जम्मू कश्मीर के बारामूला में पत्रकार शुजात बुख़ारी के जनाज़े में हज़ारों लोग हुए शामिल. पुलिस ने बाइक सवार संदिग्धों की तस्वीरें जारी कीं.
नई दिल्ली/श्रीनगर: अज्ञात बंदूकधारियों के हमले में मारे जाने से महज कुछ घंटे पहले ‘राइज़िंग कश्मीर’ के संपादक शुजात बुख़ारी ने ट्विटर पर तब अपने काम का जबर्दस्त बचाव किया जब दिल्ली के कुछ पत्रकारों ने उन पर कश्मीर को लेकर ‘पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग’ करने आरोप लगाया. उन्होंने घाटी में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भी पोस्ट की थी.
गुरुवार को भी वह लगातार ट्वीट कर रहे थे. एक ट्वीट में लिखा था, ‘कश्मीर पर पहली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट मानवाधिकार उल्लंघन की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग करती है.’
बुख़ारी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा था, ‘कश्मीर में हमने पत्रकारिता गर्व के साथ की है और जमीन पर जो कुछ होगा, हम उसे प्रमुखता से उठाते रहेंगे.’
वहीं, शुक्रवार को जम्मू कश्मीर के बारामूला में पत्रकार शुजात बुख़ारी के जनाजे में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. शुजात बुख़ारी ‘राइज़िंग कश्मीर’ के संपादक बनने से पहले कश्मीर में ‘द हिंदू’ अखबार के संवाददाता थे. साल 2006 में भी उन पर हमला हुआ था, जिसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा दी गई थी.
शुजात बुख़ारी को उनके पैतृक गांव में दफनाया गया
क्रीरी/जम्मू कश्मीर: अंग्रेज़ी दैनिक ‘राइज़िंग कश्मीर’ के प्रधान संपादक शुजात बुख़ारी को बारामुला ज़िले के उनके पैतृक गांव क्रीरी में शुक्रवार को सुपुर्द-ए-ख़ाक़ किया गया. उनके जनाज़े में हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया. अख़बार के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने बीते 14 जून को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
बुख़ारी के जनाज़े में शामिल होने उनके पैतृक गांव आने वालों में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी तथा भाजपा के मंत्री भी शामिल थे.
जनाज़े में शिरकत कर रहे लोगों ने बताया कि गांव में इससे पहले कभी किसी ने ऐसा जनाज़ा नहीं देखा जिसमें इतनी तादाद में लोग शामिल हुए हों.
भारी बारिश के बावजूद बारामूला ज़िले के इस गांव में हज़ारों लोग नम आंखों से बुख़ारी के जनाज़े के साथ-साथ चल रहे थे. बड़ी संख्या में यहां लोगों के पहुंचने से यातायात जाम हो गया था.
बुखारी और उनके दो अंगरक्षकों की गुरुवार शाम इफ़्तार से थोड़ा पहले श्रीनगर के लाल चौक के निकट प्रेस एनक्लेव में राइज़िंग कश्मीर के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी.
बुखारी घाटी में शांति के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे. वह पाकिस्तान के साथ ट्रैक-2 प्रक्रिया का हिस्सा भी थे.
उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं.
Jammu & Kashmir: Last rites ceremony of Rising Kashmir editor #ShujaatBhukhari, in Baramulla. He was shot dead by terrorists in Srinagar last night. pic.twitter.com/UldKVovVIs
— ANI (@ANI) June 15, 2018
पुलिस ने संदिग्ध हमलावरों की तस्वीर जारी की
जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस मामले में संदिग्ध हमलावरों की तस्वीरें जारी कर आम लोगों से मदद मांगी है.
पुलिस ने एक वीडियो से ली गई तस्वीर जारी की, जिसे बुखारी पर उनके कार्यालय के बाहर हुए हमले के बाद वहां से गुज़र रहे एक व्यक्ति ने कथित रूप से रिकॉर्ड किया था. इस वीडियो में दाढ़ी वाला एक शख़्स पत्रकार के वाहन के भीतर मुआयना करता हुआ नज़र आ रहा है.
पुलिस ने गुरुवार देर रात मोटरसाइकिल सवार तीन संदिग्धों की दो तस्वीरें जारी की थीं जिसे सीसीटीवी फुटेज से लिया गया था. हालांकि उनके चेहरे दिखाई नहीं दे रहे थे.
