इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मेघालय, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नगालैंड और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
शिलॉन्ग: शहर में दो दिन के कर्फ्यू के बाद रविवार तीन जून को भी हालात तनावपूर्ण रहे. इस दौरान मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बाधित रहीं ताकि हिंसा और अफवाहों पर काबू रखा जा सके. रविवार सुबह तक कर्फ्यू लगा रहा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, खासी समुदाय के एक युवक और पंजाबी महिला के बीच हुई झड़प ने हिंसक रूप ले लिया.
इस झड़प ने खासी और पंजाबी समुदाय के बीच पुराने तनाव को फिर से हरा कर दिया. खासी समुदाय लंबे समय से मांग कर रहा है कि इलाके से अवैध प्रवासियों को हटाया जाए.
खासी छात्रसंघ के महासचिव डोनाल्ड थबाह ने कहा, ‘इलाके में पंजाबी लेन के नागरिक विवाद पैदा करते हैं और खासी लोगों को प्रताड़ित करते रहते हैं. हमारी मांग है कि इलाके में अवैध तरीके से रह रहे लोगों को तुरंत हटाया जाए.’
पुलिस अधिकारियों, ज़िलाधिकारी कार्यालय के सूत्रों और स्थानीय नागरिकों के बयानों के आधार पर इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि खासी समुदाय का युवक सरकारी बस में था, जिसे उसका कोई रिश्तेदार चला रहा था. युवक के साथ थेम मेटोर इलाके के निवासियों ने मारपीट की थी.
विवाद इलाके में बस का खड़ा करने के तरीके पर शुरू हुआ, जिसकी वजह से सार्वजनिक प्याऊ से पानी निकाल रहे नागरिकों को दिक्कत हुई थी.
30 मई को हुए यह विवाद एक जून को हिंसक हो गया. जिसके बाद शहर के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया.
कर्फ्यू दूसरे दिन दो जून को भी जारी रहा. रात भर चली हिंसा के दौरान उग्र भीड़ ने एक दुकान, घर जला दिए गए और कम से कम पांच गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. इसमें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी समेत 10 लोग घायल हुए.
अशांत क्षेत्रों में सेना ने फ्लैग मार्च निकाला और रात भर हुई हिंसा और आगजनी के बाद कई लोगों को बचाया गया.
ड्यूटी पर मौजूद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस अधीक्षक (शहर) स्टीफन रिंजा पर एक रॉड से वार किया गया जिसके बाद उन्हें शिलॉन्ग सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया.
हिंसा में पुलिसकर्मी समेत कम से कम 10 लोग घायल हो गए जिसके बाद इलाके में कथित तौर पर अवैध रूप से रह रहे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग उठने लगी.
रक्षा विभाग के प्रवक्ता रत्नाकर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने सेना से आग्रह किया कि प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च करें. सेना के जवानों ने फ्लैग मार्च किया और करीब 500 लोगों को बचाया जिसमें 200 महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि बचाए गए लोगों को भोजन और पानी दिया गया और सेना की छावनी में उन्हें रखा गया है.
सेना की छावनी में 101 एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीएस आहूजा ने प्रभावित लोगों से मुलाकात की.
वहीं शहर के अशांत मोटफ्रन इलाके में पत्थरबाज़ों ने राज्य पुलिसकर्मियों पर हमला किया.
अधिकारी ने बताया कि दंगाइयों को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए लेकिन दूसरे हिस्से के लोगों ने इसे पुलिस की गोलीबारी समझ लिया.
मालूम हो कि एक जून को राजधानी शिलॉन्ग के थेम मेटोर इलाके में पंजाबी समुदाय के लोगों द्वारा खासी समुदाय के युवक के साथ कथित मारपीट के बाद बस चालकों के समूह और स्थानीय निवासियों के बीच हुई झड़प शुरू हो गई.
इस झपड़ के हिंसक हो जाने के बाद यहां के 14 इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं.
