इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.
गुवाहाटी: असम में लोगों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में दावों, आपत्तियों और सुधार के लिए फॉर्म नहीं मिल पाए हैं. इससे प्रक्रिया, मूल कार्यक्रम से लगभग सप्ताह भर के लिए विलंबित हो गई है.
एनआरसी सेवा केंद्र (एनएसके) ने शुक्रवार को लोगों को एनआरसी मसौदे में उनका नाम शामिल नहीं किए जाने के कारणों के बारे में बताना शुरू कर दिया था. हालांकि, यह कवायद सात अगस्त से ही शुरू होने वाली थी.
इन केंद्रों को दावों, आपत्तियों और सुधारों के लिए फॉर्म वितरित करने थे और लोगों के नाम मसौदा एनआरसी में शामिल नहीं किए जाने के कारण बताने थे, लेकिन वहां पहुंचने पर लोगों को बिना फॉर्म के लौटना पड़ा.
एनआरसी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि फॉर्म अब 16 अगस्त से वितरित किए जाने की संभावना है. एनएसके में 30 अगस्त से 28 सितंबर तक फॉर्म स्वीकार किए जाएंगे. इसके बाद उसके सत्यापन और उसके निपटारे की प्रक्रिया शुरू होगी.
एनआरसी को अपडेट करने की मौजूदा प्रक्रिया सिर्फ उन लोगों के लिए सीमित है, जिन्होंने 31 अगस्त 2015 तक आवेदन किया था. दावे, आपत्तियां और सुधार भी सिर्फ इन्हीं लोगों के लिए हैं.
असम की पहली महिला मुख्यमंत्री सैयदा अनवरा तैमूर, पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के रिश्तेदारों समेत अन्य ने एनआरसी को अपडेट करने के लिए आवेदन नहीं दिया था इसलिए उनके नाम मसौदा एनआरसी में शामिल नहीं हैं.
बीते 30 जुलाई को प्रकाशित एनआरसी के दूसरे और अंतिम मसौदे में कुल 3 करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 आवेदकों में से 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों के नाम ही शामिल किए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के लिए कोई समय सीमा नहीं तय की है, लेकिन केंद्र ने 31 दिसंबर 2018 तक इसे अपडेट करने के काम के लिए कुल 1220 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी है.
शीर्ष अदालत के निर्देश पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा 31 दिसंबर, 2017 और एक जनवरी, 2018 की दरमियानी रात में प्रकाशित हुआ था. इस मसौदे में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ नाम शामिल किए गए थे.
असम राज्य 20वीं सदी के प्रारंभ से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है और यह अकेला राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है. पहली बार इस रजिस्टर का प्रकाशन 1951 में हुआ था.
गृह मंत्रालय ने बीते 30 जुलाई को घोषणा की कि एनआरसी की अंतिम सूची 31 दिसंबर तक प्रकाशित की जाएगी.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते 30 जुलाई को कहा कि एनआरसी के मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा क्योंकि इस तरह के अधिकार केवल न्यायाधिकरण के पास हैं. कोई भी व्यक्ति न्यायिक उपचार के लिए न्यायाधिकरण के पास जा सकता है.
तरुण गोगोई का दावा- एनआरसी की परिकल्पना उनकी थी, भाजपा इसे संभालने में विफल रही
गुवाहाटी: असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने दावा किया है कि एनआरसी को अपडेट करने की पहल उन्होंने ही की थी लेकिन भाजपा इसे ठीक तरह से संभालने में विफल रही. इस वजह से एक दोषपूर्ण मसौदा प्रकाशित किया गया जिसमें 40 लाख से अधिक लोगों का नाम छूट गया.
असम के तीन बार मुख्यमंत्री रहने वाले गोगोई ने आरोप लगाया कि घुसपैठ की समस्या हल करने में भाजपा की दिलचस्पी नहीं है बल्कि एनआरसी को अगले लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों में एक चुनावी एजेंडा के रूप में इस्तेमाल करना उनका मकसद है.
तरुण गोगोई ने बताया, ‘भाजपा ने विदेशियों के मुद्दे पर हमेशा सांप्रदायिक आधार पर राजनीति की है और समस्या सुलझाने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है.’
उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले हमेशा घुसपैठ का मुद्दा उठाया जाता है और एक बार फिर यह अगले चुनाव में उठाया जाएगा. भाजपा इसे सुलझाना नहीं चाहती है. उनके द्वारा प्रस्तुत नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 से यह स्पष्ट है, जिसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक विदेशियों को इसमें लाने का है.