मोटरसाइकिल चला रहा व्यक्ति हेलमेट पहने हुए था और उसके पीछे बैठे एक व्यक्ति ने अपनी पहचान छुपाने के लिए नकाब लगाया हुआ था. मोटरसाइकिल पर बीच में बैठा तीसरा हमलावर दूसरी ओर झुका हुआ था ताकि सीसीटीवी में उसकी तस्वीर क़ैद नहीं हो सके.
पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा,‘श्रीनगर प्रेस एनक्लेव में (शुक्रवार के) हमले के सिलसिले में पुलिस आम जनता से संदिग्धों की पहचान किए जाने का अनुरोध करती है.’
प्रवक्ता ने लोगों से हमलावरों के बारे में किसी भी सूचना को स्थानीय पुलिस को दिए जाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि संदिग्धों के बारे में कोई भी सुराग या सूचना उपलब्ध कराने वाले व्यक्ति की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
‘राइज़िंग कश्मीर’ का अंक बाज़ार में आया, अख़बार ने लिखा- आवाज़ दबाई नहीं जा सकती
जिस समय पत्रकार को सुपुर्द-ए-ख़ाक़ करने की तैयारी चल रही थी उसी समय ‘राइज़िंग कश्मीर’ के पाठक काले रंग की पृष्ठभूमि में शुजात की तस्वीर के साथ ‘राइजिंग कश्मीर’ का अंक पढ़ रहे थे.
राइज़िंग कश्मीर का दैनिक संस्करण 15 जून का अंक शुक्रवार को बाज़ार में आया जिसमें पहले पूरे पन्ने पर काले रंग की पृष्ठभूमि में दिवंगत प्रधान संपादक शुजात बुखारी की तस्वीर है.
इस पन्ने पर एक संदेश लिखा है, ‘अख़बार की आवाज़ दबाई नहीं जा सकती.’
इसमें लिखा है, ‘आप अचानक चले गए लेकिन अपने पेशेवर दृढ़ निश्चय और अनुकरणीय साहस के साथ आप हमारे लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे. आपको हमसे छीनने वाले कायर हमारी आवाज़ दबा नहीं सकते. सच चाहे कितना भी कड़वा क्यों न हो लेकिन सच को बयां करने के आपके सिद्धांत का हम पालन करते रहेंगे. आपकी आत्मा को शांति मिले.’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बुखारी की हत्या के बावजूद दैनिक को प्रकाशित करना उनके प्रति सबसे उचित श्रद्धांजलि है क्योंकि दिवंगत पत्रकार भी यही चाहते.
उमर ने अखबार के पहले पन्ने की तस्वीर को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘काम जारी रहना चाहिए, शुजात भी यही चाहते होते. यह आज का राइज़िंग कश्मीर का अंक है. इस बेहद दुख की घड़ी में भी शुजात के सहयोगियों ने अख़बार निकाला जो उनके पेशवराना अंदाज़ का साक्षी है और दिवंगत बॉस को श्रद्धांजलि देने का सबसे सही तरीका है.’
The show must go on. As Shujaat would have wanted it to. This is today’s @RisingKashmir issue. That Shujaat’s colleagues were able to bring out the paper in the face of insurmountable grief is a testament to their professionalism & the most fitting tribute to their late boss. pic.twitter.com/ADP70D4F1q
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) June 14, 2018
बुखारी की हत्या की जम्मू कश्मीर समेत पूरे भारत में निंदा हो रही है.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने घटना के प्रति हैरानी और दुख जताया. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार बुखारी की हत्या मीडिया जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है.
एक संदेश में वोहरा ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए और उनके परिवार को इस अपूर्णीय क्षति को सहने की ताकत देने की प्रार्थना की.
उन्होंने बुखारी के भाई और कैबिनेट मंत्री बशरत अहमद बुख़ारी से बात की और संवदेनाएं व्यक्त कीं.
हिंसा में चार पत्रकारों की जा चुकी है जान
आतंकवादी कश्मीर के तीन दशक के हिंसा के इतिहास में बुख़ारी समेत चार पत्रकारों की जान ले चुके हैं. 1991 में ‘अलसफा’ के संपादक मोहम्मद शाबान वकील की हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने हत्या कर दी थी.
