इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में सिक्किम, असम, मेघालय, नगालैंड, मिज़ोरम और मेघालय के प्रमुख समाचार.
गंगटोक/नई दिल्ली: पवन चामलिंग ने किसी राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. इससे पहले यह रिकॉर्ड माकपा के ज्योति बसु के नाम था.
सत्तारूढ़ सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 68 वर्षीय संस्थापक अध्यक्ष को मुख्यमंत्री के रूप में बीते 29 अप्रैल को 23 साल चार माह 17 दिन पूरे हो गए.
चामलिंग ने 12 दिसंबर, 1994 को पहली बार सिक्किम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
दक्षिण सिक्किम के यानगांग में 22 सितंबर, 1950 को जन्मे चामलिंग ने मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. उन्होंने महज 32 वर्ष की आयु में राजनीति में प्रवेश किया था.
चामलिंग नरबहादुर भंडारी के मंत्रिमंडल में 1989 से 1992 के बीच उद्योग एवं जनसंपर्क मंत्री रहे. सिक्किम में लंबे समय की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद उन्होंने 1993 में एसडीएफ का गठन किया.
चामलिंग ने 29 अप्रैल को अपने आधिकारिक आवास मिंटोगंग में संवाददाताओं से कहा था, ‘राज्य की जनता मेरी भाग्य नियंता है. अगर वे मुझे विश्राम देना चाहें तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है और अगर वो चाहें कि मैं सिक्किम की सेवा करूं तो मैं ऐसा करना जारी रखूंगा. मेरा कोई अपना एजेंडा नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘जीवन के हर दौर में मुझमें विश्वास जताने वालों का मैं शुक्रगुज़ार हूं.’
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर ज्योति बसु को भी श्रद्धांजलि दी. चामलिंग ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड तोड़ा है.
बसु 21 जून, 1977 से छह नवंबर, 2000 के बीच पांच बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे. बसु का 95 वर्ष की आयु में 2010 में निधन हो गया था.
स्थानीय मुद्दों के सहारे अजेय रथ पर सवार: पवन कुमार चामलिंग
उत्तर पूर्व के सबसे शांत, ख़ूबसूरत, संपन्न और शिक्षित राज्य के नेता के तौर पर एक नया रिकॉर्ड बनाने वाले सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग बेदाग राजनीतिक छवि और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की ललक के साथ सत्ता के अजेय रथ पर सवार हैं और ख़ुद उनके विरोधी तक मानते हैं कि उनसे मुक़ाबला मुश्किल है.
एक सामान्य नेपाली परिवार में जन्मे चामलिंग को जनता के साथ सीधे जुड़ाव ने देश के किसी राज्य में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला मुख्यमंत्री बना दिया.
राजनीति के माहिर खिलाड़ी चामलिंग ने अपने गुरु और पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी के ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल फूंका और उन्हें सत्ता से बेदख़ल कर उनकी कुर्सी पर क़ब्ज़ा कर लिया. शायद इसी लिए उन्हें बागियों से निपटने की कला में माहिर माना जाता है.
उनका यह हुनर 2014 में काम आया जब उनके पूर्व सहयोगी और एसकेएम के नेता प्रेम सिंह तमांग ने उनके ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी. लेकिन तमांग को यह बग़ावत बहुत भारी पड़ी और कुछ समय की राजनीतिक उठापटक के बाद आख़िरकार उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाना पड़ा.
चामलिंग पहली बार 12 दिसंबर, 1994 को मुख्यमंत्री बने थे और उसके बाद से सत्ता के गलियारों पर उनका क़ब्ज़ा बरक़रार है. यह उनका लगातार पांचवां कार्यकाल है.
राजनीति की समझ रखने वाले मानते हैं कि इतने लंबे शासन के बावजूद सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के इस नेता को चुनौती देने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं है.
वैसे इस बात में भी दो राय नहीं कि चामलिंग इसलिए अजेय नहीं हैं कि उन्हें चुनौती देने वाली कोई मज़बूत शख़्सियत नहीं है. दरअसल चामलिंग के शासन का तरीका और राज्य में किए गए विकास कार्यों ने उन्हें जनता के बीच इस क़दर लोकप्रिय बना दिया है कि जनता को उनके सिवाय कोई दिखता ही नहीं.