2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री रहने वाले गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘विदेशियों को बाहर नहीं करना चाहते हैं बल्कि वह और लोगों को देश में लाने की दिलचस्पी रखते हैं. भाजपा इस मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है और यही उसका गठबंधन सहयोगी असम गण परिषद (अगप) भी चाहता है.’
उन्होंने कहा कि एक सही और अपडेटेड एनआरसी की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि भविष्य में विदेशी के रूप में पहचान किए जाने वाले व्यक्तियों को राज्यविहीन या दूसरे दर्जे का नागरिक घोषित कर दिया जाएगा, जिन्हें भूमि का अधिकार देने से इंकार कर दिया जाएगा और उनके लिए कराधान का दर बहुत अधिक हो जाएगा.
एनआरसी मसौदे में खामी पर कांग्रेस के दावों को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना: गोगोई
गुवाहाटी: कांग्रेस नेता तरुण गोगोई का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत के महापंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल) और एनआरसी के प्रदेश संयोजक को लगाई गई डांट असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे में खामियों को लेकर पार्टी द्वारा किए गए दावों की पुष्टि करता है.
यह आरोप लगाते हुए कि अधिकारियों पर आरएसएस और भाजपा का दबाव था, गोगोई ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट को एनआरसी अधिकारियों की ईमानदारी पर संदेह है.
असम के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को अहमियत देने और एनआरसी को महत्व नहीं देने का भी आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘हम लगातार कह रहे हैं कि एनआरसी का मसौदा खामियों से भरा है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकारियों को यह निर्देश दिया जाना कि शुद्ध एनआरसी तैयार करना उनकी जिम्मेदारी है, हमारे दावों की पुष्टि करता है.’
एनआरसी को लेकर किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं, यह सिर्फ एक मसौदा है: हिमंत बिस्व सर्मा
गुवाहाटी: असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा का कहना है कि दावा और आपत्ति प्रक्रिया समाप्त होने के बाद असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से बाहर रखे गए लोगों की संख्या में व्यापक बदलाव आएगा.
शर्मा ने कहा कि राज्य में एनआरसी का अंतिम मसौदा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है क्योंकि वह अंतिम सूची नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘असम में एनआरसी को लेकर किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं है. यह सिर्फ एक मसौदा है. हमारे एनआरसी में कई लोगों के नाम नहीं हैं. दावा और आपत्ति प्रक्रिया के बाद ऐसे लोगों की संख्या में व्यापक बदलाव आएगा.’
वहीं, त्रिपुरा के मौजूदा मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि उन्हें अपने राज्य में एनआरसी को लेकर मांग उठने की कोई सूचना नहीं है.
एनआरसी मुद्दे पर बांग्लादेश के साथ संपर्क में है भारत: विदेश मंत्रालय
नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार नौ अगस्त को कहा कि असम में अवैध नागरिकों की पहचान करने के लिहाज से तैयार किए गए एनआरसी के मसौदे को लेकर सरकार लगातार बांग्लादेश के संपर्क में थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने बार-बार बांग्लादेश की सरकार को आश्वस्त किया है कि एनआरसी एक मसौदा है जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तैयार किया गया है और नागरिकों की पहचान करने की प्रक्रिया अभी जारी है.
कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘एनआरसी का मसौदा आने से पहले और बाद में दोनों ही बार हम बांग्लादेश की सरकार से बेहद करीबी संपर्क में रहे हैं.’
उन्होंने कहा, बांग्लादेश की सरकार यह जानती है कि मौजूदा प्रक्रिया भारत का आंतरिक मसला है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है और उनके साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध बेहद अच्छे हैं.
एनआरसी समन्वयक ने कहा- मैं अर्जुन के जैसा हूं, पार्टियों के दबाव से प्रभावित नहीं होता
गुवाहाटी: एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला ने ऐतिहासिक दस्तावेज के संबंध में राजनीतिक दबाव से निपटने को लेकर अपनी तुलना महाभारत के अर्जुन से करते हुए कहा कि वे पार्टियों के दबाव से प्रभावित नहीं होते हैं.
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की सीधी निगरानी में दृढ़ता के साथ अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं और उन्हें किसी भी दूसरी ताकत के दबाव की परवाह नहीं है.
हजेला ने कहा, ‘मैं दबाव की परवाह नहीं करता. यह महाभारत के अर्जुन वाली बात है जिसे केवल मछली की आंख दिखती थी.’
