नारदा स्टिंग आॅपरेशन मामले की प्रारंभिक जांच के आदेश सीबीआई को देने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी.
ममता बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, निश्चित ही, हमारी पार्टी और सरकार इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी. अगर हम सोचते हैं कि हमें इंसाफ नहीं मिला है तो हमें शीर्ष अदालत जाने का पूरा हक है.
उन्होंने कोलकाता पुलिस को इस मामले की जांच करने से रोकने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि उनकी पार्टी इसका राजनीतिक एवं कानूनी ढंग से मुकाबला करेगी.
अपने मंत्रियों सुब्रत मुखर्जी, सोभन चटर्जी और फिरहाद हाकिम के पक्ष में खड़ीं बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा कार्यालय ने स्टिंग ऑपरेशन गढ़ा और जारी किया.
मुख्यमंत्री ने कहा, फैसला आने से पहले कैसे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रेस में यह बयान दे सकते हैं कि उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद सीबीआई नारदा स्टिंग आॅपरेशन के टेपों की जांच करेगी. फैसला आने से पहले ही कोई राजनीतिक दल ये सभी निर्देश दे रहा है. मैंने वकालत की पढ़ाई की है और मैं वाकई हैरान हूं.
कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा की गई राज्य सरकार की आलोचना पर उन्होंने कहा, वे किसी सरकार की भूमिका की आलोचना कर सकते हैं लेकिन निर्वाचित सरकार के बारे में यह नहीं कह सकते कि लोगों का विश्वास उस पर खत्म हो गया है.
ममता बनर्जी ने कहा, इसे (नारदा स्टिंग आॅपरेशन को) 2016 के (पश्चिम बंगाल) चुनाव में मुद्दा बनाया गया था और नारदा टेप में नजर आ रहे सभी तीन मंत्री चुनाव जीत गए थे.
उन्होंने सवाल किया, एक या दो लाख रुपये कोई विषय नहीं हैं, जनता यह जानना चाहती है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में कितने करोड़ रुपये खर्च किए गए.
यह उल्लेख करते हुए कि उनकी पार्टी ने उसे मिले सभी चंदों के बारे में आयकर अनापत्ति हासिल की है, उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उनके विरुद्ध जांच होनी चाहिए.
कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल पुलिस को राज्य सरकार की कठपुतली करार देने पर मुख्यमंत्री ने कहा, वे ऐसा नहीं कह सकते. वे (पुलिस) सरकार के अनुशासित सिपाही हैं. कोलकाता पुलिस बल दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है, मैं आपको यकीन दिला सकती हूं और हमें मालूम है कि वे कैसे काम कर रहे हैं.
इससे पहले, कलकत्ता हाईकोर्ट ने नारदा स्टिंग मामले में सीबीआई को प्रारंभिक जांच के आदेश दिए. इस स्टिंग आॅपरेशन में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता कथित तौर पर घूस लेते नजर आए थे.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिता म्हात्रे और न्यायमूर्ति टी. चक्रवर्ती की खंडपीठ ने सीबीआई को 24 घंटे के भीतर स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित सभी सामग्री और उपकरण अपने कब्जे में लेने और 72 घंटे के भीतर प्रारंभिक जांच को निष्कर्ष पर पहुंचाने के निर्देश दिए.
अदालत ने कहा कि प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद ज़रूरत पड़ने पर सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करे और उसके बाद औपचारिक जांच शुरू करे.
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग आॅपरेशन के टेप विभिन्न समाचार संगठनों को जारी किए गए थे. इसमें कुछ नेता कथित तौर पर घूस लेते दिखाई दिए थे.
खंडपीठ ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी, चंडीगढ़ की उस रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि इन टेपों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है.
नारदा न्यूज़ के संपादक मैथ्यू सैम्यूल ने अदालत को बताया कि रिकॉर्डिंग आईफोन की मदद से की गई और उसे लैपटॉप में डाला गया जहां से उसे एक पेन ड्राइव में लिया गया.
हाईकोर्ट की ओर से गठित एक समिति ने इन सभी उपकरणों को कब्जे में लिया है.
अदालत ने कहा कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे मंत्री, सांसद और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए यह उचित होगा कि प्रारंभिक जांच की ज़िम्मेदारी राज्य की किसी एजेंसी की बजाय सीबीआई को सौंपी जाए.
अदालत ने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई सबसे उपयुक्त एजेंसी है. स्टिंग आॅपरेशन के टेपों की विश्वसनीयता के परीक्षण के बाद इनकी स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थीं.
साल 2016 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के 11 नेता रिश्वत लेते पकड़े गए थे. ये स्टिंग आॅपरेशन नारदा न्यूज़ नाम के एक वेब पोर्टल ने किया था.
वीडियो में तृणमूल कांग्रेस के सौगुप्ता रॉय, सुवेंदू अधिकारी, सुल्कान अहमद, अपरूपा पोद्दार, काकोली घोष, दसतिदार और प्रसून बनर्जी, सुब्रता मुखर्जी, फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा, इकबाल अहमद और सीनियर आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा जैसे नाम शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)