चामलिंग का जन्म 22 सितंबर, 1950 को सिक्किम के एक छोटे और बेहद पिछड़े गांव यंगयंग में हुआ था. पवन कुमार चामलिंग ने केवल मैट्रिक तक ही पढ़ाई की है. वर्ष 1972 में राजनीति में आने से पहले वह किसान और प्रथम श्रेणी के ठेकेदार रह चुके हैं.
पवन कुमार चामलिंग नेपाली भाषा के एक सम्माननीय लेखक हैं. इनका साहित्यिक नाम पवन कुमार चामलिंग ‘किरण’ है.
सिक्किम यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर मनीष कहते हैं, ‘मामूली नेपाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले चामलिंग ‘भाषा ना भात्य’ यानी भाषा से ज़्यादा हमारे लिए पेट भरने का अन्न मायने रखता है) का नारा देकर सत्ता में आए और समाज के सभी वर्गों को नेतृत्व प्रदान करने में कामयाब रहे.’
इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटीटिवनेस के चेयरमैन अमित कपूर कहते हैं, ‘राज्य ने कई सामाजिक मानकों पर देश के औसत से भी बेहतर प्रदर्शन किया है और सामाजिक उन्नति सूचकांक को लेकर हुए हमारे विश्लेषण से भी ऐसा ही ज़ाहिर होता है.’
चामलिंग के शासन काल में सिक्किम की सकल घरेलू आय लगातार बढ़ रही है और वह राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से भी ज़्यादा है. प्रति व्यक्ति आय के मामले में सिक्किम का स्थान देश में तीसरा है. देश में प्रति व्यक्ति आय 1,03,219 रुपये है, वहीं सिक्किम में यह दोगुनी से ज़्यादा 2,10,394 रुपये है.
चामलिंग के सत्ता में आने के बाद से गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले लोगों की संख्या 40 प्रतिशत से घटकर अब मात्र 8 प्रतिशत रह गई है.
चामलिंग कहते हैं, ‘2020 तक राज्य में हर व्यक्ति के पास एक मंज़िला पक्का घर हो जाएगा. हमने 90 फीसदी काम पूरा कर लिया है.’
भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ की सक्रिय पक्षकार हैं पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारें: सुषमा स्वराज
नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच चार मई को अंतर-क्षेत्रीय तथा उप-क्षेत्रीय संपर्क को लेकर चर्चा हुई.
इस बातचीत में मुख्य मुद्दा राज्यों और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर प्रासंगिक ढांचागत विकास को लगातार जारी रखना था, ताकि व्यापार, निवेश, पर्यटन और लोगों के बीच आपसी संपर्क बढाया जा सके.
सुषमा ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारें भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ की सक्रिय पक्षकार हैं.
बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल , मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चोवना मेईन और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने हिस्सा लिया.
बैठक में केंद्र और पूर्वोत्तर राज्यों के संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों ने भी भाग लिया.
गौरतलब है कि चार मई की यह बैठक नवंबर, 2017 में पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपालों के साथ हुई बैठक की अगली कड़ी थी.
असम: नलबाड़ी ज़िले में पेड़ से बंधा मिला आईएसआईएस का झंडा
नलबाड़ी: असम के नलबाड़ी ज़िले में आतंकी संगठन आईएसआईएस का कथित झंडा एक पेड़ से बंधा मिला. इस पर लिखे संदेश में लोगों से इस समूह में ‘शामिल होने’ को कहा गया है.
सूत्रों ने बताया कि बीते तीन मई कोइहाटी में एक खेत में एक पेड़ से बंधे इस झंडे को स्थानीय लोगों ने देखा और उन्होंने तत्काल इस बारे में बेल्सोर थाने में इसकी सूचना दी.
पुलिस ने झंडे को हटा दिया और ज़िम्मेदार लोगों की तलाश में अभियान छेड़ दिया.
सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. काले रंग के इस झंडे पर सफेद अक्षरों में ‘आईएसआईएस में शामिल हों’ लिखा था. इस पर अरबी भाषा के भी कुछ शब्द लिखे थे.
