इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.
गुवाहाटी: असम सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 के 11 महीनों के दौरान विज्ञापन पर 27.23 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह जानकारी सोमवार को एक मंत्री ने राज्य विधानसभा को दी.
असम गण परिषद( एजीपी) के विधायक पबिन्द्र डेका के सवाल के लिखित जवाब में असम के सिंचाई मंत्री रणजीत दत्ता ने कहा कि अप्रैल 2017 से इस वर्ष फरवरी तक विज्ञापन पर सरकार का कुल खर्च 27, 22,79,761 रुपये है.
दत्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की तरफ से कुल खर्च में से 16.79 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं जबकि विभिन्न मीडिया घरानों के 10.44 करोड़ रुपये बकाया हैं.
मीडिया में विज्ञापन पर खर्च के अलावा सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिंग लगाने के लिए वित्त विभाग के पास 1.91 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था.
दत्ता ने बताया कि राज्य में अखबारों के विज्ञापनों में सरकार ने 21.72 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके अलावा टीवी, रेडियो, एसएमएस और ऑनलाइन माध्यमों के विज्ञापनों पर इस वित्त वर्ष के पहले 11 महीने में 95.91 लाख रुपये खर्च किए.
इसके अलावा 14 राष्ट्रीय के अखबारों में दिए गए विज्ञापनों पर कुल 4.55 करोड़ रुपये व्यय किए गए.
मणिपुर: कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की हालिया टिप्पणी पर जताई आपत्ति, कहा- इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश, मांगें माफ़ी
इंफाल: कांग्रेस की मणिपुर इकाई ने ‘भारत में राज्य के एकीकरण’ से जुड़ी मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की हालिया टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि यह ‘इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश है.’
गुजरात के माधवपुर मेले में अपनी हालिया यात्रा के दौरान बीरेन सिंह ने कहा था कि पूर्वोत्तर द्वापर युग से ही भारत का हिस्सा रहा है और ‘भगवान कृष्ण ने पौराणिक काल में मणिपुर को भारत का हिस्सा बनाया था.’
सिंह ने भगवान कृष्ण के विवाह की पौराणिक कथा का भी जिक्र करते हुए कहा था, ‘रुक्मिणी से विवाह करके कृष्ण ने पूर्वोत्तर को भारत से जोड़ा था.’
मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘एकीकृत भारत का हिस्सा होने के बाद भी अतीत में राजनीतिक एवं सामाजिक रूप से पूर्वोत्तर राज्यों की अनदेखी की गई.’
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू और महेश शर्मा सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेता मौजूद थे. इन नेताओं ने रुक्मिणी के पूर्वोत्तर से होने के पौराणिक संदर्भ के बारे में बातें की.
कांग्रेस के अलावा स्थानीय लोगों ने भी मुख्यमंत्री के इस बयान पर नाराजगी जाहिर की है. जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता बीनालक्ष्मी नेपराम ने सोशल मीडिया पर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ के लिए मुख्यमंत्री से माफी मांगने के लिए कहा है.
Dear PM @narendramodi People of Northeast STRONGLY condemn DISTORTION history/wrong portrayal of NE women at Madhavpur Mela organised by Ministry Culture where ministers tweeted about"Heroic kidnapping"of Idu Mishmi woman by Lord Krishna & bizarre LIES told in speeches of NE CMs pic.twitter.com/UZL40kT2Rg
— Binalakshmi Nepram (@BinaNepram) March 28, 2018
सिंह के बयान को गंभीरता से लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की अगुवाई में विपक्षी नेताओं ने कहा कि गुजरात में अपने ‘गैर-जिम्मेदाराना दावों’ के लिए मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए.
स्थानीय कांग्रेस भवन में एक प्रेस कांफ्रेंस में इबोबी ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे से ‘राजनीतिक लाभ’ नहीं लेना चाहती और सिर्फ तथ्यों पर स्पष्टीकरण चाहती है.
उन्होंने कहा, ‘राज्य का 1949 में राजनीतिक तौर पर भारत में विलय हुआ और बीरेन को अपने गैर-जिम्मेदाराना दावों के लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए.’
असम: सुप्रीम कोर्ट का एनआरसी अपडेट की समयावधि बढ़ाने से इनकार
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को असम में पंचायत चुनावों के मद्देनजर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अंतिम प्रकाशन की 31 मई की समय सीमा आगे बढ़ाने से यह कहते हुये इनकार कर दिया कि ये चुनाव इस प्रक्रिया में बाधक नहीं बनने चाहिए.
शीर्ष अदालत ने इस समय एनआरसी तैयार करने की प्रक्रिया में व्यस्त अतिरिक्त उपायुक्त स्तर के अधिकारी को अगले महीने होने वाले स्थानीय चुनावों के लिये उपलब्ध करा दिया.
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा, ‘हम पहले ही कह चुके हैं कि एनआरसी के अपडेट की तारीख 31 मई 2018 है और अगले 30 दिन यानी 30 जून तक आंकड़ों का मिलान किया जायेगा. यह इससे आगे नहीं जा सकता और अंतिम मसौदा उस समय तक तैयार हो जाना चाहिए. आप अपने अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात कीजिये या पड़ोसी राज्यों से अनुरोध कीजिये, परंतु इस काम में लगा कोई भी कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराया जायेगा.’
पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब राज्य सरकार ने अगले महीने हो रहे पंचायत चुनावों का जिक्र करते हुये नागरिक रजिस्टर तैयार करने के काम में लगे कर्मचारियों को चुनाव में तैनात करने की अनुमति देने का अनुरोध किया. असम में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिये यह रजिस्टर तैयार किया जा रहा है.
