इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, मणिपुर और मेघालय के प्रमुख समाचार.
नई दिल्ली: त्रिपुरा में पिछले साल दो पत्रकारों की हत्या की जांच का जिम्मा संभालने के बाद सीबीआई ने राज्य में सत्ताधारी भाजपा की गठबंधन सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के तीन नेताओं सहित पार्टी के 300-500 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी. मालूम हो कि स्थानीय टेलीविजन के लिए काम करने वाले शांतनु भौमिक की पिछले साल 20 सितंबर को हत्या कर दी गई थी. वह पश्चिमी त्रिपुरा ज़िले के मंडवई इलाके में आईपीएफटी के कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन और सड़क नाकाबंदी को कवर करने गए थे.
उसी दौरान उन पर हमला किया गया और उनका अपहरण कर लिया गया. बाद में शांतनु जब मिले तो उनके शरीर पर चाकू से हमले के कई निशान थे. उन्हें तत्काल अगरतला मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
वहीं क्षेत्रीय भाषा के अपराधिक मामलों के पत्रकार सुदीप दत्ता की हत्या इसी जिले में 14 नवंबर को आरके नगर स्थित ‘त्रिपुरा स्टेट राइफल्स’ (टीएसआर) 2 बटालियन के मुख्यालय में हुई थी.
सुदीप स्थानीय बांग्ला समाचारपत्र स्यंदन पत्रिका में संवाददाता के तौर पर काम करते थे. हत्या के आरोप में त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) की दूसरी बटालियन के कमांडेंट तपन देबबर्मा और टीएसआर के कॉन्स्टेबल नंदलाल रेंग को गिरफ़्तार किया गया था.
सीबीआई ने हत्या के दोनों मामलों के सिलसिले में आईपीएफटी के नेता बलराम देब बर्मा, धीरेंद्र देब बर्मा और अमित देब बर्मा सहित पार्टी के अज्ञात 300-500 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. अमित पार्टी की मांडवी संभागीय समिति के अध्यक्ष हैं.
त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश पर सुदीप दत्ता भौमिक हत्याकांड में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश में चल रहे मुकदमे पर रोक लगा दी गई थी.
त्रिपुरा पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने हत्याकांड की जांच के बाद आरोपपत्र दाखिल किया था. उसने शांतनु भौमिक की हत्या के मामले में भी छानबीन की थी, लेकिन इस मामले में अब तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया.
पुलिस जांच से नाखुश शांतनु के पिता साधन भौमिक ने उच्च न्यायालय का रुख कर सीबीआई जांच की मांग की थी. राज्य की तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने सीबीआई जांच की मांग का विरोध किया था.
राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार ने बीते दिनों बताया था कि सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंप दिया है.
असम: एनआरसी मुद्दे पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
नई दिल्ली: असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अंतिम मसौदे के प्रकाशन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार 2 जुलाई को सुनवाई करेगा.
मालूम हो कि एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट 30 जून 2018 को सौंपा जाना था, लेकिन कुछ दिन पहले एनआरसी के राज्य समन्वयक ने कहा था कि राज्य में बाढ़ के हालात को देखते हुए मसौदे को तय तारीख 30 जून को जारी करना संभव नहीं होगा.
एनआरसी तैयार करने की वजह असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करना है.
इस काम से संबंधित प्रक्रिया की निगरानी जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिन्टन फली नरीमन की पीठ कर रही है. पीठ ने पहले आदेश दिया था कि एनआरसी के अंतिम मसौदे का प्रकाशन 30 जून तक पूरा हो जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने समय-सीमा को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था.
हालांकि एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने 28 जून को कहा कि अंतिम मसौदा तय तारीख पर जारी नहीं किया जा सकेगा क्योंकि राज्य की बराक घाटी में भारी बाढ़ आई हुई है. शीर्ष अदालत में एक याचिका भी दायर की गई है जिसमें अंतिम मसौदा तैयार करने के लिए और समय देने की मांग की गई है.
