संविधान का अनुच्छेद 35-ए जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है. यह एक संवैधानिक प्रावधान है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने की अनुमति देता है.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35-ए पर सोमवार को होने वाली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दी है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त के बाद होगी.
दिल्ली के एक एनजीओ ‘वी द सिटीजन’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है.
एनडीटीवी के मुताबिक इस एनजीओ का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंध है. हालांकि इसके खिलाफ में जम्मू कश्मीर के लोगों और अलगाववादियों ने राज्य में बंद का ऐलान किया है. इनकी मांग है कि राज्य के विशेष दर्जे के साथ किसी भी तरह का छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल, जमीयत उलामी अस्ना अशरिया के बड़े धार्मिक समूहों ने भी इस बंद का समर्थन किया है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस मुद्दे के खिलाफ खड़े होने की मांग की है. विरोध प्रदर्शन श्रीनगर के अलावा उत्तरी कश्मीर के बारामुला, हंदवाड़ा, सोपोर, कुपवाड़ा, पट्टन और बांदीपुरा के साथ दक्षिणी और मध्य कश्मीर तक फैला हुआ है.
यहां पर लगभग सभी दुकानें बंद कर दी गईं हैं और निजी ट्रांसपोर्ट भी बाधित है. इस मामले की वजह से श्रीनगर के डल झील पर कोई भी शिकारा नहीं चल रही है.
वहीं प्रशासन ने अमरनाथ यात्रा रोक दी है और श्रद्धालुओं को जम्मू से श्रीनगर जाने से मना कर दिया गया है. हालांकि पहलगाम और बलटाल कैंप में रह रहे श्रद्धालुओं को अमरनाथ की गुफा तक जाने की इजाजत दी गई थी.
विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए श्रीनगर में भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं. इसे लेकर कई अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है. हालांकि 27 व्यापार निकायों ने लाल चौक तक मार्च किया और 35-ए से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करने की मांग की.
बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 35-ए जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है. यह एक संवैधानिक प्रावधान है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने की अनुमति देता है.
जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार एक स्थायी निवासी वो व्यक्ति है जो 14 मई, 1954 को राज्य में था या जो राज्य में 10 वर्षों से रह रहा है और कानूनी रूप से राज्य मेंअचल संपत्ति हासिल की है.
जम्मू-कश्मीर के लोगों की विशेष पहचान की गारंटी और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अनुच्छेद 35-ए लाया गया था. केवल जम्मू कश्मीर विधानसभा ही दो-तिहाई बहुमत से इससे संबंधित बदलाव कर सकती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)