अधिकारियों ने बताया कि इस झड़प ने तब और उग्र रूप ले लिया जब सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैलाई गई कि घायल खासी युवक की मौत हो गई जिससे थेम मेटोर में बस चालकों का समूह इकट्ठा हो गया. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े.
बस सहायक और तीन अन्य घायलों को अस्पताल ले जाया गया और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
पूर्वी खासी हिल्स के ज़िला अधिकारियों ने बताया कि क़ानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे शहर में एक जून की रात 10 बजे से सुबह के पांच बजे तक कर्फ्यू लगाया गया.
उन्होंने बताया कि तीन स्थानीय लड़कों के साथ हुई मारपीट में शामिल एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके साथियों की तलाश की जा रही है.
अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को दो जून को भी निलंबित रखा गया.
ज़िले के उपायुक्त पीएस दकहर ने को बताया कि लुमदियेंगज्री पुलिस थाना और कैंटोनमेंट बीट हाउस क्षेत्र के तहत आने वाले 14 इलाकों में एक जून की सुबह चार बजे से लगाया गया कर्फ्यू अब भी जारी है.
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने एक जून को एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने और शिलांग में स्थिति सामान्य बनाने की अपील की.
इस बीच खासी छात्रसंघ (केएसयू), फेडरेशन ऑफ खासी जयंतिया एंड गारो पीपुल (एफकेजेजीपी) और हनीट्रैप यूथ काउंसिल ने स्थानीय लड़कों के साथ मारपीट में शामिल लोगों को सजा दिलाने और थेम मेटोर में अवैध रूप से रह रहे लोगों को हटाने की मांग की.
असम फ़र्ज़ी मुठभेड़: आईजी की रिपोर्ट पर सूचना आयोग ने सीआरपीएफ से ब्योरा मांगा
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से कहा है कि वह अपने महानिरीक्षक (आईजी) रजनीश राय की ओर से 2017 में असम में हुई एक ‘फ़र्ज़ी मुठभेड़’ के मामले में सौंपी गई रिपोर्ट से जुड़े विस्तृत दस्तावेज मुहैया कराए.
सीआईसी ने एक पत्रकार की अर्ज़ी पर सीआरपीएफ को यह निर्देश दिया. पत्रकार ने इस आधार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है कि कथित ग़ैर न्यायिक हत्याएं मानवाधिकारों का हनन है और ऐसे मामलों में सीआरपीएफ को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून से छूट प्राप्त नहीं है.
असम में सुरक्षा बलों के एक संयुक्त दस्ते की ओर से की गई ‘फ़र्ज़ी मुठभेड़ ’ पर राय की रिपोर्ट की प्रति प्राप्त करने के लिए पत्रकार ने आरटीआई अर्ज़ी दायर की थी जिसके जवाब में सीआरपीएफ ने आरटीआई कानून की धारा 24 का हवाला देते हुए सूचना देने से इनकार कर दिया.
धारा 24 के तहत सीआरपीएफ एवं आरटीआई कानून के दायरे में आने वाले सूचीबद्ध संगठनों को छूट प्राप्त है, लेकिन यह उस वक्त लागू नहीं होता जब मांगी गई सूचना मानवाधिकार हनन एवं भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी हो.
ऐसे परिदृश्य में सूचना सार्वजनिक किया जाना इस बात पर निर्भर करता है कि आरटीआई कानून के तहत छूट का कोई प्रावधान लागू होने लायक है कि नहीं.
इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सीआरपीएफ ने आरटीआई कानून के तहत छूट के सभी संभव प्रावधानों का हवाला देना शुरू कर दिया. जबकि इससे पहले उसने अर्ज़ी खारिज करते वक्त कानून की धारा 8 के तहत छूट के किसी प्रावधान को लागू नहीं किया था.
सूचना आयुक्त यशोवर्धन आज़ाद ने कहा, ‘पक्षों को सुनने के बाद आयोग की राय है कि अपीलकर्ता ने प्रथमदृष्टया ऐसा मामला बनाया है जिसमें मांगी गई जानकारी देने की ज़रूरत है. इसे आरटीआई कानून की धारा 24 के पहले प्रावधान के दायरे में लाकर किया गया.’
