छत्तीसगढ़ की लॉ यूनिवर्सिटी में नौ दिन से छात्र-छात्राओं का धरना जारी

कुलपति को सेवा विस्तार और महिला हॉस्टल में छात्राओं के आने-जाने की समयसीमा और प्रताड़ना को लेकर छात्र-छात्राओं में नाराज़गी है. दीक्षांत समारोह न होने से तीन साल में 675 छात्र-छात्राओं को नहीं मिल सकी डिग्री.

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रायपुर स्थित हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में रात में प्रदर्शन करते छात्र-छात्राएं.

कुलपति को सेवा विस्तार और महिला हॉस्टल में छात्राओं के आने-जाने की समयसीमा और प्रताड़ना को लेकर छात्र-छात्राओं में नाराज़गी है. दीक्षांत समारोह न होने से तीन साल में 675 छात्र-छात्राओं को नहीं मिल सकी डिग्री.

रायपुर स्थित हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में रात में प्रदर्शन करते छात्र-छात्राएं.
रायपुर स्थित हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में रात में प्रदर्शन करते छात्र-छात्राएं.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एचएनएलयू) में कुलपति सुखपाल सिंह को बर्खास्त करने की मांग को लेकर छात्र-छात्राएं पिछले 27 अगस्त से धरने पर बैठे हैं.

कुलपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद उन्हें सेवा विस्तार मिलने की वजह से छात्र-छात्राएं धरने पर बैठे हुए हैं और उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

दरअसल इसी दिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उन्हें सेवा विस्तार देने को अवैध बताया था. राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, कुलपति की नियुक्ति की के ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. अविनाश सामल की ओर से एक याचिका दाख़िल की गई थी जिस पर हाईकोर्ट का यह फैसला आया था.

याचिका में कहा गया था कि कुलपति के तौर पर खुखपाल की नियुक्ति 2011 में हुई थी. नियुक्ति शर्तों के अनुसार, कार्यकाल पांच साल या 65 वर्ष की उम्र के लिए थी, लेकिन सितंबर 2014 में कुलपति को सेवा विस्तार दे दिया गया. नियमों में बदलाव कर इसे पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु कर दिया गया.

याचिका में कहा गया था कि 2014 में कुलपति की आयु 63 वर्ष छह महीने थी, इसके बाद नियमों पर बदलाव कर उन्हें गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया. इसके बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कुलपति की नियुक्ति निरस्त कर दी.

छात्र-छात्राओं का पता चला कि कुलपति इसके ख़िलाफ़ अपील करने वाले हैं तो वे यूनिवर्सिटी के बाहर जुटे और कुलपति को हटाने की मांग करने लगे. इसके बाद से यह प्रदर्शन और तेज हो गया है. छात्र-छात्राओं ने यूनिवर्सिटी के फैकल्टी सदस्यों पर आपत्तिजनक व्यवहार का आरोप भी लगाया है.

इंडिया टुडे की रिपार्ट के अनुसार, धरना प्रदर्शन के तीसरे दिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र छात्राओं की बात को मानते हुए कुलपति को पद से हटा दिया और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रधान सचिव रविशंकर शर्मा को अंतरिम कुलपति नियुक्त कर दिया गया.

इस बीच विश्वविद्यालय के हॉस्टलों के वार्डन के ख़िलाफ़ आरोप सामने आने लगे. छात्र-छात्राओं ने दावा किया कि फैकल्टी सदस्यों को ही वार्डन बनाया जा रहा है.

यह भी आरोप है कि महिला हॉस्टल के वार्डन छात्राओं के कपड़ों और व्यवहार को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां भी करती हैं. छात्राओं ने हॉस्टल में आने-जाने की समयसीमा पर भी आपत्ति जताई और प्रदर्शन का समर्थन किया. इसके बाद से विश्वविद्यालय में पिंजड़ा तोड़ आंदोलन शुरू हो गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, द स्टूडेंट बार एसोसिएशन ने 14 मांगों का रखा है. इसमें हॉस्टल आने-जाने की समयसीमा को पूरी तरह से ख़त्म करने, स्वतंत्र वॉर्डन की नियुक्ति और छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रिया लेने के लिए व्यवस्था बनाने की मांग शामिल है.

हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं के इस प्रदर्शन का नलसार यूनिवर्सिटी आॅफ लॉ, नेशनल लॉ स्कूल आॅफ इंडिया, नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट भोपाल और जयपुर की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं ने समर्थन किया है.

तीन साल में पास 675 छात्र-छात्राओं नहीं मिली डिग्री

मालूम हो कि हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में साल 2015, 2016, 2017 के बीच छात्र-छात्राओं को उनकी डिग्री नहीं मिल सकी है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, इसकी वजह विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का न हो पाना है. विश्वविद्यालय प्रशासन अक्टूबर या नवंबर में दीक्षांत समारोह आयोजित कराने को लेकर प्रयासरत है.

(फोटो साभार: फेसबुक/Student Bar Association, HNLU, डिज़ाइन: रिचा तेजस)
(फोटो साभार: फेसबुक/Student Bar Association, HNLU, डिज़ाइन: रिचा तेजस)

इन तीन सालों में 675 छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय से पास हो चुके हैं. डिग्री न मिलने से दिक्कत टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट छात्र-छात्राओं को हो रही है. दरअसल विश्वविद्यालय से मिले प्रोविज़नल सर्टिफिकेट में इसका ज़िक्र नहीं होता. ऐसे में नौकरी के लिए आवेदन करने पर छात्र-छात्राओं को इस बात का फायदा नहीं मिल पाता.

दीक्षांत समारोह नहीं शामिल हो सकेंगे राष्ट्रपति

दैनिक भास्कर ने सूत्रों के अनुसार लिखा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अक्टूबर या नवंबर में दीक्षांत समारोह कराने के लिए जुटा हुआ है. पिछले आठ महीने से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कार्यक्रम में बुलाने की कवायद हो रही थी.

हालांकि अब राष्ट्रपति भवन से सूचना मिली है कि राष्ट्रपति समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे. रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ दिनों में विश्वविद्यालय के कार्य परिषद की बैठक है जिसमें दीक्षांत समारोह कब हो और मुख्य अतिथि कौन होगा, इस बात पर चर्चा होगी.