इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम और मेघालय के प्रमुख समाचार.
शिलॉन्ग: अंग्रेजी अखबार ‘द शिलॉन्ग टाइम्स’ की संपादक पी. मुखीम के आवास पर 17 अप्रैल को दो अज्ञात लोगों ने एक पेट्रोल बम फेंक दिया.
पूर्वी खासी हिल के पुलिस अधीक्षक डेविस मारक ने बताया कि इस हमले में मुखीम बाल-बाल बच गई क्योंकि पेट्रोल बम उनके शयन कक्ष की खिड़की के कांच को छूता निकल गया. सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने को लेकर मुखीम को साल 2000 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. वह महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर रही हैं.
पुलिस अधीक्षक ने एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से बताया कि हमले के वक्त मुखीम अपने आवास में थी. मोटरसाइकिल से आए दो लोगों ने रात करीब साढ़े आठ बजे मुखीम के आवास पर बम फेंका.
मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने इस हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. हमले के बाद पुलिस ने मुखीम को सशस्त्र सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराये गए हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया कि हालांकि इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया. पुलिस इस मामले को सुलझाने के लिए संभव सुराग तलाश रही है.
राज्य के गृह मंत्री जेम्स संगमा ने कहा,‘घटना के मद्देनजर संपादक को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई गई है.’ उन्होंने बताया कि पुलिस शहर के उम्पलिंग क्षेत्र में स्थित उनके आवास के आसपास गश्त कर रही है.
इससे पहले पत्रकारों और शिलॉन्ग प्रेस क्लब के सदस्यों ने मुखीम पर हुए हमले के खिलाफ शहर में एक मौन मार्च निकाला था. विपक्षी कांग्रेस ने इस घटना पर चिंता जाहिर की है. कांग्रेस प्रवक्ता जेनिथ संगमा ने कहा, ‘देश भर में पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं. ऐसा लगता है कि बदमाश इस तरह के अपराधों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र हैं.’
गौरतलब है कि 13 अप्रैल के एक संपादकीय में मुखीम ने मेघालय में खनन के नियमन की इजाजत की एक सरकारी योजना के खिलाफ लिखा था.
त्रिपुरा में 18 रोहिंग्या शरणार्थी गिरफ्तार
अगरतला: खोवाई जिले के तेलियामुरा क्षेत्र से 18 रोहिंग्या शरणार्थियों को अवैध तरीके से भारत में घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने यह जानकारी दी है.
त्रिपुरा में बांग्लादेश के साथ भारत की 856 किलोमीटर सीमा लगती है. गिरफ्तार रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के शिविरों से कथित तौर पर भाग गए और नई दिल्ली जा रहे थे.
खोवाई जिले के पलिस अधीक्षक कृष्णेन्दु चक्रवर्ती ने बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने गुवाहाटी जा रहे एक बस में छापा मारकर 18 रोहिंग्या शरणार्थियों (11 पुरुष , तीन महिलाएं और चार बच्चों ) को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस अधीक्षक ने बताया, ‘ये सभी पड़ोसी देश बांग्लादेश के चटगांव से आए हैं लेकिन अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि यह किस रास्ते से आए क्योंकि ये लोग इस संबंध में भ्रामक बयान दे रहे थे. हालांकि, उन्होंने यह बताया कि वे रोहिंग्या शरणार्थी हैं और नौकरी की तलाश में दिल्ली के विकासनगर जा रहे हैं जहां कई अन्य रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं.’ पुलिस के अनुसार रोहिंग्या शरणार्थी प्राय : त्रिपुरा के रास्ते भारत में प्रवेश कर जाते हैं.
महाभारत काल में इंटरनेट, उपग्रह संचार मौजूद होने के दावे को लेकर घिरे त्रिपुरा के मुख्यमंत्री
अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने दावा किया कि महाभारत के दिनों में इंटरनेट और अत्याधुनिक उपग्रह संचार प्रणाली मौजूद थी. इसे लेकर उन्हें अलग-अलग हलकों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.
