नॉर्थ ईस्ट डायरी: असम के मुख्यमंत्री ने कहा, एनआरसी पर ‘गृहयुद्ध’ जैसी टिप्पणियां उचित नहीं

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आमने-सामने. ममता के ख़िलाफ़ पांच और सोनोवाल के ख़िलाफ़ दो केस दर्ज.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल. (फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आमने सामने. ममता के ख़िलाफ़ पांच और सोनोवाल के ख़िलाफ़ दो केस दर्ज.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल. (फोटो: पीटीआई)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘भड़काऊ’ टिप्पणी किसी वरिष्ठ नेता के लिए उचित नहीं है और उनकी सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है.

सोनोवाल ने आरोप लगाया कि बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एनआरसी पर ‘दुष्प्रचार’ कर और ‘गलत सूचनाएं’ देकर संसद की कार्यवाही बाधित की है और संसद का बहुमूल्य वक्त बर्बाद किया है.

उन्होंने कहा, ‘निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से तैयार किए गए एनआरसी के मसौदे के प्रकाशन के बाद असम में कानून और व्यवस्था से जुड़ी एक भी घटना नहीं हुई.’

मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी से टेलीफोन पर दिए गए साक्षात्कार में आरोप लगाया, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के बयान भड़काऊ और विभाजनकारी हैं और उनके अपने राज्य के वोट बैंक के लिए है. यह मुख्यमंत्री के लिए उचित नहीं है.’

उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि असम में एनआरसी की कवायद लोगों को विभाजित करने की ‘राजनीतिक मंशा’ के तहत की गई है. इससे देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है और खूनखराबा भी हो सकता है.

उन्होंने कहा कि देश में तथा विदेश में एनआरसी पर अफवाहें फैलाई गईं लेकिन वह असम की जनता के प्रति आभारी हैं खासतौर पर बराक घाटी तथा बंगालियों के प्रति जो बाहरी ताकतों की बुरी योजना के शिकार नहीं बने जिन्होंने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को उकसाने का प्रयास किया.

उन्होंने एनआरसी के मसौदे के प्रकाशन का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर भी भड़ास निकाली.

सोनोवाल ने कहा, ‘राज्य की कांग्रेस सरकार 2010 में लॉन्च एनआरसी की प्रायोगिक परियोजना कानून और व्यवस्था की समस्या के कारण पूरी करने तक में विफल रही है. यह हमारी सरकार है जिसने उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत पहल की और दो साल में प्रक्रिया पूरी की.’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर वह सुनिश्चित करेंगे कि एनआरसी के अंतिम मसौदे में एक भी भारतीय छूटने नहीं पाए.

सोनोवाल ने पश्चिम बंगाल के साथ असम के संबंधों का ज़िक्र करते हुए कहा कि सदियों से दोनों राज्यों के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध हैं और आशुतोष मुखर्जी जैसे विद्वानों ने 20वीं सदी की शुरुआत में कलकत्ता विश्वविद्यालय में असमिया भाषा शामिल करने में सहायता की.

उन्होंने कहा, ‘इसलिए ऐसे राज्य, जिसकी संस्कृति तथा परंपरा की जड़ें बेहद गहरी हैं, की मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी को इस प्रकार के निराधार बयान नहीं देने चाहिए जिनमें सांप्रदायक रंग हैं और जिनका मकसद असम और बंगाल के बीच प्रगाढ़ संबंध को बिगाड़ना है.’

उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार एनआरसी के अद्यतन के काम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल तथा एनआरसी अधिकारियों का शुक्रिया अदा किया.

मालूम हो कि असम में एनआरसी को तैयार करने की प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय की निगरानी में चल रही है और अंतिम मसौदा 30 जुलाई को जारी किया गया. इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए. 40 लाख आवेदकों के नाम को अंतिम मसौदे में जगह नहीं मिली.

शीर्ष अदालत के निर्देश पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी, 2018 की दरम्यानी रात में प्रकाशित हुआ था. इस मसौदे में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ नाम शामिल किए गए थे.

असम राज्य 20वीं सदी के प्रारंभ से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है और यह अकेला राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है. पहली बार इस रजिस्टर का प्रकाशन 1951 में हुआ था.

गृह मंत्रालय ने बीते 30 जुलाई को घोषणा की कि एनआरसी की अंतिम सूची 31 दिसंबर तक प्रकाशित की जाएगी.

अधिसूचना में कहा गया कि नागरिक पंजीकरण के महापंजीयक ने अधिसूचित किया है कि एन आर सी 1951 के अद्यतन के संबंध में गणना 31 दिसंबर 2015 तक पूरी हो जाएगी.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते 30 जुलाई को कहा कहा कि एनआरसी के मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा क्योंकि इस तरह के अधिकार केवल न्यायाधिकरण के पास है. कोई भी व्यक्ति न्यायिक उपचार के लिए न्यायाधिकरण के पास जा सकता है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ पांच और असम के मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ दो शिकायतें दर्ज

गुवाहाटी/कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के ख़िलाफ़ असम में दो और प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि धर्म के आधार पर कथित तौर पर गड़बड़ी पैदा करने के लिए ये प्राथमिकियां दर्ज की गईं.

एनआरसी के अंतिम मसौदा के 30 जुलाई को प्रकाशन के बाद से असम में ममता के ख़िलाफ़ कुल पांच प्राथमिकियां दर्ज की जा चुकी हैं.

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के ख़िलाफ़ भी बीते तीन अगस्त को पश्चिम बंगाल में दो पुलिस शिकायत दर्ज कराई गई.

पुलिस ने बताया कि बीते चार अगस्त को असम में एनआरसी का विरोध करने वाली बनर्जी के पुतले फूंके गए और दिन में पूरे असम में उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए.

