ब्लैक फ्राइडे, गुलाल और सरकार जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके अभिनेता केके मेनन ने कहा कि आपके अभिनय को चाहे कितना भी सराहा जाए इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता. फिल्म में बड़े नाम न हो तो सिनेमा देखने कम लोग पहुंचते हैं.
मुंबई: बॉलीवुड में अलग-अलग किरदार निभाकर प्रशंसा बटोरने वाले अभिनेता केके मेनन ने कहा है कि मनोरंजन उद्योग हमेशा एक अच्छे अभिनय को सराहे ऐसा ज़रूरी नहीं.
उनका मानना है कि ऐसा किसी के नसीब के कारण होता है कि उसे बतौर कलाकार पहचान मिलती है.
मेनन ने बताया, ‘सिनेमा मेरिट (विशेषता) के हिसाब से काम नहीं करता और यह जीवन का एक तथ्य है जिसे हम समझना नहीं चाहते और यह भी तथ्य है कि जिसमें मेरिट है वह फिर भी लोकप्रिय नहीं हो पाता और इस बारे में कोई कुछ कर भी नहीं सकता.’
उन्होंने कहा, ‘आपके अभिनय को चाहे कितना भी सराहा जाए इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता. यह आपके नसीब पर निर्भर करता है. कई बार कुछ चीज़ें आपके हक़ में काम कर जाती हैं और यह हर किसी के साथ होता है. यह तक़दीर की बात है.’
केके मेनन को ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’, ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘सरकार’, ‘हनीमून ट्रवेल्स प्राइवेट लिमिटेड’, ‘लाइफ इन अ मेट्रो’, ‘गुलाल’, ‘हैदर’ और ‘द गाज़ी अटैक’ जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाने के लिए जाना जाता है.
मेनन की फिल्म ‘फेमस’ सिनेमाघरों में इसी शुक्रवार को रिलीज़ हुई है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि राम गोपाल वर्मा की सुपरहिट फिल्म ‘सरकार’ के बाद उनके काम को पहचान मिली.
साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ‘सरकार’ के साथ अमिताभ बच्चन और रामगोपाल वर्मा जैसे बड़े नाम न जुड़े होते तो शायद वह हिंदी फिल्म उद्योग में जाना-माना नाम नहीं बन पाते.
उन्होंने कहा, ‘अगर फिल्म में बड़े नाम न हो तो सिनेमा देखने कम संख्या में लोग पहुंचते हैं. बड़े नामों की वजह से वे फिल्म देखते हैं इस दौरान उन्हें अचानक मेरे जैसा अभिनेता भी दिख जाता है.’
उन्होंने कहा, ‘फिल्म सरकार से पहले मुझे लोगों को बताना पड़ता था कि मेरा नाम केके हैं और मैं अभिनेता हूं, लेकिन उसके बाद मैं लोगों को बताने लगा कि मैं केके हूं क्योंकि उस समय तक लोग जान चुके थे कि मैं अभिनेता हूं.’
फिल्म ‘सरकार’ केके ने विष्णु नाम के फिल्म निर्माता का रोल किया था, जो सरकार की भूमिका में नज़र आए सुभाष नागरे (अमिताभ बच्चन) का बड़ा बेटा था.
केके ने कहा, ‘सरकार फिल्म के बाद तमाम लोग मुझे अपनी फिल्मों में लेना चाहते थे. सामान्य तौर पर ऐसा तब होता है जब किसी यादगार किरदार बाद वो अभिनेता चर्चित हो जाता है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)