विपक्षियों, शिक्षाविदों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने मुख्यमंत्री के दावे को ‘अवैज्ञानिक’, ‘अतार्किक’ और ‘प्रतिगामी’ करार देते हुए उनकी आलोचना की. हालांकि राज्यपाल तथागत रॉय ने देब का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां प्रासंगिक हैं.
जहां ट्विटर पर एक वर्ग ने हास्य विनोद के जरिये देब के दावे का मजाक उड़ाया, अन्य ने व्यंग्यात्मक तरीके से उनपर निशाना साधा.
त्रिपुरा विश्वविद्यालय से मानविकी में स्नातक करने वाले देब ने यहां एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए इंटरनेट एवं उपग्रह संचार की उत्पत्ति महाभारत काल में होने की बात कही थी. उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कंप्यूटरीकरण एवं सुधार से जुड़ी एक क्षेत्रीय कार्यशाला में कहा था कि महाभारत में इस बात का उल्लेख है कि संजय ने नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र को पांडवों और कौरवों के बीच जारी युद्ध का आंखों देखा हाल बयां किया था.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘संचार संभव था क्योंकि उस समय हमारी तकनीक अत्याधुनिक और विकसित थी. हमारे पास इंटरनेट एवं उपग्रह संचार प्रणाली थी. ऐसा नहीं है कि महाभारत काल में इंटरनेट या मीडिया मौजूद नहीं था.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि मध्य युग, महाभारत काल एवं वर्तमान के बीच क्या हुआ.’
बाद में मुख्यमंत्री ने अपने रूख का बचाव भी किया. उन्होंने कहा, ‘ वे (आलोचक) अपने खुद के देश को कमतर मानते हैं और दूसरे देशों को हमसे आगे आंकते हैं. सच्चाई को मानें. भ्रम में ना आएं और दूसरों को भ्रमित ना करें.’
देब ने कहा कि कुछ यूरोपीय देश और अमेरिका दावा करते हैं कि आधुनिक संचार प्रणाली उनका अविष्कार है लेकिन ‘प्राचीन युग में हमारे पास सभी तकनीक थीं.’ भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि वह एक ऐसे देश में जन्मे जिसके पास पूरी दुनिया में ‘सबसे अच्छी संचार प्रणाली’ और ‘सर्वश्रेष्ठ संस्कृति’ थी.
उन्होंने कहा, ‘आधुनिक तकनीक एवं डिजिटलीकरण का इस्तेमाल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और प्रशासन में गोपनीयता की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों एवं पिछड़े लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए समर्पित होकर काम करेगी.
देब के दावे का रॉय ने समर्थन किया जो खुद एक सिविल इंजीनियर रह चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘पौराणिक काल की घटनाओं से जुड़ी त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की टिप्पणी प्रासंगिक है. किसी प्रोटोटाइप या अध्ययन के बिना ‘ दिव्य दृष्टि ’, ‘ पुष्पक रथ ’ जैसे उपकरणों का विकास होना असंभव है.’
हालांकि मुख्य विपक्षी दल माकपा ने देब और राय की टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें ‘प्रतिगामी विचार’ बताया. माकपा की त्रिपुरा इकाई के सचिव बिजन धर ने कहा, ‘दोनों आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित हैं. ये सभी प्रतिगामी विचार हैं’ और दोनों उसी तरह से सोचते हैं जैसे आरएसएस सोचता है.
त्रिपुरा कांग्रेस के उपाध्यक्ष तपस डे ने कहा, ‘इतिहास चाहे वह आधुनिक इतिहास हो या पौराणिक इतिहास, ऐसी बातें नहीं करता. यह मूखर्तापूर्ण है और मुख्यमंत्री के पास ज्ञान की कमी है. यह साथ ही राज्य की मूल समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने का तरीका है.’ मुख्यमंत्री की टिप्पणी को लेकर वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने भी कड़ी प्रतिक्रियाएं दीं.
साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स के पूर्व निदेशक विकास सिन्हा ने कोलकाता में कहा कि कुछ लोगों का ‘बेकार की बातें करना’ एक चलन बन गया है. उन्होंने कहा, ‘वह बिल्कुल मूखर्तापूर्ण बातें कर रहे हैं. इस तरह की टिप्पणियों का कोई महत्व या आधार नहीं है.’