पुलिस उपायुक्त (मध्य) रंजन भुइयां ने कहा कि गुवाहाटी और सिलचर में कथित तौर पर धर्म के आधार पर गड़बड़ी पैदा करने के लिए दो प्राथमिकियां दर्ज की गईं.

उन्होंने बताया कि असम पब्लिक वर्क्स के ध्रुव ज्योति तालुकदार की शिकायत के आधार पर बीते तीन अगस्त की रात गीतानगर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई और दूसरी प्राथमिकी कछार के उधारबंद थाने में एक महिला पुलिसकर्मी ने दर्ज कराई जो सिलचर हवाई अड्डे पर टीएमसी सदस्यों के साथ कथित तौर पर हुए धक्का-मुक्की के दौरान जख़्मी हो गई थी.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बनर्जी और तृणमूल की आठ सदस्यीय टीम के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 120 (बी) के तहत आपराधिक षड्यंत्र रचने, धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, आवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाने), धारा 298 (किसी व्यक्ति की धार्मिक भावना को आहत करने के इरादे से शब्दों का प्रयोग) की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

उन्होंने कहा कि कछार में धारा 144 का उल्लंघन करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई.

बनर्जी के ख़िलाफ़ दो अगस्त को असम के पानबाज़ार, बशिष्ठ और उत्तर लखीमपुर में भी मामले दर्ज किए गए थे.

इधर, असम पुलिस के अधिकारियों द्वारा सिलचर हवाई अड्डे पर तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधियों के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने और उनके अवैध रूप से हिरासत में लेने को लेकर (असम के) मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के ख़िलाफ़ कोलकाता में पुलिस ने दो मामले दर्ज किए गए हैं. तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने यह जानकारी दी.

Guwahati: Maya Devi Sonar (left) and Malati Thapa, residents of Hatigaon, show documents outside the National Register of Citizens (NRC) Seva Kendra claiming that their and their family members’ names were not included in the final draft of the state's NRC, in Guwahati on Monday, July 30, 2018. (PTI Photo) (PTI7_30_2018_000117B)
गुवाहाटी में बीती 30 जुलाई को माया देवी सोनार (बाएं) और मालती थापा एनआरसी के मसौदे में आपना नाम शामिल नहीं हो पाने का दावा किया. (फोटो: पीटीआई)

एक शिकायत विधाननगर पुलिस कमीशनरेट के अंतर्गत आने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा थाने में और दूसरी शिकायत अलीपुर थाने में दर्ज करायी गई.

तृणमूल विधायक मोहुआ मोइत्रा ने अलीपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई. दस्तीदार ने बताया कि तृणमूल ने सोनोवाल के विरुद्ध जनप्रतिनिधियों को अवैध रूप से हिरासत में लेने और उनके साथ दुर्व्यहार के आरोप लगाए हैं.

मोइत्रा ने कहा, ‘मैंने और हमारी पार्टी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने बीते दो अगस्त के दुर्व्यवहार और अवैध हिरासत को लेकर असम के मुख्यमंत्री के विरुद्ध दो अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराईं. (सिलचर हवाई अड्डे पर) हम पर पुलिस अधिकारियों ने हमला किया.’

दस्तीदार और मोइत्रा तृणमूल कांग्रेस के उस आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की हिस्सा थीं जिसे बीते दो अगस्त को असम के सिलचर हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था और ऐहतियाती हिरासत में ले लिया गया था.

प्रतिनिधिमंडल असम के एनआरसी के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के बाद असम में बंगाली बहुल कछार ज़िले की ज़मीनी हकीकत का आकलन करने पहुंचा था.

त्रिपुरा: एनआरसी समीक्षा पर भाजपा की सहयोगी पार्टी के अलग सुर

अगरतला: त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने राज्य की आबादी की रक्षा के लिए एनआरसी की समीक्षा का मामला उठाया है. हालांकि मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब कह चुके हैं कि इसकी कोई ज़रूरत नहीं है.

राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री मेवार कुमार जमातिया ने कहा कि उन्हें एनआरसी की समीक्षा की उम्मीद है क्योंकि असम और त्रिपुरा की आबादी की स्थिति कमोबेश एक समान है.

जमातिया आईपीएफटी के महासचिव भी हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम राज्य में एनआरसी की समीक्षा की मांग कर चुके हैं. हमने 18 फरवरी के विधानसभा चुनाव के पहले गृह मंत्रालय को एक ज्ञापन भी सौंपा था. जनसांख्यिकीय संतुलन के मामले में असम और त्रिपुरा की स्थिति कमोबेश एक है.’

उन्होंने कहा कि आईपीएफटी अगरतला के निकट आदिवासियों की एक बड़ी रैली आयोजित करने की योजना बना रही है.

मसौदा एनआरसी ‘दोषपूर्ण’, इससे बाहर 40 लाख लोगों में से अधिकांश भारतीय: गोगोई

तरुण गोगोई (फोटो: पीटीआई)
तरुण गोगोई (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बीती 31 जुलाई को एनआरसी के पूर्ण मसौदे को दोषपूर्ण बताया और दावा किया कि इस सूची से बाहर किए गए 40 लाख लोगों में से अधिकतर भारतीय हैं.

गोगोई ने कहा कि असम में कांग्रेस ने कभी भी बांग्लादेशी लोगों के मतों से चुनाव नहीं जीता. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वह और मौजूदा मुख्यमंत्री समान मतदाता सूची के आधार पर जीते हैं.

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने स्वीकार किया कि अवैध बांग्लादेशी लोग असम में रह रहे हैं लेकिन कहा कि उनकी संख्या एनआरसी में दिए गए 40 लाख के आंकड़े से कम है.

एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी होने के एक दिन बाद गोगोई ने कहा, ‘यह पूरी तरह दोषमुक्त एनआरसी नहीं है. इसमें कुछ गड़बड़ियां हैं. यह दोषपूर्ण है. 40 लाख लोगों में से अधिकतर लोग भारतीय नागरिक हैं.’

गोगोई ने कहा, ‘जिन लोगों के नाम इसमें नहीं हैं सरकार को उन्हें कानूनी मदद देनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी की तरफ से हम हरसंभव तरीके से उनकी मदद करने जा रहे हैं. इन लोगों को विदेशी मानना सही नहीं है.’

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा विदेशी घोषित किए गए कई लोगों के नाम इसमें शामिल कर लिया गया है जबकि विदेशियों के लिए बनाए गए हिरासत शिविरों में रह रहे कुछ लोगों के नाम इस सूची में है.

जिन लोगों के ख़िलाफ़ विदेशों में मामले लंबित हैं, उन्हें एनआरसी में जगह नहीं दी जाएगी: हजेला

गुवाहाटी: एनआरसी के असम प्रदेश समन्वयक प्रतीक हजेला ने बीते चार अगस्त को कहा कहा कि जिन लोगों के ख़िलाफ़ विदेशों में मामले लंबित हैं, उन्हें अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में जगह नहीं दी जाएगी. हालांकि, असली भारतीय नागरिकों को छोड़ा नहीं जाएगा.

उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को जारी एनआरसी के अंतिम मसौदे में कुछ ‘विदेशियों’ के नाम शामिल हैं जबकि उन्होंने इस तथ्य को छिपाया कि उनके ख़िलाफ़ विदेशी अधिकरण में मामले लंबित हैं.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कई ने नाम में सुधार किया, पता बदला और अपनी पहचान भी बदल ली.

बीते दो अगस्त को एक अधिकारी ने कहा था कि 39 परिवारों के 200 संदिग्ध विदेशियों के नाम एनआरसी के मसौदे में शामिल किए गए हैं. इस बात का पता मसौदे के मुद्रण की प्रक्रिया के दौरान चला.

हजेला ने कहा, ‘यह निरंतर प्रक्रिया है और कानून मुझे सभी अनियमितताएं या त्रुटियां हटाने और त्रुटिमुक्त और विदेशी मुक्त अंतिम एनआरसी का प्रकाशन सुनिश्चित करने की अनुमति देता है.’

उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं किये गए हैं वे 30 अगस्त से 28 सितंबर के बीच दावा, आपत्तियां और फिर से जवाब दाख़िल कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम सौंपे गए आवेदन के अनुसार प्रत्येक मामले पर विचार करेंगे, सुनवाई करेंगे और उन्हें मंजूरी देंगे या उसका निपटारा करेंगे.’

प्रदेश समन्वयक ने कहा कि लोगों को अपनी विरासत को साबित करने के लिए नए दस्तावेज़ सौंपने की अनुमति दी गई है. वे पुराने, नए या मिश्रित दस्तावेज़ भी इस उद्देश्य के लिये सौंप सकते हैं.

हजेला ने कहा कि मसौदा एनआरसी में तीन तरह की त्रुटियां पाई गई हैं. गलत तरीके से नाम नहीं शामिल किया जाना- इसके लिये दावा दाखिल किया जा सकता है, गलत तरीके से नाम शामिल किया जाना- इसके लिये आपत्ति दायर की जा सकती है और नाम और पता में त्रुटियां शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि लोग सुधार के लिये ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसे 30 अगस्त से 28 सितंबर की अवधि के लिये आवेदन, दावा और आपत्तियों के लिए तैयार किया गया है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय फिलहाल दावों और आपत्तियों पर विचार के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर रहा है.

उच्चतम न्यायालय को 16 अगस्त को एसओपी सौंपा जाएगा. इसके बाद शीर्ष अदालत भावी कार्रवाई के लिये तारीख़ निर्धारित करेगी.

प्राथमिकता रहेगी कि एनआरसी के दायरे से कोई असल नागरिक न बाहर रह जाए: महापंजीयक

Guwahati: Sailesh, Registrar General of India and Prateek Hajela, NRC State Coordinator (l) addresses a press conference on the final draft of Assams National Register of Citizens, at NRC office, Bhangagarh in Guwahati, on Monday, July 30, 2018. Satyendra Garg, Joint Secretary, is also seen. (PTI Photo)(PTI7 30 2018 000035B)
बीती 30 जुलाई को असम की राजधानी गुवाहाटी के भंगागढ़ में भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त शैलेश और एनआरसी के असम कोआॅर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने एनआरसी का अंतिम मसौदे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एनआरसी के अंतिम मसौदे से 40 लाख लोगों को बाहर रखने पर जारी विवाद के बीच देश के शीर्ष जनगणना अधिकारी ने बीते दो अगस्त को कहा कि ‘तकनीकी पक्ष’ के कारण आख़िरी सूची से कोई भी भारतीय छूटेगा नहीं और जो छूट गए हैं उनकी चिंताओं से अधिकारी अवगत हैं.

भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त शैलेश ने एक साक्षात्कार में बताया कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के लिए आवेदन प्रक्रिया के संबंध में ‘‘सूचना एवं जानकारी” की कमी की वजह से दूसरे और अंतिम मसौदे में कुछ नाम छूट गए होंगे जो 30 जुलाई को प्रकाशित हुआ था.

उन्होंने कहा, ‘ये बातें हमारे लिए भी चिंता का विषय हैं और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी भारतीय नागरिक तकनीकी पक्षों की वजह से छूट न जाए. कुछ ऐसे मामले हो सकते हैं जहां सूचना एवं सशक्तिकरण की कमी की वजह से एक व्यक्ति के पास से कुछ कागज़ात गुम हो गए हों लेकिन अगर कोई वास्तव में भारतीय नागरिक है तो उसे बेफिक्र रहना चाहिए.’

