भारतीयों की स्विस बैंकों में जमा रकम में 50 फीसदी की बढ़ोतरी पर मोदी सरकार ने सफाई दी है. जहां अरुण जेटली ने कहा है कि स्विस बैंकों में जमा सारे पैसे गैरक़ानूनी नहीं है, तो वहीं पीयूष गोयल ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के समय में शुरू की गयी उदारीकृत रेमिटेंस (धन बाहर भेजने की) योजना से संभवत: भारतीयों की जमा में इजाफा हुआ है.
नई दिल्ली: नोटबंदी के एक साल बाद स्विस बैंक में जमा भारतीयों के पैसे में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी पर मोदी सरकार ने सफाई दी है.
जहां केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा है कि ये मानना की स्विस बैंक में भारतीयों का जो पैसा जमा है वो पूरा कालाधन है, गलत होगा. उन्होंने कहा कि जो लोग इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान दे रहे हैं उन्हें पहले ‘बुनियादी तथ्यों’ को समझना चाहिए.
वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के समय में शुरू की गई उदारीकृत रेमिटेंस (धन बाहर भेजने की) योजना से संभवत: भारतीयों की जमा में इजाफा हुआ है. हालांकि इसमें किसी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने चेतावनी दी कि स्विस बैंकों में अवैध रुप से धन जमा कराने वाले भारतीयों की पहचाना छुपाना अब मुश्किल होगा और ऐसे लोगों पर कालाधन रोधी कानून के तहत सख्त दंडात्मक कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि अगले साल जनवरी से वहां भारतीयों के खातों के बारे में तत्काल स्विट्जरलैंड से सूचनाओं का मिलना शुरू हो जाएगा.
जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘ एक खबर छपी है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का धन बढ़ा है. इसकी वजह से कुछ हलकों से गलत जानकारी के आधार पर प्रतिक्रिया आई और इसने सरकार के कालाधन रोधी कदमों के प्रयासों के परिणाम पर सवाल खड़े किए हैं.’
उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड हमेशा से जानकारियों को साझा करने में अनिच्छुक रहा है. आल्पाइन देशों ने अपने घरेलू कानूनों को संशोधित किया है जिनमें सूचना सार्वजनिक करने के नियम भी शामिल हैं. इन देशों ने भारत के साथ वास्तविक समय में जानकारियां साझा करने की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और इससे भारत को उसी समय जानकारी मिल जाएगी जब कोई भारतीय वहां धन जमा करेगा.
जेटली ने कहा कि जनवरी 2019 से यह जानकारी आने लगेगी. अवैध रूप से धन जमा करने वाले किसी भी जमाकर्ता को यह पहले से पता होगा कि कुछ महीनों में उनका नाम सार्वजनिक होना ही है और उन पर भारत में कालाधन रोधी कानूनों के तहत कड़ी दंडात्मक कार्रवाई होनी है.
उन्होंने कहा कि जो लोग इस मामले पर सार्वजनिक बहस कर रहे हैं उन्हें इन आधारभूत तथ्यों को समझना चाहिए, बजाय कोई कम या गलत जानकारी वाला दृष्टिकोण रखें. जेटली ने कहा कि कर विभाग द्वारा पहले की गई जांच में पाया गया कि इनमें उन लोगों का धन भी शामिल है जो भारतीय मूल के हैं लेकिन अब किसी दूसरे देश के नागरिक हैं और इसमें गैर-निवासी भारतीयों का धन भी शामिल है.
दूसरी ओर पीयूष गोयल ने कहा कि भारत की स्विट्जरलैंड के साथ संधि है, जिसके तहत स्विट्जरलैंड सरकार एक जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2018 तक के सभी आंकड़े भारत को देगी. समझौते के अनुसार भारत को लेखा वर्ष की समाप्ति के बाद ये आंकड़े स्वत: मिलेंगे.
स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा पर गोयल ने कहा, ‘जिन आंकड़ों की आप बात कर रहे हैं वो हमारे पास आएंगे, इसलिए आप कैसे मान सकते हैं कि यह काला धन या गैर-कानूनी लेनदेन है? इसका करीब 40 प्रतिशत हिस्सा तो धन बाहर भेजने की उदार योजना (एलआरएस) के कारण है. यह योजना पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शुरू की थी. इसके तहत एक व्यक्ति 2,50,000 डॉलर सालाना धन विदेश भेज सकता है.’
गोयल ने कहा, ‘हमारे पास सारी जानकारी होगी. यदि कोई गलत करता हुआ पाया गया तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. सरकार प्रणाली में गैरकानूनी धन के प्रवाह के लिए मुखौटा कंपनियों को बंद करने सहित विभिन्न उपाय कर रही है.’
गौरतलब है कि भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन बढ़कर पिछले साल एक अरब स्विस फ्रैंक (7,000 करोड़ रुपये) पहुंच गया जो एक साल पहले की तुलना में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. इससे पहले लगातार तीन वर्ष से इसमें गिरावट आ रही थी.
इसकी तुलना में, स्विस बैंकों के सभी विदेशी ग्राहकों का धन 2017 में करीब 3 प्रतिशत बढ़कर 1460 अरब फ्रैंक यानी करीब 100 लाख करोड़ रुपये हो गया. स्विस नेशनल बैंक द्वारा यह आंकड़ा जारी किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)