरवरी 2018: उच्च न्यायालय ने आप विधायकों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा.
23 मार्च 2018: उच्च न्यायालय ने 20 आप विधायकों को अयोग्य करने वाली अधिसूचना को निष्प्रभावी किया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)