हजेला ने कहा था कि मसौदे को 30 जून तक प्रकाशित करना संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि बराक घाटी के कचार , करीमगंज और हैलाकांडी जिलों में बाढ़ आई है. करबी आंगलोंग और होजई में भी बाढ़ आई है.
मालूम हो कि राज्य में बाढ़ से सात जिलों में पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और अब तक 25 लोगों की जान जा चुकी है.
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा था कि सभी मौलिक भारतीयों के नाम राज्य के नागरिकों की सूची में शुमार किए जाएंगे.
उन्होंने इस आशंका से इनकार किया था कि एनआरसी के प्रकाशन के बाद हिंसा हो सकती है . उन्होंने कहा था कि किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए राज्य भर में पर्याप्त बल को तैनात किया गया है.
एनआरसी का पहला मसौदा दिसंबर माह के अंत में प्रकाशित किया गया था. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि 31 दिसंबर 2017 तक पहला मसौदा तैयार हो जाना चाहिए.
अरुणाचल प्रदेश: भूस्खलन से आईटीबीपी के चार जवानों की मौत
इटानगर: शुक्रवार को भारत तिब्बत सीमा पुलिस के चार जवानों की उस समय मौत हो गई जब अरुणाचल प्रदेश के लोअर सिआंग जिले में बसर-अकाजन मार्ग पर बारिश के कारण भूस्खलन के चलते पहाड़ से एक बड़ा पत्थर टूटकर उनके वाहन पर गिर पड़ा.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना देर रात लगभग ढाई बजे लोअर सिआंग के जिला मुख्यालय लिकाबली से करीब पांच किलोमीटर दूर उस समय हुई जब भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान पश्चिमी सिआंग जिले के बसर से निचले सिआंग जा रहे थे.
लोअर सिआंग के पुलिस अधीक्षक सिंगजतला सिंगफो ने कहा कि पहाड़ से लुढ़कता विशाल पत्थर आईटीबीपी के 20 कर्मियों को लेकर जा रही मिनी बस पर गिरा, जिससे बल के चार कर्मियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई.
उन्होंने बताया कि आईटीबीपी और राज्य पुलिस की संयुक्त राहत एवं बचाव टीम अब तक तीन शव बरामद कर चुकी है. स्थानीय लोग टीम की मदद कर रहे हैं.
राज्य में पांच दिन के भीतर बारिश से संबंधित यह दूसरी घटना है. इस मानूसन में भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या नौ तक पहुंच गई है.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि वाहन धीमी गति से चल रहा था क्योंकि सड़क की हालत बहुत खराब था और वह विशाल पत्थर की चपेट में आ गया.
उन्होंने बताया कि आईटीबीपी के आठ अन्य कर्मी इस घटना में घायल हुए हैं जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हैं. गंभीर रूप से घायल जवानों को लिकाबली स्थित सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया है तथा मामूली रूप से घायल जवान स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराए गए हैं.
सिंगफो ने कहा, ‘पहाड़ से गिरते पत्थरों के चलते क्षेत्र में राहत एवं बचाव अभियान मुश्किल होता है.’ उन्होंने कहा कि मृत कर्मियों की पहचान की जानी बाकी है.
असम: नागरिकता संशोधन विधेयक खारिज करने की अपील तेज हुई
गुवाहाटी: असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के खिलाफ बढ़ते असंतोष को देखते हुए एक छात्र संगठन सहित विभिन्न संगठन यहां सड़कों पर उतरे और सरकार से अपील की कि स्थानीय लोगों को संवैधानिक सुरक्षा मुहैया कराए.
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के एक सदस्य ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग विरोध रैली में शामिल हुए, जिसे लतासील फील्ड से निकाला गया और यह असम इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के खेल मैदान में खत्म हुई.