उन्होंने कहा कि धारा 24 की भाषा ‘स्पष्ट’ है, क्योंकि ‘भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकार हनन के आरोपों’ की अभिव्यक्ति सूचना मांगने वालों पर इस बात की ज़िम्मेदारी नहीं डालती कि वे बगैर किसी संदेह के वास्तविक भ्रष्टाचार या मानवाधिकार हनन की घटनाएं साबित करें.
आजाद ने कहा कि ‘आरोप’ शब्द को कानून के अनुसार पढ़ा जाना चाहिए.
मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, गुजरात कैडर के 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी राय ने पिछले साल सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपकर विस्तार से बताया था कि किस तरह थल सेना, असम पुलिस, सीआरपीएफ, जंगल में अभियान चलाने वाली इसकी इकाई ‘कोबरा’ और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने चिरांग ज़िले के सिमलागुड़ी इलाके में 29-30 मार्च 2017 को एक मुठभेड़ को अंजाम दिया और दो ऐसे लोगों को मारा जो इन सुरक्षा बलों के मुताबिक प्रतिबंधित संगठन एनडीएफबी (एस) के उग्रवादी थे.
राय ने 13 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि घटना के बारे में सूचना और सुरक्षा बलों के संयुक्त दस्ते ने अभियान की मनगढ़ंत कहानी प्रस्तुत की ताकि हिरासत में रखे गए दो लोगों की पूर्व नियोजित हत्या को छुपाया जा सके और इसे किसी साहसिक कारनामे की पेशेवर उपलब्धि के तौर पर पेश किया जा सके.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राय की रिपोर्ट प्राप्त होने की बात मानी थी और कहा था कि इसका अध्ययन किया जा रहा है एवं रिपोर्ट में लिखी बातों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
गृह मंत्रालय के सलाहकार अशोक प्रसाद ने कहा था कि सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) को रिपोर्ट मिली थी और इसे मंत्रालय को भेजा जाएगा.
राय ने अप्रैल 2017 की यह रिपोर्ट असम के मुख्य सचिव, सुरक्षा बलों के एकीकृत कमान के अध्यक्ष, सीआरपीएफ मुख्यालय, असम में चौथी कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग और एसएसबी के महानिदेशक को भी भेजी थी.
असम: गोलाघाट में जहरीली शराब पीने से सात की मौत
गोलाघाट: गोलाघाट ज़िले में कथित रूप से ज़हरीली देसी शराब पीने से एक महिला सहित कम से कम सात लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने तीन जून को बताया कि यह घटना गोलाघाट ज़िले के धानसिरी उपसंभाग के बोरपाठर क्षेत्र में हुई.
पुलिस ने कहा कि कथित रूप से ज़हरीली शराब पीने से बीते 48 घंटों में सात लोगों की मौत हो चुकी है.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘कुछ और लोग भी बीमार हो गए हैं. हालांकि हमें सटीक जानकारी नहीं मिली है क्योंकि यह इलाका सुदूरवर्ती है.’ उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में अवैध शराब का भंडार करने पर दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस मामले की जांच जारी है.
त्रिपुरा: माकपा का दावा, खाने की तलाश में हर दिन बांग्लादेश जाते हैं आदिवासी
अगरतला: विपक्षी माकपा ने तीन जून को दावा किया कि त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोग नियमित तौर पर सीमा पार करके बांग्लादेश जाते हैं, वहां भोजन इकट्ठा करके फिर देश लौट आते हैं. पार्टी ने इन इलाकों को ‘विपदाग्रस्त’ घोषित करने की मांग की है.
