देवरिया बालिका गृह: योगी सरकार ने मानी ज़िला प्रशासन की लापरवाही, लोकसभा-राज्यसभा में हंगामा

उत्तर प्रदेश के देवरिया शहर में बीते पांच अगस्त को एक बालिका गृह में कथित तौर पर देह व्यापार होने का खुलासा हुआ था. मान्यता निरस्त होने के बाद भी बंद नहीं किया गया था. शिकायत करने वाली लड़की ने बताया कि एक दीदी को गाड़ी चार बजे ले जाती थी और वह सुबह वापस लौटती थीं.

Deoria: A view of the shelter home from where twenty-four girls were rescued after allegation of sexual exploitation of the inmates came to light, prompting the Uttar Pradesh government to swing into a damage control mode by removing the district magistrate and ordering a high-level probe, in Deoria on Monday, Aug 6, 2018. (PTI Photo) (Story no. DEL23)(PTI8_6_2018_000256B)
Deoria: A view of the shelter home from where twenty-four girls were rescued after allegation of sexual exploitation of the inmates came to light, prompting the Uttar Pradesh government to swing into a damage control mode by removing the district magistrate and ordering a high-level probe, in Deoria on Monday, Aug 6, 2018. (PTI Photo) (Story no. DEL23)(PTI8_6_2018_000256B)

उत्तर प्रदेश के देवरिया शहर में बीते पांच अगस्त को एक बालिका गृह में कथित तौर पर देह व्यापार होने का खुलासा हुआ था. मान्यता निरस्त होने के बाद भी बंद नहीं किया गया था. शिकायत करने वाली लड़की ने बताया कि एक दीदी को गाड़ी चार बजे ले जाती थी और वह सुबह वापस लौटती थीं.

Deoria: A view of the shelter home from where twenty-four girls were rescued after allegation of sexual exploitation of the inmates came to light, prompting the Uttar Pradesh government to swing into a damage control mode by removing the district magistrate and ordering a high-level probe, in Deoria on Monday, Aug 6, 2018. (PTI Photo) (Story no. DEL23)(PTI8_6_2018_000256B)
उत्तर प्रदेश के देवरिया शहर में स्थित बालिका गृह, जहां से बीते पांच अगस्त को 24 लड़कियां मुक्त कराई गई थीं. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ/नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने देवरिया में बच्चियों से कथित तौर पर जबरन वेश्यावृत्ति कराए जाने के खुलासे के बाद सवालों से घिरे बालिका संरक्षण गृह और स्थानीय प्रशासन के बीच सांठगांठ की ओर इशारा करते हुए मंगलवार को कहा कि इस गृह को बंद करने के आदेश के बारे में शासन-प्रशासन को मालूम था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि देवरिया में हुई घटना की जांच के लिए गई उनके विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार और अपर पुलिस महानिदेशक (महिला हेल्पलाइन) अंजू गुप्ता की टीम ने पड़ताल की कि जब महकमे ने जून 2017 में इसे बंद करने का नोटिस देकर ज़िलाधिकारी को जानकारी दी थी तो उसके बावजूद वहां किन हालात में बच्चों को भेजा गया.

मंत्री ने कहा कि देवरिया के ज़िलाधिकारी को संरक्षण गृह बंद करने और उनमें रह रहे बच्चों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए कम से कम 15 नोटिस दिए गए. निदेशालय से पांच पत्र भेजे गए. निश्चित रूप से स्थानीय स्तर पर लापरवाही हुई है.

मालूम हो कि बीते पांच अगस्त को उत्तर प्रदेश के देवरिया शहर के एक बालिका संरक्षण गृह में कथित तौर पर जिस्मफ़रोशी का धंधा संचालित होने की ख़बर सामने आई.

मामले के सामने आने के बाद पुलिस ने यहां से 24 लड़कियों को मुक्त कराने के बाद उसे सील कर दिया. बालिका गृह में 42 लड़कियों का पंजीयन कराया गया है इनमें से 18 लड़कियों के गायब होने की भी सूचना है. उनकी तलाश की जा रही है.

पुलिस ने इस संबंध में तीन लोगों बालिका गृह की अधीक्षिका कंचनलता, संचालिका गिरिजा त्रिपाठी तथा उसके पति मोहन त्रिपाठी को गिरफ़्तार किया है.

