निजता के ख़तरे में पड़ने की आशंका से एड्स और एचआईवी प्रभावित लोग इलाज के लिए अस्पताल आने से बच रहे हैं.
एड्स और एचआईवी प्रभावित लोगों को डर है कि नि:शुल्क दवा और मेडिकल चेकअप कराने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने से उनकी पहचान सार्वजनिक हो जाएगी और समाज में उनका रहना मुश्किल हो जाएगा.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, इस साल फरवरी से मध्य प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने एड्स और एचआईवी प्रभावित लोगों के नि:शुल्क इलाज और मेडिकल चेकअप के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है.
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी) सेंटरों को एक पत्र लिखकर एड्स और एचआईवी प्रभावित लोगों के इलाज को आधार कार्ड से जोड़ने का कहा है ताकि उनकी बेहतर जांच हो सके.
सूत्रों ने बताया कि यह नियम बनने के बाद से एड्स और एचआईवी प्रभावित लोग एआरटी सेंटर और जिला अस्पतालों में आने से बच रहे हैं.