इससे पहले दो मई को गोलपाड़ा ज़िले में गोलपाड़ा नगर पुलिस चौकी के पास एक नदी के किनारे इसी तरह के छह झंडे मिले थे. इन झंडों पर ‘आईएस एनई’ लिखा था.
मामले की जांच कर रही पुलिस ने कहा कि हो सकता है कि क्षेत्र के लोगों के बीच तनाव पैदा करने के लिए शरारती तत्वों ने झंडे रखे हों.
स्थानीय लोगों को संदेह है कि ‘आईएस एनई’ का मतलब ‘आईएस नॉर्थ ईस्ट’ हो सकता है और हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन यहां लोगों को भर्ती करने तथा असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपने ठिकानों का विस्तार करने में सक्रिय हो.
मेघालय: अम्पाती विधानसभा उपचुनाव में मियानी शीरा होंगी कांग्रेस उम्मीदवार
नई दिल्ली: कांग्रेस ने मेघालय की अम्पाती विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए मियानी डालबोट शीरा को अपना उम्मीदवार बनाया है.
पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक की ओर से जारी बयान के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मियानी की उम्मीदवारी को स्वीकृति प्रदान की है.
पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा हालिया विधानसभा चुनाव में दो सीटों से जीते थे और ऐसे में उन्होंने अम्पाती सीट से इस्तीफा दे दिया था. इस वजह से इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. 28 मई को इस सीट पर मतदान है.
असम: मुख्यमंत्री ने कहा, मुठभेड़ के दौरान पुलिस अधिकारी की मौत की जांच कराई जाएगी
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बीते पांच मई को कहा कि उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में एक पुलिस अधिकारी की मौत और उनके द्वारा पहनी गई बुलेट प्रूफ जैकेट की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए जांच कराई जाएगी.
अरुणाचल प्रदेश से सटे असम के तिनसुकिया में चार मई की रात उल्फा (आई) के उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में बोरडुम्सा थाने के प्रभारी अधिकारी भास्कर कलिता की मौत हो गई थी.
सोनोवाल ने गुवाहाटी संवाददाताओं को बताया कि अभियान के दौरान कलिता द्वारा पहने गए बुलेट-प्रूफ जैकेट की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया जाएगा.
पुलिस महानिदेशक कुला सैकिया ने कहा कि इस बात की जांच की जाएगी कि जैकेट कब खरीदा गया था, इसकी खरीद के लिए कौन ज़िम्मेदार था और किसने इसकी आपूर्ति की थी.
सैकिया ने साथ ही कहा कि उल्फा के ख़िलाफ़ अभियान और तेज किया जाएगा.
असम पुलिस की विशेष शाखा में पदस्थापित शहीद पुलिस अधिकारी की पत्नी संगीता कलिता ने सवाल किया कि ‘किस प्रकार कर्मचारियों की सुरक्षा का ख़्याल किए बग़ैर ख़राब गुणवत्ता के बुलेट प्रूफ जैकेट को ख़रीदा गया.’
सिक्किम: 11 समुदायों को जनजाति का दर्जा देने की मांग की
गंगटोक: सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने राज्य के 11 समुदायों को जनजाति का दर्जा देने की मांग की है.
‘इलेवन इंडिजिनस एथनिक कम्युनिटीज़ ऑफ सिक्किम’ (ईआईईसीओएस) एवं अन्य के तत्वावधान में जनजाति दर्जा 2018 पर आयोजित सम्मेलन में तीन मई को चामलिंग ने कहा, ‘राज्य सरकार 11 समुदायों को उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के आधार पर अनुसूचित जनजाति का संवैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुंग, मांगर, राय, सुनवर, मुखिया, जोगी, थामी, याखा, बहुन, छेत्री और नेवार समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने के वास्ते दबाव बनाने के लिए वह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों से पत्राचार कर रहे हैं.
