राजस्थान में पक्षी का अंडा फूटने से पांच वर्षीय बच्ची जाति से बाहर, 10 खाप पंचों पर केस दर्ज

बूंदी ज़िले में टिटहरी नामक पक्षी के अंडे से जुड़े अंधविश्वास के चलते बच्ची को 10 दिन से घर के बाहर रखा गया और दूर से ही खाना-पीना दिया जा रहा था.

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बूंदी ज़िले में टिटहरी नामक पक्षी के अंडे से जुड़े अंधविश्वास के चलते बच्ची को 10 दिन से घर के बाहर रखा गया और दूर से ही खाना-पीना दिया जा रहा था.

Bundi Rajasthan

बूंदी: राजस्थान को बूंदी ज़िले में अनजाने में पैर से टिटहरी नामक पक्षी का अंडा टूट जाने पर पांच साल की बच्ची को समाज से बहिष्कृत कर परिवार से दूर बिना खाना-पानी के अकेला छोड़ दिया गया. पुलिस ने इस संबंध में बीते 12 जुलाई को खाप पंचायत के 10 सदस्यों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.

बच्ची की हालत के बारे में जानकारी मिलने पर राज्य के बाल अधिकार आयोग की प्रमुख मनन चतुर्वेदी के आदेश पर मामला दर्ज किया गया. बच्ची पिछले 10 दिनों से अपने घर की चौखट से दूर रह रही थी और कुछ दूरी से उसकी थाली में खाना फेंक दिया जाता था.

हिंडोली थाने के प्रभारी लक्ष्मण सिंह ने बताया कि बीते 12 जुलाई को 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

बीते दो जुलाई को बूंदी ज़िले के हरिपुरा गांव में अपने स्कूल परिसर में मासूम से अनजाने में टिटहरी का अंडा फूट गया था. इसके बाद से गांव में बवाल मच गया.

टिटहरी का अंडा टूट जाने को लेकर अंधविश्वास की वजह से लड़की को जाति से बाहर कर दिया गया और उसे सज़ा दी गई. समुदाय का मानना है कि अंडा टूटने से समुदाय को अपशकुन झेलना होगा और गांव में बारिश नहीं होगी.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, गांव में पंचायत बैठी और बच्ची को जीव हत्या का दोषी मानते हुए जाति से बाहर करने का फैसला सुना दिया गया. घर के बाहर बच्ची ने एक टिनशेड में पूरे 10 दिन बिताए.

बच्ची को शुरुआत में तीन दिन के लिए और इसके बाद आगे और आठ दिनों के लिए जाति से बाहर कर दिया गया.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, पंचायत ने बच्ची को जाति से बाहर निकालने के अलावा उसके पिता पर जुर्माना भी लगा दिया. पंचायत ने पिता को गाय को चारा खिलाने, मछलियों को आटा खिलाने, कबूतरों का ज्वार डालने, एक किलो भुने हुए चने, एक किलों नमकीन और अंग्रेज़ी शराब की बोतल देने का फरमान सुनाया.

इसके तीन दिन बाद फिर पंचायत बैठी और पिता द्वारा कुछ साल पहले एक पंच से उधार लिए गए डेढ़ हज़ार रुपये तुरंत ने का भी फैसला सुना दिया था.

यह मामला तब सामने आया जब लड़की के पिता ने तहसीलदार से शिकायत कर दी कि समुदाय का प्रमुख फरमान वापस लेने के लिए महंगी शराब और खाने पीने की सामग्री की मांग कर रहा है.

तहसीलदार से शिकायत के बारे में जानकर समुदाय प्रमुख ने 11 जुलाई की रात लड़की के समूचे परिवार को जाति से बाहर घोषित कर दिया.

राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने 12 जुलाई की सुबह गांव का दौरा किया. राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस संबंध में पुलिस और ज़िला प्रशासन से 19 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी है.

बूंदी के हिंडोली थाने के पुलिस इंस्पेक्टर लक्ष्मण सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ‘पिता के द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. आईपीसी की धारा 508 (किसी व्यक्ति से यह कहकर कोई काम करवाना कि ऐसा नहीं करोगे तो ईश्वर नाराज़ होंगे) धारा 384 (धन उगाही), धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था.’

उन्होंने बताया कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 के तहत भी केस दर्ज किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)