संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल विश्वभर में आठ हज़ार से ज़्यादा बच्चों की लड़ाकुओं के तौर पर भर्ती की गई या उनका इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा विश्व में हुए संघर्षों के दौरान 10 हज़ार बच्चे मारे गए या फिर विकलांगता के शिकार हुए.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में गुरुवार को सामने आया कि पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन- जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने पिछले साल जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान बच्चों की भर्ती की और उनका इस्तेमाल किया. इनमें मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं.
‘चिल्ड्रेन एंड आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट’ पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले साल विश्वभर में हुए संघर्षों में 10,000 से ज़्यादा बच्चे मारे गए या विकलांगता का शिकार हुए जबकि आठ हज़ार से ज़्यादा की लड़ाकुओं के तौर पर भर्ती की गई या उनका इस्तेमाल किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘जनवरी में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने एक वीडियो जारी किया जिसमें लड़कियों सहित बच्चों को सिखाया जा रहा है कि आत्मघाती हमले किस तरह किए जाते हैं.’
इस रिपोर्ट में जनवरी 2017 से दिसंबर 2017 की अवधि शामिल की गई है. साथ ही इसमें युद्ध से प्रभावित सीरिया, अफगानिस्तान और यमन के साथ-साथ भारत, फिलिपींस और नाइजीरिया की स्थितियों समेत 20 देशों को शामिल किया गया.
भारत की स्थिति के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में बढ़े तनाव के दौरान और छत्तीसगढ़, झारखंड में सशस्त्र संगठनों और सरकारी बलों के बीच होने वाली हिंसक घटनाओं में बच्चों का प्रभावित होना नहीं रुक रहा है.
इन्हें बाल अधिकारों का घोर उल्लंघन बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान दो आतंकवादी संगठनों द्वारा बच्चों की भर्ती और उनके इस्तेमाल की तीन घटनाएं सामने आईं.
रिपोर्ट में बताया गया, इनमें से एक मामला जैश-ए-मोहम्मद और दो मामले हिजबुल मुजाहिद्दीन के हैं.
साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि असत्यापित रिपोर्टों में सुरक्षा बलों द्वारा भी बच्चों को मुखबिर या जासूसों के तौर पर इस्तेमाल करने के संकेत मिलते हैं.
गुतारेस ने कहा कि वह सशस्त्र समूहों द्वारा स्कूलों पर लगातार हमले किए जाने, ख़ासकर लड़कियों की शिक्षा को निशाना बनाए जाने से चिंतित हैं. उन्होंने पाकिस्तान सरकार से कहा कि वह भविष्य में स्कूलों पर हमले रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की प्राथमिकता तय करे.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आम नागरिकों के मारे जाने के संबंध में आयु संबंधी डेटा सीमित है, लेकिन सशस्त्र समूहों के हमलों में बच्चों के मारे जाने और घायल होने की खबरें लगातार मिलती रहीं हैं.
इसमें सिंध प्रांत के सेहवान में हुए आत्मघाती हमले का जिक्र किया गया जिसमें 20 बच्चों सहित कम से कम 75 लोग मारे गए थे.
रिपोर्ट में कहा गया कि शिक्षा प्रतिष्ठानों और छात्रों पर आठ हमलों की खबर मिली. चार हमले लड़कियों की शिक्षा को निशाना बनाकर किए गए.
मार्च में अज्ञात लोगों ने गिलगित-बाल्टिस्तान की गिजेर घाटी में ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल में तोड़फोड़ की और धमकी दी कि यदि महिला शिक्षकों ने अपने बदन को ढककर नहीं रखा तो स्कूल को बम से उड़ा दिया जाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया कि इसी महीने बलूचिस्तान के किला अब्दुल्ला में स्थित लड़कियों के एक स्कूल को विस्फोटक से उड़ा दिया गया.
तालिबान आतंकियों ने दिसंबर 2014 में सेना संचालित पेशावर स्थित एक पब्लिक स्कूल पर हमला कर कम से कम 150 लोगों को मार डाला था जिनमें अधिकतर बच्चे थे.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि नक्सलियों द्वारा खासकर छत्तीसगढ़ और झारखंड में बच्चों की भर्ती और उनके इस्तेमाल के बारे में उसे लगातार ख़बर मिल रही है.
उसने कहा, ‘खबरों के मुताबिक झारखंड में नक्सलियों द्वारा बच्चों की जबरन भर्ती के लिए लॉटरी प्रक्रिया अपनाने का काम जारी है.’
साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सशस्त्र समूहों के ख़िलाफ़ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बच्चों की मौत की घटनाएं रुक नहीं रही हैं.
गुतारेस ने बच्चों को भर्ती करने वालों को पकड़ने के लिए भारत की सरकार से कदम उठाने को कहा. रिपोर्ट में कहा गया, जम्मू कश्मीर में तनाव बढ़ने के दौरान स्कूलों को कुछ-कुछ समय के लिए बंद रखा जाता है.
दुनिया भर के संघर्षों में 10,000 बच्चे मारे गए या घायल हुए
संयुक्त राष्ट्र इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पिछले साल दुनिया भर में हुए सशस्त्र संघर्षों में 10,000 से ज़्यादा बच्चे मारे गए या विकलांगता का शिकार हुए. इसके साथ ही कई अन्य बच्चे बलात्कार के शिकार हुए, सशस्त्र सैनिक बनने पर मजबूर किए गए या स्कूल तथा अस्पताल में हुए हमलों की चपेट में आए.
रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में बाल अधिकारों के हनन के कुल 21,000 से ज़्यादा मामले सामने आए जो उससे पिछले साल (2016) की तुलना में बहुत ज़्यादा थे.
यमन में बच्चों के मारे जाने या घायल होने की घटनाओं के लिए संयुक्त ने वहां लड़ रहे अमेरिकी समर्थन प्राप्त सैन्य गठबंधन को दोषी ठहराया. ये बच्चे उन हवाई और ज़मीनी हमलों के शिकार हुए जो यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार के ख़िलाफ़ लड़ रहे विद्रोहियों पर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा किए गए. यहां संघर्ष में 1300 बच्चों की जान गई या वे घायल हुए.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि रिपोर्ट में जिन बच्चों के हताहत होने की बात कही गई है वे यमन या दूसरे देशों के गृहयुद्ध में बाल सैनिक के तौर पर लड़ने वाले 11 साल तक की उम्र के बच्चे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक बाल अधिकारों के हनन के ज़्यादातर मामले इराक, म्यांमार, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन के हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)