असम: भाजपा ने कहा, संवादहीनता के कारण केंद्र के क़दम के ख़िलाफ़ राज्य में प्रदर्शन
गुवाहाटी: भाजपा की असम इकाई के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने बीते तीन मई को कहा कि ऐतिहासिक स्थलों की देखरेख का ज़िम्मा निजी कंपनियों को सौंपने के केंद्र के क़दम के ख़िलाफ़ संवादहीनता और समझ की कमी के कारण राज्य के लोग विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने दावा किया कि केंद्र, स्मारक के बाहरी क्षेत्र की देखरेख और उनकी सुरक्षा बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों को निजी कंपनियों को सौंप रहा है.
दास ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘मुझे लगता है कि यहां संवाद की कमी है. भारत में हर कोई इस क़दम की सराहना कर रहा है. केवल यहां पर हम इस क़दम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन देख रहे हैं.’
दास ने कहा, ‘मूल रूप से यह स्मारकों के बाहरी सौंदर्यीकरण के लिए है. समूचे प्रसंग पर समझ की कमी है. मुझे उम्मीद है कि कुछ दिनों बाद लोग समझेंगे और असम में भी इसकी सराहना करेंगे.’
नगालैंड: मुख्यमंत्री ने कहा, नगा शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिए समय सीमा तय नहीं
नई दिल्ली: नगा उग्रवाद की समस्या को सुलझाने के लिए चल रही गहन वार्ता के बीच नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने बीते तीन मई को कहा कि दशकों पुरानी इस समस्या का हल खोजने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है.
उन्होंने कहा, हालांकि बातचीत के दौरान हमारा पूरा ध्यान जितनी जल्दी संभव हो समझौते पर पहुंचने पर है.
रिये ने यह भी कहा कि आफस्पा को सभी जगह से हटा दिया जाना चाहिए, लेकिन वह नगालैंड में अभी भी लागू है क्योंकि राज्य में वातावरण अभी तक उसके अनुकुल नहीं है.
आफस्पा के तहत सशस्त्र बलों को अभियान चलाने, बिना सूचना के किसी को भी कहीं भी गिरफ्तार करने जैसे विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक के बाद रियो ने कहा, ‘नगा शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है. लेकिन हमारी मंशा जितनी जल्दी संभव हो, किसी नतीजे पर पहुंचने की है.’
राजनाथ सिंह के साथ 45 मिनट तक चली बैठक में रियो ने नगा शांति समझौते के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की.
असम: एक दैनिक अख़बार की कार्यकारी संपादक ने आत्महत्या की
कोकराझार: असम के कोकराझार ज़िले में एक स्थानीय दैनिक समाचार पत्र की एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने कार्यालय-सह निवास में बीते तीन मई को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली.
पुलिस ने बताया कि कोकराझार शहर में दैनिक अखबार ‘बोडोसा’ की कार्यकारी संपादक जियोवारी बासुमातरी (32) अपने घर में पंखे से लटकी हुई मिली.
उन्होंने बताया कि मेडिकल जांच कराने के बाद बासुमातरी अपने परिजनों के साथ तीन मई की रात गुवाहाटी से कोकराझार लौटी थी.
चिरांग के भाओलागुरी काशीकोत्र में उनका अंतिम संस्कार किया गया.
मिज़ोरम: एमएनएफ ने कहा, चकमा स्वायत्त जिला परिषद का भविष्य के सीएम के हाथों में
आइज़ोल: मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने बीते एक मई को राजधानी आईजोल में कहा कि मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहवला को इस बात पर फैसला करना है कि चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) पर शासन कौन करेगा.
सीएडीसी बांग्लादेश और म्यामां की सीमा से सटे दक्षिण-पश्चिमी मिज़ोरम में रहने वाले चकमा समुदाय के लोगों का स्वायत्त परिषद है. साल 1972 में भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत इसका गठन किया गया था.
बीते 20 अप्रैल को 20 सदस्यीय सीएडीसी के लिए हुए चुनाव में खंडित जनादेश देखने को मिला था. एमएनएफ ने सर्वाधिक आठ, कांग्रेस ने छह और भाजपा ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने एक सीट के मतदान पर रोक लगा दी थी.
एमएनएफ के मुताबिक बीते एक मई को उसके नेताओं ने ज़िला परिषद मामलों के सचिव रोडने एल. राल्टे से मुलाकात कर इस मुद्दे की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की.