बीबीसी के पूर्व पत्रकार युसूफ जमील 1995 में तब घायल हो गए थे जब उनके दफ्तर में एक बम विस्फोट हुआ था लेकिन उस घटना में एएनआई के कैमरामैन मुश्ताक अली की मौत हो गई थी.
इसके बाद, 31 जनवरी 2003 को नाफा के संपादक परवाज मोहम्मद सुल्तान की उनके प्रेस एनक्लेव स्थित कार्यालय में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
शुजात बुखारी की हत्या से जम्मू कश्मीर में एक अध्याय बंद हो गया: एन. राम
द हिंदू समाचार पत्र समूह के अध्यक्ष एन. राम ने कहा कि शुजात बुख़ारी की हत्या के साथ ही जम्मू कश्मीर में एक अध्याय ख़त्म हो गया है.
राम ने बुख़ारी को याद करते हुए उन्हें ऐसा साहसी पत्रकार बताया जो जम्मू कश्मीर में ख़तरों और बाधाओं से निपटने के तरीके जानते थे. बुख़ारी ने 1997 से 2012 के बीच हिंदू अख़बार के लिए भी काम किया था.
एन. राम ने एनडीटीवी से कहा, ‘वह सरकार के आदमी नहीं थे. वह किसी प्रतिष्ठान के आदमी नहीं थे. न ही चरमपंथी तत्वों के साथ उनकी सहानुभूति थी.’
उन्होंने कहा कि यह घटना चौंकाने वाली है क्योंकि ऐसा माना जाता था कि जम्मू कश्मीर में पत्रकारों की हत्या नहीं होगी.
राम ने कहा कि उन्हें उनके उदार विचारों और न्याय के लिए उनके प्रयासों को लेकर निशाना बनाया गया.
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) ने भी शुजात बुख़ारी की हत्या की निंदा की. आईपीआई ‘हेड ऑफ एडवोकेसी’ रवि आर. प्रसाद ने कहा कि साहसी पत्रकार बुखारी की हत्या आलोचना सहन नहीं करने वाले समाज के तत्वों की एक कायराना हरकत है.
गौरतलब है कि वियना आधारित आईपीआई संपादकों और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले प्रमुख पत्रकारों का एक वैश्विक नेटवर्क है.
दक्षिण एशिया के विदेशी पत्रकारों के क्लब एफसीसी (फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट्स क्लब) ने घटना की निंदा करते हुए इस कायरतापूर्ण अपराध की तुरंत जांच की मांग की.
एक बयान में कहा गया है, ‘द फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया, नई दिल्ली वरिष्ठ कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी की नृशंस हत्या की निंदा करता है. हम इस कायरतापूर्ण अपराध की तुरंत जांच की मांग करते है और अधिकारियों से अपील करते हैं कि दोषी को ढूंढकर उसे सज़ा दें.’
एफसीसी दक्षिण एशिया कवर करने वाले 500 से अधिक पत्रकारों और फोटोग्राफरों का समूह है जिनमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका शामिल हैं.
पत्रकार संगठनों ने हत्या की भर्त्सना की
प्रेस क्लब आफ इंडिया, इंडियन वूमेन प्रेस कोर, प्रेस एसोसिएशन एवं फेडरेशन आॅफ प्रेस क्लब आॅफ इंडिया सहित विभिन्न मीडिया संगठनों ने कश्मीर में वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुख़ारी की हत्या पर स्तब्धता जताई है तथा इस हमले की कड़ी भर्त्सना की है.
प्रेस क्लब आफ इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘प्रेस क्लब आफ इंडिया इस निर्मम आतंकी हमले से स्तब्ध एवं दुखी है जिसमें रमजान के पवित्र महीने में शुजात बुख़ारी की जान चली गई.’
बयान में कहा गया, ‘शुजात बुख़ारी की जान लेने वाला आतंकी हमला दिखाता है कि पत्रकारों का जीवन बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. कश्मीर घाटी में शांति कायम करने के विरोध में रही ताकतों ने युक्ति, न्याय एवं शांति की बात करने वाली एक आवाज को मौन कर दिया.’
