पुलिस आश्रय गृह चलाने वाले एनजीओ के सचिव चितरंजन कुमार और कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल को गिरफ़्तार करने के साथ एनजीओ की कर्मचारी रेणु सिन्हा और अन्य दो को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
पटना: बिहार में पटना शहर के नेपाली नगर में संचालित ‘आसरा होम’ नाम के एक आश्रय गृह में पूनम भारती (17 साल) नाम की एक लड़की और बबली (40 साल) नाम की एक महिला की संदिग्ध हालात में मौत का मामला सामने आया है. समाज कल्याण विभाग और जिला प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है.
हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक आश्रय गृह चलाने वाले एनजीओ के सचिव चितरंजन कुमार और कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं एनजीओ की कर्मचारी रेणु सिन्हा और अन्य दो को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
पटना क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक नैय्यर हसनैन खान ने बताया कि चितरंजन कुमार, मनीषा दयाल के साथ ही एक डॉक्टर और एएनएम पर एफआईआर दर्ज की गई है.
इससे पूर्व समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने बताया था कि बीते 10 अगस्त की शाम में आश्रय गृह में रह रही पूनम और बबली की तबीयत अचानक खराब हो गई जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज भेजा गया था.
हालांकि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि इन महिलाओं को अस्पताल में मृत लाया गया था. प्रसाद के इस कथन पर राजकुमार ने बताया कि इस दावे की पुष्टि करने के लिए पटना के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और विभाग के दो अतिरिक्त निदेशक, बाल संरक्षण राकेश और विनोद द्वारा जांच की जा रही है.
उन्होंने कहा कि उन लड़कियों को अस्पताल ले जाने वाले ड्राइवर ने उन्हें बताया था कि लड़कियां उस समय जीवित अवस्था में थीं.
राजकुमार ने बताया कि 17 वर्षीय पूनम का अंतिम संस्कार अतिरिक्त निदेशक (बाल संरक्षण) कामत और आश्रय गृह को संचालित करने वाली संस्था अनुमाया द्वारा कर दिया गया था जबकि दूसरी महिला के धर्म के बारे में पता नहीं होने के कारण उनका अभी तक अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका है.
उन्होंने बताया कि जांच के अनुसार रिपोर्ट प्राप्त होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
वहीं पुलिस महानिरीक्षक नैय्यर हसनैन खान ने बताया कि इस मामले की पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज द्वारा जांच की जा रही है.
उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच में आश्रय गृह में रहने के दौरान दोनों महिलाओं के इलाज में लापरवाही बरतने की बात सामने आ रही है और अगर यह सिद्ध होता है तो उनकी देखभाल के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
खान ने बताया कि महिला, जिसका अभी तक अंतिम संस्कार नहीं किया गया है, के शव का पोस्टमार्टम फिर से मेडिकल बोर्ड द्वारा कराए जाने का निर्देश दिया गया है.
उन्होंने कहा कि एक तो आश्रय गृह से जुड़े लोगों ने दोनों महिलाओं की मौत होने की सूचना न तो राजीवनगर थाने और न ही पीएमसीएच के पास में स्थित पीरबहोर थाना को दी और दोनों शवों का शनिवार को पोस्टमार्टम कराकर उसमें से एक का आनन फानन में अंतिम संस्कार भी कर दिया.
खान ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को यह भी जांच करने को कहा गया है कि इन लोगों ने पुलिस को मौत की जानकारी क्यों नहीं दी और इसे पुलिस से क्यों छुपाया. इसकी भी जांच की जाए कि पोस्टमार्टम कराकर उसमें से एक का आनन फानन में अंतिम संस्कार क्यों कर दिया गया.
उल्लेखनीय है कि बीते 10 अगस्त को ही आश्रय गृह से तीन लड़कियां फरार हो गई थीं जबकि फरार होने की कोशिश कर रही एक अन्य लड़की की शिकायत पर आश्रय गृह के पड़ोस में रह रहे बनारसी नाम के एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस व्यक्ति पर लड़की ने अपने साथ छेड़छाड़ करने और प्रलोभन देकर भगाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
राजकुमार ने बताया कि बिहार में इस तरह के तीन आश्रय गृह हैं जहां मानसिक तौर पर बीमार लड़कियों और महिलाओं को रखा जाता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)