शैलेश से जब कुछ परिवारों के कुछ सदस्यों और महत्वपूर्ण लोगों के नाम छूट जाने की खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एक वास्तविक नागरिक को आवश्यक दस्तावेज़ मिलें.’

असम कैडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी ने कहा कि वह इन मुद्दों से अवगत हैं.

शैलेश ने कहा, ‘हम मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं. अगर कुछ व्यक्तियों द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों में छोटी सी भी गलती है तो उसको सही कराने का तरीका उपलब्ध है.’

उन्होंने कहा कि 30 अगस्त से शुरू हो रही दावा और आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया के दौरान एनआरसी अधिकारियों की प्राथमिकताओं में लोगों की शिकायत सुनना, ज़रूरतमंदों एवं अशिक्षित लोगों को सहयोग देना और पूरी प्रक्रिया समझाने के लिए सोशल, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर एक गहन जागरूकता अभियान शुरू करना शामिल है.

छात्र संगठन ने एनआरसी का विस्तार पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में करने की मांग की

शिलॉन्ग/आइज़ोल/अगरतला/कोहिमा/ईटानगर/इम्फाल: असम में बीती 30 जुलाई को एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी किए जाने के बाद सूची में शामिल नहीं किए गए लोगों की संभावित घुसपैठ को रोकने के लिए पड़ोसी राज्यों ने सतर्कता बढ़ा दी है. वहीं, क्षेत्र की एक प्रमुख छात्र संगठन ने एनआरसी का विस्तार पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी करने की मांग की है.

एनआरसी का मसौदा तैयार करने के लिए असम सरकार की प्रशंसा करते हुए छात्र संगठन नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंटस ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) ने मांग की है कि इसका दायरा क्षेत्र के अन्य राज्यों तक बढ़ाया जाए क्योंकि वे भी अवैध प्रवासियों की समस्या का सामना कर रहे है.

एनईएसओ के अध्यक्ष सैमुअल जैरवा ने कहा कि असम समझौते के बाद एनआरसी की मांग की गई थी. अब हम चाहते हैं कि इसका विस्तार पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी किया जाए.

उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि एनआरसी के अंतिम मसौदे में कई लोगों को शामिल नहीं किया गया है. इसलिए, पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों को बेहद सतर्क रहना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि ये लोग असम से शरण के लिए आ जाएं.

असम के एनआरसी मसौदे को लेकर प्राधिकारी कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करें: न्यायालय

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बीती 31 जुलाई को कहा कि असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे के प्रकाशन के आधार पर किसी के भी ख़िलाफ़ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि यह अभी सिर्फ एक मसौदा ही है.

जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरिमन की पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि इस मसौदे के संदर्भ में दावों और आपत्तियों के निरस्तारण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की जाए. यह मानक संचालन प्रक्रिया 16 तक उसके समक्ष मंज़ूरी के लिए पेश की जाए.

न्यायालय ने कहा कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए और उन सभी को समुचित अवसर मिलना चाहिए जिनके नाम इस सूची में शामिल नहीं है.

इससे पहले, असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के समन्यवक प्रतीक हजेला ने न्यायालय के समक्ष अपनी प्रगति रिपोर्ट पेश की जिसमें एनआरसी के बीती 30 जुलाई को प्रकाशन के बारे में विस्तृत विवरण था.

इस पर पीठ ने जानना चाहा कि अब अगली कार्रवाई क्या होगी.

हजेला ने कहा कि इस मसौदे में नाम शामिल करने और हटाने के बारे में अब दावे और आपत्तियां 30 अगस्त से 28 सितंबर के दौरान दायर की जा सकती हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मसौदा सात अक्टूबर तक जनता के लिए उपलब्ध रहेगा ताकि वे देख सकें कि इसमें उनके नाम हैं या नहीं.

केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि दावों और आपत्तियों की प्रक्रिया के निष्पादन में संबंधित मंत्रालय मानक संचालन प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करने के लिए तैयार है.

उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि उसे यह निर्देश देना चाहिए कि सभी को समान अवसर प्रदान किए बगैर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि 31 दिसंबर को प्रकाशित असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उनके दावों की जांच पड़ताल बाद वाली सूची में की जाएगी और यदि वे सही पाए गए तो उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा.

छूट गए 40 लाख लोगों के बायोमीट्रिक डाटा लेने पर विचार कर रहा है केंद्र

नई दिल्ली: केंद्र ने बीती 31 जुलाई को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह उन 40 लाख लोगों के बायोमीट्रिक्स का ब्योरा लेने पर विचार कर रहा है जिनके नाम असम में एनआरसी के अंतिम मसौदा में शामिल नहीं हैं, ताकि गलत पहचान के आधार पर अन्य राज्यों में उनके प्रवेश को रोका जा सके.

केंद्र की ओर से उपस्थित अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ से कहा कि पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों ने आशंका जताई है कि वैसे लोग जिनके नाम एनआरसी के दूसरे और अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं, वे अन्य राज्यों में पलायन कर सकते हैं.

वेणुगोपाल ने कहा, ‘उन राज्यों की आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार 40 लाख से अधिक लोगों का बायोमीट्रिक डाटा एकत्र करने पर विचार कर रही है, ताकि अगर उन्हें विदेशी घोषित किया जाता है और वे गलत पहचान के आधार पर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं तो संबंधित अधिकारी उनका पता लगा सकें.’

