रायबरेली के रहने वाले मनफीक ख़ान कहते हैं, ‘कोउ नृप होय हमें का हानि. मुख्यमंत्री कोई भी बने कमाकर ही खाना है तो मुख्यमंत्री कोई राजा बने, योगी बने, शर्मा बने या ख़ान बने कुछ भी फ़र्क नहीं पड़ता है. भाजपा जीती है, उसका मन जिसे करे उसे मुख्यमंत्री बनाए.’
हिंदुत्व के फ़ायरब्रांड नेता योगी अादित्यनाथ के हाथों में अब उत्तर प्रदेश के करीब बीस फीसदी मुसलमानों की कमान भी होगी. हत्या, दंगा करने, सामाजिक सद्भाव मिटाने, नफरत फैलाने और धर्मस्थल को क्षति पहुंचाने के आरोप में तीन मामलों का सामना कर रहे योगी के मुख्यमंत्री बनने पर आम मुसलमान क्या कहता है?
योगी अादित्यनाथ अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे. उनके समर्थक पिछले एक साल से सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर पेज बनाकर उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे थे.
हिंदू हृदय सम्राट कहने के अलावा उनके समर्थक उन्हें ‘हिंदू पुनर्जागरण का महानायक’ और ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक’ मानते हैं, लेकिन एक तबका खासकर अल्पसंख्यकों के बीच उनकी छवि ऐसी नहीं है.
यूपी में गोरखपुर से तकरीबन 100 किमी दूर स्थित मऊ शहर के रतनपुरा में साड़ी की बुनाई करने वाले मुख़्तार अंसारी कहते हैं, ‘इस तरह की राजनीति की उम्मीद मोदी से नहीं थी. योगी दबंग छवि के नेता हैं. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ भी उन्होंने दबंगई की है. शीर्ष नेतृत्व ने उनकी यह बात गलत मानी है. अभी सिर्फ गोरखपुर जाते थे तो सुनने को मिलता था कि गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहता है अब उनके सर्मथक यूपी के लिए यह नारा लगा रहे हैं.’
आज़मगढ़ में अंडे की दुकान चलाने वाले मुद्दसिर ख़ान का कहना है, ‘यह दुखद है. किसी भेड़िये से मासूम जानवर की रक्षा की उम्मीद नहीं की जा सकती है. भाजपा को यह जनादेश विकास करने के लिए मिला था. विनाश करने के लिए नहीं.’
आगरा की छात्रा सबा नसीम कहती हैं, ‘यूपी के सीएम के लिए योगी आदित्यनाथ बिल्कुल फिट नहीं हैं. वो हमेशा ऐसी बात करते रहे हैं जिससे अल्पसंख्यकों को दिक्कत होती है. मुझे नहीं लगता है कि ऐसी बातें करने वाला व्यक्ति यूपी में सरकार चला पाएगा.’
वहीं लखनऊ में एक प्राइवेट बैंक में नौकरी करने वाले इरफ़ान आलम का कहना है, ‘325 विधायकों में से मुख्यमंत्री बनने लायक कोई नहीं था जो योगी का चुनाव किया गया. अब वेट एंड वॉच की सलाह दी जा रही है. यूपी में कोई क्रिकेट मैच नहीं चल रहा है. सबसे बड़ा मजाक ये है कि देश के सबसे बड़े राज्य में इस तरह से लोकतांत्रिक तरीके से सरकार बन रही है.’
सुल्तानपुर में पोल्ट्री फार्म चलाने वाले वसीम ख़ान कहते हैं, ‘योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की थी. उन पर गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आज़मगढ़ समेत पूरे पूर्वांचल में मुसलमानों पर हमले और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के दर्जनों मामले दर्ज़ हैं. ऐसे व्यक्ति से आप किस बात की उम्मीद करते हैं.’
हालांकि इलाहाबाद में चाय की दुकान चलाने वाले मोहम्मद रऊफ़ का नज़रिया थोड़ा अलग है. वे कहते हैं, ‘योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के दौरान काफी आक्रामक रहे हैं. काफी उल्टा-सीधा बोलते रहे हैं, लेकिन जब आप ख़ुद सरकार में आते हैं तो ऐसा नहीं कर पाते हैं. कई साल पहले यही बात भाजपा के लिए कही जाती थी, लेकिन जहां भाजपा की सरकार बनी वहां ऐसा बहुत कुछ नहीं हुआ है. योगी के आने के बाद भी कोई ख़ास फ़र्क पड़ने वाला नहीं है.’
अलीगढ़ की घरेलू महिला महज़बी निशां कहती हैं, ‘भाजपा को वोट तीन तलाक के मसले और विकास के लिए मिला था. योगी अादित्यनाथ अगर मुख्यमंत्री बन रहे तो भाजपा पता नहीं क्या करना चाह रही है. मुझे ये सीएम पसंद नहीं है.’
रायबरेली के रहने वाले मनफीक कहते हैं, ‘कोई नृप होई हमें का हानि. मुख्यमंत्री कोई भी बने कमाकर ही खाना है तो मुख्यमंत्री कोई राजा बने, योगी बने, शर्मा बने या ख़ान बने कुछ भी फ़र्क नहीं पड़ता है. भाजपा जीती है, उसका मन जिसे करे उसे मुख्यमंत्री बनाए.’
उधर, उत्तर प्रदेश भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रमुख रुमाना सिद्दीकी का कहना है, ‘योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर हमें खुशी है. योगी आदित्यनाथ के बारे में गलत धारणा है कि मुसलमान उनसे डरते हैं. अगर मुसलमान उनसे डरते होते तो वह गोरखपुर से चुनाव नहीं जीतते. वे पूरे पूर्वांचल में लोकप्रिय हैं. अब पूरे उत्तर प्रदेश की कमान उनके हाथों में है.’