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हूं और ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कर रहा हूं. जब इस बात को लेकर दृढ़ हूं कि मैं अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन कर रहा हूं तो किसी भी ताकत की तरफ से हस्तक्षेप का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता.’
हजेला ने इस सवाल को लेकर कोई सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने एनआरसी में शामिल करने के लिए 2014 तक राज्य की मतदाता सूची में दर्ज सभी नामों पर विचार करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दायर करने के बाद उन पर कोई दबाव डाला था.
उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि सरकार ने शपथ पत्र दायर किया हो लेकिन मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत काम कर रहा था. मैं अपनी बात कहूं तो मैं कहीं से भी पड़ने वाले दबाव की परवाह नहीं करता.’
वरिष्ठ नौकरशाह ने असम की मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा उन पर डाले गए कथित दबाव की बात भी खारिज कर दी और कहा कि ये सिर्फ अटकलें हैं.
हजेला ने कहा, ‘मैं बस अपने काम पर ध्यान देता हूं. जब मैं एक संवैधानिक कर्तव्य पूरा कर रहा हूं, मेरा पूरा ध्यान बस उस पर ही है.’
हालांकि, हजेला ने कहा कि उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से विचार विमर्श किया था और तंत्र की बेहतरी के लिए उनकी आलोचना पर ध्यान दिया.
उन्होंने कहा, ‘मैं राजनीतिक संगठनों सहित सभी हितधारकों के संपर्क में हूं. मैं उनसे बातचीत करता रहा हूं और उनकी प्रतिक्रिया जानता रहा हूं और यह सुनिश्चित करता रहा हूं कि गलत आशंकाएं दूर कर दी जाएं.’
हजेला ने कहा कि एनआरसी अधिकारी आलोचना को तंत्र को सुधारने के नजरिए के तौर पर देखते हैं.
आखिरी तारीख तक आवेदन करने वाले ही एनआरसी में दावा करने के पात्र: अधिकारी
गुवाहाटी: एनआरसी असम समन्वयक कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि सिर्फ वही एनआरसी पर दावा और आपत्ति करने के लिए योग्य होंगे जिन्होंने 31 अगस्त 2015 की आखिरी तारीख तक अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए आवेदन दिया था.
एनआरसी के एक अधिकारी ने बताया कि जिन लोगों ने 31 अगस्त 2015 तक आवेदन नहीं किया था, वे दावा और आपत्ति दाखिल करने के लिए तय समय सीमा 10 अगस्त और 28 सितंबर के बीच आवेदन नहीं कर सकते हैं.
अधिकारी ने बताया कि जो लोग 2015 में अपना आवेदन नहीं कर सके थे, उनके बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप कोई फैसला अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद किया जाएगा.
अंतिम एनआरसी का प्रकाशन सभी दावे और आपत्तियां निपटाने, शुद्धि करने के बाद ही किया जाएगा और इसके प्रकाशन की तारीख सुप्रीम कोर्ट तय करेगा.
उन्होंने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री अनवरा तैमूर और पूर्व राष्ट्रपति फ़ख़रूद्दीन अली अहमद के रिश्तेदारों समेत अनेक नामी-गिरामी हस्तियों ने निश्चित समयसीमा के भीतर अपना आवेदन नहीं किया था और इसलिए उनका नाम भी सूची से गायब है.
अंतिम एनआरसी में सिर्फ उन्हीं लोगों के नाम होंगे जो आवेदन करने की आखिरी तारीख को या उससे पहले पैदा हुए होंगे.
उन्होंने कहा कि 31 अगस्त 2015 के बाद पैदा हुए किसी भी बच्चे को दावे के मार्फत शामिल नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि अगर कोई आवदेनकर्ता आवेदनपत्र दाखिल किए जाने के बाद मरता है और अगर वह योग्य है तो उसका नाम अंतिम एनआरसी से नहीं हटाया जाएगा.
दावा और आपत्तियां एनआरसी सेवा केन्द्रों (एनएसके) में जमा करना होगा और इन्हें ऑनलाइन भरा नहीं जा सकता है. शुद्धियां ऑनलाइन की जा सकती हैं.
अधिकारी ने बताया कि दावा सिर्फ उन ही एनएसके में दाखिल किया जा सकता है जहां उसने अपना आवेदन दाखिल किया था, भले ही उसका पता बदल क्यों न गया हो.
