मीडिया संगठनों ने मीडिया मालिकों से सरकार के दबाव के सामने न झुकने का अनुरोध किया.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड आॅफ इंडिया ने बुधवार को टीवी चैनल के दो वरिष्ठ पत्रकारों के इस्तीफे और सत्तारूढ़ पार्टी के आलोचनात्मक कार्यक्रम के प्रसारण सिग्नल बार-बार बंद होने की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए मीडिया की स्वतंत्रता के साथ हस्तक्षेप के केंद्र की राजग सरकार के सभी प्रयासों की निंदा की.
गिल्ड ने एक बयान में प्रेस की आज़ादी को दबाने के उद्देश्य से नापाक गतिविधियों के लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की मांग की और उन्होंने मीडिया मालिकों से सरकार या किसी अन्य ताकत के राजनीतिक दबाव के सामने नहीं झुकने का अनुरोध किया.
संस्था ने सरकार से टेलीविज़न कार्यक्रम सिग्नलों में बाधा के मामलों पर संज्ञान लेने, इसकी जांच करने और इस बारे में स्पष्टीकरण देने की मांग की कि किन परिस्थितियों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं.
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मीडिया संगठनों की संस्था गिल्ड ने कहा कि इस तरह के प्रयास मीडिया की आजादी की बुनियादों तथा भारत के लोकतंत्र के आधार पर हमला है.
गिल्ड ने कहा, ‘उसे (सरकार) राष्ट्र को यह भी आश्वासन देना चाहिए कि प्रत्यक्ष या परोक्ष या किसी एजेंसी के ज़रिये वह इस गतिविधि में शामिल नहीं है. और अगर वह नहीं है तो इन नुकसान पहुंचाने वालों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज होना चाहिए. सैटेलाइट सिग्नल की आज़ादी से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.’
संस्था ने कहा कि बीते कुछ दिन में कम से कम इलेक्ट्रॉनिक के दो वरिष्ठ पत्रकारों ने सामने आकर कहा है कि उनके नियोजकों ने सामग्री में कटौती या इसे हल्का बनाने का प्रयास किया ताकि इसे सरकार के प्रति कम आलोचना वाला बनाया जा सके, इस कारण से उनके पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.
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मालूम हो कि गिल्ड की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया जब कुछ दिन पहले राष्ट्रीय समाचार चैनल एबीपी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ मिलिंद खांडेकर और एक एंकर पुण्य प्रसून बाजपेयी ने इस्तीफा दिया था. इसके अलावा एक अन्य एंकर अभिसार शर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था.
हालांकि एडिटर्स गिल्ड ने अपने पूरे वकतव्य में न तो उस समाचार चैनल का नाम लिया है और न ही इस्तीफा देने वाले पत्रकारों का. इसे लेकर सोशल मीडिया पर संगठन की काफी आलोचना भी हुई है.
The Editors Guild of India has issued this statement on an increasingly challenging environment for freedom of the press: https://t.co/xrPM0vb2jK pic.twitter.com/T27CQTxC1b
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) August 8, 2018
एबीपी न्यूज़ पर ‘मास्टरस्ट्रोक’ नाम का कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने इस्तीफा देने के बाद आरोप भी लगाया था कि समाचार चैनल के प्रबंधन ने उनसे अपने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम न लेने के लिए कहा था.
कांग्रेस का भी आरोप है कि उन्होंने मोदी सरकार की आलोचनात्मक ख़बरें चलाने पर सरकार के दबाव में पद छोड़ा.
उधर, द फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स एक बयान जारी करते हुए कहा है कि एबीवी न्यूज़ से जिस तरह से पुण्य प्रसून बायपेयी, मिलिंद खंडेकर और अभिसार शर्मा की विदाई से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि वर्तमान सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना नहीं की जा सकती.
फाउंडेशन ने पुण्य प्रसून बायपेयी द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में केंद्र की मोदी सरकार से जवाब भी मांगा गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)