इंडियन वूमेन प्रेस कोर, प्रेस एसोसिएशन तथा फेडरेशन आॅफ प्रेस क्लब आफ इंडिया ने एक साझा बयान में मांग की कि जम्मू कश्मीर सरकार को हत्या के लिए जिम्मेदार इन ‘क्रूर ताकतों’ को दंडित किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि उनकी हत्या को घाटी में मीडिया एवं प्रेस की आजादी को कुचलने के एक अन्य प्रयास के रूप में ही देखा जा सकता है. साझा बयान में कहा गया, ‘हम बुख़ारी के परिजनों एवं मित्रों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.’
नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट (इंडिया) ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पत्रकारों की सुरक्षा एक चिंता का विषय है तथा यह घटना राष्ट्र विरोधी एवं जन विरोधी गतिविधियों के निर्भीक कवरेज को बाधित करने का प्रयास है.
संस्था ने कहा, ‘एनयूजे (आई) इस बर्बरतापूर्ण कृत्य की कठोर निंदा करता है और मांग करता है कि दोषियों को यथाशीघ्र पकड़ा जाए. हम राज्य में विभिन्न कार्यक्रमों को कवर करने वाले मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के बारे में विचार करने की भी मांग करते हैं.’
शुजात बुख़ारी की हत्या पर रो पड़ीं महबूबा मुफ़्ती
राइज़िंग कश्मीर के संपादक शुजात बुख़ारी की हत्या की निंदा करते जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती रो पड़ीं. टीवी चैनलों पर प्रसारित फुटेज में महबूबा वरिष्ठ पत्रकार के साथ कुछ दिन पहले हुई अपनी मुलाकात को याद करते हुए रो पड़ीं.
अपने आंसुओं को थामने की कोशिश करतीं भावुक महबूबा ने कहा, ‘मैं क्या कह सकती हूं. कुछ दिन पहले ही वह मुझसे मिलने आए थे.’ महबूबा ने ट्वीट किया, ‘शुजात बुख़ारी के अचानक चले जाने से स्तब्ध और दुखी हूं. आतंकवाद की बुराई ने ईद की पूर्व संध्या पर अपना घिनौना चेहरा दिखाया है.’
Shocked & deeply saddened by the sudden demise of Shujaat Bukhari. The scourge of terror has reared its ugly head on the eve of Eid. I strongly condemn this act of mindless violence & pray for his soul to rest in peace. My deepest condolences to his family.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 14, 2018
उन्होंने कहा, ‘मैं बर्बर हिंसा के कृत्य की कड़ी निंदा करती हूं और प्रार्थना करती हूं कि ईश्वर उनकी (बुख़ारी) आत्मा को शांति प्रदान करें. उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. शुजात की हत्या से आतंकवाद का घिनौना चेहरा दिखा है. वह भी ईद की पूर्व संध्या पर. शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों को कमतर करने के प्रयास करने वाली शक्तियों के खिलाफ हमें एकजुट होना चाहिए. न्याय होगा.’
उन्होंने कहा कि मीडिया के पैर जमाने में बुख़ारी ने जो भूमिका निभाई और जो योगदान दिया वह राज्य के पत्रकारिता के इतिहास का हिस्सा बन गया है.
महबूबा ने कहा , ‘आप उन्हें हमेशा ऐसे मुद्दे उठाते देखते थे जो आम लोगों से जुड़े थे. वह अपने स्तंभों और विविध चर्चाओं के जरिए लोगों से जुड़े मुद्दों के लिए लड़ते थे लेकिन दुख की बात है कि जनता की इस आवाज को बर्बरता से चुप करा दिया गया.’
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी बुख़ारी की हत्या पर दुख जताया. उमर ने ट्वीट किया, ‘मैं पूरी तरह स्तब्ध हूं. दुख को शब्दों में बयां नहीं कर सकता. शुजात को जन्नत में जगह मिले और उनके प्रियजनों को इस कठिन समय को सहने की शक्ति मिले.’
The killing of @RisingKashmir editor, Shujaat Bukhari is an act of cowardice. It is an attempt to silence the saner voices of Kashmir. He was a courageous and fearless journalist. Extremely shocked & pained at his death. My thoughts and prayers are with his bereaved family.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 14, 2018
राजनीतिज्ञों ने शोक जताया
केंद्रीय मंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं, मीडिया संस्थानों आदि ने वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुख़ारी की हत्या पर शोक जताया है.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा, ‘राइज़िंग कश्मीर के संपादक शुजात बुख़ारी की हत्या कायराना हरकत है. यह कश्मीर की विचारशील आवाज को दबाने की कोशिश है. वह साहसी एवं निर्भीक पत्रकार थे. उनकी मौत से बहुत स्तब्ध और दुखी हूं. मेरी संवेदना शोक संतप्त परिवार के साथ हैं.’
