हमीरपुर ज़िले के मुस्करा खुर्द गांव में स्थित धूम्र ऋषि के आश्रम गई थीं भाजपा विधायक मनीषा अनुरागी. प्रधान ने कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है. गांव के सामंतवादी मानसिकता के लोगों ने विधायक के दलित होने की वजह से ऐसा किया.
बांदा: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के मुस्करा खुर्द गांव में धूम्र ऋषि आश्रम (मंदिर) में दलित भाजपा विधायक मनीषा अनुरागी के पूजा अर्चना के बाद विवाद खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया पर चल रही ख़बरों के मुताबिक आश्रम को अपवित्र मानते हुए ग्रामीणों ने पहले उसे गंगा जल से धोया और बाद में धूम्र ऋषि की मूर्ति को संगम में स्नान कराया.
यह घटना बीते 12 जुलाई की है. 12 जुलाई को मनीषा अनुरागी हमीरपुर से 80 किलोमीटर दूर मुस्करा खुर्द गांव के एक विद्यालय में बच्चों के ड्रेस वितरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेने के बाद वर्षों पुराने धूम्र ऋषि मंदिर में पूजा-अर्चना की.
मालूम हो कि इस आश्रम को महाभारत काल का माना जाता है. जब विधायक के मंदिर में प्रवेश की बात ग्रामीणों को पता चली तो वे नाराज़ हो गए.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट ग्रामीणों का मानना है कि ऋषि धूम्र महिला के आश्रम में उपस्थिति से नाराज़ हो जाते और फिर क्षेत्र में सूखा पड़ सकता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रदेश में भारी वर्षा इसलिए हो रही है क्योंकि आश्रम और ऋषि की मूर्ति को गंगाजल से धोकर पवित्र किया गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में मंदिर के एक पुजारी ने बताया, ‘अभी तक इस मंदिर में कोई महिला नहीं आई थी. जिस वक़्त मनीषा अनुरागी मंदिर पहुंचीं उस वक्त मैं वहां मौजूद नहीं था. उनको यहां आने की इज़ाज़त नहीं है.’
गांव के प्रधान ओमप्रकाश ने बताया कि ग्रामीणों की पंचायत के बाद पहले पूरे आश्रम की गंगा जल से धुलाई करवाई गई. बाद में गांववालों के चंदे से धूम्र ऋषि की मूर्ति को फूलों की डोली में इलाहाबाद ले जाकर संगम स्नान भी कराया गया.
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम प्रधान ओम प्रकाश अनुरागी ने कहा कि गांव के विकास को लेकर कुछ प्रस्ताव रखे गए थे. इनमें धूम्र ऋषि के मंदिर तक जाने वाले रास्ते को सीसी रोड बनवाने का भी प्रस्ताव था.
प्रधान ने बताया कि इस सड़क का निरीक्षण करने के दौरान ही उन्हें मंदिर की जानकारी दी गई. ग्रामीणों के कहने पर ही उन्होंने मंदिर में पूजा की. उस दिन गांव में किसी भी किस्म की कोई चर्चा नहीं थी, लेकिन यह बात गांव के सामंतवादी दबंगों को रास नहीं आई इसलिए मंदिर के अपवित्र होने का माहौल तैयार किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान ने बताया कि उसके बाद गांव में पंचायत हुई. इसी पंचायत में चंदा करके बीते 22 जुलाई को ग्रामीण मंदिर की एक ईंट प्रतीक के रूप में इलाहाबाद ले गए और संगम में स्नान कराने के बाद मंदिर में फिर से स्थापित करवाया.
ग्राम प्रधान ओम प्रकाश अनुरागी के अनुसार, पूरे घटनाक्रम के पीछे खुराफाती लोग काम कर रहे हैं. गांव की 60 फीसदी आबादी दलित है. प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, जिसमें मेरी जीत हुई इसके बाद गांव में गोलबंदी शुरू हो गई.
उन्होंने कहा कि विधायक के मंदिर जाने के बाद उसे पवित्र करने के पीछे सिर्फ उन्हें नीचा दिखाने की चेष्टा की गई है.
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान के बड़े भाई घासीराम कहते हैं कि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित है और यह सालों पुरानी परंपरा है.
घासीराम ने बताया कि जब विधायक मनीषा अनुरागी मंदिर जा रही थीं तो उन्होंने इसलिए नहीं रोका क्योंकि उन्हें लगा कि कौन दुश्मनी मोल ले. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद जाने वाले दल में वह भी शामिल थे.
इस संबंध में उत्तर प्रदेश की राठ सीठ से विधायक मनीषा अनुरागी कहती हैं कि महिलाओं का वहां जाना उचित नहीं है, लेकिन अगर मैं वहां गई हूं तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है. अल्प बुद्धि के कुछ नागरिकों की ऐसी सोच है.’
अपर ज़िलाधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल ने 30 जुलाई की देर शाम बताया, ‘यह मामला आज ही मीडिया के ज़रिये उनके संज्ञान में आया है. असलियत की जानकारी के लिए स्थानीय अभिसूचना इकाई (एसआईयू) के कुछ अधिकारियों को गांव भेजकर जानकारी जुटाई जा रही है . रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.’