लोकपाल की नियुक्ति अभी संभव नहीं: केंद्र सरकार

लोकपाल बिल पारित होने के बाद भी लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी से संबंधित एक याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने साफ कह दिया कि इस सत्र में नियुक्ति संभव नहीं है.

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New Delhi: Parliament during the first day of budget session in New Delhi on Tuesday. PTI Photo by Kamal Kishore (PTI2_23_2016_000104A)

लोकपाल बिल पारित होने के बाद भी लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी से संबंधित एक याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने साफ कह दिया कि इस सत्र में नियुक्ति संभव नहीं है.

New Delhi: Parliament during the first day of budget session in New Delhi on Tuesday. PTI Photo by Kamal Kishore (PTI2_23_2016_000104A)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

लोकपाल विधेयक पारित होने के बाद भी लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी से संबंधित एक याचिका का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संसद के इस सत्र में लोकपाल की नियुक्ति नहीं की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष का नेता न होने के कारण यह संभव नहीं है क्योंकि लोकपाल की पांच सदस्यीय समिति में विपक्ष का नेता भी शामिल होता है.

बता दें कि लोकपाल विधेयक में तकरीबन 20 संशोधन होने बाकी हैं जो कि संसद में लंबित हैं. विधेयक में 2014 में संशोधन प्रस्ताव लाया गया था और विधेयक को साल 2013 में मंजूरी मिली थी. लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट 2013 के मुताबिक, समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, भारत के प्रधान न्यायाधीश या नामित सुप्रीम कोर्ट के जज और एक नामचीन हस्ती के होने का प्रावधान है.

न्यूज़ 18 की ख़बर के मुताबिक, केंद्र सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति के मामले में कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे की नेता विपक्ष की मांग को स्पीकर ने ख़ारिज कर दिया था. ऐसा पहली बार हुआ है जब संसद में नेता विपक्ष नहीं है. ऐसे हालात में लोकपाल की नियुक्ति संभव नहीं है.

रोहतगी ने कहा कि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के महज 10 फीसदी सांसद लोकसभा में हैं. जिसका असर भी लोकपाल बिल में हुए संशोधन को पास कराने में पड़ेगा.

कॉमन कॉज नाम के गैर सरकारी संगठन की ओर से दाखिल पीआईएल पर सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई चल रही है. याचिकाकर्ताओं की ओर के वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिभूषण ने कहा कि अदालत को इस मामले में दखल देकर सबसे बड़े विपक्षी दल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे देना चाहिए.

एबीपी न्यूज़ की खबर के अनुसार, वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिभूषण ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी है कि तीन साल पहले लोकसभा में लोकपाल बिल पारित हुआ था जिसे राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी है. उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया है कि नेता विपक्ष न होने के कारण केंद्र सरकार जानबूझकर लोकपाल की नियुक्त में देरी कर रही है.

वहीं, रोहतगी ने कहा कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को जगह देने के लिए लोकपाल कानून में संशोधन करना होगा. सरकार लोकपाल की नियुक्ति को लेकर गंभीर है.

टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने केंद्र पर लोकपाल बिल में होने वाले संशोधन में देरी करने का आरोप लगाया है. इस पर रोहतगी ने तर्क दिया कि अदालत संसद को यह निर्देश नहीं दे सकती कि वह कब कोई कानून पास करेगा. रोहतगी ने कहा लोकपाल विधेयक में संशोधन मानसून सत्र में ही किए जा सकेंगे.

रोहतगी ने आगे कहा कि संशोधन करने में समय लगता है. यह बजट सत्र है और इसमें सिर्फ बजट को लेकर चर्चा होनी चाहिए. इस सत्र में नहीं पर अगले सत्र में केंद्र सरकार ज़रूर लोकपाल के नियुक्ति पर चर्चा कर सकती है. मामले की सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी गई है.