पेयजल एवं स्वच्छता राज्यमंत्री रमेश जिगजिनागी ने राज्यसभा में बताया कि देश में साल 2030 तक पानी की मांग उसकी उपलब्धता से दो गुनी हो जाएगी, इसलिए जल संसाधनों और उसके इस्तेमाल को लेकर बेहतर समझ बनाने की ज़रूरत है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि देश में 60 करोड़ लोग गंभीर जलसंकट के मुहाने पर खड़े हैं और 2030 तक पानी की मांग उसकी उपलब्धता से दो गुनी हो जाएगी.
राज्यसभा सांसद डी. राजा द्वारा पूछे गए सवालों के लिखित जवाब में पेयजल एवं स्वच्छता राज्यमंत्री रमेश जिगजिनागी ने कहा, ‘समग्र जल प्रबंधन पर नीति आयोग की ओर से दी गई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 करोड़ आबादी गंभीर जल संकट के मुहाने पर खड़ी है.’
उन्होंने कहा कि 2030 तक पानी की मांग उसकी उपलब्धता से दो गुनी हो जाएगी. मंत्री ने कहा, ‘हमारे जल संसाधनों और उसके इस्तेमाल को लेकर हमारी समझ को बेहतर बनाने की तत्काल आवश्यकता है.’
उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय द्वारा केंद्रीय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना (एनआरडीपी) के तहत राज्य सरकारों को ग्रामीण इलाकों में साफ पेयजल मुहैया कराने के लिए आर्थिक और तकनीकि सहायता दी जाती है.’
जिगजिनागी ने कहा कि हाल ही में मंत्रालय ने इस योजना को और बेहतर बनाने के लिए इसमें थोड़ा बदलाव किया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में पानी पहुंचाने में देरी और अक्षमता को कम करने के लिए इस योजना का नए सिरे से पुनर्गठन किया गया है.
उन्होंने कहा कि भूजल प्रबंधन, बेहतर सिंचाई प्रबंधन और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग जैसी बेहतरीन तकनीक से भविष्य में पानी के संकट को कम करने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य अन्य राज्यों के साथ-साथ दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ जल संरक्षण मॉडल को अपनाकर राज्य के आबादी की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.
बता दें कि जून 2018 में आई नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी. जिसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा और देश की जीडीपी में छह प्रतिशत की कमी देखी जाएगी.’
स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा जुटाए डाटा का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि करीब 70 प्रतिशत प्रदूषित पानी के साथ भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें पायदान पर है.
(समाचार एजेंसी भाषा की इनपुट के साथ)