पीठ ने कहा कि राज्य में पंचायत चुनावों में हस्तक्षेप करने का उसका कोई इरादा नहीं है और ये निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होने चाहिए. परंतु ये चुनाव राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करने में बाधक नहीं होने चाहिए.
असम की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य के पंचायत संविधान नियमों के अनुसार इन चुनावों को कराने के लिये उपायुक्त जिम्मेदार हैं पर वह इस समय नागरिक रजिस्टर तैयार करने के काम मे व्यस्त हैं.
उन्होंने कहा, ‘जब हमने उपायुक्त से चुनाव कार्य के लिये कहा तो एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने कहा कि यह न्यायालय की अवमानना होगी क्योंकि किसी भी अधिकारी को दूसरे काम में नहीं लगाया जा सकता.’
इस पर पीठ ने कहा कि यदि कानूनी अनिवार्यता है तो प्रत्येक जिले के अतिरिक्त उपायुक्त को स्थानीय निकाय के चुनावों के लिये उपलब्ध कराया जा सकता है लेकिन किसी भी अन्य अधिकारी को इसके अलावा अन्य कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
इस बीच, पीठ ने न्यायालय में मौजूद अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा कि उसे अपने सूत्रों से जानकारी मिली है कि भारत के महापंजीयक इस काम में अड़ंगा डाल रहे हैं. इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि क्या आपका तात्पर्य यह है कि भारत के महापंजीयक नागरिक रजिस्टर तैयार करने के काम में विलंब कर रहे हैं.
पीठ ने कहा, ‘हां, हमें इस बारे में गोपनीय रिपोर्ट मिली है. यदि ऐसा होगा तो हम भारत के महापंजीयक को बदलने का आदेश देने में संकोच नहीं करेंगे.’
पीठ की इस टिप्पणी के दौरान महापंजीयक शैलेश न्यायालय में मौजूद थे. पीठ ने उन्हें भी चेतावनी दी. न्यायालय इस मामले में अब आठ मई को आगे सुनवाई करेगा.
नगालैंड: टेरर फंडिंग मामले में नगालैंड के तीन सरकारी अधिकारी गिरफ्तार
नई दिल्ली: एनआईए ने सरकारी खजाने से जालसाजी कर एनएससीएन-के जैसे आतंकी समूहों को कथित वित्तीय मदद करने की जांच के मामले में नगालैंड सरकार के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक प्रवक्ता ने बताया कि कृषि निदेशालय के निदेशक जी इकूटो, ग्रामीण विकास निदेशालय में कार्यकारी इंजीनियर कीटूजो पेसीई और शहरी विकास निदेशालय के संभागीय लेखा अधिकारी संगतेमचूबा को दीमापुर से गिरफ्तार किया है.
उन्होंने बताया कि तीनों अधिकारी कोहिमा में पदस्थापित हैं और इस हफ्ते उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया.
मामला प्रतिबंधित आतंकी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग) के नाम पर दीमापुर और कोहिमा में विभिन्न सरकारी संगठनों और अन्य से बड़े पैमाने पर फिरौती और अवैध कर वसूली के आरोपों से जुड़ा है .
एनआईए ने कहा है कि एनएससीएन-के स्वयंभू ब्रिगेडियर इसाक सूमी और संगठन के अन्य वरिष्ठ कैडरों के निर्देश के तहत यह अवैध गतिविधि अंजाम दी गई.
प्रवक्ता ने कहा कि इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एनएससीएन-के को वित्तीय मदद प्रदान की .
अरुणाचल प्रदेश: स्कूलों में पढ़ाई जाएंगी आदिवासी भाषाएं
इटानगर: राज्य सरकार ने स्कूलों में अपर प्राइमरी लेवल तक की कक्षाओं के पाठ्यक्रम में राज्य की आदिवासी भाषाओं को शामिल करने का फैसला किया है.
राज्य सरकार के इस फैसले के बारे में 12 मार्च को उपमुख्यमंत्री और राज्य के वित्त मंत्री चोवना मेन ने सदन में अपने बजट भाषण में अवगत कराया.
हालांकि राज्य सरकार द्वारा साल 2009 में सदन में कहा गया था कि आदिवासी भाषाओं को स्कूल पाठ्क्रम में जगह दी जाएगी, लेकिन ऐसा अब हुआ है.
उस समय तत्कालीन कला और संस्कृति मंत्री महेश चाई ने सदन में एक सवाल में जवाब में कहा था कि उस समय तक उनके विभाग ने राज्य के छोटे-बड़े आदिवासी समुदायों द्वारा बोली जाने वाली 42 भाषाओं को डॉक्यूमेंट किया था. इस बार उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बाकी की भाषाओं के डॉक्यूमेंटेशन के काम को दोबारा शुरू करेंगे.
लंबे समय से राज्य में आदिवासी भाषाओं को बचाने और बच्चों को उनके बारे में पढ़ाने की बात उठ रही थी. 2008-09 में यूनेस्को के एक सर्वे में पाया गया था कि राज्य में 33 भाषाएं खतरे में हैं, जिनमें 4 विलुप्त होने की कगार पर थीं.
वहीं 2013 में प्रदेश में हुए एक पीपुल्स लिंगविस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया में पाया गया था कि भाषाओं के लिहाज से अरुणाचल देश में सबसे आगे है. यहां 90 भाषाएं प्रचालन में हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा और संगीता बरुआ पिशारोती के सहयोग से)