46 साल बाद आठ अगस्त को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह का जेएनयू छात्रसंघ ने बहिष्कार करने की घोषणा की है.
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 46 साल बाद आठ अगस्त को दीक्षांत समारोह को आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने बहिष्कार करने की घोषणा की है.
दरअसल, पहले दीक्षांत समारोह के 46 साल बाद जेएनयू पीएचडी छात्रों को डिग्री देने के लिए अपना दूसरा दीक्षांत समारोह आयोजित करने जा रहा है. छात्रसंघ ने अपने बयान में कहा है कि छात्र-छात्राओं और शिक्षक उसी दिन समानांतर कार्यक्रम आयोजित करेंगे.
छात्र-छात्राओं ने कुलपति एम. जगदीश कुमार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने और कैंपस की पहचान को सुनियोजित तरीके से ख़त्म करने का आरोप लगाया है.
46 साल बाद हो जा रहे दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि नीति आयोग के सदस्य और वैज्ञानिक वीके सारस्वत हैं. वे छात्र-छात्राओं को पीएचडी डिग्री प्रदान करेंगे. इस समारोह के लिए छात्र-छात्राओं के साथ-साथ शिक्षकों, विभाग के अध्यक्ष, पर्यवेक्षकों के लिए ड्रेस कोड रखा गया है. पुरुषों को सफेद कुर्ता-पायजामा और महिलाओं को बॉर्डर वाली सफेद साड़ी या सफेद कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा पहनना अनिवार्य है.
छात्रसंघ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘हम पिछले ढाई साल से कैंपस को कुलपति द्वारा सुनियोजित तरीके से ख़त्म करते हुए देख रहे हैं. कुलपति और उनके राजनीतिक आकाओं ने शोध, विषयों में सीट कटौती, आरक्षण हटाने की कवायद, फीस में बढ़ोतरी, जीएसकैश को ख़त्म करने के साथ लगातार छात्र-छात्राओं को टारगेट किया है. उन्होंने लगातार छात्र विरोधी और सामाजिक न्याय विरोधी नीतियों को अपनाया और जुर्माना लगाने के साथ ही सज़ा देकर छात्र-छात्राओं को किसी न किसी तरह से निशाना बनाया है.
छात्रसंघ ने कुलपति पर आरोप लगाते हुए कहा कि जेएनयू जिस वजह से पहचाना जाता है उसे ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है.
छात्रसंघ अध्यक्ष गीता कुमारी ने कहा, ‘हमारी डिग्री, हमारी पढ़ाई देश के लोगों के काम आने के लिए है न कि कुलपति के प्रचार स्टंट के लिए. हमें अपनी मेहनत की डिग्री पर उनकी मंज़ूरी की कोई आवश्यकता नहीं है. कुलपति जी ने हर उस चीज़ को नष्ट करने का प्रयास किया है जिसके लिए जेएनयू जाना जाता है.’
छात्रसंघ द्वारा जारी बयान में छात्र-छात्राओं ने कुलपति पर शिक्षकों की नियुक्ति में चयन पैनल में बदलाव करने का भी आरोप लगाया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि जीएसकैश को ख़त्म करके प्रशासन द्वारा नियुक्त आंतरिक शिकायत समिति गठित की गई जो कि सही नहीं है.
साथ ही कहा गया है, ‘साफ तौर जेएनयू के कुलपति की यौन उत्पीड़कों को बचाने और शिकायतकर्ताओं को चुप कराने में एक भूमिका रही है.’
छात्रसंघ ने कहा है कि हमने देखा है कि जिन एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने नजीब पर हमला किया था उन्हें कैसे बचाया गया और कुलपति द्वारा घृणा के माहौल को फैलाने की इज़ाज़त दी गई थी.
छात्र-छात्राओं का कहना है, ‘कुलपति जी, हमने अपने प्रयासों और हमारे शिक्षकों की प्रतिबद्धता के कारण डिग्री अर्जित की है. हमारी डिग्री जेएनयू की ‘लोकतांत्रिक संस्कृति’ के लिए है और जेएनयू को ख़त्म करने वाले इंसान को हमारी डिग्री बांटने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.’
जेएनयू छात्रसंघ ने दीक्षांत समारोह का बहिष्कार करते हुए एक समानांतर कार्यक्रम रखा है. इस कार्यक्रम में इतिहासकार हरबंस मुखिया और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर आनंद कुमार, प्रोफेसर सुरजीत मजूमदार, प्रोफेसर अमित सेन गुप्ता, अल्बीना शकील शामिल होंगी. साथ ही प्रोफेसर चमनलाल, सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन सहित कई लोग शामिल होकर अपनी बात रखेंगे.