भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद शाहिद की मौत पर सरकार और हॉकी इंडिया ने उनके नाम पर स्टेडियम बनाने और बेटे को सरकारी नौकरी देने सहित कई घोषणाएं की थीं. उनके पूरा न होने पर परिवार ने यह फैसला लिया है.
नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान, ओलंपियन खिलाड़ी और पद्मश्री से सम्मानित मोहम्मद शाहिद की विधवा परवीन ने सरकार की अनदेखी से खफा होकर ऐलान किया है कि वे 20 जुलाई को दिल्ली में प्रधानमंत्री को पद्मश्री समेत पति को मिले सभी अवॉर्ड लौटाएंगी.
गौरतलब है कि 20 जुलाई को ही मोहम्मद शाहिद की दूसरी बरसी है.
पत्रिका के मुताबिक, परवीन ने बताया कि दो साल पहले जब पति की मौत हुई तो केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री और हॉकी इंडिया की कई बड़ी हस्तियां आईं. उस दौरान केंद्रीय मंत्री ने मेरे पति के नाम पर स्टेडियम का नाम और बेटे को नौकरी देने की बात कही थी.
उन्होंने आगे बताया कि अब तक उपरोक्त दोनों में से कोई भी वादा पूरा नहीं हो सका है.
उनका कहना है कि नौकरी के नाम पर बेटे को दो साल से बस ट्रेनिंग कराई जा रही है.
अमर उजाला के मुताबिक, ड्रिूबलिंग के उस्ताद रहे मोहम्मद शाहिद के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए दो बार पत्राचार भी किया, कई बार जनप्रतिनिधियों के दरवाजे खटखटकाए. बावजूद इसके उनकी सुनवाई नहीं हुई.
परिजनों के मुताबिक पीएमओ और प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय के पत्र लिखने पर हर बार बस आश्वासन मिला कि हमारा नाम पीएम से मिलने वालों की सूची में है. लेकिन बावजूद इसके मुलाकात कभी नहीं हो सकी.
परिजनों ने बताया कि उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों और हॉकी संघ के पदाधिकारियों से भी गुहार लगाई लेकिन वहां भी उनकी समस्या को अनसुना कर दिया.
परवीन ने कहा कि शाहिद के गुजरने के बाद बनारस में उनके नाम से अकादमी, स्टेडियम और ऑल इंडिया टूर्नामेंट का आयोजन होगा.
साथ ही उनके मुताबिक परिवार को आर्थिक मजबूत बनाने के लिए उसे गैस एजेंसी या पेट्रोल पंप दिए जाने का भी आश्वासन दिया गया था.
उन्होंने कहा, ‘मोहम्मद शाहिद देश के लिए खेले. कड़ी मेहनत की तब जाकर ये मेडल पाए. लेकिन सरकारी उपेक्षा ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है.’
वे बोलीं कि अभी तो उन्हें पेंशन मिल रही है. लेकिन, बाद में परिवार की कौन सुनेगा.
गौरतलब है कि मोहम्म्द शाहिद 1980 में मॉस्को में हुए ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे.
1982 में एशियन गेम्स में रजत पदक और 1986 के एशियाड खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे. उन्हें 1980-81 में अर्जुन पुरस्कार और 1986 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
गौरतलब है कि शाहिद के बेटे मोहम्म्द शैफ राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज हैं.
वहीं, शाहिद के भाई अशफाक अहमद का कहना है हॉकी खिलाड़ियों के लिए मोहम्मद शाहिद आज भी रोल मॉडल हैं. लेकिन सरकार उन्हें भूल चुकी है. भाई के परिवार से सरकार द्वारा किया गया एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है. इसलिए हमने दुखी होकर यह फैसला लिया है क्योंकि इसके अलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है.
इस बीच मंगलवार को जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने परवीन से मुलाकात की है. बातचीत के बाद परवीन ने कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को दो दिन का समय दिया है.
परवीन ने कहा कि अगर इस दौरान ठोस कदम नहीं उठाए तो वे 21 जुलाई को दिल्ली जाकर मेडल वापस करने के लिए मजबूर होगीं.
हालांकि, जिलाधिकारी ने अमर उजाला से बात करते हुए कहा कि वाराणसी में मोहम्मद शाहिद के नाम पर स्टेडियम का नाम रखने का प्रस्ताव खेल विभाग को भेजा गया है. पत्नी 60 हजार रुपये पेंशन पाती हैं. लड़के को मृतक आश्रित पर रेलवे में नौकरी दी जा चुकी है लेकिन उसने ज्वाइन नहीं किया है. वह शूटिंग करता है. उसने इलेक्ट्रोनिक शूटिंग की मांग की है जिसका प्रस्ताव खेल विभाग को भेज दिया गया है.