कांग्रेस के वंदे मातरम के टुकड़े करने के चलते हुआ देश का विभाजन: अमित शाह

कोलकाता में हुए एक कार्यक्रम में बोलते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वंदे मातरम को धार्मिक रंग दिया. उसने अगर ऐसा नहीं किया होता, तो देश नहीं बंटता.

कोलकाता में हुए एक कार्यक्रम में बोलते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वंदे मातरम को धार्मिक रंग दिया. उसने अगर ऐसा नहीं किया होता, तो देश नहीं बंटता.

Amit Shah Kolkata Twitter
बुधवार को कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन के कार्यक्रम में बोलते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (फोटो साभार: ट्विटर/@AmitShah)

कोलकाता: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अगर कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वंदे मातरम के टुकड़े नहीं किए होते, तो देश का विभाजन नहीं होता.

पश्चिम बंगाल के दौरे पर अमित शाह कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित पहले बंकिम चंद्र चटोपाध्याय मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी राष्ट्रीय गीत का सम्मान नहीं किया और उसने जानबूझकर बंकिम चंद्र के विचार को नजरअंदाज किया.

उन्होंने कहा, ‘भारत किसी भू-भाग विशेष से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह अलग-अलग संस्कृति से जुड़ा है. भारत के राष्ट्रवाद की परिभाषा इतनी छोटी नहीं हो सकती है. वंदे मातरम को किसी भी रूप में धर्म विशेष से नहीं जोड़ा जा सकता है. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा किया है, उसने गीत के हिस्से को प्रतिबंधित करके इसे धर्म विशेष से जोड़ा.’

यह भी पढ़ें: वंदेमातरम् राष्ट्रगीत है, राष्ट्रीयता की कसौटी नहीं

शाह ने कहा कि इतिहासकार कभी खिलाफत आंदोलन को, तो कभी अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति को और कभी-कभी मुस्लिम लीग के द्विराष्ट्र का सिद्धांत को जिम्मेदार ठहराते हैं. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के तुष्टीकरण की नीति के आगे झुकते हुए वंदे मातरम के केवल दो स्टैंजा लेने का निर्णय भारत के विभाजन का कारण बना.

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘कांग्रेस ने इसे धार्मिक रंग देने की गलती दोहराई है. स्वतंत्रता से पहले जब कांग्रेस ने प्रांतीय सरकारें बनाई थी, तब उसने वंदेमातरम को राष्ट्रगीत बनाया था लेकिन एक समुदाय के तुष्टिकरण के लिए केवल पहले दो अंतरे ही गाए जाते थे.

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने यह गलती नहीं की होती, तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

यह भी पढ़ें: क्या ‘वंदे मातरम्’ गीत राष्ट्रवाद की भेंट चढ़ गया?