इस मामले का पता तब चला जब पांच अगस्त को एक लड़की देवरिया के महिला थाना क्षेत्र पहुंची और मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा शहर कोतवाली क्षेत्र में संचालित बाल एवं महिला संरक्षण गृह में रह रहीं लड़कियों को रात में कार से अक्सर बाहर ले जाए जाने और सुबह लौटने की बात बताई है. 10 वर्षीय यह लड़की बिहार के बेतिया की रहने वाली बताई जा रही है.

मालूम हो कि इस बालिका गृह का रजिस्ट्रेशन विभिन्न अनियमितताओं के आरोप में जून 2017 में रद्द कर दिया गया था और प्रशासन ने वहां रह रही लड़कियों को कहीं और स्थानांतरित करने को कहा था. बार-बार कहे जाने के बावजूद ऐसा नहीं किया जा रहा था.

पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने बताया था कि इस संबंध में 31 जुलाई को मुक़दमा भी दर्ज कराया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मामले की शिकायत करने महिला थाने पहुंची 10 वर्षीय बालिका ने बताया था, ‘बड़ी मैम ले जाती थीं कभी सफेद, लाल, काली गाड़ी आती थी… शाम चार बजे जाती थी… सुबह आती थी… दीदी सुबह कुछ नहीं कहती थी… उसकी आंख सूज आती थी.’

महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, ‘शासन और प्रशासन को साफ मालूम था कि इसे बंद कर दिया गया है. इस बात की जांच की गई है कि ज़िलाधिकारी को भेजे गए पत्रों पर कार्रवाई हुई या नहीं. ज़िला प्रोबेशन अधिकारी, ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी के रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है कि उन्होंने इस मामले में कितनी गंभीरता दिखायी. बहरहाल, यह लापरवाही थी या सांठगांठ, इस बारे में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा. यह रिपोर्ट मंगलवार शाम तक मुख्यमंत्री के पास पहुंचेगी.’

Lucknow: Uttar Pradesh Women and Child Welfare Minister Rita Bahuguna Joshi addresses a press conference after the rescue of 24 children from Deoria shelter home, in Lucknow on Monday, August 06, 2018.(PTI Photo/ Nand Kumar)(PTI8_6_2018_000107B)
देवरिया के एक बालिका गृह में कथित तौर पर देह व्यापार का खुलासा होने के बाद बीते सोमवार को उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने राजधानी लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. (फोटो: पीटीआई)

रीता ने बताया कि जांच टीम ने विस्तृत तफ्तीश की. उसने संरक्षण गृह में रहने वाले बच्चों के अलग-अलग बयान लिए. साथ ही सारे रिकॉर्ड की जांच की. रिकॉर्ड में और जो कुछ संस्था के लोग कह रहे हैं, उनमें कोई तालमेल नहीं मिल रहा है. जब इस संरक्षण गृह को बंद करने के आदेश दिए गए थे तब उसमें 28 बच्चे थे, मगर अब 23 हैं. इनमें 20 लड़कियां और तीन लड़के हैं.

संस्था संचालक का कहना है कि उनके यहां 42 बच्चे थे. बाकी बच्चों का पता लगाया जा रहा है. अगले 24 से 48 घंटे में पता लग जाएगा.

मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस मामले का खुलासा होने के बाद तत्परता से बिल्कुल निष्पक्ष कार्रवाई की है. मैं आश्वस्त कराना चाहती हूं कि परोक्ष प्रत्यक्ष रूप से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.

रीता ने प्रदेश की पूर्ववर्ती बसपा, सपा सरकारों पर देवरिया में लड़कियों से जबरन वेश्यावृत्ति कराए जाने के आरोप में घिरे बालिका संरक्षण गृह की संचालक संस्था को पोषित करने का आरोप लगाया है.

उन्होंने कहा कि संस्था ‘मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान’ को वर्ष 2010 में सरकारी काम मिला था. उस वक्त प्रदेश में बसपा की सरकार थी. वर्ष 2010 से 2014 के बीच इस संस्था को बालिका बाल गृह, शिशु गृह, स्वधार गृह, अडॉप्शन होम वगैरह काम दे दिए गए. उस वक्त बसपा और सपा की सरकारें थीं.

