यूपी सरकार ने मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने के आदेश दे दिए, पर किताबें नहीं दीं

प्रदेश के 560 शासकीय सहायता प्राप्त मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के तहत कक्षा एक से आठ तक की किताबें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं. अप्रैल में शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है, पर अब तक किताबें नहीं मिली हैं.

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Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Aditiyanath addressing a press conference in Lucknow on Saturday. Union Minister Anupriya Patel and Uttar Pradesh Health Minister Siddharth Nath Singh are also seen. PTI Photo by Nand Kumar (PTI8_12_2017_000138B)

प्रदेश के 560 शासकीय सहायता प्राप्त मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के तहत कक्षा एक से आठ तक की किताबें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं. अप्रैल में शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है, पर अब तक किताबें नहीं मिली हैं.

Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Aditiyanath addressing a press conference in Lucknow on Saturday. Union Minister Anupriya Patel and Uttar Pradesh Health Minister Siddharth Nath Singh are also seen. PTI Photo by Nand Kumar (PTI8_12_2017_000138B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाये जाने का सरकार का निर्णय मदरसों के लिए मुश्किल का सबब बन गया है. अप्रैल में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाने के बावजूद मदरसों को अभी तक पुस्तकें उपलब्ध नहीं होने से तरह-तरह की आशंकाएं उत्पन्न हो गई हैं.

प्रदेश के 560 शासकीय सहायता प्राप्त मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के तहत कक्षा एक से आठ तक की किताबें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती रही हैं, लेकिन इस बार उन्हें अभी तक पुस्तकें नहीं उपलब्ध कराई गई हैं.

राज्य सरकार ने मई में मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें लागू किये जाने का आदेश दिया था. अभी इस बात पर निर्णय नहीं हुआ है कि सर्वशिक्षा अभियान चलाने वाला बेसिक शिक्षा विभाग मदरसों को एनसीईआरटी की पुस्तकें देगा या नहीं?

टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के महासचिव दीवान साहब ज़मां ने बताया कि ज्यादातर बेसिक शिक्षा अधिकारियों के पास अभी सर्वशिक्षा अभियान के तहत किताबें नहीं आई हैं.

पूर्व में बेसिक बोर्ड की किताबें दी जाती थीं. अब चूंकि मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम जोड़ दिया गया है, लिहाजा अब इसमें संदेह है कि बेसिक शिक्षा विभाग एनसीईआरटी की किताबें देगा या नहीं?

उन्होंने बताया कि मदरसों में शिक्षण सत्र अप्रैल से शुरू होता है जबकि सरकार ने मई में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का फैसला किया. ऐसा कोई भी निर्णय संबंधित सभी पक्षों को विश्वास में लेकर किया जाता है, मगर ऐसा नहीं हुआ. अगर ऐसा होता तो इन समस्याओं का हल निकलता.

इस बीच, सर्वशिक्षा अभियान के निदेशक वेदपति मिश्र ने बताया कि अभी इस बारे में केंद्र से कोई दिशानिर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं. पिछली 14 जून को सर्वशिक्षा अभियान के तहत दी जाने वाली किताबों के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक हुई थी. उस बैठक का विवरण मिलने के बाद ही तय होगा कि मदरसों को एनसीईआरटी की किताबें दी जाएंगी या नहीं?

इधर, मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता का कहना है कि प्रदेश के 560 अनुदानित मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के तहत किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं. बाकी मदरसों के विद्यार्थियों को वे पुस्तकें खरीदनी होंगी. उन्होंने एनसीईआरटी के जिम्मेदार लोगों से बात की है और एक पत्र लिखकर मदरसों में पढ़ाने के लिए जरूरी किताबों की अनुमानित संख्या के बारे में अवगत कराया था ताकि पुस्तकें छपने और उनकी उपलब्धता में कोई परेशानी न हो.

उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक सर्वशिक्षा अभियान के तहत मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों के वितरण का सवाल है तो इस बारे में बेसिक शिक्षा विभाग ही जाने.

ज़मां ने इन हालात पर असंतोष व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि इस मामले में सरकार का कोई स्पष्ट नजरिया नहीं है. उन्होंने हाल में रजिस्ट्रार से मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें बांटे जाने की संभावना के बारे में पूछा था, मगर उनका कोई जवाब नहीं आया.

उन्होंने कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवार से हैं. शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है. ऐसे में वे बाजार से एनसीईआरटी की किताबें कैसे खरीदेंगे? अगर नहीं खरीदेंगे तो पढ़ेंगे क्या?

ज़मां ने कहा कि वाराणसी में अगले सप्ताह जिले के सभी मदरसों के प्रधानाचार्यों की बैठक करके इस मामले पर विचार-विमर्श किया जाएगा. अगर सरकार किताबें खरीदने को कहेगी तो यह गरीबी रेखा से नीचे के बच्चों के परिवार के लिये दुश्वारी भरा होगा. दूसरा, मदरसा बोर्ड के पास संसाधन नहीं हैं. ऐसे में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम जोड़ना गैरजरूरी दखलअंदाजी है.

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