गुजरात कांग्रेस के चीफ व्हिप शैलेश मनुभाई परमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मतदाताओं द्वारा नोटा का इस्तेमाल केवल प्रत्यक्ष चुनावों किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: राज्यसभा चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि अब से राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल नहीं होगा. गुजरात कांग्रेस के चीफ व्हिप शैलेश मनुभाई परमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, जस्टिस दीपक मिश्रा,जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ ने चुनाव आयोग की अधिसूचना को ख़ारिज कर दिया, जो राज्यसभा चुनावों के लिए मतपत्रों में नोटा विकल्प की अनुमति दे रहा था.
सबसे अहम बात ये है कि कांग्रेस के साथ एनडीए सरकार ने भी राज्यसभा चुनाव मे नोटा का विरोध किया था. शीर्ष अदालत ने चुनाव पैनल की अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए कहा कि नोटा का इस्तेमाल सिर्फ मतदाता प्रत्यक्ष चुनावों में करते हैं.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल पर कहा है कि ये कदम आयोग ने संज्ञान लेकर नहीं किया बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत लिया था.
ज्ञात हो कि चुनाव आयोग ने इस संबंध मे सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले का पालन करते हुए राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करना शुरू किया था.
चुनाव आयोग ने दलील दी कि अगर वो राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल शुरू नहीं करते तो ये अदालती आदेश की अवहेलना और अदालत की अवमानना का मामला बन जाता.
Supreme Court says no NOTA (None of the above) in Rajya Sabha elections, citing that it should be applied in direct polls only pic.twitter.com/i3TSSrlOcp
— ANI (@ANI) August 21, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के एक आदेश में कहा था कि अगर मतदाता को वोट डालने का अधिकार है तो उसे किसी को भी वोट न देने का भी अधिकार है.
अदालत का आदेश सभी चुनाव को लेकर था और उन्होंने कहा था कि ये प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों तरह के चुनाव पर लागू होगा.
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, ‘राज्यसभा चुनाव पहले से ही उलझन भरे हैं और चुनाव आयोग इन्हें क्यों और जटिल बनाना चाहता है? कानून किसी विधायक को नोटा के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता, लेकिन 2013 के नोटिफिकेशन के जरिए चुनाव आयोग विधायक को वोट न डालने का अधिकार दे रहा है जबकि ये उसका संवैधानिक दायित्व है. हमें इस पर संदेह है कि नोटा के जरिए किसी विधायक को किसी उम्मीदवार को वोट देने से रोका जा सकता है.’
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने भी गुजरात कांग्रेस के शैलेश मनुभाई परमार की याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि नोटा का इस्तेमाल राज्यसभा चुनाव के दौरान नही किया जाना चाहिए.
केंद्र सरकार ने कहा कि नोटा का इस्तेमाल वहीं होगा जहां प्रतिनिधि जनता के द्वारा सीधे चुने जाते है. राज्यसभा में इसका इस्तेमाल नही हो सकता क्यों कि यहां प्रतिनिधि प्रत्यक्ष तौर पर नही चुने जाते हैं.
चुनाव आयोग ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा कि नोटा के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका अदालती कार्रवाई का दुरुपयोग है. नोटा राज्यसभा चुनाव में 2014 से जारी है जबकि कांग्रेस ने 2017 में चुनौती दी. 2014 से अब तक गुजरात समेत 25 राज्यसभा चुनाव नोटा से हो चुके हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर नोटा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. गुजरात के राज्यसभा चुनाव के दौरान यह याचिका दायर की गई थी.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था इसकी सुनवाई जारी रखी जाएगी कि राज्यसभा के चुनाव में नोटा का इस्तेमाल हो सकता है या नहीं.
कोर्ट ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था.