आसू के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि विधेयक ‘असंवैधानिक और अस्वीकार्य’ है और इससे स्थानीय लोगों की पहचान खतरे में पड़ जाएगी.
29 स्थानीय संगठनों की तरफ से आयोजित विरोध प्रदर्शन में आसू नेता ने कहा, ‘हमें केवल एक समाधान स्वीकार्य है कि विधेयक को वापस लिया जाए. हम विपक्षी दलों से अपील करते हैं कि सरकार को उस दिशा में ले जाएं.’
भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र अवैध बांग्लादेशियों का ‘डंपिंग ग्राउंड’ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल कहते रहे हैं कि राज्य के लोगों को सरकार में विश्वास रखना चाहिए लेकिन हम चिंतित हैं क्योंकि यहां के आदिवासी लोगों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.’
मिज़ोरम विधानसभा ने विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया
वहीं मिज़ोरम विधानसभा ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 का विरोध करते हुए गुरुवार को सर्वसम्मति से एक आधिकारिक प्रस्ताव पारित किया.
मालूम हो कि यह विधेयक नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन के लिए इसे केंद्र सरकार द्वारा 2016 में लोकसभा में पेश किया गया है. इसमें प्रस्ताव किया गया है कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई सहित छह समुदायों के अवैध प्रवासी छह साल तक भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता के लिए योग्य होंगे.
राज्य के गृह मंत्री आर लालजिरलियाना ने आधिकारिक प्रस्ताव सदन में पेश किया. इसमें केंद्र से कहा गया है कि अगर यह विधेयक लागू किया गया तो मिज़ोरम जैसे प्रदेश को नुकसान होगा जहां बड़ी संख्या में बांग्लादेश के अवैध बौद्ध प्रवासी रहते हैं.
उन्होंने कहा कि विधेयक में अवैध प्रवासियों को धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता की बात की गयी है जो धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है.
मणिपुर कांग्रेस ने नागरिकता विधेयक को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा
नई दिल्ली: मणिपुर के कांग्रेस नेताओं के एक डेलीगेशन ने नागरिकता संशोधन विधयक-2016 को वापस लेने और एनएससीएन(आईएम) के साथ भारत सरकार के समझौते का विवरण सार्वजनिक करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के नेतृत्व में पार्टी के 17 सदस्यीय शिष्टमण्डल ने ज्ञापन सौंपने से पहले विजय पथ से राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया.
इबोबी सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘अगर नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पारित हो गया तो पूर्वोत्तर बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान के नागरिकों का डंपिंग ग्राउंड बन जायेगा. सबसे ज्यादा दिक्कत मणिपुर को होगी क्योंकि इसका भौगोलिक क्षेत्र बहुत सीमित है.’
उन्होंने कहा, ‘इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि यह पूर्वोत्तर खासकर मणिपुर के हित में नहीं है.’
इबोबी सिंह ने कहा, ‘एनएससीएन(आईएम) और भारत सरकार के बीच समझौता के बारे में किसी को कुछ नहीं पता. सरकार ने इसे गोपनीय दस्तावेज क्यों बना रखा है? इसका ब्यौरा सामने आना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि ज्ञापन में मणिपुर विश्वविद्यालय में चल रहे गतिरोध का भी मुद्दा उठाया है. छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से कक्षाओं का बहिष्कार कर रखा है. इबोबी सिंह ने कहा कि इन मुद्दों को लेकर वे गृहमंत्री से भी मिलने वाले हैं.
अरुणाचल प्रदेश: सरकार ने छात्र की मौत की जांच सीबीआई को सौंपी
इटानगर: अरुणाचल प्रदेश की सरकार ने तवांग जिले के एक छात्र की मौत के नौ महीने पुराने मामले की जांच को सीबीआई को सौंपे जाने की विभिन्न छात्र संगठनों की मांग आखिरकार मान ली है. अब इस मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) करेगी.
