पहली नज़र में ही एसएससी की पूरी व्यवस्था और परीक्षाएं दाग़दार नज़र आती हैं: सुप्रीम कोर्ट

एसएससी के अधिकारियों पर विभिन्न आरोप लगाती सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर शीर्ष अदालत ने एसएससी सीजीएल 2017 और सीएचएसएल 2017 परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने पर रोक लगा दी है.

New Delhi: Staff Selection Commission (SSC) aspirants stage a protest over the alleged paper leak of SSC, demanding a CBI investigation, in New Delhi, on Sunday. PTI Photo by Arun Sharma(PTI3_4_2018_000095B)
New Delhi: Staff Selection Commission (SSC) aspirants stage a protest over the alleged paper leak of SSC, demanding a CBI investigation, in New Delhi, on Sunday. PTI Photo by Arun Sharma(PTI3_4_2018_000095B)

एसएससी के अधिकारियों पर विभिन्न आरोप लगाती सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर शीर्ष अदालत ने एसएससी सीजीएल 2017 और सीएचएसएल 2017 परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने पर रोक लगा दी है.

New Delhi: Staff Selection Commission (SSC) aspirants stage a protest over the alleged paper leak of SSC, demanding a CBI investigation, in New Delhi, on Sunday. PTI Photo by Arun Sharma(PTI3_4_2018_000095B)
नई दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स पर पेपर में धांधली के आरोप लगाते हुए एसएससी के ख़िलाफ़ छात्रों का प्रदर्शन (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकारी विभागों और मंत्रालयों के लिये कर्मचारियों के चयन हेतु 2017 में आयोजित परीक्षाओं के परिणाम की घोषणा पर रोक लगाते हुये कहा कि पहली नजर में ऐसा लगता कि परीक्षा की पूरी प्रक्रिया ही दूषित थी.

जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने परीक्षाओं के नतीजों की घोषणा पर रोक लगाते हुये कहा कि कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की संयुक्त स्नातक स्तर और सीनियर सेकेंडरी स्तर की 2017 की दूषित परीक्षा का लाभ लेकर सेवा में आने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

इससे पहले, पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो की स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन किया जिसमें एसएससी के अनेक अधिकारियों और परीक्षा के प्रश्न पत्र के संरक्षक पर आक्षेप लगाये गये थे.

पीठ ने कहा, ‘पहली नजर में ऐसा लगता है कि समूची एसएससी प्रणाली और पूरी परीक्षा (2017) ही दूषित है. यह विश्वास नहीं किया जा सकता कि परीक्षा के प्रश्न का संरक्षक स्वंय ही प्रश्नपत्र लीक कर रहा है.’

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न्यायालय ने एसएससी अधिकारियों का बचाव करने के लिये सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी को भी आड़े हाथों लिया. एसएससी एक सरकारी संस्था है जो विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिये विभिन्न स्तर के कर्मचारियों की भर्ती के लिये परीक्षा आयोजित करती है.

पीठ ने बनर्जी से कहा, ‘यह बेहद आश्चर्य की बात है कि आप यह रवैया अपना रहे हैं. आप जांच ब्यूरो की ओर से पेश हो रहे हैं, ऐसे में आपको तो कहना चाहिए था कि परीक्षा रद्द की जानी चाहिए. आपकी स्थिति रिपोर्ट में अनेक व्यक्तियों पर आक्षेप लगाया गया है और आप एक अलग रुख अपना रहे हैं.’

याचिकाकर्ता शांतनु कुमार की ओर से वकील प्रशांत भूषण और गोविन्द जी ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने अपनी पहली स्थिति रिपोर्ट में ही स्वीकार किया था कि प्रश्न पत्र के संरक्षक ने खुद ही पर्चा लीक किया था.

भूषण ने परीक्षा के नतीजे की घोषणा पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये कहा कि यह एक दो दिन में ही घोषित होने वाला है. सरकार में ‘सी’ और ‘डी’ वर्ग की नौकरियों के लिये होने वाली इस परीक्षा में लाखों अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था.

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 20 मार्च को एसएससी परीक्षा का पर्चा लीक होने के मामले की सीबीआई जांच के लिये दायर जनहित याचिका उस समय खारिज कर दी थी जब केंद्र ने उसे सूचित किया था कि जांच एजेंसी इसकी जांच शुरू कर चुकी है.

ज्ञात हो कि एसएससी परीक्षा को लेकर इस साल फरवरी-मार्च में विवाद शुरू हुआ जब 17 से 21 फरवरी के बीच हुई सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक होने की खबर सामने आयी.

हालांकि तब आयोग के चेयरमैन असीम खुराना ने ऐसी किसी बात से इनकार किया था.

पेपर लीक होने के आरोप को लेकर छात्रों ने नई दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स पर परीक्षा की सीबीआई जांच की मांग के लिए कई दिनों तक प्रदर्शन किया था. छात्रों ने असीम खुराना पर भी परीक्षाओं में धांधली में शामिल होने का आरोप लगाया था.

मार्च में छात्रों के लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने इस परीक्षा की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)