माकपा के सांसद जितेन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने कई इलाकों का दौरा किया, ख़ासतौर पर धलाई ज़िला, जहां के मूल निवासी पहाड़ी इलाकों में रहते हैं. वह भारत-बांग्लादेश सीमा पार करके जंगलों में पैदा होने वाली चीज़ें इकट्ठी करते हैं. ऐसा वह अपनी आजीविका कमाने के लिए करते हैं. वह भुखमरी के कारण ऐसा कर रहे हैं. यह शर्मिंदगी की बात है.’
उन्होंने कहा, ‘हर दिन 300 से 400 लोग ऐसा करते हैं. वह, वन उत्पाद जैसे कि औषधियुक्त पौधे लेकर लौट आते हैं.’ उन्होंने कहा कि भाजपा-आईपीटीएफ सरकार इन इलाकों को ‘विपदाग्रस्त’ घोषित करे और उचित क़दम उठाए.
असम: गृहमंत्री ने कहा, जनता नागरिकता संशोधन विधेयक पर आशंकित न हों
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक पर उठे विवाद के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते 30 मई को कहा कि असम के लोगों को प्रस्तावित कानून के बारे में आशंकित होने की ज़रूरत नहीं है और कोई भी भावी क़दम सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही उठाया जाएगा.
गृहमंत्री ने एक बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से यह बात कही.
सोनोवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘गृहमंत्री ने कहा कि असम के लोगों के दिमाग में नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में कोई आशंका नहीं होनी चाहिए. गृहमंत्री ने आश्वासन दिया है कि कोई भी कदम उठाने से पहले असम की जनता को विश्वास में लिया जाएगा. सभी पक्षों से विचार-विमर्श किया जाएगा.’
नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को कानून बनाने के केंद्र के कदम के खिलाफ असम में प्रदर्शन हो रहा है. इस विधेयक में धार्मिक अत्याचार के कारण बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
विधेयक का विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि यह विधेयक पारित हो गया तो इससे असम में बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा.
सोनोवाल ने यह भी कहा कि इस संबंध में असम के लोगों की चिंताओं के समाधान की सभी कोशिश की जाएगी. उन्होंने गृहमंत्री से असम संधि के उपबंध छह के क्रियान्वयन के लिए सिफारिशें देने के लिए एक समिति गठित करने का अनुरोध किया.
यह संधि असमी लोगों की संस्कृति, सामाजिक, भाषाई पहचान एवं धरोहर की सुरक्षा, परिरक्षण और संवर्धन के लिए संवैधानिक, विधायी और प्रशासिनक सुरक्षा उपाय करने का प्रावधान करती है. गृहमंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार के साथ परामर्श कर यथाशीघ्र समिति बनाई जाएगी.
बैठक में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर भी चर्चा हुई.
असम गण परिषद बयान से पलटी, कहा- नागरिकता विधेयक का मुद्दा उठाया था
गुवाहाटी: असम गण परिषद (अगप) के मंत्रियों ने बीते दो जून को कहा कि उन्होंने विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 का विरोध असम मंत्रिमंडल की एक बैठक में किया था.
इससे पहले इस पार्टी के नेता ने दावा किया था कि यह मुद्दा राज्य मंत्रिमंडल के बैठक में नहीं उठाया गया था.
मंत्रिमंडल की बैठक बीते एक जून को हुई थी और इसके तत्काल बाद असम सरकार के प्रवक्ता और संसदीय समिति के मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने संवाददाताओं से कहा था कि असम गण परिषद ने इस विधेयक से संबंधित कोई मुद्दा नहीं उठाया था.
अगप के महासचिव रामेंद्र नारायण कालिता ने मीडिया को बताया था कि अगप के तीन मंत्रियों- अतुल बोरा, केशाब महंता और फानी भूषण चौधरी ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से मंत्रिमंडल की बैठक शुरू होने से पहले मुलाकात की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनसे आग्रह किया कि इस मुद्दे को वह तीन गठबंधन सहयोगी की समन्वय समिति की अगली बैठक में उठाएं.
दो जून को अगप अपने बयान से पलट गई. इस पार्टी के अध्यक्ष और राज्य कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा, ‘हमने इस मुद्दे को मज़बूती के साथ मंत्रिमंडल की बैठक में उठाया. हमने कहा है कि अगर यह विधेयक पारित होता है तो हम सरकार का हिस्सा नहीं रहेंगे.’