इस पर पीठ ने कहा कि सरकार जो भी करना चाहती है वो कर सकती है और न्यायालय इसकी जांच करेगा.

पीठ ने कहा, ‘आप जो भी चाहें करें. फिलहाल हम टिप्पणी करना नहीं चाहेंगे. आप इसे करें और तब हम इसकी जांच करेंगे. हमारी चुप्पी सहमति या आश्वासन का प्रतीक नहीं है.’

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन 40 लाख से अधिक लोगों के नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि यह सिर्फ मसौदा है.

पीठ ने केंद्र को दावों और मसौदा एनआरसी के प्रकाशन से उपजी आपत्तियों पर फैसला करने के लिए समय-सीमा तय करने समेत इसका स्वरूप और मानक संचालन प्रक्रिया(एसओपी) तैयार करने को कहा.

पीठ ने केंद्र से इसके तौर-तरीके और एसओपी 16 अगस्त तक मंज़ूरी के लिए उसे सौंपने को कहा.

सुनवाई के अंत में ट्रांसजेंडरों के एक संगठन ने पीठ से अनुरोध किया कि वह 20 हज़ार ट्रांसजेंडरों को एनआरसी फॉर्म भरने का दूसरा मौका दे.

पीठ ने कहा, ‘आपने मौका गंवा दिया. हम समूची कवायद को अब दोबारा शुरू नहीं कर सकते.’

न्यायालय ने हालांकि कहा कि वह मुख्य मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 16 अगस्त को सभी वादकालीन आवेदनों (इंटरलोक्यूटरी ऐप्लिकेशन) पर सुनवाई करेगा.

असम: मोरीगांव ज़िले में मसौदा एनआरसी में 200 संदिग्ध विदेशी

गुवाहाटी: एनआरसी मसौदे में असम के मोरीगांव ज़िले में 39 परिवारों के 200 संदिग्ध विदेशी शामिल हैं.

मोरीगांव के उपायुक्त हेमन दास ने बीते दो अगस्त को बताया कि ज़िले में मसौदे की प्रिंटिंग प्रक्रिया के दौरान इस मामले का पता चला. इन नामों को अंतिम एनआरसी मसौदे से हटा दिया जाएगा, जिसे आपत्तियों और दावों के निपटारे के बाद जारी किया जाएगा.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘करीब 200 संदिग्ध मतदाता जिन्हें विदेशी घोषित किया गया है और जिनके मामले अब भी विदेशी अधिकरण में लंबित हैं, उन्हें सूची में शामिल किया गया है.’

दास ने कहा, ‘हमने इस तथ्य को सार्वजनिक करने का निर्णय किया है ताकि लोगों का एनआरसी प्रक्रिया में विश्वास खत्म नहीं हो और इसकी निष्पक्षता पर सवाल न उठें.’

त्रिपुरा: मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य में सबके पास वैध दस्तावेज़, एनआरसी की कोई मांग नहीं

बिप्लब कुमार देब. (फोटो साभार: ट्विटर)
बिप्लब कुमार देब. (फोटो साभार: ट्विटर)

नागपुर: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने बीती 31 जुलाई को कहा कि राज्य में सभी के पास वैध दस्तावेज़ हैं और असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की तर्ज पर राज्य में नागरिक रजिस्टर की कोई मांग नहीं है.

उन्होंने इस बात पर भी भरोसा व्यक्त किया कि असम में उनके समकक्ष बीती 30 जुलाई को एनआरसी के अंतिम मसौदे के जारी होने के बाद बनी स्थिति से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मिलने के लिए नागपुर आए देब ने कहा कि त्रिपुरा में एनआरसी की कोई मांग नहीं है.

भाजपा नेता ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘त्रिपुरा में सबकुछ व्यवस्थित है और सभी के पास वैध दस्तावेज़ हैं. इसलिए हमारे लिए यह मुद्दा नहीं है.’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि यह असम में संवेदनशील मुद्दा भी है और वहां के मुख्यमंत्री स्थिति को संभालने में सक्षम हैं.’

अरुणाचल प्रदेश: अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने का अभियान

ईटानगर: असम में एनआरसी का तैयार प्रारूप प्रकाशित होने के तीन दिन बाद बीते दो अगस्त को अरुणाचल प्रदेश में छात्रों के सर्वोच्च संगठन ने ‘बिना दस्तावेज़ वाले प्रवासियों’ को 15 दिन के भीतर राज्य छोड़ कर जाने को कहा है.

एनआरसी प्रकाशित होने की पृष्ठभूमि में पड़ोसी असम से लोगों के ‘अपने क्षेत्र में घुस’ आने की आशंका जताते हुए ‘ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट यूनियन’ (एएपीएसयू) ने एक बयान में कहा कि वह ‘गैर अरुणाचलवासियों’ को बाहर निकालने के लिए ‘ऑपरेशन क्लीन ड्राइव’ चलाएगी और राज्य के प्रवेश बिंदुओं पर नज़र रखने में ज़िला प्रशासन की मदद करेगी.

एएपीएसयू के महासचिव तोबोम दई ने कहा कि असम के एनआरसी प्रारूप में जिनका उल्लेख नहीं हैं वे अवैध प्रवासी भारी संख्या में निर्वासन से बचने के लिए राज्य में प्रवेश करने का प्रयास कर सकते हैं.

मणिपुर फ़र्ज़ी मुठभेड़: न्यायालय ने जांच तेजी से पूरी करने को कहा

(फोटो साभार: विकिपीडिया)
(फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बीती 30 जुलाई को कहा कि मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और राज्य पुलिस द्वारा कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ का मामला लोगों के ‘जीवन और मरण’ के मुद्दे से संबंधित है. शीर्ष अदालत ने सीबीआई की एसआईटी से इन मामलों की जांच तेजी से पूरी करने को कहा.

जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस उदय यू. ललित की पीठ को सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा ने बताया कि मणिपुर कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामलों के संबंध में सक्षम अदालत के समक्ष बीती 30 जुलाई को दो आरोप पत्र दाख़िल किए गए और 31 अगस्त तक पांच अन्य मामलों में भी अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी जाएगी. वर्मा न्यायालय के निर्देशानुसार शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हुए थे.

वर्मा ने कहा कि कथित रूप से हत्या, आपराधिक साज़िश और साक्ष्य नष्ट करने के लिए आरोप पत्र में 14 व्यक्तियों को नामज़द किया गया है.

शीर्ष अदालत ने मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं और फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामलों की जांच पर नाराज़गी व्यक्त करते हुये सीबीआई निदेशक वर्मा को तलब किया था.

सुनवाई के दौरान वर्मा ने पीठ से कहा कि 20 अन्य मुठभेड़ के मामलों की जांच दिसंबर के अंत तक पूरी हो जाएगी. इसके बाद एसआईटी 14 और मामलों की जांच शुरू करेगी.

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने न्यायालय से कहा कि हत्या के गंभीर अपराध के लिये दो मामलों में 14 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया गया है, लेकिन किसी की भी अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है.

इस पर पीठ ने सीबीआई निदेशक से पूछा, ‘क्या जांच के दौरान आपने किसी को भी गिरफ्तार किया है. जब वर्मा ने कहा, नहीं. इस पर पीठ ने पलटकर कहा, ‘क्यों. इसके क्या कारण हैं. इसका मतलब है कि आपके अनुसार हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं.’

वर्मा ने पीठ से कहा कि मुख्य रूप से कोई भी गिरफ्तारी इस वजह से नहीं की गई है कि आरोपियों से कुछ भी बरामद नहीं किया जाना था.

वर्मा ने कहा, ‘कोई बयान नहीं है. ये मामले 1984 के समय के हैं. सभी आरोपियों के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोप पत्र दायर किया गया है.’

इसके बाद न्यायालय ने हत्या, आपराधिक साजिश और साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में आरोप पत्र में नामित व्यक्तियों को गिरफ्तार करने या नहीं करने का निर्णय जांच ब्यूरो के निदेशक और एसआईटी के प्रभारी के विवेक पर छोड़ दिया.

इस मामले में न्यायालय अब 20 अगस्त को आगे सुनवाई करेगा.

न्यायालय मणिपुर में कथित रूप से गैर न्यायिक हत्याओं के 1528 से अधिक मामलों की जांच के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. न्यायालय ने इस मामले में पिछले साल 14 जुलाई को विशेष जांच दल का गठन किया था और उसे प्राथमिकी दर्ज करके उनकी जांच का आदेश दिया था.

सीबीआई ने कहा, पूरा रिकार्ड मिलना बाकी

गैर न्यायिक हत्याओं से जुड़े 41 मामलों की जांच कर रही सीबीआई को इस अपराध में कथित तौर पर शामिल स्थानीय पुलिस, थल सेना और अर्द्धसैनिक बलों से पूरा रिकॉर्ड मिलना अभी बाकी है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि फ़र्ज़ी मुठभेड़ की घटनाओं के नए मामले दर्ज करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई ने 27 मामले दर्ज किए और दो आरोप पत्र दाख़िल किए हैं.

न्यायालय ने पुलिस एफआईआर को फिर से दर्ज करने (आमतौर पर सीबीआई इस नियम का अनुपालन करती है) के बजाय नए सिरे से मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे.

गौरतलब है कि एक्सट्रा ज्यूडिशयल एक्जीक्यूशन विक्टिम्स एसोसिएशन ने 1979 से 2012 के बीच सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर अंजाम दी गई इस तरह की 1,528 हत्याओं की सीबीआई जांच की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख़ किया था.

असम: बाढ़ से मरने वालों की संख्या 43 पहुंची

असम में पिछले दिनों आई बाढ़ (फाइल फोटो: पीटीआई)
असम में पिछले दिनों आई बाढ़ (फाइल फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम में बाढ़ की स्थिति बिगड़ती जा रही है. राज्य के शिवसागर ज़िले में बीते चार अगस्त को दो और लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 43 पहुंच गई हैं.

राज्य के छह ज़िलों में करीब 1.1 लाख लोग बाढ़ से अभी भी प्रभावित हैं.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, शिवसागर के सोनारी राजस्व क्षेत्र में बाढ़ संबंधित घटनाओं में दो व्यक्तियों की जान चली गई. इसके साथ ही बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 43 पहुंच गई है.

प्राधिकरण ने बताया कि धेमाजी, लखीमपुर,दरांग, गोलाघाट, शिवसागर और चराईदेव ज़िलों में बाढ़ से इस समय 1.09 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं.

नगालैंड: भारी बारिश से भूस्खलन, 50 से ज़्यादा परिवारों को हटाया गया

कोहिमा: नगालैंड में मूसलाधार बारिश की वजह से हुए भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हुए 49 घरों से 50 से ज़्यादा परिवारों को निकाला गया है.

राज्य में भारी बारिश तबाही मचा रही है.

कोहिमा की अतिरिक्त उपायुक्त लिथ्रोंगला ने बताया कि बीती 30 जुलाई को रात से कोहिमा शहर के अंतर्गत आने वाले नगा हॉस्पिटल कॉलोनी में 13 घर और पेजीलित्सी कॉलोनी में 36 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं. इनमें रह रहे 54 परिवार प्रभावित हुए हैं.

सूत्रों ने बताया कि खेतों और संपत्ति का करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन किसी इंसान के हताहत होने की ख़बर नहीं है.

