जेएनयू प्रशासन के अनिवार्य उपस्थिति संबंधी फ़ैसले को शिक्षकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट ने 7 दिन के अंदर विश्वविद्यालय से जवाब देने को कहा.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विभिन्न स्कूलों और केंद्रों के एक डीन और चार सेंटर के प्रमुखों को फिर से बहाल कर दिया.
मालूम हो कि 14 मार्च को 75 फीसदी अटेंडेंस के नियम को न मानने के चलते अलग-अलग स्टडी सेंटर और स्कूल के सात अध्यापकों को कुलपति द्वारा पद से हटा दिया गया था.
विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद के अनिवार्य उपस्थिति संबंधी फैसले को इन शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.
अदालत ने शुक्रवार को कविता सिंह (स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एसथेटिक्स), उदय कुमार (सेंटर फॉर इंग्लिश स्टडीज, स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज), धीर सारंगी( स्कूल ऑफ लैंग्वेज लिटरेचर), प्रदीप कुमार दत्ता (स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज) और सुचेता महाजन (स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज) को फिर से बहाल किया है.
इन याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि जब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता, उनके मुवक्किल अटेंडेंस और यूनिवर्सिटी के बाकी नियमों का पालन करेंगे.
हाईकोर्ट ने जेएनयू प्रशासन से इस आदेश पर 7 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी.
फिल्म प्रदर्शन को लेकर जेएनयू छात्रसंघ और एबीवीपी के बीच मारपीट और हंगामा
विश्वविद्यालय में एक फिल्म के प्रदर्शन का कुछ छात्र समूहों ने विरोध किया है. इन छात्रों का आरोप है कि इस फिल्म के जरिए नफरत का प्रचार किया जा रहा है.
इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और आयोजक छात्रों के बीच हाथापाई भी हुई. विरोध कर रहे छात्रों का आरोप है कि फिल्म ‘लव जिहाद’ के विषय पर आधारित है.
‘इन द नेम ऑफ लव- मेलन्कली ऑफ गॉड्स ओन कंट्री’ नाम की इस फिल्म की स्क्रीनिंग ग्लोबल इंडियन फाउंडेशन और विवेकानंद विचार मंच की ओर से आयोजित की गयी थी. मालूम हो कि विवेकानंद विचार मंच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा छात्र संगठन है.
आयोजकों के मुताबिक यह फिल्म केरल में लड़कियों के धर्मांतरण और लव जिहाद के विषय पर केंद्रित है. इस फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन हैं.
जेएनयू छात्रसंघ और जेंडर सेंसिटाइज़ेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट (जीएसकैश) के सदस्यों ने आरोप लगाया कि फिल्म दिखाने के नाम पर नफरत फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है.
कैंपस के साबरमती ढाबे पर चल रही इस स्क्रीनिंग में इन लोगों ने फिल्म का विरोध करते हुए कहा कि लव जिहाद के नाम पर नफरत फैलाई जा रही है.
प्रदर्शनकारियों की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘एबीवीपी और आरएसएस विवेकानंद विचार मंच के पीछे क्यों छुप रहे हैं? हम आरएसएस के जहारीले लव जिहाद के मिथक को इस तरह नहीं फैलाने देंगे. ऐसे नफरत भरे अभियानों के चलते कोई धन्यश्री नहीं मरेगी. नफरत के इस अभियान के चलते किसी हादिया को कैद में नहीं रहना पड़ेगा. मेरठ की किसी लड़की प्यार करने की वजह से मुश्किलें सहने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा.’
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान मारपीट भी हुई. द क्विंट के मुताबिक प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि एबीवीपी के विद्यार्थियों ने प्रदर्शनकारियों के साथ बदतमीज़ी की. वहीं, एबीवीपी ने जेएनयू छात्रसंघ पर हिंसा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने एक सिक्योरिटी गार्ड को मारा.
विरोध कर रहे छात्रों में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय भी थे. पांडेय का कहना है कि उनकी कार पर पत्थरों और अंडों से हमला किया गया.
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए पुलिस ने बताया कि उन्हें दोनों ओर से शिकायत मिली है और वह मामले की जांच कर रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, जो भी घायल हैं, उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद हम उचित कार्रवाई करेंगे.’
जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष गीता कुमारी का कहना है कि एबीवीपी से जुड़ा विवेकानंद विचार मंच द्वारा सांप्रदायिक जहर और कट्टरता फैलाने वाली फिल्म दिखाई जा रही है. उन्होंने कहा, ‘जेएनयू के छात्र जेंडर जस्टिस के लिए खड़े हैं और इस तरह लव जिहाद के नाम पर ऐसी नफ़रत की राजनीति का विरोध कर रहे थे. अराजकता पैदा करने के लिए शांति से प्रदर्शन कर रहे इन छात्रों पर अंडे और पत्थर फेंके गए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जेएनयू छात्रसंघ यूनिवर्सिटी का माहौल खराब कर रहे ऐसे असामाजिक तत्वों की निंदा करता है.’
दूसरी ओर, एबीवीपी का आरोप है कि कुछ छात्रों ने स्क्रीनिंग के दौरान हिंसा की और प्रोजेक्टर तोड़ दिया. उनका यह भी आरोप है कि पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय ने एक गार्ड के ऊपर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की, जो इस समय अस्पताल में है.
संगठन का यह भी आरोप है कि ‘गुंडों’ ने एक छात्र का हाथ भी काट दिया जो अब अस्पताल में है. जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व जॉइंट सेक्रेटरी और एबीवीपी नेता सौरभ शर्मा ने कहा, साबरमती ढाबे पर अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने के बाद छात्रसंघ अध्यक्ष गीता कुमारी ने एक गार्ड को जानबूझकर मारकर भाग रहे मोहित पांडेय और आमिर मदद की. यह गार्ड गंभीर रूप से घायल है.’
आईएएनएस के मुताबिक आयोजकों ने पहले बताया था कि उनके पास फिल्म स्क्रीनिंग की अनुमति है और हर एक के पास विरोध करने का अधिकार है.
आयोजक समूह के सदस्य श्रीकांत कुमार ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा था, ‘यह फिल्म केरल में ‘धर्मांतरण’ के मुद्दे पर आधारित है, चाहे वह किसी समुदाय हिंदू, मुस्लिम या ईसाई का हो, जहां भी लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है… जेएनयू छात्रसंघ इस स्क्रीनिंग का विरोध कर रहा है लेकिन विरोध करना उनका अधिकार है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)