असम की पहली महिला मुख्यमंत्री सैयदा तैमूर पिछले कुछ सालों से आॅस्ट्रेलिया में रह रही हैं. उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है कि उनका नाम सूची में नहीं है.
गुवाहाटी: असम की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री रहीं सैयदा अनोवरा तैमूर का नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में नहीं है और उन्होंने इस रजिस्टर में अपने और अपने परिवार का नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आॅस्ट्रेलिया से वापस आने की योजना बनाई है.
आस्ट्रेलिया में रह रहीं सैयदा ने एक टेलीविजन चैनल से कहा, ‘यह निराशाजनक है कि मेरा नाम सूची में नहीं है. मैं अगस्त के आख़िरी हफ़्ते में असम लौटूंगी और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में अपना और अपने परिवार का नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू करूंगी.’
81 वर्षीय सैयदा तैमूर ने दिसंबर 1980 से जून 1981 तक राज्य सरकार की अगुवाई की थी. वह पिछले कुछ सालों से बीमार रही हैं और आॅस्ट्रेलिया में अपने बेटे के साथ रह रही हैं.
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने एक रिश्तेदार को एनआरसी में उनके परिवार को शामिल करने के लिए आवेदन जमा करने को कहा था लेकिन यह किसी कारण से हो नहीं सका.
एनआरसी से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ा आंकड़ा मौजूद नहीं था और यह संभव नहीं हो सका कि वह या उनके परिवार के सदस्यों ने एनआरसी के मसौदे में अपना नाम शामिल करने के लिए आवेदन किया है या नहीं.
सैयदा तैमूर 1988 में राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं. इसके अलावा वह 1972, 1978, 1983 और 1991 में राज्य विधानसभा की सदस्य भी रहे चुकी हैं.
साल 2011 में कांग्रेस का साथ छोड़कर वह आॅल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) में शामिल हो गई थीं.
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए एआईयूडीएफ के महासचिव अमिनुल इस्लाम ने बताया कि मीडिया रिपोर्ट से हमें इस बात की जानकारी मिली है कि असम की पहली महिला मुख्यमंत्री सैयदा तैमूर का नाम एनआरसी के मसौदे में शामिल नहीं हो पाया है. उनके अलावा पूर्व अध्यक्ष फ़ख़रुद्दीन अली के भतीजे का नाम भी शामिल नहीं हो पाया है. यह गंभीर मसला है.
उन्होंने कहा कि एनआरसी गड़बड़ियों से भरा पड़ा है. इसे लेकर एनआरसी राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला से मुलाकात की जाएगी. इसके बाद तय होगा कि आगे क्या किया जाए.
इस बीच दिसपुर में राजधानी मस्जिद के समीप सैयदा तैमूर का निवास ख़ाली है. मालूम हो की एनआरसी का संपूर्ण मसौदा बीते 30 जुलाई को जारी किया गया. इसमें 3.29 करोड़ लोगों में 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए है. तकरीबन 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हो सके हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)