मंत्री ने कहा कि चाइल्ड वर्किंग कमेटी को बाल गृहों की समीक्षा और मुआयने की ज़िम्मेदारी दी जाती है. ये सारी कमेटियां पिछली सपा सरकार के शासनकाल में गठित कर दी गई थीं. सपा, बसपा के कार्यकाल में इतने गलत लोगों को इन समितियों में रखा गया था. हम 70 लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि आज सपा के लोग वहां पर धरना प्रदर्शन करने गए हैं. जिन लोगों ने ख़ुद गलत काम किए वे लोग आज कह रहे हैं कि हम संवेदनहीन हैं. अगर हम संवेदनहीन होते तो क्या उस संरक्षण गृह की संचालक संस्था को नोटिस जारी करते? क्या हम उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा लिखवाते?

उधर, प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह ने इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में ‘राक्षसराज’ है. यह घटना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर से सटे देवरिया ज़िले में हुई है. प्रदेश के नारी संरक्षण गृहों को ‘बाबा संरक्षण गृह’ कहना चाहिए.

देवरिया में मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा शहर कोतवाली क्षेत्र में संचालित बालिका गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी तथा उनके पति मोहन त्रिपाठी को गिरफ़्तार कर लिया गया है. (फोटो साभार: एएनआई)
देवरिया में मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा शहर कोतवाली क्षेत्र में संचालित बालिका गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी तथा उनके पति मोहन त्रिपाठी को गिरफ़्तार कर लिया गया है. (फोटो साभार: एएनआई)

कांग्रेस नेता अशोक सिंह ने भी घटना की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि नारी के सम्मान की बात करके सत्ता में आयी भाजपा के शासन में ऐसी घटनाएं बेहद शर्मनाक हैं.

संरक्षण गृह प्रकरण: ज़िलाधिकारी हटाए गए, तत्कालीन डीपीओ निलंबित

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बालिका गृह में लड़कियों से कथित रूप से वेश्यावृत्ति कराए जाने के सनसनीखेज खुलासे के बाद सख़्त कार्रवाई करते हुए बीते सोमवार को ज़िलाधिकारी को हटा दिया और तत्कालीन ज़िला प्रोबेशन अधिकारी (डीपीओ) को निलंबित कर दिया.

प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने इस मामले पर मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया कि देवरिया के ज़िलाधिकारी सुजीत कुमार को हटा दिया गया है. वह एक वर्ष से वहां के ज़िलाधिकारी थे. उन्हें उस बालिका गृह को बंद करने के लिए कई बार पत्र लिखे गए लेकिन उन्होंने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. जांच रिपोर्ट आने के बाद उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी.

उन्होंने बताया कि संरक्षण गृह को बंद करने का आदेश दिए जाने से छह महीने बाद तक देवरिया के डीपीओ रहे अभिषेक पांडेय को निलंबित कर दिया गया है. उनके बाद दो अधिकारियों नीरज कुमार और अनूप सिंह को उनके विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. इन दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.

लोकसभा में गृहमंत्री ने कहा, किसी अपराधी को बख़्शा नहीं जाएगा

देवरिया में बाल गृह में बच्चियों से कथित यौन उत्पीड़न की ख़बरों पर विपक्ष के प्रहार के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को ज़ोर देते हुए कहा कि इस घटना में शामिल किसी अपराधी को बख़्शा नहीं जाएगा और राज्य सरकार इस मामले में तेज़ी से कार्रवाई कर रही है.

लोकसभा में गृह मंत्री ने कहा, ‘इस प्रकार की घटना कहीं भी घटे, वह दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है.’

शून्यकाल में समाजवादी पार्टी, राजद और कांग्रेस के सदस्यों ने देवरिया बाल गृह की घटना को उठाया और सरकार से ऐसी जघन्य घटना की निष्पक्ष जांच कराने एवं दोषियों को सख़्त सज़ा देने की मांग की.

इस विषय पर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘किसी भी अपराधी को बख़्शा नहीं जाएगा.’

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से 10 साल की बच्ची ने इस मामले में बयान दर्ज कराया. मैं इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देता हूं कि तुरंत संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाई और त्वरिक कार्रवाई की. इस मामले में ज़िला प्रशासनिक अधिकारी को निलंबित किया गया.

गृह मंत्री ने कहा कि बाल गृह की संचालिका और उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजी स्तर के अधिकारी कर रहे हैं.

New Delhi: Union Home Minister Rajnath Singh speaks in the Lok Sabha during the Monsoon session of Parliament, in New Delhi on Tuesday, Aug 07, 2018. (LSTV Grab via PTI) (PTI8_7_2018_000065B)
गृह मंत्री राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

इससे पहले शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने कहा कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर की घटना के बाद अब उत्तर प्रदेश के देवरिया में ऐसी घटना सामने आई है. वहां बालिका गृह में 18 बच्चियां गायब हैं और वहां यौन उत्पीड़न की ख़बरें सामने आई हैं. बच्चियों का शोषण और उन पर अत्याचार हुआ है.

उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मुद्दा है, उत्तर प्रदेश सरकार मौन है.

यादव ने कहा कि इस मामले में दोषियों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई की जाए. देश के अंदर सभी बाल गृहों की जांच कराई जाए.

देवरिया से भाजपा सांसद कलराज मिश्रा ने कहा कि उक्त बाल गृह का संचालन एक स्वैच्छिक संगठन करता था. साल भर पहले उसका लाइसेंस निरस्त हो गया. इसके बाद लड़कों, लड़कियों को वहां से हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके बाद वह स्वैच्छिक संगठन अदालत चला गया.

उन्होंने कहा कि इस बीच एक लड़की ने इस प्रकार की घटना का ज़िक्र किया. इसके बाद तत्काल उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई की.

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस मामले में राजनीति करने की ज़रूरत नहीं है. यह गंभीर मामला है. ऐसे में सदन की एक समिति बनाई जाए और जहां-जहां ऐसी घटनाएं समने आएं, वह इसकी जांच करे.

राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा कि ऐसी घटनाओं से देश-दुनिया में नाम ख़राब हुआ है. ऐसे मामले में साक्ष्य मिटाने के प्रयास भी हो रहे हैं.

इससे पहले मंगलवार सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही सपा, राजद और माकपा के सदस्य बैनर दिखाते हुए देवरिया मामले को उठाने लगे. तब लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि इस तरह से करना ठीक नहीं है. प्रश्नकाल चलने दें. शून्यकाल में वह बोलने का अवसर देंगी. इसके बाद हंगामा कर रहे सदस्य बैठ गए.

इस विषय पर समाजवादी पार्टी और राजद सदस्यों ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना प्रदर्शन भी किया.

राज्यसभा में भी हंगामा, 12 बजे तक बैठक थी स्थगित

बालिका गृह में बच्चियों का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किए जाने के मुद्दे पर मंगलवार को राज्यसभा में विपक्षी आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने हंगामा किया जिसकी वजह से बैठक शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद ही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

हंगामे की वजह से मंगलवार को उच्च सदन में शून्यकाल नहीं हो पाया.

बैठक शुरू होने पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. फिर उन्होंने कहा कि उन्हें सदन का नियत कामकाज रोककर एक मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत कुछ नोटिस मिले हैं जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया है.

सभापति ने कहा कि वह सदस्यों को लोक महत्व के मुद्दे के तौर पर शून्यकाल में उनके मुद्दे उठाने की अनुमति देंगे.

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने देवरिया बालिका गृह के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अत्यंत गंभीर है.

सभापति ने कहा कि उन्होंने सिंह को बोलने की अनुमति नहीं दी है लिहाज़ा वह बैठ जाएं. उन्होंने सिंह को आगाह भी किया कि वह बुलेटिन में उनका नाम लेंगे.

इसी बीच, समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने भी देवरिया बालिका गृह का मुद्दा उठाया. सभापति ने सदस्यों से कहा कि वह शून्यकाल चलने दें और उसी दौरान लोक महत्व के मुद्दे के तौर पर इस विषय को उठाएं.

अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने 11 बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दिया.

विधानसभा में विपक्ष के नेता ने देवरिया जाने को लेकर धरना दिया, बाद में अनुमति मिली

बलिया: देवरिया के बालिका गृह में कथित देह व्यापार के खुलासे के बाद प्रदर्शन करने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा में विरोधी दल के नेता रामगोविंद चौधरी को बलिया और देवरिया की सरहद पर प्रशासन ने डेढ़ घंटे तक रोके रखा तथा मौके पर धरना देने के बाद प्रदर्शन की अनुमति दी.

राज्य विधानसभा में विरोधी दल के नेता समाजवादी पार्टी के रामगोविंद चौधरी ने देवरिया कांड को बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर से भी बड़ा और वीभत्स क़रार दिया तथा कहा कि इस कांड ने देश-दुनिया मे प्रदेश के सम्मान और प्रतिष्ठा पर कालिख़ पोत दी है.

चौधरी ने देवरिया कांड के लिए योगी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि इस कांड में सरकार के लोग भी संलिप्त थे.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि योगी सरकार इस मामले की लीपापोती में जुटी है.

 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)