इस विधेयक पर अगप की चुप्पी की वजह से उसकी आलोचना हो रही थी जिसके बाद उसने तुरंत संवाददाता सम्मेलन बुलाया, जिसमें बोरा ने कहा, ‘हमने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इसे नहीं बताया था क्योंकि हम कैबिनेट बैठक की गोपनीयता बरक़रार रखना चाहते थे. लेकिन इससे लोगों में संशय की स्थिति पैदा हुई.’
केंद्र और उल्फा के शांति वार्ताकार लापता, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, असम, मेघालय से जवाब मांगा
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बीते एक जून को केंद्र के साथ ही असम और मेघालय की सरकारों से एक लापता व्यक्ति के बेटे की याचिका पर जवाब मांगा है. लापता व्यक्ति रेबाती फुकन भारत सरकार और अलगाववादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के बीच 1991 से ही शांति बरतने के लिए मध्यस्थता कर रहे थे.
मध्यस्थता करने वाले रेबाती फुकन के बेटे कौशिक फुकन ने दावा किया है कि उनके पिता 22 अप्रैल को लापता हो गए. उन्होंने एलएफए प्रमुख परेश बरूआ के बयान को उद्धृत किया कि वह खुफिया ब्यूरो (आईबी) या रिसर्च एवं एनालिसिस विंग (रॉ) की हिरासत में हो सकते हैं क्योंकि ‘उनके बीच प्रतिद्वंद्विता है.’
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमएम शांतानागौदर की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र, असम और मेघालय की सरकारों सहित विभिन्न पक्षों को नोटिस जारी किया.
फुकन की तरफ़ से पेश हुईं वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने दावा किया कि कुछ दिन पहले मेघालय में एक चिकित्सक ने कथित तौर पर उनका उपचार किया था.
लूथरा ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री ने फुकन को तलाश करने में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है लेकिन उन्हें पता नहीं है कि क्या वह हिरासत में हैं क्योंकि इसमें कई केंद्रीय एजेंसियां संलिप्त हैं.
उन्होंने कहा कि यह बेटे की तरफ़ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका है जो अपने लापता पिता को खोजने का निर्देश देने की मांग करता है.
पीठ ने लूथरा से कहा, ‘राहत के लिए आप (कौशिक फुकन) उच्च न्यायालय का दरवाज़ा क्यों नहीं खटखटाते. आप पूर्वोत्तर से दिल्ली क्यों आए हैं. वे भी वह काम कर सकते हैं जो हम कर सकते हैं.’
लूथरा ने कहा कि इसमें दो राज्य और कई केंद्रीय एजेंसियां संलिप्त हैं.
पीठ ने कहा कि चूंकि दो राज्य (असम और मेघालय) इसमें शामिल हैं इसलिए वह सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर रहा है.
केंद्र और उल्फा के बीच शांति वार्ता कराने के लिए रेबाती फुकन 1991 से ही मध्यस्थ का काम कर रहे थे.
उनके बेटे की तरफ से दायर याचिका में असम सरकार सहित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई कि फुकन को अदालत में पेश किया जाए.
उन्होंने अदालत से अपील की कि मामले को सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र या विशेष जांच दल को स्थानांतरित की जाए क्योंकि कथित सुस्त रवैये के कारण ‘स्थानीय पुलिस में विश्वास नहीं है.’
कौशिक ने याचिका में कहा कि प्राथमिकी दर्ज कराने के बावजूद उनके पिता का पता लगाने में पुलिस ने कोई सक्रिय क़दम नहीं उठाया.
याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता के पिता असम में शांति लाने के लिए 1991 से ही प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ विभिन्न शांति मिशन में सीधे तौर पर काम कर रहे थे.’
इसमें कहा गया है कि रेबाती फुकन ने भारत, म्यांमार, बांग्लादेश और चीन में विभिन्न मिशन में 2016 तक आईबी के साथ ‘मिलकर काम किया है.’