तवांग के सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय के 12 वीं कक्षा का छात्र तोको यामे 16 सितंबर को रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गया था. अपने स्कूल और जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) के छात्रों के बीच झगड़ा होने के बाद यामे अचानक गायब हो गया था.
उसकी क्षत-विक्षत और आधी गली हुई लाश 23 सितंबर को जेएनवी के पास बीगा झरने से बरामद हुई थी.
मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल ने इस संबंध में 20 लोगों को गिरफ्तार किया था. उन्हें बाद में अदालत से जमानत मिल गई थी.
कल जारी किए गए बयान में गृह विभाग ने बताया कि मामले की ‘गंभीरता और संवेदनशील प्रकृति’ को देखते हुए राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया है.
बयान में यह भी बताया गया कि राज्य सरकार ने जांच तेज करने के लिए विभिन्न छात्र संगठनों की मांग पर भी गौर किया है.
मणिपुर: मणिपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के ख़िलाफ़ छात्रों का गतिरोध जारी
इंफाल: मणिपुर विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. आद्या प्रसाद पांडे को हटाने की मांग को लेकर छात्रों के आंदोलन करने के बाद करीब एक महीने से अकादमिक गतिविधियां निलंबित हैं.
मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ (एमयूएसयू) के एक सदस्य ने बताया कि महत्वपूर्ण पदों पर सदस्यों की नियुक्ति में कथित तौर पर नाकाम रहने के लिए कुलपति को हटाने की मांग को लेकर छात्र संघ के नेतृत्व में इस आंदोलन से विश्वविद्यालय में अकादमिक कामकाज बाधित हो गया है.
केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति ने आरोपों को खारिज किया और दावा किया कि छात्र पदाधिकारी के संबंध उग्रवादियों से हैं.
मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव वीसी होसुर ने 22 जून को इंफाल का दौरा किया और छात्र नेताओं तथा मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात की.
आंदोलन शुरू होने से लेकर अब तक छह डीन मौजूदा संकट का हवाला देते हुए इस्तीफा दे चुके हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की मणिपुर इकाई ने भी कुलपति से इस्तीफा मांगा है.
असम: फेसबुक पर मिला असम डीजीपी का फर्जी एकाउंट
गुवाहाटी: फर्जी ख़बरों से उठ रही अफवाहों के बीच असम पुलिस के महानिदेशक कुलधर सैकिया के नाम से चल रहे एक फर्जी फेसबुक एकाउंट का पता चला है.
गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त हीरेन नाथ ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि 11 जून को ‘कुलधर सैकिया’ के नाम का एक फर्जी फेसबुक एकाउंट खोला गया. डीजपी का असली एकाउंट कुला सैकिया के नाम से है.
उन्होंने बताया कि पानबजार थाना में एक मामला दर्ज किया गया और मामले की जांच की जा रही है. उन्होंने बताया, ‘हमने बहुत गंभीरता से मामला उठाया है और उम्मीद है कि जल्द ही अपराधी को गिरफ्तार कर लेंगे.’
इस महीने की शुरूआत में नाथ के नाम पर भी एक फर्जी एकाउंट खोला गया था. इस सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. मालूम हो कि नाथ का फेसबुक पर कोई एकाउंट नहीं है.
डीजीपी और पुलिस आयुक्त दोनों के फर्जी फेसबुक एकाउंट पर पुलिस अधिकारियों की वर्दी वाली तस्वीर में लगाई गई थी.
मेघालय: पुलिस ने कहा हेरोइन वितरण केंद्र के रूप में उभर रहा है प्रदेश
शिलांग: एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मेघालय देश में हेरोइन के वितरण के केंद्र बिंदु के तौर पर उभर रहा है.
ईस्ट खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक डेविस मारक ने बताया कि शिलांग वितरण केंद्र के रूप में उभर रहा है. इसमें कुछ आतंकी पृष्ठभूमि या उनके द्वारा समर्थित लोग लिप्त है जो मादक पदार्थ तस्करी के कारोबार से अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए कोष एकत्र करते हैं.
