स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कराने और किसानों की आमदनी बढ़ाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ मिलकर 10 दिवसीय प्रदर्शन और हड़ताल का ऐलान किया है.
नई दिल्ली/भोपाल/मंदसौर/चंडीगढ़/जयपुर/कोलकाता: 1 जून यानी आज से मध्य प्रदेश समेत 22 राज्यों के किसान हड़ताल पर हैं. स्वामीनाथन कमेटी की सिफ़ारिशों को लागू करवाने और किसानों की आमदनी बेहतर करने की मांग को लेकर 1 जून से 10 जून तक सब्जी, फल और दूध की सप्लाई रोकने की घोषणा किसान नेताओं द्वारा की गई है.
कई राज्यों में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सब्जियों, दूध और अन्य कृषि उत्पादों को सड़कों पर फेंक दिया और शहरों में इन पदार्थों की आपूर्ति रोक दी. किसानों ने ऋण माफी और फसलों के उचित मूल्य की मांग को लेकर दबाव डालने के लिए शुरू किए गए 10 दिन के अपने आंदोलन के तहत ऐसा किया.
किसान संगठनों ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मंडियों और थोक बाजारों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है जिससे सामानों की किल्लत और मूल्यवृद्धि की आशंका पैदा हो गई है.
अन्य राज्यों में आंदोलन का खासा प्रभाव देखने को नहीं मिला लेकिन राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ (आरकेएमएम) के संयोजक शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने भोपाल में दावा किया कि 22 राज्यों में ‘गांव बंद’ आंदोलन का आयोजन किया जा रहा है.
पुलिस मध्य प्रदेश के मंदसौर में कड़ी सतर्कता बरत रही है. पिछले साल छह जून को किसानों के प्रदर्शन के दौरान यहां पुलिस गोलीबारी में छह कृषकों की मौत हो गई थी.
शर्मा ने कहा, ‘किसानों से दूध सहित उनके कृषि उत्पादों को बेचने के लिए शहर नहीं आने को कहा गया है.’
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के आख़िरी दिन यानी दस जून को भारत बंद का आयोजन किया जाएगा.
राज्य सरकारों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शहरों में पुलिस की तैनाती कर दी है. कई जगह स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. अगर 10 दिन तक किसानों का यह आंदोलन चलता है तो शहर में सब्जियों और खाद्य पदार्थ को लेकर संकट खड़ा हो सकता है.
आंदोलन के दौरान किसानों ने सब्जी, दूध और किसी भी तरह के अन्य उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने से मना किया है.
मंदसौर के पड़ोसी नीमच ज़िले में भी बाज़ार बंद रहे.
मंदसौर के एसपी ने कहा कि जिले में अब तक किसी भी तरह की अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं मिली है. उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश पुलिस के विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की पांच कंपनियां ज़िले में नज़र रख रही हैं.’
ग्रामीण क्षेत्रों के भ्रमण के बाद मंदसौर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने कहा, ‘मंदसौर ज़िले के किसी भी गांव में बंद की स्थिति नहीं है. शहरों की तरह गांवों में भी सब कुछ मिल रहा है. सांची दुग्ध संघ में भी जितना दूध आता है, उसका 90 प्रतिशत तो इकट्ठा हो गया.’
पिछले साल भी किसानों ने एक जून से 10 जून तक आंदोलन किया था और इसका मुख्य केंद्र मंदसौर रहा था. छह जून को मंदसौर की पिपलिया मंडी में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हुई थी, जिसके बाद समूचे राज्य में हिंसा, लूट, आगजनी एवं तोड़फोड़ हुई थी.
हालांकि, कृषि उपज मंडी मंदसौर के इंस्पेक्टर समीर दास ने बताया कि मंदसौर की कृषि उपज मंडी में जरूर सन्नाटा पसरा हुआ था. इस मंडी में प्रतिदिन करीब 40,000 से 60,000 बोरी विभिन्न कृषि उपज विक्रय के लिए प्रदेश के अनेक ज़िलों के साथ ही पड़ोसी राजस्थान के ज़िलों से लाए जाते थे. लेकिन शुक्रवार मंडी में मात्र 1,000 बोरी के आसपास माल ही आया.
शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने कहा, ‘इस आंदोलन के अंतिम दिन 10 जून को ‘भारत बंद’ का आह्वान पूरे देश के किसान संगठनों द्वारा किया जायेगा तथा शहर के व्यापारियों, समस्त प्रतिष्ठानों से निवेदन किया जायेगा कि देश के इतिहास में पहली बार अन्नदाता अपनी बुनियादी मांगों को लेकर ‘भारत बंद’ का आह्वान कर रहा है. इसलिए उस दिन (10 जून) वे दोपहर 2 बजे तक अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर अन्नदाता के आंदोलन में सहयोग प्रदान करें’
We have decided to observe a Bharat Bandh on June 10 till 2 pm. Would like to request all the businessmen of cities to close their shops till 2 pm & pay tribute to farmers who have lost their lives in previous years: Shiv Kumar Sharma, President, Rashtriya Kisan Mazdoor Mahasangh pic.twitter.com/oRtTRCVXkU
— ANI (@ANI) June 1, 2018
उन्होंने कहा कि देश के किसान मुख्य रूप से अपनी चार मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं, जिनमें देश के समस्त किसानों का संपूर्ण क़र्ज़ मुक्त करना, किसानों को उनकी उपज का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिलना, अत्यंत लघु किसान, जो अपने उत्पादन विक्रय करने मंडी तक नहीं पहुंच पाते, उनके परिवार के जीवनयापन हेतु उनकी आय सुनिश्चित करना एवं दूध, फल, सब्ज़ी, आलू, प्याज, लहसुन, टमाटर इत्यादि का लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य निर्धारित करना एवं सभी फसलों को क्रय करने की सरकार द्वारा गारंटी का कानून बनाया जाना शामिल है.
उन्होंने कहा कि इन चार मांगों के पूर्ण हो जाने से भारत के सभी किसान लाभांवित होंगे.
वही, पंजाब के फरीदकोट में किसानों ने सब्जी, फल और दूध की सप्लाई रोक दी है. किसानों ने सब्जियों के ट्रकों का चक्का जाम कर दिया ताकि शहरों के लिए सप्लाई रोकी जा सके. देश भर के किसान कर्जमाफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशें लागू कराने के लिए शुक्रवार से आंदोलन कर रहे हैं.
Punjab: Farmers in Faridkot throw their produce and hold back supplies like vegetable, fruits and milk from being supplied to cities, demanding farmer loan waiver and implementation of Swaminathan commission (Earlier visuals) pic.twitter.com/fefveQLHqo
— ANI (@ANI) June 1, 2018
पंजाब के लुधियाना के समराला में किसानों ने दूध से भरा कंटेनर पलट दिया है. खबर है कि महाराष्ट्र में पुणे के खेडशिवापुर टोल प्लाजा पर किसानों ने 40 हजार लीटर दूध बहा कर विरोध जताया.
Punjab: Farmers spill milk on the road during their 10 days ‘Kisan Avkash’ protest, in Ludhiana’s Samrala (Earlier visuals) pic.twitter.com/rh7Fp5uVnl
— ANI (@ANI) June 1, 2018
मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा प्रभाव देखा जा रहा है. मंदसौर के किसानों ने किसी भी हालत में सब्जी और दूध को शहर से बाहर भेजने से इनकार कर दिया है. राज्य के झाबुआ में धारा 144 लगा दी गई है. साथ ही प्रशासन ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
#MadhyaPradesh: Visuals of security in Mandsaur as farmers observe 10-days’ ‘Kisan Avkash’ during which they will not supply vegetables, grains and to the cities. pic.twitter.com/SWVmAqYulp
— ANI (@ANI) June 1, 2018
उत्तर प्रदेश के संभल में भी स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने और कर्ज माफी की मांग को लेकर किसान हड़ताल कर रहे हैं.