अरुणाचल प्रदेश: मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य में जल्द होगा स्थायी उच्च न्यायालय
ईटानगर: मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश में जल्द ही एक स्थायी उच्च न्यायालय होगा.
गुवाहाटी उच्च न्यायालय की एक स्थायी पीठ नाहरलागुन में स्थापित की गई थी और अगस्त, 2000 में उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायमूर्ति एएस आनंद ने इसका उद्घाटन किया था.
एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने लोअर दिबांग घाटी ज़िले के अपने दौरे के दूसरे दिन 29 मई एक जनसभा में घोषणा की कि अरुणाचल प्रदेश में जल्द ही एक स्थायी उच्च न्यायालय होगा.
पड़ोसी राज्य से असामाजिक तत्वों के आने पर रोक के लिए दामबुक इलाके में अर्द्धसैनिक बल की तैनाती की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्य पुलिस बटालियन की तैनाती के लिए राज्य के डीजीपी के साथ बातचीत करेंगे.
खांडू ने कहा कि राज्य सरकार प्रांत में कानून और व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए सभी संभावित उपाय कर रही है.
असम: बांग्लादेश 33 घुसपैठियों को वापस लेने पर हुआ राज़ी
गुवाहाटी: पहली बार बांग्लादेश सरकार अपने 33 नागरिकों को वापस लेने को राज़ी हुई है जिन्हें असम में विदेशी न्यायाधिरकण ने घुसपैठिया क़रार दिया था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बीते 30 मई को यह जानकारी दी.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विशेष शाखा) पल्लब भट्टाचार्य ने से कहा कि यहां बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त हाल ही में हिरासत केंद्र गए थे और उन्होंने वहां विदेशी क़रार दिए गये 33 लोगों को अपने देश का नागरिक पाया.
भट्टाचार्य के अनुसार, विभिन्न विदेशी न्यायाधिकरणों द्वारा बांग्लादेश के अवैध प्रवासी क़रार दिए जाने के बाद इन 33 लोगों को हिरासत रखा गया था.
उन्होंने अपने नागरिकों को बांग्लादेश द्वारा वापस लेने के फैसले की प्रशंसा की और कहा कि यह सद्भावना है क्योंकि दोनों पड़ोसी देशों के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है.
जब भट्टाचार्य से पूछा गया कि इन 33 विदेशियों को कब स्वदेश भेजा जाएगा तब उन्होंने कहा कि इसमें कुछ वक्त लगेगा क्योंकि उनकी वापसी के तौर तरीके विदेश मंत्रालय बांग्लादेश के अपने समकक्ष के साथ मिलकर तय करेगा.
उन्होंने कहा कि हिरासत केंद्र में रखे गए इन लोगों के पते बांग्लादेश सरकार को भेजे गए थे और सत्यापन के बाद यह स्पष्ट हुआ कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं.
उन्होंने कहा कि वैसे न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित करने का ज़रूरी नहीं यह तात्पर्य हो कि वह व्यक्ति बांग्लादेश का है क्योंकि पता उस देश द्वारा सत्यापित करना होता है.
भट्टाचार्य ने बताया कि 2013 में केंद्र ने असम सरकार को अवैध विदेशी को धकेलने नहीं बल्कि बांग्लादेश को प्रत्यर्पित करने का निर्देश दिया था.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश ने पिछले ही महीने हिरासत कैंप में अपने 152 नागरिकों की पहचान की थी और विदेश मंत्रालय को उन्हें जत्थे में वापस करने का प्रस्ताव दिया था.
विदेशियों के मुद्दे पर असम सरकार के श्वेतपत्र में कहा गया है, ‘भारत सरकार ने राज्य सरकार को विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3(2) (e), विदेशी आदेश, 1948 के अनुच्छेद 11 (2) के प्रावधानों के तहत हिरासत केंद्र बनाने के लिए अधिकृत किया था.’