आपत्तियां सिर्फ उसके निवास से जुड़े एनएसके में की जा सकती हैं और आवेदनकर्ता को आपत्ति का आधार बताना होगा. दावा, आपत्ति और शुद्धि के फॉर्म एनएसके में उपलब्ध कराए जाएंगे. दावा, आपत्ति और शुद्धि के फॉर्म अलग-अलग होंगे.
असम में विचाराधीन कैदी की मौत, चार पुलिसकर्मी निलंबित
गुवाहाटी: असम में एक विचाराधीन कैदी की मौत के सिलसिले में चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और होमगार्ड के छह जवानों को सेवामुक्त कर दिया गया है. विचाराधीन कैदी कथित रूप से हिरासत से भाग गया था और उसका शव बाद में एक पेड़ से लटकता मिला था.
पुलिस ने बताया कि असम के कामरूप जिले के पानीखेती इलाके में इन पुलिसकर्मियों और होमगार्ड के जवानों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी.
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त हीरेन नाथ ने पानीखेती सीमा चौकी के चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. यह घटना सात अगस्त की रात को हुई थी.
कामरूप मेट्रोपॉलिटिन जिला मजिस्ट्रेट ने आठ अगस्त को मामले में चंद्रपुर राजस्व सर्कल के अधिकारी पल्लव नाथ ज्योति को मामले की जांच करने और उन परिस्थितियों का पता लगाने का आदेश दिया है जिसके तहत 23 साल के कैदी ने आत्महत्या की.
नाथ को 15 दिन के भीतर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और असम मानवाधिकार आयोग को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है जो किसी विचाराधीन कैदी की मौत के मामले में आवश्यक है.
मणिपुर: राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय के प्रावधान वाले विधेयक को संसद की मंजूरी
नई दिल्ली: मणिपुर में 524 करोड़ रुपये की लागत से देश के पहले राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रावधान वाले एक विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है.
राज्यसभा ने इस विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया. लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है.
राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय विधेयक 2018 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए खेल और युवा मामलों के मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि इस विधेयक के तहत मणिपुर में स्थापित खेलकूद विश्वविद्यालय में केवल शारीरिक और खेल शिक्षा नहीं बल्कि खेलों के समस्त आयामों को संचालित किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस विश्वस्तरीय संस्थान में न सिर्फ स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होगी बल्कि संस्थान में खेलों के क्षेत्र में अनुसंधान की भी सुविधा होगी.
राठौर ने कहा कि सारे पाठ्यक्रम मणिपुर परिसर में संचालित किए जाएंगे. इसके क्षेत्रीय कैंपस देश में विभिन्न राज्यों और विदेशों में भी खोले जा सकेंगे. इसमें शैक्षणिक कार्यक्रमों और अनुसंधान के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों और इसके दूरस्थ कैंपस में उत्कृष्ट खिलाड़ियों, खेलकूद पदाधिकारियों, रेफरियों और अंपायरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा ऑस्ट्रेलिया के दो विश्वविद्यालयों, कैनबरा विश्वविद्यालय और विक्टोरिया विश्वविद्यालय के साथ अनुसंधान सुविधाओं और प्रयोगशालाओं के विकास के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का कुलपति कोई प्रतिष्ठित खिलाड़ी होगा और इसकी अकादमिक परिषद में भी ओलंपिक स्तर के खिलाड़ी होंगे जो पाठ्यक्रमों में मार्गदर्शन देते रहेंगे. राठौड़ ने कहा कि खेलों के विकास और शिक्षण-प्रशिक्षण में पैसे की कोई कमी नहीं हो, इसके लिए निजी क्षेत्र को कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत सहायता देने का प्रावधान होगा.
साथ ही निजी खेल अकादमियों को भी सरकारी खेल संस्थानों के साथ जोड़ने का प्रावधान किया गया है.
राठौर ने कहा कि अगस्त 2017 में विधेयक लाया गया था और जनवरी में मणिपुर परिसर में पाठ्यक्रम शुरू कर दिए गए. बजट सत्र में सदन में कामकाज नहीं हो पाने के कारण विधेयक पारित नहीं हो सका, इसलिए अध्यादेश लाना जरूरी हो गया था ताकि छात्रों का कोई नुकसान नहीं हो.