Sambhal: Farmers begin on 10-days’ strike ‘Kisan Avkash’ demanding loan waiver and implementation of Swaminathan commission pic.twitter.com/wMYpKQfV4X
— ANI UP (@ANINewsUP) June 1, 2018
‘किसान अवकाश’ और ‘गांव बंद’ नाम से शुरू हुए इस आंदोलन में किसान 1 जून से फल, दूध, सब्जी व अन्य सामान ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की ओर भेजना बंद करेंगे. 6 जून को कुछ किसान संगठन मंदसौर गोलीकांड में मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. 10 जून यानि की आंदोलन के आखिरी दिन किसान पूरे भारत में बंद का आह्वान करेंगे.
किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले एक से दस जून तक आपूर्ति रोकने का फैसला किया गया है.
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने दावा किया कि पंजाब और अन्य राज्यों में किसानों की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. उन्होंने कहा, ‘किसानों ने शहरों में बिक्री के लिए सब्जी, दूध और अन्य पदार्थ लाना बंद कर दिया है.’
अपने अलग अंदाज़ के लिए मशहूर पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने फतेहगढ़ साहिब ज़िले के पट्टो गांव जाकर किसानों से दूध एवं सब्जी ख़रीदे. सिद्धू ने कहा, ‘अगर देश को बचाना है तो कृषि क्षेत्र को बचाना प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि केंद्र की राजग सरकार अगर अपने चुनावी वादों को पूरा करती तो किसानों की हालत इतनी दयनीय नहीं होती.
राजेवाल ने दावा किया कि पंजाब के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में भी किसान अपने उत्पादों की बिक्री शहरों में नहीं कर रहे हैं.
पंजाब में कुछ स्थानों पर किसानों ने विरोधस्वरूप सब्ज़ियों और दूध को सड़कों पर फेंक दिया.
राष्ट्रीय किसान महासंघ की राज्य इकाई की कोर समिति के सदस्य संतवीर सिंह ने कहा कि राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और झूंझनू जिलों में दूध, सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की आपूर्ति प्रभावित हुई.
उन्होंने बताया कि बीकानेर, सीकर और नागौर जिलों में भी प्रदर्शन हुए.
किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार कम आय, किसानों की खुदकुशी और रिण जैसे उनके मुद्दों के समाधान में नाकाम रही है.
राजेवाल ने कहा, ‘हम न्यूनतम आय गारंटी योजना, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने और किसानों के रिण को माफ करने की भी मांग करते रहे हैं.’
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अकोले तहसील में किसानों ने जुलूस निकाला.
किसानों का देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ शुरू: कक्काजी
अपनी उपजों के वाजिब दाम, क़र्ज़ माफ़ी एवं अन्य मांगों को लेकर किसानों का 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में एक जून से शुरू हो गया है.
इस आंदोलन से अब तक मध्य प्रदेश में सामान्य जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता दिखा है, लेकिन प्रदेश की बड़ी कृषि उपज मंडी मानी जाने वाली मंदसौर कृषि उपज मंडी एवं नीमच अनाज मंडी सहित कुछ अन्य मंडियों में जरूर शुक्रवार को सन्नाटा पसरा रहा.
हालांकि, संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में आवश्यक सामग्री जैसे दूध एवं साग-सब्ज़ियों की आपूर्ति पर इसका असर हो सकता है.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, किसान आंदोलन के मद्देनज़र पुलिस ने सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए हैं. अब तक प्रदेश में कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की रिपोर्ट नहीं आई है.
राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मध्यप्रदेश सहित देश के 22 राज्यों में देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ शुरू हो गया है. यह आदोलन 10 दिनों तक चलेगा.’