उन्होंने बताया कि मूसलाधार बारिश की वजह से लगातार भूस्खलन हो रहा है जिस वजह से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ रही है.

अधिकारी ने बताया कि चौथे एनएपीसी को शिविर के पास ऑफिसर्स हिल पर 31 जुलाई की शाम बड़ा भूस्खलन हुआ है. नुकसान की जानकारी मिलने का इंतज़ार किया जा रहा है.

Aizawl: The earth under the buildings caves in after heavy rains triggered landslides in Aizawl, Mizoram on Tuesday. PTI Photo (PTI6_14_2017_000058B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

सिक्किम: आईओटी आधारित भूस्खलन चेतावनी प्रणाली लगाई गई

कोलकाता: सिक्किम में अमृता विश्व विद्यापीठम (एवीवी) ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित भूस्खलन चेतावनी प्रणाली लगाई है जो हिमालयी क्षेत्र में अपनी तरह की पहली प्रणाली है.

संस्थान के सेंटर फॉर वायरलेस नेटवर्क्स एंड एप्लीकेशन की निदेशक मनीषा सुधीर ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत यह प्रणाली लगाई गई है.

उन्होंने कहा, ‘परियोजना स्थल से नियंत्रण कक्ष तक डाटा का प्रवाह शुरू हो गया है. करीब 200 सेंसर भूमि के अंदर 13 मीटर तक लगाए गए हैं और विभिन्न डाटा का विश्लेषण कर उनको प्रेषित किया जा रहा है. हम करीब तीन वर्षों से यहां काम कर रहे हैं.’

उन्होंने बताया कि प्रणाली की विश्वसनीयता में सुधार और जल्द चेतावनी जारी करने की व्यवस्था को उन्नत बनाने के लिए तीन स्तरीय लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग विकसित किया गया है.

सुधीर ने बताया कि केरल के मुन्नार स्थित पश्चिम घाट के क्षेत्रों में 2009 से आईओटी आधारित भूस्खलन चेतावनी प्रणाली सफलतापूर्वक लगाए जाने के बाद यह परियोजना एवीवी विश्वविद्यालय को दी गई.

एवीवी के कुलपति वेंकट रंगन ने बताया कि सिक्किम में यह दूसरी परियोजना है जिसे सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से लागू किया गया है.

मणिपुरी: एनआईए ने कांग्रेस विधायक के घर पर छापा मारा, हथियार बरामद

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मणिपुर में कांग्रेस विधायक के घर पर छापा मारा है. उनके घर से हथियार और गोलियां बरामद की गई है. इन में पुलिस महानिदेशक के पूल से गायब हुई एक पिस्तौल भी शामिल है.

एजेंसी के प्रवक्ता ने बीती 31 जुलाई को नई दिल्ली में बताया कि अधिकारियों ने इम्फाल पूर्वी ज़िले के मंत्रिपुखी में सैकुल से विधायक यमथोंग हाओकीप के यहां बीती 30 जुलाई को छापा मारा.

एजेंसी मणिपुर राइफल्स बटालियन के परिसर में स्थित डीजीपी पूल कोटे (शस्त्रागार) से 56 पिस्तौलें और 58 मैगजीन के गायब होने के आपराधिक मामले की जांच कर रही है. यह हथियार सितंबर 2016 से 2017 के शुरुआती महीने के बीच गायब हुए हैं.

प्रवक्ता ने बताया कि विधायक के परिसर से 26.40 लाख रुपये नकद, 20 लाख रुपये कीमत के सोने के गहनों के साथ (डीजीपी शास्त्रागार से गायब हुई) 9 एमएम की एक पिस्तौल, अमेरिका में बनी एक पिस्तौल और मैगजीन, अन्य गैरलाइसेंसी पिस्तौल, दो बंदूकें और 45 गोलियां बरामद हुई हैं.

उन्होंने कहा कि अब तक हथियार गायब होने के मामले में नौ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं तथा तीन 9 एमएम की पिस्तौलें मिल चुकी हैं.

अरुणाचल प्रदेश: सरकार ने बताया चीन ने कोई खनन कार्य नहीं किया

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते दो अगस्त को कहा कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में खनन का कोई काम नहीं किया. सरकार ने साथ ही कहा कि यह सीमावर्ती राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है.

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह ने यह भी कहा कि सरकार भारत की सुरक्षा पर असर डालने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नज़र रखती है.

उन्होंने कहा, ‘भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के क्षेत्र में चीन द्वारा ऐसी कोई गतिविधि (खनन की) नहीं की गई है.’

उनका लिखित उत्तर इस सवाल पर आया कि क्या सरकार अरुणाचल प्रदेश के अंदर चीन द्वारा बड़े पैमाने पर खनन कार्यों के बारे में जागरूक है.

मई में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के साथ सीमा के किनारे बड़े पैमाने पर खनन शुरू कर दिया हैं, जहां सोने, चांदी और अन्य कीमती खनिजों का एक बड़ा भंडार पाया गया था.

उन्होंने कहा, ‘पूर्वी क्षेत्र में, चीन अरुणाचल प्रदेश में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूभाग पर अपना दावा करता है. तथ्य यह है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है जिसे स्पष्ट तौर पर उच्चतम स्तर सहित कई अवसरों पर चीनी पक्ष को स्पष्ट रूप से कहा गया है.’

मणिपुर: चार साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के जुर्म में व्यक्ति को मौत की सज़ा

इम्फाल: मणिपुर के सेनापति ज़िले की एक पॉस्को अदालत ने चार वर्षीय बच्ची से बलात्कार और हत्या के जुर्म में एक व्यक्ति को मौत की सज़ा दी है.