वह यहां ‘अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ के दुरुपयोग एवं तस्करी निरोध दिवस’ के मौके पर एक समारोह को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ लेने वालों की, मुख्य रूप से युवा ओं की बढ़ती संख्या कुछ क्षेत्रों में छोटे अपराधों के लिए जिम्मेदार है. ये अपनी लत पूरा करने के लिए ऐसे अपराध करते हैं.
कम आय वर्ग के परिवारों से आने वाले ऐसे अपराधियों पर चिंता जाहिर करते हुए पुलिस अधिकारी ने कहा कि युवाओं पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है और लोगों को पुलिस के साथ मिलकर इसके लिए काम करना चाहिए.
असम: बाढ़ से एक और मौत, मृतकों की संख्या 32 हुई
असम के बाढ़ प्रभावित छह जिलों में से एक में स्थिति और बिगड़ गई. वहीं, एक और व्यक्ति की मौत होने के साथ ही बाढ़ में मरने वालों की संख्या 32 हो गयी है.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की रिपोर्ट में बताया गया कि ऊपरी असम के चराईदेव जिले में बाढ़ में एक व्यक्ति बह गया. वहां लगातार बारिश के चलते कल से हालात और बिगड़ गए हैं.
इसके साथ ही बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गयी है. इस वक्त बाढ़ से असम के छह जिलों में 67, 976 लोग प्रभावित हैं. चराईदेव में सबसे अधिक 35, 429 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.
इसके अलावा बाढ़ प्रभावित पांच जिले लखीमपुर, जोरहाट, कछार, हाईलाकांडी और करीमगंज हैं.
असम में सभी प्रमुख नदियों के खतरे के स्तर से नीचे बहने के कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति में कुल मिला कर मामूली सुधार हुआ है. इस बीच राज्य में दो और लोगों की मौत हो गयी है जिसके कारण बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 26 हो गयी है.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के मुताबिक , पांच जिले अभी तक बाढ़ की चपेट में है. प्राधिकरण के मुताबिक कछार जिले में दो लोगों के डूब जाने की भी खबर है.
बाढ़ के कारण पांच जिलों में कुल 96,993 लोग प्रभावित हैं जबकि कल छह जिलों में 1.94 लाख लोग इससे प्रभावित थे.
बुरी तरह प्रभावित करीमगंज में 59,023 लोग प्रभावित हैं जबकि बाढ़ से प्रभावित अन्य जिलों में धेमाजी, लखीमपुर, कछार और हेलाकांडी जिले शामिल है.
मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल ने सप्ताहंत में बराक घाटी में करीमगंज, हेलाकांडी और कछार का दौरा किया था और पीड़ितों एवं आधारभूत सुविधाओं को हुए नुकसान के लिए 100 करोड़ रुपये की घोषणा की.
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जितंद्र सिंह ने कहा कि असम में राहत , पुनर्वास , क्षतिग्रस्त अवसंरचना की मरम्मत सहित बाढ़ संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए केंद्र ने 340 करोड़ रुपए की राहत राशि जारी की है.
सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ आज सुबह हमने बैठक की. हमने उन्हें बताया कि आपदा राहत कोष के तौर पर 340 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं.’
उन्होंने बताया कि इस राशि में से 101 करोड़ रुपए उनके मंत्रालय तथा 239 करोड़ रुपए राज्य आपदा राहत निधि (एसडीआरएफ) के तहत गृह मंत्रालय ने जारी किए हैं.
सिंह ने कहा, ‘एसडीआरएफ की राशि थोड़ी देरी से आती, लेकिन हम इसे तत्काल जारी करेंगे ताकि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए राज्य के पास पर्याप्त संसाधन हों.’