उन्होंने बताया कि खेल प्रतिभाओं को आर्थिक परेशानियों से उबारने के लिए सरकार ने विभिन्न मदों में दी जाने वाली सहायता राशि में इजाफा किया है. साथ ही स्थानीय कोच को विदेशी कोच की तुलना में कम पैसा देने की व्यवस्था में बदलाव कर इनके भत्तों में शत प्रतिशत इजाफा किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘खेलो इंडिया’ मुहिम के सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं. उन्होंने सरकार द्वारा एक मोबाइल ऐप भी विकसित कराने की जानकारी दी. इसकी मदद से अभिभावक अपने बच्चों के लिए खेल सुविधाओं की जानकारी लेने की खातिर पता कर सकेंगे कि कहां खेलें, कैसे खेलें?
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी प्रदान की. इस दौरान कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आकर लगातार हंगामा करते रहे. कई सदस्य आसन के समक्ष जमीन पर पालथी मार कर बैठ गए.
यह विधेयक इस संबंध में 31 मई को राष्ट्रपति द्वारा लागू अध्यादेश की जगह लेगा.
इससे पहले विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में हिस्सा लेते हुए मनोनीत सदस्य और ओलंपिक पदक विजेता एमसी मेरी कॉम ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय स्थापित होने से खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि ऐसी पहल से गांव और दूरदराज के इलाकों में छुपी खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय फलक पर उभरने का मौका मिलेगा. मेरी कॉम ने इससे खेल जगत से भविष्य में बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद जताते हुए विधेयक का समर्थन किया.
समाजवादी पार्टी (सपा) के चंद्रपाल सिंह ने सभी खेलों में बेहतरीन कोच की कमी का मुद्दा उठाते हुए स्कूल स्तर पर शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य बनाए जाने का सुझाव दिया ताकि शुरुआती स्तर से ही कोच और खिलाड़ियों की खेल प्रतिभा को पहचाना जा सके. उन्होंने प्रस्तावित कानून के तहत स्थापित खेल विश्वविद्यालय का नाम हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने की मांग की.
चर्चा में हिस्सा लेते हुए जदयू की कहकशां परवीन ने इसे खेलों के विकास की दिशा में इंकलाबी कदम बताया. उन्होंने महिला खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने और आदिवासी समुदाय, खासकर बिहार और झारखंड में इन समुदायों में छुपी खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए विशेष प्रावधान करने का सुझाव दिया.
निर्दलीय सदस्य रीताब्रता बनर्जी ने विधेयक का समर्थन करते हुए पश्चिम बंगाल में फुटबॉल की लोकप्रियता को देखते हुए राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय की तर्ज पर राष्ट्रीय फुटबॉल अकादमी खोलने की मांग की. उन्होंने अन्य खेलों में विशेषज्ञता के लिए विभिन्न खेलों की अलग से अकादमी शुरु करने का सुझाव दिया.
चर्चा में आम आदमी पार्टी (आप) के सुशील गुप्ता, अन्नाद्रमुक के एके सेल्वराजन, तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआएस) के बंदा प्रकाश और वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी ने भी हिस्सा लिया.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय विधेयक 2017 को 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन यह पारित नहीं हो सका था. चूंकि संसद सत्र में नहीं थी और अत्यावश्क विधान बनाना जरुरी था, इसलिए 31 मई 2018 को राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय अध्यादेश 2018 लागू किया गया था.
सीबीआई ने मणिपुर फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में तीसरा आरोपपत्र दायर किया
नई दिल्ली: सीबीआई ने छह वर्ष पहले कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ मामले में मणिपुर पुलिस के सात कर्मियों के खिलाफ आठ अगस्त को एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर किया.
अधिकारियों ने बताया कि 41 कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों में यह तीसरा आरोपपत्र है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सीबीआई को यह मामला सौंपा था.
उन्होंने कहा कि एजेंसी ने छह पुलिसकर्मियों पर आपराधिक षड्यंत्र रचने और हत्या का आरोप लगाया है जबकि एक अन्य कर्मी पर साक्ष्यों को नष्ट करने का आरोप है.
उन्होंने कहा कि एजेंसी फॉरेंसिक तथ्यों, फील्ड जांच, केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञों के विचार और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंची है.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने एम्स के चिकित्सकों का विचार भी जाना और 20 जनवरी 2012 को ज़मीर ख़ान के मुठभेड़ की जांच के काफी रिकॉर्ड इकट्ठा किए.
कथित न्योयत्तर हत्या मणिपुर के कियामगई शांतिपुर इलाके में हुई थी.
सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है, ‘एनएचआरसी ने विभिन्न अधिकारियों से रिपोर्ट इकट्ठा किए और इनकी जांच की. आयोग ने पुलिस पर भरोसा नहीं किया और कहा कि जमीर खान वास्तविक मुठभेड़ में नहीं मारा गया.’