विशेष न्यायाधीश एन. देवी ने सेनापति जिले के मरम कवनम गांव रहने वाले 24 वर्षीय आर डेविड को कल भारतीय दंड संहिता एवं यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉस्को) के तहत मौत की सज़ा सुनायी.

अभियोजन ने बताया कि 2015 में डेविड ने बच्ची से बलात्कार किया और फिर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी. इसके बाद बच्ची के शव को पशुशाला में छुपाकर रखा गया था.

अदालत ने कहा, ‘यह दुलर्भ से दुर्लभतम मामला है. अदालत का मानना है कि दोषी द्वारा किए गए ऐसे अपराध को हल्के में लिया जाता है तो समाज में बच्चे सुरक्षित नहीं रह पाएंगे.’

उन्होंने आदेश दिया, ‘अदालत ने फैसला किया है कि ऐसी अधिकतम सज़ा देनी चाहिए जो समाज की आंखें खोले और समाज में ऐसे बर्बर एवं संगीन अपराधों को रोके. डेविड को मौत की सज़ा दी जाती है.’

लोकसभा में उठा पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन एवं पर्यटन आधारभूत ढांचे के विकास का मुद्दा

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नई दिल्ली: लोकसभा में बीते तीन अगस्त को भाजपा सदस्य सुनील कुमार सिंह ने पूर्वोत्तर में पर्यटन की अभूतपूर्व संभावनाओं को देखते हुए इस क्षेत्र में पर्यटन सुविधाओं एवं आधारभूत संरचनाओं का विकास करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

कांग्रेस के विनसेंट एच. पाला द्वारा पांच अगस्त 2016 को पेश संविधान की छठी अनुसूची संशोधन विधेयक 2015 पर अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सुनील कुमार सिंह ने कहा कि बलवंत राय मेहता समिति की रिपोर्ट पर सरकार ने काम किया होता, तब क्षेत्र की आज स्थिति कुछ और होती .

उन्होंने कहा कि मेघालय को भारत का स्विटज़रलैंड कहा जाता है, मेघालय समेत पूर्वोत्तर के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं जहां दुनिया भर से पर्यटक आ सकते हैं और इससे क्षेत्र एवं देश को भी मज़बूती मिलेगी .

भाजपा सदस्य ने कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन के विकास से दुनिया में भारत की एक अलग छवि पेश होगी. लेकिन यह दुख की बात है कि इस क्षेत्र में पर्यटन के विकास के लिए लंबे समय तक कोई प्रयास नहीं किया गया .

सिंह ने कहा कि अब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास एवं उसे मुख्यधारा में जोड़ने की प्रतिबद्ध पहल की है. इसका कारण है कि आज पूर्वोत्तर के अनेक प्रदेशों में भाजपा एवं राजग की सरकार को लोगों ने जनादेश दिया है.

इनेलो के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राखीगढ़ी क्षेत्र अपने आप में वृहद इतिहास को समेटे हुए है और वहां के लोगों पर इस क्षेत्र से हटाए जाने का ख़तरा है. इस विषय पर एक समिति का गठन किया जाए.

भाजपा के जगदंबिका पाल ने कहा कि ग्राम पंचायतों को छठी अनुसूची में संवैधानिक दर्जा दिए जाने की ज़रूरत है.

नगालैंड: महिला के साथ पहलवान ने किया बलात्कार

कोहिमा: नगालैंड की राजधानी कोहिमा से लगे केवुओलीएझा में एक गैर नगा महिला के साथ कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में एक पहलवान को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने पांच अगस्त को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि जसितो सुक्रो ने महिला के साथ बलात्कार किया. महिला के दो बच्चे हैं. यह घटना दो अगस्त को हुई. उस दिन उसका पति घर से बाहर था. आरोपी को स्थानीय लोगों ने बीते चार अगस्त को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया.

महिलाओं के एक संगठन ने पुलिस में मामला दर्ज कराया है. पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए आरोपी को डी खेल कोहिमा गांव से गिरफ्तार किया.

मेघालय: एनडीएफबी सदस्य की पीट-पीटकर हत्या

तुरा: नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोरोलैंड (एनडीएफबी) के एक सदस्य को ईस्ट गारो हिल्स ज़िले के बारींगरे में भीड़ ने पीट-पीट कर मारा डाला. पुलिस ने बीते चार अगस्त को यह जानकारी दी.

पुलिस अधीक्षक आर. मोमिन ने बताया कि तरासीन में बीते तीन अगस्त को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान अईता बोरा बचकर भाग गया था. इसके बाद वह रोंगजेंग पुलिस थाना क्षेत्र में पड़ने वाले गांव पहुंचा. यहां भीड़ उसके आस-पास इकट्ठा हो गई और उसे कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला.

एनडीएफबी का एक सदस्य तरासीन में बीते तीन अगस्त को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था.

असम: दो साल में 39 बांग्लादेशी नागरिकों को स्वदेश भेजा गया

नई दिल्ली: गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने बीते 31 जुलाई को कहा कि पिछले दो साल में 39 ऐसे बांग्लादेशी नागरिकों को स्वदेश भेजा गया जो अवैध रूप से भारतीय सीमा में दाख़िल हुए थे.

रिजिजू ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘उपलब्ध सूचना के मुताबिक पिछले दो वर्षों (2016-17) में 39 बांग्लादेशी नागरिकों को असम से बांग्लादेश भेजा गया.’

उन्होंने कहा कि 53 अन्य बांग्लादेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने के लिए यात्रा दस्तावेज़ जारी कर दिए गए हैं. असम सरकार को सलाह दी गई है कि अवैध रूप से रहने वाले इन बांग्लादेशी नागरिकों को जल्द से जल्द उनके देश भेजा जाए.

रिजिजू ने कहा कि अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)