सिक्किम: बाईचुंग भूटिया ने औपचारिक रूप से नई पार्टी शुरू की
गंगटोक: पूर्व फुटबाल खिलाड़ी बाईचुंग भूटिया ने बीते 31 मई को अपने पैतृक प्रदेश सिक्किम में नए राजनीतिक संगठन ‘हमरो सिक्किम’ पार्टी की शुरुआत की.
पार्टी की शुरुआत प्रदेश की राजधानी गंगटोक से 104 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पश्चिमी सिक्किम के दरमदीन में एक जनसभा में की गई. फुटबाल खिलाड़ी के साथ इस दौरान वरिष्ठ सहयोगी और पूर्व मंत्री आरबी सुब्बा भी मौजूद थे. भूटिया ने लोगों को संबोधित करते हुए पार्टी का झंडा फहराया.
त्रिपुरा: सीएम ने कहा, युवा फिटनेस चैलेंज स्वीकारते हैं तो राज्य का सीना 56 इंच हो जाएगा
अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने बीते दो जून को कहा कि यदि केंद्रीय मंत्री की फिटनेस चुनौती को राज्य के युवा स्वीकारते हैं तो वे लोग स्वस्थ बनेंगे और राज्य का स्वास्थ्य भी बेहतर हो जाएगा.
देब ने कहा, ‘सभी युवाओं को तंदरुस्त रहना चाहिए. यदि सभी युवक दंड लगाएंगे तो वे स्वस्थ बनेंगे और त्रिपुरा भी स्वस्थ बनेगा… त्रिपुरा का सीना अपने आप ही 56 इंच का हो जाएगा.’
उन्होंने कहा कि उन्होंने ख़ुद केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ की फिटनेस चुनौती स्वीकार की है.
उन्होंने कहा कि वह 20 बार दंड लगा सकते हैं और युवाओं को हर सुबह 20, 30, 40 दंड लगाना चाहिए तथा ऐसा कर उन्हें अच्छा महसूस होगा.
फ्रांस में ‘विज्ञान को बढ़ावा’ देने की एक पहल के लिए असम की लड़की दूत नियुक्त
नई दिल्ली: फ्रांस की प्रमुख कंपनी ‘साफरान’ के नेविगेशन सिस्टम प्रभाग में काम करने वाली असम की प्रियंका दास को फ्रांस में एक पहल का दूत नियुक्त किया गया है.
इसका उद्देश्य लड़कियों को वैज्ञानिक करिअर में आगे बढ़ने और उच्च शिक्षा के स्तर तक जाने के लिए प्रेरित करना है.
युवा लोगों विशेषकर लड़कियों के बीच वैज्ञानिक उद्यम को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक बनने की ओर उन्हें प्रेरित करने के लिए वर्ष 2014 में ‘फॉर गर्ल्स एंड साइंस’ पहल की शुरुआत फ्रांस के राष्ट्रीय शिक्षा मंत्रालय और लॉरियल फाउंडेशन ने की थी.
प्रियंका (26) ने बताया, ‘कार्यक्रम के तहत, हम मिडिल स्कूल और हाईस्कूल के विद्यार्थियों से मिलेंगे और बातचीत एवं प्रस्तुतियों के ज़रिये वैज्ञानिकों और विज्ञान क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे.’
यह ‘लॉरियल विमन इन साइंस’ कार्यक्रम से संबद्ध है जिसमें हर साल पांच महिला वैज्ञानिकों को यूनस्को के सहयोग से पुरस्कृत किया जाता है.
प्रियंका मूल रूप से असम की रहने वाली हैं. वह पीएचडी कर रही हैं और साफरान के ‘नेविगेशन सिस्टम’ प्रभाग में विशेषज्ञों के दल के साथ अनुसंधान एवं विकास में काम कर रही हैं.
नगालैंड: रक्षामंत्री ने सीमा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की
कोहिमा: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते 30 मई को नगालैंड के मोन ज़िले में भारत-म्यांमार सीमा के समीप असम राइफल्स की अग्रिम चौकियों पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की.