बंगाल और त्रिपुरा में ‘लोकतंत्र की हत्या’ के विरोध में जुलाई में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगी माकपा
नई दिल्ली: माकपा की केंद्रीय कमेटी ने त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में ‘लोकतंत्र की हत्या’ के विरोध में जुलाई में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
बीते हफ्ते माकपा की केंद्रीय कमेटी की तीन दिवसीय बैठक संपन्न होने के बाद पार्टी ने एक बयान जारी कर त्रिपुरा में वामपंथी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले की निंदा की.
पार्टी ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनावों के बाद से चार पार्टी कार्यकर्ता मारे गए हैं और पार्टी एवं जनसंगठनों के करीब 100 दफ्तरों में तोड़-फोड़ की गई है, जबरन खाली कराए गए हैं या उन पर जबरन कब्जा कर लिया गया है.
माकपा ने आरोप लगाया कि इन हमलों के कारण पार्टी के करीब 500 कार्यकर्ताओं को उनके घरों से जाकर पार्टी दफ्तरों में लगाए गए अस्थायी शिविरों में रहना पड़ रहा है. पार्टी के कार्यक्रमों पर भी हमले हो रहे हैं.
पार्टी ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री और त्रिपुरा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माणिक सरकार को विधायकों की एक टीम के साथ जनजातीय इलाकों में जाने से रोका गया.
माकपा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने भारतीय संसदीय लोकतंत्र में कैबिनेट मंत्री की रैंक की हैसियत से अपने कर्तव्यों के निर्वाह की कोशिश की थी.
पार्टी ने पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावों में तृणमूल कांग्रेस पर विपक्षी पार्टियों और उनके उम्मीदवरों पर हमले करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह राज्य पुलिस, प्रशासन एवं राज्य चुनाव आयोग के साथ मिलकर यह सब कर रही है.
वामपंथी पार्टी ने कहा कि पूरी चुनावी प्रक्रिया का मखौल बना दिया गया. उम्मीदवारों के परिजन पर भी हमला किया गया. इन चुनावों में 10 वामपंथी कार्यकर्ता मारे गए.
पार्टी ने कहा , ‘इन दोनों राज्यों में गंभीर स्थिति के मद्देनजर केंद्रीय कमेटी ने पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में लोकतंत्र की हत्या के विरोध में जुलाई में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने का फैसला किया है.’
अरुणाचल प्रदेश: भाजपा सरकार पर कोष के गबन का आरोप
इटानगर: अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा ने ट्रांस अरुणाचल हाईवे (टीएएच) के निर्माण के लिए मुआवजा देने के नाम पर सार्वजनिक कोष का गबन किया है. पार्टी ने इसकी जांच कराए जाने की भी मांग की.
कांग्रेस ने कहा कि सरकार को उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा इसकी जांच करानी चाहिए.
वहीं, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चोवना मेन ने कहा कि उनके विभाग का इससे कोई लेना-देना नहीं है. चोवना के पास पीडब्ल्यूडी का प्रभार भी है.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने जिला प्रशासन की मिलीभगत से टीएएच के भूस्वामियों को मुआवजा अदा करने के नाम पर 245 करोड़ रुपये का गबन किया.
अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख ताकम संजय ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि ऐसी खबरें आई हैं कि क्रा डाडीर और कुरूंग कुमे जिलों में जोराम और कोलोरियांग के बीच टीएएच के भूस्वामियों को 47 करोड़ रुपये मुआवजा दिया गया. साथ ही, सूची में गैर आदिवासियों का नाम भी था. इससे जिले के वास्तविक भूस्वामियों के मन में संदेह पैदा हुआ.
संजय ने यह आरोप भी लगाया कि 198 करोड़ रुपये की राशि का भी सरकार ने गबन किया. उसने याजली-जीरो-रागा मार्ग पर भूस्वामियों को मुआवजे की अदायगी के नाम पर ऐसा किया. इसकी समुचित जांच कराई जाए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)