सीबीआई ने लोंगजाम धामेन मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसे 21 फरवरी 2012 को सीडीओ की टीम ने पश्चिम इंफाल में कथित तौर पर मुठभेड़ में मार गिराया था.
एजेंसी ने कहा कि जांच से पता चलता है कि धामेन कथित तौर पर अपहरणकर्ता था जो पुलिसिया कार्रवाई में मारा गया.
मणिपुर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति ने केंद्र को गतिरोध की जानकारी दी
इंफाल: मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति (प्रभारी) प्रोफेसर डब्ल्यू विश्वनाथ ने केंद्र को एक पत्र लिखकर विश्वविद्यालय में चल रहे गतिरोध के बारे में सूचित किया है.
उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन कर रही इकाइयों के बारे में बताया है कि इन इकाइयों ने फैक्ट फाइंडिंग समिति के साथ सहयोग करने से मना कर दिया है. समिति विश्वविद्यालय के कुलपति एपी पांडे पर लगे वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता के आरोपों की जांच कर रही है.
विश्वनाथ ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आठ अगस्त को लिखे गए एक पत्र में बताया है कि प्रदर्शन कर रही इकाइयां पांडे के खिलाफ जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत स्वतंत्र उच्च स्तरीय समिति का गठन करके जांच की मांग कर रही हैं. पांडे फिलहाल एक महीने की छुट्टी पर हैं.
उन्होंने पत्र में कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के बाद भी वह अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वाह करने में असमर्थ रहे हैं. यह पत्र मीडिया में भी जारी किया गया है.
मणिपुर विश्वविद्यालय में हिंसा, पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे
इंफाल: इंफाल के पश्चिम जिले में मणिपुर विश्वविद्यालय में कक्षाओं को शुरू करने की मांग कर रहे लोगों और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच संघर्ष हो गया. जिले में 25 जुलाई से अपराध दंड संहिता प्रक्रिया (सीआरपीएफ) की धारा 144 के तहत निषेधात्मक आदेश लागू है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और मॉक बम का इस्तेमाल किया.
अधिकारी ने बताया कि कुछ लोगों की संस्थान में मूक प्रदर्शन कर रहे छात्रों से तीखी बहस हो गई, जिसकी वजह से दो गुटों के बीच संघर्ष हो गया. इसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. छात्र मणिपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ (एमयूएसयू) के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे हैं.
केंद्रीय विश्वविद्यालय में दो महीने से ज्यादा वक्त से शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हैं. दरअसल, प्रशासनिक लापरवाही और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर कुलपति एपी पांडे को हटाने की मांग को लेकर शिक्षक, छात्र और स्टाफ सदस्य प्रदर्शन कर रहे हैं.
जिला प्रशासन ने पिछले हफ्ते एक अलग से आदेश जारी करके विश्वविद्यालय के आसपास प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है.
अधिकारी ने बताया कि निषेधात्मक आदेश लागू होने के बावजूद आंदोलनकारी छात्रों ने झगड़े के बाद छह अगस्त को संस्थान के मुख्य द्वार से एक रैली निकालने की कोशिश की.
उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों को स्थानीय लोगों और छात्रों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े और मॉक बम का इस्तेमाल करना पड़ा. छात्र रैली निकालने से रोकने के बाद हिंसक हो गए थे.
एमयूएसयू के एक कार्यकर्ता ने कहा कि संघर्ष में चार छात्र जख्मी हुए हैं लेकिन पुलिस ने इस दावे का खंडन नहीं किया.
पांडे को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाह पर दो अगस्त को एक महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया था. उनकी जगह प्रोफेसर विश्वनाथ सिंह ने ली है.
अरुणाचल प्रदेश: मेबो क्षेत्र में सियांग नदी में असामान्य रूप से ऊंची उठ रही हैं लहरें: मेबो विधायक
ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने आपदा प्रबंधन विभाग को पूर्वी सियांग जिले के मेबो क्षेत्र में सियांग नदी में असामान्य रूप से ऊंची उठती लहरों पर नजर रखने और इसकी जांच करने के लिए एक टीम भेजने का निर्देश दिया है. मेबो के विधायक लोम्बो तायेंग ने यह जानकारी दी.
विधायक ने कहा कि उन्होंने खांडू के साथ सियांग नदी में असामान्य रूप से ऊंची लहरें उठने का मुद्दा उठाया जिसके बाद मुख्यमंत्री ने विभाग को एक टीम भेजने का निर्देश दिया है.
तायेंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘बहुत सामान्य मौसम स्थिति में तेज आवाज करतीं लहरें असामान्य रूप से ऊंची उठ रही हैं और ये केवल मेबो क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं जबकि मेबो क्षेत्र से करीब 31 किलोमीटर आगे नामसिंग और इसके आस-पास के इलाकों में प्रवाह पूरी तरह से सामान्य है.
लोम्बो तायेंग मुख्यमंत्री के सलाहकार भी हैं.
सिक्किम: नशीले पदार्थ के इस्तेमाल को गैर अपराध घोषित किया जाएगा
गंगटोक: सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने कहा है कि उनकी सरकार प्रतिबंधित पदार्थों के इस्तेमाल को अपराध घोषित करने वाले मौजूदा कानून में बदलाव करेगी और ऐसे मामलों को एक बीमारी के रूप में देखेगी.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, चामलिंग ने 9 अगस्त को रानीपूल में आयोजित ‘तेनदोंग ल्हो रुम फात’ समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा, ‘मादक पदार्थ के तस्करों को दंड देने के लिए कानून को और कठोर बनाया जाएगा. लेकिन, मादक पदार्थ के इस्तेमाल को अपराध की तरह नहीं बल्कि बीमारी की तरह लिया जाएगा, जिसके लिए उपचार या थेरेपी की आवश्कता होती है.’
विज्ञप्ति के अनुसार, चामलिंग ने लोगों से मादक पदार्थ के खतरों के प्रति जागरुक होने की अपील की और मादक पदार्थ लेने के आदी युवाओं को इसका उपचार कराने के लिए प्रोत्साहित किया.
मिज़ोरम: ब्रू समुदाय के लोगों की वापसी के अंतिम चरण की तैयारी लगभग पूरी
एजल: मिजोरम के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि ब्रू लोगों की उत्तरी त्रिपुरा से मिजोरम वापसी के प्रस्तावित अंतिम चरण की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. यह वापसी 14 अगस्त से प्रारंभ होकर 10 सितंबर तक चलेगी.
वर्तमान में उत्तरी त्रिपुरा में ब्रू समुदाय के लोग छह राहत शिविरों में रह रहे हैं.
अतिरिक्त सचिव (गृह) लालबियाकजामा ने बताया कि मामित जिले में मिजोरम-बांग्लादेश-त्रिपुरा सीमा, कोलासिब जिले में असम सीमा और दक्षिण मिजोरम के लुंगलेई जिले में ब्रू वापसी पर जिला कोर समिति 5,407 परिवारों के 32,876 ब्रू सदस्यों के आगमन और उन्हें फिर से बसाने के लिए तैयारियां कर रही हैं.
उन्होंने बताया कि मामित जिले के 48 गांवों में 4,199 ब्रू परिवारों को, कोलासिब जिले के दस गांवों में 824 परिवारों को और लुंगलेई जिले के चार गांवों में 384 परिवारों को बसाया जाएगा.
इस वर्ष जुलाई के पहले हफ्ते में केंद्र, मिजोरम और त्रिपुरा राज्य सरकार और मिजोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के बीच दिल्ली में हुए समझौते के मुताबिक सभी ब्रू शरणार्थियों को 30 सितंबर से पहले मिजोरम वापस भेजा जाएगा.
एमबीडीपीएफ राहत शिविरों में ब्रू समुदाय का शीर्ष निकाय है.
वापस लौटने वाले सभी ब्रू परिवारों में से प्रत्येक को सीधे नकद अंतरण के मार्फत हर महीने 5,000 रूपए और दो वर्ष तक के लिए निशुल्क राशन दिया जाएगा.
केंद्र प्रत्येक परिवार के बैंक खाते में चार लाख रूपए जमा करेगा, इस राशि को तीन वर्ष के बाद ही निकाला जा सकेगा. प्रत्येक परिवार को आवासीय सहायता के लिए भी 1.5 लाख रुपये की मदद दी जाएगी.
नगालैंड: बारिश से छह की मौत, 4000 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया
कोहिमा: नगालैंड में जुलाई से भारी बारिश और बाढ़ की वजह से कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है जबकि 4,000 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि म्यांमार की सीमा से लगता कैफाइर जिला बुरी तरह से प्रभावित हुआ है जिसका सभी तरफ से पूरी तरह से संपर्क टूट चुका है जबकि वायु सेना कैफाइर समेत प्रभावित इलाकों में खाने का सामान गिरा रही है.