कक्काजी ने कहा, ‘आंदोलन के अंतिम दिन 10 जून को ‘भारत बंद’ का आह्वान पूरे देश के किसान संगठनों द्वारा किया जाएगा. देश के इतिहास में पहली बार अन्नदाता अपनी बुनियादी मांगों को लेकर ‘भारत बंद’ का आह्वान कर रहा है. इसलिए उस दिन (10 जून) व्यापारी और अन्य प्रतिष्ठान चलाने वाले दोपहर 2 बजे तक अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर अन्नदाता के आंदोलन में सहयोग प्रदान करें.’
केंद्र एवं राज्य सरकारों पर किसानों की समस्याओं पर सार्थक पहल न करने का आरोप लगाते हुए कक्काजी ने बताया, ‘किसानों की मांग जायज है. किसानों की तकलीफों एवं समस्याओं पर चर्चा होनी चाहिए. यदि सरकार द्वारा किसानों की मांगों का समाधान कर दिया जाए, तो यह आंदोलन ख़त्म कर दूंगा.’
उन्होंने कहा कि यदि हमारी मांगें नहीं मानी गई तो इस 10 दिवसीय आंदोलन के खत्म होने पर भी हम चुप नहीं बैठेंगे. 11 जून को किसान संघों की बैठक होगी और उसमें आगे की रणनीति के लिए फैसला लिया जाएगा.
कक्काजी ने बताया, ‘जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी, हमारी जंग जारी रहेगी.’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय किसान महासंघ देश के 130 किसान संगठनों का समूह है और इस महासंघ के भोपाल मुख्यालय से देशभर के आंदोलन पर नियंत्रण रखा जाएगा.
कक्काजी ने बताया कि एक जून से 10 जून गांव बंद आंदोलन पूरी तरह अहिंसक एवं शांतिपूर्ण है. देश का हर किसान हमारा नेता है. जो भी किसान, जहां है, जिस स्थिति में है, वह इस आंदोलन में सम्मिलित होगा.
भाजपा द्वारा इस आंदोलन को कांग्रेस का आंदोलन कहे जाने पर कक्काजी ने कहा, ‘यह आंदोलन राजनीतिक नहीं है. सत्ता दल (भाजपा) अपनी नाकामी को छिपाने के लिए ऐसा फैला रहा है. भाजपा सरकार किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस पर थोप कर अपना पल्ला झाड़ रही है.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘मध्य प्रदेश की भाजपा नीत सरकार के पिछले 14.5 साल के दौरान किसानों का क़र्ज़ कई गुना बढ़ गया है, भावांतर योजना में लूट हुई है, समर्थन मूल्य से नीचे किसानों को अपनी उपज बेचनी पड़ रही है.’
कक्काजी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मंडी प्रबंधन पूरी तरह फेल रहा है. अपनी उपज को बेचने के लिए किसान 15-15 दिन से मंडी में पड़ा है. पिछले साल का भावांतर अब तक किसानों को नहीं मिला है.’
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे 10 जून तक चलने वाले ‘ग्राम बंद’ के दौरान गांवों से शहरों को फल-सब्ज़ियों और दूध की आपूर्ति रोक दें और अपने ही गांव की चौपाल पर ही इन उत्पादों की शहरी लोगों को बेचें. इसके अलावा, आंदोलन के दौरान शहरों से कोई खरीददारी न करें.
इंदौर की थोक मंडी में किसान आंदोलन से घटे खरीदार, सब्जियों के दाम गिरे
देश भर में आज से शुरू हुए 10 दिवसीय किसान आंदोलन के पहले दिन मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में फल-सब्जियों की आवक पर हालांकि, बेहद मामूली असर नजर आया. लेकिन सब्जियों के पर्याप्त खरीदारों के थोक मंडी नहीं पहुंचने पर इनके भाव घटकर आधे रह गये.
आंदोलन से जुड़े कृषक संगठनों ने किसानों से अपील की है कि वे 10 जून तक चलने वाले ग्राम बंद के दौरान गांवों से शहरों को फल-सब्जियों और दूध की आपूर्ति रोक दें. स्थानीय देवी अहिल्याबाई होल्कर फल एवं सब्जी मंडी के एक अधिकारी ने को बताया कि मंडी में फल-सब्जियों की आवक में आज 10 से 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई. इस मंडी को थोक व्यापार के मामले में प्रदेश की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी माना जाता है.