I’m anguished to hear about the killing of Shujaat Bukhari, editor of @RisingKashmir. He was a brave heart who fought fearlessly for justice and peace in Jammu & Kashmir. My condolences to his family. He will be missed.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 14, 2018
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘वह बहुत बहादुर थे जिन्होंने जम्मू कश्मीर में न्याय और शांति के लिए निडरता से संघर्ष किया. मेरी संवेदना उनके परिवार के प्रति है. वह बहुत याद आयेंगे.’
सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने ट्वीट किया, ‘शुजात बुख़ारी की हत्या प्रेस की आजादी पर बर्बर हमला है. यह कायराना और निंदनीय आतंकी कृत्य है. हमारा निर्भीक मीडिया हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और हम मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षित एवं अनुकूल कामकाजी माहौल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने घटना के प्रति हैरानी और दुख जताया. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार बुख़ारी की हत्या मीडिया जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है. एक संदेश में वोहरा ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए और उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की ताकत देने की प्रार्थना की. उन्होंने बुख़ारी के भाई और कैबिनेट मंत्री अशरत अहमद बुख़ारी से बात की और संवदेनाएं व्यक्त कीं.
एमनेस्टी इंडिया ने एक संदेश में कहा, ‘हम राइज़िंग कश्मीर के संपादक शुजात बुख़ारी की हत्या की खबर से बहुत निराश हैं. वह बहादुर और जम्मू कश्मीर में इंसाफ एवं समानता के लिए मुखर आवाज थे.’
माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने कहा कि यह शांति के दूत को खामोश करने का हिंसक लोगों का ‘बर्बर’ प्रयास है. यह प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है और इसकी कड़े शब्दों में निंदा किए जाने की जरूरत है.
केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि वह वरिष्ठ पत्रकार की हत्या के बारे में जानकर बहुत दुखी हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने भी वरिष्ठ पत्रकार की हत्या को आतंकवादियों का एक कायराना कृत्य क़रार दिया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘राइज़िंग कश्मीर के एडिटर-इन-चीफ की श्रीनगर में हत्या की खबर सुनकर स्तब्ध हूं. आतंकवादियों का यह कृत्य निंदनीय और कायराना है.’
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, ‘उन्होंने (बुख़ारी) 2014 की बाढ़ के दौरान काफी अच्छा कार्य किया. वह एक अच्छे व्यक्ति थे. उनकी मृत्यु से हमने एक अच्छा पत्रकार और समाजसेवक खो दिया है.’
अलगाववादियों ने भी निंदा की
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ और मोहम्मद यासीन मलिक ने भी शुजात बुख़ारी की हत्या की निंदा की है. राइज़िंग कश्मीर की रिपोर्ट के अनुसार, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (जी) के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने एक बयान जारी कर हत्या की निंदा की है.
उन्होंने कहा, ‘विचारों में मतभेद होने का ये मतलब नहीं है कि किसी की हत्या कर दी जाए.’ उन्होंने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है.
हुर्रियत कान्फ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने भी बुखारी की हत्या की निंदा करते हुए इसे अक्षम्य अपराध बताया.
मीरवाइज़ ने ट्वीट किया, ‘शुजात बुख़ारी की हत्या की दुखद सूचना से शोकाकुल और स्तब्ध हूं. ऐसी अमानवीयता अक्षम्य और कठोरतम शब्दों में निंदनीय है. वह एक बुद्धिजीवी और साहसी पत्रकार के साथ-साथ वह निस्वार्थ भाव से अपने लोगों के लिए काम करने वाले व्यक्ति थे. धरती के बहादुर सपूत, उनका जाना बहुत बड़ी क्षति है.’
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने कहा इस हत्याकांड की निंदा की है. यासीन ने कहा, ‘कश्मीर में आज एक संतुलित आवाज़ को खो दिया. हम सभी के लिए यह समय शोक मनाने का है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)