जनसंपर्क अधिकारी (रक्षा) की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार दो दिवसीय यात्रा पर 29 मई को नगालैंड पहुंचीं सीतारमण ने ज़मीनी स्तर पर कार्य करने वाले कमांडरों के साथ बातचीत की.
विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने अग्रिम चौकियों पर सीमा प्रबंधन कार्यों का भी मूल्यांकन किया. उनके साथ सेना के स्पीयर कोर के जनरल अफसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल गोपाल आर. भी थे.
स्पीयर कोर का मुख्यालय दीमापुर के रंगपहाड़ में है.
विज्ञप्ति के मुताबिक कमांडरों ने रक्षामंत्री को उन वर्तमान स्थितियों के बारे में बताया जिसके तहत सेना की इकाइयां अंतरराष्ट्रीय सीमा पर काम करती हैं.
अग्रिम चौकियों के समग्र मूल्यांकन के बाद रक्षामंत्री ने इकाइयों की उच्च स्तर के पेशेवर अंदाज़ और उनके समर्पण पर गहरा संतोष प्रकट किया. सीतारमण राज्य सरकार के अधिकारियों, अन्य सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधियों और स्थानीय समुदाय के नेताओं से भी मिलीं.
29 मई को रक्षामंत्री दीमापुर में स्पीयर कोर ज़ोन गई थीं जहां अधिकारियों ने उन्हें उग्रवाद निरोधक अभियानों के बारे में ब्रीफ किया था. हालांकि वह नगालैंड में अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों में मौसम खराब कारण नहीं जा पाई थीं.
मणिपुर: पहला खेल विश्वविद्यालय बनाने के अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंज़ूरी
नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मणिपुर में देश के पहले राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बनाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के अध्यादेश को बीते एक जून को मंज़ूरी दे दी.
आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया, ‘राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2018 को राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद लागू कर दिया गया है.’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 मई को इंफाल में पहले राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बनाने की मंज़ूरी दी थी.
विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2018 राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय विधेयक 2017 की तर्ज पर होगा जिसे 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था.
मेघालय: निर्दलीय विधायक बने पीडीपी के संबद्ध सदस्य
शिलॉन्ग: निर्दलीय विधायक एसके सुन ने बीते 29 मई को घोषणा की कि वह सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (एमडीए) के सहयोगी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के संबद्ध सदस्य होंगे.
सुन ने संवाददाताओं से कहा कि प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी के साथ संबद्ध होने के बाद उन्हें उम्मीद है कि वह राज्य के लिए योगदान करने में सक्षम होंगे.
यूडीपी के अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष डानकुपर रॉय के आवास में आयोजित एक छोटे से समारोह सुन का स्वागत किया.
सुन के यूडीपी में जुड़ने के साथ ही सत्तारूढ़ एमडीए की 60 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की संख्या 39 हो गई है.
एमडीए गठबंधन में नेशनल पीपुल्स पार्टी के 20 विधायक, यूडीपी के 7 विधायक, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के चार विधायक और भाजपा एवं हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के दो-दो विधायक हैं.
असम: यूपीआरएफ का सरगना गिरफ्तार
गुवाहाटी: उग्रवादी संगठन ‘युनाईटेड पीपल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट’ (यूपीआरएफ) के सरगना को असम के कार्बी आंगलोंग ज़िले के मंजा से बीते 29 मई को गिरफ्तार किया गया है.
रक्षा सूत्रों ने बताया कि खुफिया जानकारी के तहत कार्रवाई करते हुए रेड हॉर्न डिवीज़न की एक इकाई ने पुलिस के साथ मिलकर रविवार को मंजा में एक तलाशी अभियान शुरू किया था. इस दौरान यूपीआरएफ के सरगना को पकड़ा गया.
उन्होंने बताया कि उसके पास से एक 0.75 पिस्तौल, गोला-बारूद और यूपीआरएफ की एक मुहर भी बरामद की गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)