मंडी के सब्जी कारोबारी संघ के अध्यक्ष सुंदरदास माखीजा ने बताया, मंडी में मध्यप्रदेश के साथ उत्तरप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों से आज माल तो लगभग पर्याप्त मात्रा में आया. लेकिन किसान आंदोलन से जुड़ी आशंकाओं के कारण खासकर आस-पास के जिलों से सब्जियों के खरीदारों की तादाद घट गयी. इससे मंडी में अधिकांश सब्जियों के दामों में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी.
उन्होंने कहा कि पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों ने उन लोगों के वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया था जो इंदौर की फल-सब्जी मंडी से माल खरीदकर जा रहे थे.
माखीजा ने बताया कि देवी अहिल्याबाई होलकर फल-सब्जी मंडी में आज उस टमाटर के थोक भाव घटकर 10 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम रह गये, जो परसों 30 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा था. इसी तरह, भिंडी, टिंडा, करेला, ग्वार फली और हरी मिर्च के थोक दाम भी परसों की तुलना में घटकर आधे रह गये.
किसान आंदोलन के मद्देनजर स्थानीय फल-सब्जी मंडी परिसर में पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. इस बीच, इंदौर दूध विक्रेता संघ के अध्यक्ष भारत मथुरावाला ने बताया कि शहर में आज दूध की आपूर्ति सामान्य रही और आस-पास के इलाकों से आम दिनों की तरह दूध आया.
पश्चिमी राजस्थान के किसानों ने दूध और सब्ज़ियों की आपूर्ति रोकी
राष्ट्रव्यापी 10 दिवसीय किसान आंदोलन के समर्थन में पश्चिमी राजस्थान के किसानों ने उपजों के वाजिब दाम, क़र्ज़ माफ़ी की मांग को लेकर एक जून को दूध और सब्जियों की आपूर्ति रोक दी.
हालांकि आंदोलन से प्रदेश में आम जनजीवन पर असर नहीं पड़ा है. हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर और झुंझुनू ज़िलों में दूध, सब्जियों सहित किसान उत्पादों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
राष्ट्रीय किसान महासंघ के राजस्थान की कोर कमेटी के सदस्य संतवीर सिंह ने बताया कि श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और झुंझुनू ज़िलों में दूध, सब्जियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को रोक दिया गया है.
उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन अगले 10 दिन तक जारी रहेगा और हम विरोध को और तेज करेंगे. उन्होंने बताया कि किसानों ने बीकानेर, सीकर और नागौर ज़िलों में आंशिक आंदोलन किया है.
वहीं किसानों से जुडे अन्य संगठनों किसान महापंचायत और किसान सभा ने आंदोलन को नैतिक समर्थन दिया है. किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि किसान आंदोलन को हमारी तरफ़ से नैतिक समर्थन दिया गया है.
पश्चिम बंगाल के किसान प्रदर्शन से दूर रहे
देश के कई उत्तरी राज्यों में किसान संगठनों द्वारा सरकार से ऋण माफ करने और अपने फसलों के सही दाम मिलने की मांग को लेकर शुरू किए गए 10 दिवसीय प्रदर्शनों में पश्चिम बंगाल के किसानों ने भाग नहीं लिया.
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में प्रदर्शनकारियों ने मंडियों और थोक बाजारों का बहिष्कार करने का आह्वान किया, जिसके चलते खाद्य उत्पादों की कमी और सामानों के दाम बढ़ने का खतरा पैदा हो गया.
पश्चिम बंग प्रादेशिक कृषक सभा के सचिव अमाल हल्दर ने बताया, ‘पश्चिम बंगाल में बाज़ारों का बहिष्कार करने की कोई योजना नहीं है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)