सिन्हा ने कहा, ‘मैं बस इतना कह सकता हूं कि ये सब बेकार की बातें हैं. और उनमें राजनीतिक पहलू भी हो सकता है.’
हाल के समय में भाजपा नेता एक के बाद एक भारत और हिंदू परंपराओं को लेकर अजीबों गरीब दावे कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कुछ महीने पिछले चार्ल्स डार्विन के क्रमिक विकास के सिद्धांत को खारिज करते हुए कहा था कि यह गलत है और इसे लेकर स्कूल एवं कॉलेजों के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की जरूरत है.
योग किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है : नायडू
गुवाहाटी: उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों से प्राचीन व्यायाम पद्धति पर खड़ा किये जा रहे ‘व्यर्थ ’ के विवादों से बचने की अनुरोध करते हुए कहा कि योग दुनिया में ‘सबसे खूबसूरत कसरत’ है और इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है.
असम सरकार की नई स्वास्थ्य योजना ‘अटल अमृत अभियान’ के शुभारंभ के अवसर पर गुवाहाटी में नायडू ने कहा कि ‘सूर्य’ प्रकृति है, इस तथ्य के बावजूद कुछ लोग ‘सूर्य नमस्कार’ पर आपत्ति करते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया, ‘अगर आपको सूर्य नमस्कार से समस्या है तो आप चंद्र नमस्कार प्रयोग कर सकते हैं. सूर्य हमें प्रकाश देता है , इसका किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘योग मस्तिक और शरीर का मेल कराता है. यही वजह है कि पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है. इस बात को दिमाग में रखें … कुछ लोग अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं, निरर्थक और बेतुकी.’ आधुनिक जीवनशैली की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पहले स्कूलों में शारीरिक प्रशिक्षण अनिवार्य था.
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्यवश अब छात्र सुबह से लेकर शाम तक पढ़ाई करते हैं. उनका बोझ कम होना चाहिए. मैं खुश हूं कि प्रकाश जावडे़कर (मानव संसाधन विकास मंत्री) ने हमें बोझ कम करने का आश्वासन दिया है. शारीरिक कसरत भी स्कूल कार्यक्रम में शामिल होनी चाहिए.’ नायडू ने जोर दिया कि फिट, सक्रिय और स्फूर्त रहने के लिए कसरत की जरूरत है.
उन्होंने चुटकी ली, ‘वास्तव में आप अपने शरीर की खातिर कसरत करते हैं ना कि भगवान की खातिर और ना ही बाबा रामदेव या नरेंद्र भाई मोदी की खातिर.’
सात साल की पोती के साथ दुष्कर्म के आरोप में दादा गिरफ्तार
तूरा (मेघालय): मेघालय के उत्तरी गारो पहाड़ी जिले में सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोप में उसके दादा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के अनुसार यह घटना 10 अप्रैल को हुई थी जब बच्ची अपनी किताबें लाने दादा के घर गई थी.
आरोपी ने बच्ची को कथित तौर पर धमकी भी दी थी कि कि वह इसके बारे में किसी को नहीं बताए. बच्ची ने परिवार के सदस्यों को इस घटना की जानकारी दी. इसके बाद एक मामला दर्ज किया गया.
असम में ब्रह्मपुत्र नदी में सात शव तैरते हुए मिले
गुवाहाटी: ब्रह्मपुत्र नदी में महिलाओं एवं बच्चों समेत सात अज्ञात शव भूतनाथ श्मशान के निकट तैरते हुए पाए गए. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि श्मशान के कर्मचारी ने शवों को देखकर भरालुमुख पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना दी. अधिकारी ने बताया कि यह साफ नहीं है कि शव नदी में कैसे आया. पुलिस को शक है कि गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल कर्मचारियों ने इन शवों को नदी के निकट रेत में दफनाया था.
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों में बारिश के बाद नदी का जल स्तर बढ़ने से ये शव नदी में तैरने लगे. भूतनाथ श्मशान के अधिकारियों ने बताया कि जीएमसीएच कर्मचारी प्राय: अज्ञात शवों को नदी तट पर बिना उनकी जानकारी के दफना देते हैं.