राज्य के मुख्य सचिव तेमजेन टॉय ने पत्रकारों से कहा कि जुलाई से कोहिमा और ज़ुन्हेबोटो जिलों में कम से कम छह लोगों की मौत हुई है. राज्य के विभिन्न स्थानों पर खाना और राहत सामग्री गिराई जा रही है.
उन्होंने कहा कि तेनिंग में हमने सफलतापूर्वक राशन गिराया है, लेकिन कैफाइर, तोबु और अन्य स्थानों पर खराब मौसम की वजह से ऐसा नहीं कर पाए हैं.
मुख्य सचिव ने बताया कि समूचे राज्य में करीब 400 गांव प्रभावित हुए हैं जबकि बस्तियों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से तकरीबन 4,000 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
रक्षा प्रवक्ता कर्नल सी कोनवर ने बताया कि वायु सेना ने चावल, दालें, प्याज, आलू, खाद्य तेल, नमक, दूध पाउडर, चीनी और चाय की पत्ती समेत जरूरी सामान के पैकेट गिराने के लिए सात फेरे लगाए.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू, मुख्यमंत्री नेफियू रीयो और केंद्र के अन्य अधिकारियों ने स्थिति की समीक्षा की थी. रिजीजू को प्रभावित इलाकों का सर्वेक्षण करना था लेकिन खराब मौसम की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाए.
मेघालय: प्रदेश में बाहरी लोगों की घुसपैठ रोकने के लिए पुलिस ने प्रदेश की सीमाओं पर बनाईं चौकियां
शिलॉन्ग: असम में एनआरसी के पूर्ण मसौदे के प्रकाशन के बाद मेघालय ने प्रदेश में आने वाले लोगों की कड़ी जांच शुरू कर दी है.
पुलिस अधीक्षक (घुसपैठ रोकथाम) देबांगशु संगमा ने बताया कि प्रदेश में हर दिन प्रवेश करने वाले लोगों की कड़ी जांच की जाएगी.
उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य से स्थापित जांच चौकियों में लोगों को अपना पहचान-पत्र दिखाना होगा जिससे यह तय हो सके कि वह भारतीय नागरिक हैं. यह काम अगले आदेश तक जारी रहेगा.
अधिकारियों ने लोगों को सलाह दी है कि वे अपने साथ नागरिकता पहचान पत्र लेकर ही प्रदेश में प्रवेश करें. प्रदेश में प्रवेश करने वाले लोगों की जांच के लिए सात जांच चौकियां बनाई गई हैं.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का जन्म भारत में हुआ था, बांग्लादेश में नहीं: मुख्यमंत्री कार्यालय
अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब का जन्म भारत में हुआ था, बांग्लादेश में नहीं. पिछले दिनों देब के विकिपीडिया पेज को कई बार संपादित कर उनका जन्मस्थान बांग्लादेश कर दिया गया था जिसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के एक अधिकारी ने यह स्पष्टीकरण दिया है.
देब का जन्म 25 नवंबर 1971 को त्रिपुरा के गोमती जिले के जामजुरी में हुआ था. मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार संजॉय मिश्रा ने कहा, ‘हमने पाया है कि 2 अगस्त से मुख्यमंत्री के प्रोफाइल पेज पर कुछ त्रुटिपूर्ण तथ्य जोड़ दिए गए. यह शरारती तत्वों का प्रयास था.’
उन्होंने कहा कि दो अगस्त और चार अगस्त के बीच विकिपीडिया पेज पर कई बार संपादन कर देब के जन्मस्थान को कई बार बदल दिया गया. देब के पिता हीरूधन देब के नागरिकता प्रमाण-पत्र के मुताबिक वे 27 जून 1967 से देश के नागरिक हैं.
मीडिया को उपलब्ध कराए गए प्रमाण-पत्र से पता चलता है कि हीरूधन देब जामजुरी के निवासी थे और वे खेती करते थे. मिश्रा ने कहा कि सरकार मुख्यधारा के साथ ही सोशल मीडिया की आजादी में विश्वास रखती है क्योंकि यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम (त्रिपुरा सरकार) चाहते हैं कि ऐसी शरारतपूर्ण गतिविधियां रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म स्वनियमन (ऑटोमेशन) तंत्र अपनाए. हमने यह भी देखा है कि सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री की छवि खराब करने की कई कोशिशें हुईं, जो वांछनीय नहीं है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)