कासगंज ज़िले के निज़ामपुर गांव में ठाकुरों ने धमकी दी थी कि अगर गांव में घोड़े पर बैठकर किसी दलित की बारात निकली, तो दोनों समुदायों में टकराव की स्थिति पैदा हो जाएगी.
आगरा: उत्तर प्रदेश में कासगंज जिले के निज़ामपुर गांव में पीएसी और पुलिस की सुरक्षा में एक दलित की शादी कराई गई. बताया जा रहा है कि लगभग 350 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में रविवार को शांतिप्रिय तरीके से ये शादी संपन्न हुई.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक इस गांव में 80 साल बाद किसी दलित शख्स की घोड़े की बग्गी पर बिठा कर शादी निकाली गई.
हाथरस के रहने वाले 27 साल के दूल्हे संजय जाटव ने कहा, ‘ऊंची जाति के लोगों ने कहा कि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ और अब वे हम पर हमले करने की धमकी दे रहे हैं. लेकिन हमें डर नहीं है क्योंकि हमें पुलिस सुरक्षा मिली हुई है.’
Dalit groom takes out wedding procession after 80 years in Kasganj's Nizampur village under police protection. Bride says, 'Upper caste people in the village said that this has never happened & threatened to attack us. We're less scared as we've got police protection.' (15.07.18) pic.twitter.com/9taYsO8O72
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 15, 2018
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक छह महीने पहले निज़ामपुर गांव के स्थानीय ठाकुर जाति के लोगों ने धमकी दी थी कि अगर गांव में घोड़े पर बैठ दलित की बारात निकाली गई तो फिर दोनों समुदायों में टकराव की स्थिति पैदा हो जाएगी. इसलिए सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस सुरक्षा दी गई.
इस अख़बार से बात करते हुए संजय ने कहा, ‘हमने ये लड़ाई अपने समाज के लिए सम्मान, प्रतिष्ठा और समानता पाने के लिए लड़ी है. न तो हमारा समाज और न ही मैं ठाकुरों के खिलाफ हैं. बल्कि हम जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ हैं.’
इस शादी को लेकर पिछले छह महीने से विवाद चल रहा है. संजय जाटव चाहते थे कि वे अपनी शादी में घोड़े पर बैठ कर जाए लेकिन गांव के ठाकुर इस बात के समर्थन में नहीं थे. उनका कहना था कि हमारे गांव की ये परंपरा नहीं है और एक दलित युवक को घोड़े पर बिठाकर गांव में नहीं घुमाया जा सकता है.
दूसरी ओर दुल्हन शीतल ने इस परंपरा के टूटने पर अपनी खुशी ज़ाहिर की. उन्होंने कहा, ‘मैं खुश हूं कि मेरे पति की कोशिश की वजह से इस गांव की सदियों पुरानी भेदभाव वाली परंपरा टूटी गई. गांव के ठाकुर दलितों को दबाकर रखते थे. पिछले चार दशकों में निजामपुर गांव के दलितों द्वारा शादी निकालने की वजह से ठाकुरों ने उन पर तीन बार हमला किया. लेकिन अब ये चीज बदल चुकी है.’
इस समारोह के दौरान पुलिस ने पूरी सुरक्षा के साथ दूल्हे को गांव तक पहुंचाया और शादी के दौरान वहां मौजूद रहे.
कासगंज के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट देवेंद्र प्रताप सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘छह पुलिस स्टेशनों से 350 से ज्यादा पुलिसकर्मी, पीएसी जवान, एक एएसपी और दो सर्किल ऑफिसर शादी के दौरान दलित परिवार की सुरक्षा में लगे हुए थे. जिस रूट से बारात गुजर रही थी उधर की छतों पर पुलिसवाले हथियार के साथ मौजूद थे ताकि कोई समस्या न खड़ी हो.’
पुलिसकर्मियों के अलावा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट राकेश कुमार, एसडीएम देवेंद्र प्रताप सिंह और नायब तहसीलदार कीर्ती चौधरी भी स्थिति का जायजा लेने के लिए विवाह स्थल पर मौजूद थे.
निज़ामपुर गांव के रहने वाले अजय कुमार ने बताया, ‘हमने कभी किसी बारात के लिए इतनी कड़ी सुरक्षा नहीं देखी थी. हाथरस-कासगंज बॉर्डर से लेकर निज़ामपुर गांव तक पूरा इलाका पुलिसवालों से भरा हुआ था.’
वहीं एक अन्य व्यक्ति सुनील सिंह ने बताया कि भारी पुलिस फोर्स की वजह से ज्यादातर ऊंची जाति के लोग या तो अपने घरों में ताला लगाकर अंदर बैठे थे या फिर एक-दो दिन के लिए घर छोड़कर कहीं बाहर चले गए थे. बारात को पूरे गांव में घुमाया गया था जो कि ठाकुरों के घरों के रास्ते से भी होकर गुजरी.
बता दें कि पहले ये शादी 20 अप्रैल को होने वाली थी लेकिन लड़की की उम्र 18 साल से कम होने की वजह से कुछ महीने बाद शादी कराने का फैसला किया गया था.
गांव की मुखिया कांति देवी, जो कि ठाकुर जाति की हैं, ने इस शादी का विरोध किया था. उनका कहना था कि गांव की ये परंपरा नहीं है और इसकी वजह से कानूनी समस्या पैदा हो सकती है.
मालूम हो कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में दलितों की बारात रोकने की घटनाएं सामने आती रही हैं.