गौरतलब है कि चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस ने गठबंधन किया है और भगवा पार्टी के एक नेता ने कार्यकारी समिति के गठन के लिए दावा पेश करने की बात कही है.
विपक्षी एमएनएफ ने भी उपराज्यपाल निर्भय सिंह से मुलाकात कर सीएडीसी के लिए बहुमत साबित करने के वास्ते आमंत्रित करने का आग्रह किया. एमएनएफ का कहना है कि वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, इसलिए उसे यह मौका दिया जाना चाहिए.
राल्ते ने बयान जारी कर कहा कि राज्य सरकार इन दोनों विकल्पों पर विचार कर रही है.
एमएनएफ ने एक विज्ञप्ति जारी कहा, ‘राल्ते ने कहा कि विभाग ने दोनों विकल्प सुझाए हैं और मुख्यमंत्री ललथनहवला इस मुद्दे पर निर्णय करेंगे और इसके बाद राज्यपाल को सूचित करेंगे.’
असम: धुबरी में महिला और मासूम की बलात्कार के बाद हत्या, कोकराझार में भी नाबालिग से रेप
धुबरी/कोकराझार: असम के धुबरी ज़िले में बलात्कार की दो घटनाएं हुई. एक घटना में शिकार सात वर्षीय बच्ची बनी और दूसरी घटना में दो बच्चों की मां के साथ बलात्कार हुआ. दोनों ही मामलों में पीड़िताओं की हत्या कर दी गई.
पुलिस ने बीते 30 अप्रैल को बताया कि दोनों घटनाएं बीते 27 अप्रैल की हैं.
नाबालिग से कथित बलात्कार के मामले में नाओपाड़ा गांव के 19 वर्षीय युवक को गिरफ्तार किया गया. युवक ने कथित तौर पर बच्ची से बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी और शव खेत में फेंक दिया.
दूसरी घटना में धुबरी ज़िले के बिलासीपाड़ा इलाके में कथित तौर पर महिला की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई.
स्थानीय लोगों ने सालकुची इस्लामारी इलाके के एक खेत में शव देखा और इस बारे में पुलिस के सूचित किया. महिला के परिवार को संदेह है कि उसके साथ बलात्कार हुआ और 27 अप्रैल की रात में ही उसकी हत्या कर दी गई.
पुलिस ने बताया कि मामले की जांच जारी है हालांकि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
उधर, असम के ही कोकराझार जिले में एक व्यक्ति ने एक बालिका के साथ कथित रूप से बलात्कार किया. पुलिस ने तीन मई यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि यह घटना दो मई को उस समय सामने आई जब बालिका ने इस संबंध में अपनी मां को बताया.
पुलिस ने बताया कि लड़की की मां ने कोकराझार पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद 55 वर्षीय आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.
इस बीच इस घटना के खिलाफ बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट की महिला इकाई ने कोकराझार में तीन मई एक रैली भी निकाली.
मेघालय: एनपीपी ने विलियमनगर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की
शिलॉन्ग: मेघालय के विलियमनगर विधानसभा सीट से नेशनल पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार मारकस मारक ने चुनाव जीत लिया है जिससे सदन में पार्टी की संख्या 20 हो गई है.
60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा में प्रभावी सीटों की संख्या 59 है.
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एफआर खारकोगोर ने बताया कि मारकस को 9656 वोट मिले और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार सेंगबस आर. मारक को 4736 मतों से पराजित किया.
राकांपा के उम्मीदवार जोनाथन एन. संगमा के निधन के कारण इस सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था. राज्य में 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले 18 फरवरी को आईईडी हमले में संगमा की मौत हो गई थी.
एक मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही विधानसभा में सत्तारूढ़ एनपीपी के सदस्यों की संख्या विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों की संख्या के बराबर हो गई है.
मेघालय विधानसभा में अब कांग्रेस और एनपीपी के 20-20 सदस्य, यूनाईटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के छह, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के चार, भाजपा के दो, हिल्स स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के दो, खुन हायनियुटेप नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट का एक, राकांपा का एक और तीन निर्दलीय विधायक हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)