सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज़ पोर्टल और वेबसाइटों को रेग्युलेट करने के लिए नियम बनाने को लेकर दस सदस्यीय कमेटी का गठन किया है.
नई दिल्ली: ‘फेक न्यूज’ को लेकर पत्रकारों की मान्यता समाप्त करने वाले विवादित आदेश को प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप पर वापस लेने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज पोर्टल और मीडिया वेबसाइट को रेग्युलेट करने के लिए नियम बनाने को लेकर एक कमेटी का गठन किया है.
इस कमेटी का काम ऑनलाइन मीडिया के लिए नियम-कानून और मानक बनाने का होगा. इसके दायरे में ऑनलाइन न्यूज, डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग के साथ ही इंटरटेनमेंट और इंफोटेनमेंट कंटेंट मुहैया कराने वाली वेबसाइट्स आएंगी.
4 अप्रैल 2018 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि देश में चलने वाले टीवी चैनल और अखबारों के लिए नियम कानून बने हुए हैं और वह अगर इन कानूनों का उल्लंघन करते हैं तो उससे निपटने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी संस्थाएं भी हैं, लेकिन ऑनलाइन मीडिया के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन मीडिया के लिए नियामक ढांचा कैसे बनाया जाए इसके लिए एक समिति का गठन किया जा रहा है.
मंत्रालय द्वारा गठित यह समिति 10 सदस्यीय है. इसमें सूचना एवं प्रसारण, कानून, गृह, आईटी मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी और प्रमोशन के सचिवों को शामिल किया गया है. इसके अलावा MyGov के चीफ एग्जिक्यूटिव और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और इंडियन ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को भी सदस्य बनाया गया है. इस कमेटी से ऑनलाइन मीडिया , न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन कॉन्टेंट प्लैटफॉर्म के लिए ‘उचित नीतियों’ की सिफारिश करने को कहा है. ऐसा करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश( एफडीआई), टीवी चैनलों के कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता सहित पीसीआई के नियमों को भी ध्यान में रखा जाएगा.
गौरतलब है कि ऑनलाइन मीडिया पर निगरानी रखने के लिए नियम-कानून बनाने की खातिर इस समिति का गठन ऐसे समय पर किया गया है जब फेक न्यूज को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. दरअसल मंत्रालय ने ‘फेक न्यूज’ को रोकने के लिए दो अप्रैल को नियमों की घोषणा की थी. इसके तहत ‘फेक न्यूज’ प्रकाशित या प्रसारित करने वाले पत्रकारों की मान्यता निलंबित करने या स्थायी रूप से खत्म करने की बात कही गई थी.
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर मंत्रालय ने यह दिशानिर्देश वापस ले लिया. मीडिया संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने इन नियमों की आलोचना करते हुए इसे स्वतंत्र प्रेस की आवाज दबाने वाला बताया था.