इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम, नगालैंड, मणिपुर और मेघालय के प्रमुख समाचार.
अगरतला: त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा और उसकी सहयोगी आईपीएफटी तीन चरण में होने वाले पंचायत के उपचुनाव में अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी. इससे नए गठबंधन के अंदर दरार की अटकलों को हवा मिली है.
भाजपा-आईपीएफटी के गठबंधन ने मार्च में 25 साल पुराने वाम शासन का ख़ात्मा किया था.
ग्राम पंचायत की 3,207 सीटों, पंचायत समिति की 161 और ज़िला परिषद की 18 सीटों पर 30 सितंबर को उपचुनाव होंगे.
नौ मार्च को भारतीय जनता पार्टी-इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन के सरकार बनाने के बाद से कई निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के बड़े पैमाने पर इस्तीफा देने के कारण ये सीटें खाली हो गई थीं.
भाजपा की पंचायत चुनाव समिति के अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि पार्टी ‘अकेले दम पर अपनी क्षमता आंकना चाहती है.’
नाथ ने चुनाव के लिए 3,155 उम्मीदवारों की सूची प्रदर्शित करते हुए कहा, ‘हमने आईपीएफटी से इस संबंध में बात की है. भाजपा अकेले दम पर अपनी क्षमता परखना चाहती है.’
आईपीएफटी के महासचिव मंगल देबबर्मा ने भी घोषणा की कि उनकी पार्टी उपचुनाव अकेले लड़ने वाली है और वह चुनाव मैदान में भाजपा के ख़िलाफ़ अपने उम्मीदवार उतारेगी.
असम एनआरसी: 15 में से 10 दस्तावेज मान्य, न्यायालय में दायर रिपोर्ट में कहा गया
नई दिल्ली: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के संयोजक प्रतीक हजेला की ओर से बीते पांच सितंबर को उच्चतम न्यायालय को सौंपी गयी रिपोर्ट के अनुसार एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए दावा प्रपत्र की सूची-ए में जिन 10 पैतृक दस्तावेज़ पर भरोसा किया जाएगा. ये सभी दस्तावेज़ 24 मार्च, 1971 की मध्यरात्रि तक जारी होने की स्थिति में ही वैध होंगे. ये इस प्रकार हैं:
1) जमीन के दस्तावेज जैसे… बैनामा, भूमि के मालिकाना हक़ का दस्तावेज़.
2) राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थाई निवास प्रमाणपत्र.
3) भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट.
4) भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसीआई) की बीमा पॉलिसी जो 24 मार्च, 1971 तक वैध हो.
5) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र.
6) सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज़.
7) बैंक/डाक घर में खाता.
8) सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र.
9) बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र.
10) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज़.
राज्य एनआरसी संयोजक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआरसी में किसी का नाम शामिल कराने का दावा करने के लिए इन 10 दस्तावेज़ों को वैध माना जाएगा. यदि यह दस्तावेज़ उन्हें जारी करने वाले सक्षम प्राधिकार के पास सत्यापन में सही निकलते हैं तो उन्हें वैधती दी जाएगी.
रिपोर्ट के अनुसार, वंशावली से जुड़े निम्न पांच दस्तावेज़ों को मान्यता नहीं दी जाएगी…
1) एनआरसी, 1951 का हिस्सा.
2) मतदाता सूची का हिस्सा या प्रमाणित प्रति.
3) सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी नागरिकता प्रमाणपत्र.
4) शरणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र.
5) सक्षम प्राधिकार द्वारा आधिकारिक सील और हस्ताक्षर के साथ जारी किया गया राशन कार्ड.
न्यायालय ने एनआरसी संयोजक की रिपोर्ट के संबंध में केंद्र और अन्य पक्षकारों से दो सप्ताह के भीतर प्रतिक्रिया मांगी है. उसके बाद समुचित आदेश पारित होगा.
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के लिए दावे और आपत्तियां स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू करने की तारीख़ बीते पांच सितंबर को अगले आदेश तक के लिए टाल दी. जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद यह आदेश दिया.
इस रिपोर्ट में हजेला ने कहा है कि राज्य के नागरिकों की सूची में दावा करने के लिए दावेदार सूची ‘ए’ में प्रदत्त 15 में से 10 दस्तावेज़ों को आधार बना सकते हैं. पीठ ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपल और दूसरे पक्षकारों से कहा कि वे दो सप्ताह के भीतर इस रिपोर्ट पर अपना जवाब दाख़िल करें.
पीठ ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 19 सितंबर के लिए स्थगित कर दी. इससे पहले, 28 अगस्त को शीर्ष अदालत ने कहा था कि असम के एनआरसी के मसौदे में हाल ही में शामिल किए गए लोगों में से दस प्रतिशत के नामों का फिर से सत्यापन कराने पर वह विचार कर सकता है.
शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने वाली मानवीय समस्या बताया था और दावेदारों को अपनी विरासत के दस्तावेज़ों के नए सेट दायर करने की अनुमति देने के नतीजों के बारे में एनआरसी समन्वयक को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देने के लिए कहा था.
असम में एनआरसी का अंतिम मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल थे. इस सूची में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे. इनमें से 37,59,630 लोगों के नाम अस्वीकार कर दिए गए हैं जबकि 2,48,077 लोगों के नाम रोक लिए गए थे.
एनआरसी में किसी भारतीय का नाम नहीं छूटेगा: राजनाथ सिंह
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते आठ सितंबर को आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में किसी भी भारतीय का नाम नहीं छूटेगा.
पूर्वोत्तर राज्यों से दिल्ली आने वाले नए छात्र-छात्राओं के स्वागत के लिए आयोजित पूर्वोत्तर छात्र महोत्सव को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि एनआरसी भारतीय नागरिकों की पहचान और अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए ज़रूरी है.
भारतीय जनता पार्टी के नेता सुनील देवधर के गैर सरकारी संगठन ‘माई होम इंडिया’ की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि किसी भी असली भारतीय का नाम एनआरसी से बाहर नहीं होगा.’
सिंह ने कहा, ‘यह जानना बेहद ज़रूरी था कि कौन भारतीय हैं और कौन विदेशी.’
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि एनआरसी, असम के नागरिकों की एक सूची, अद्यतन का काम उच्चतम न्यायालय की सीधी निगरानी में हुआ है.
एनआरसी अद्यतन का उद्देश्य असम में रह रहे असली भारतीय नागरिकों की पहचान करना था. 30 जुलाई को प्रकाशित एनआरसी की मसौदा सूची में असम में रह रहे करीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं थे जिसे लेकर काफी हंगामा हुआ था.
त्रिपुरा: ब्रू परिवारों की वापसी को निरर्थक कवायद कहकर मिज़ोरम के अधिकारी वापस लौटे
आइजोल/अगरतला: मिज़ोरम सरकार ने त्रिपुरा से ब्रू परिवारों की वापसी की अंतिम प्रक्रिया 25 अगस्त को शुरू होने के बाद ऐसे 5,407 परिवारों में से केवल चार परिवारों के वापस आने पर इसे एक निरर्थक कवायद क़रार दिया है और इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए पड़ोसी राज्य त्रिपुरा भेजे गए अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया है.
मिज़ोरम गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव लालबैकजामा ने बीते तीन सितंबर को बताया कि उत्तर त्रिपुरा ज़िले के छह ब्रू राहत शिविरों में तैनात अधिकारी वापस लौट आए हैं.
वापसी की यह प्रक्रिया एक महीना यानी 25 सितंबर तक जारी रहने वाली थी.
लालबैकजामा ने बताया, ‘राहत शिविरों में मनोदशा को देखते हुए राज्य सरकार को यह एक निरर्थक प्रयास लगा. मंगलवार (28 अगस्त) से किसी ब्रू परिवार के वापस नहीं लौटने पर हमने अधिकारियों को वापस बुला लिया.’
उन्होंने कहा कि 25 से 27 अगस्त के बीच केवल चार शरणार्थी परिवार ही त्रिपुरा में राहत शिविरों से वापस लौटे. इसके बाद किसी भी ब्रू शरणार्थी ने वापस आने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.
नवंबर 2016 में हुए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 5,407 परिवारों के 32,876 ब्रू की पहचान मिज़ोरम के मूल निवासी के रूप में की गई थी जो वापस आ सकते थे. हालांकि, हाल में हुये एक अध्ययन के मुताबिक, 423 परिवारों के केवल 2,753 लोगों ने वापस आने में दिलचस्पी दिखाई.
समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली ‘द मिज़ोरम ब्रू डिस्पलेस्ड पीपुल्स फोरम’ (एमबीडीपीएफ) ने एक वापसी पैकेज स्वीकार करने को लेकर केंद्र, मिज़ोरम और त्रिपुरा सरकार के साथ जुलाई में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
असम: गैर-न्यायिक हत्याओं के मामले में महंता सरकार को दोषी ठहराने वाला पैनल भंग
गुवाहाटी: गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने उल्फा नेता के परिवारजनों की गैर-न्यायिक हत्याओं के मामले में पूर्ववर्ती प्रफुल्ल कुमार महंता सरकार को दोषी बताने वाले जस्टिस केएन सैकिया आयोग को बीते तीन सितंबर को भंग कर दिया.
इन गैर-न्यायिक हत्याओं की जांच के लिए तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2005 में सैकिया आयोग का गठन किया था.
जस्टिस उज्जल भुईयां ने सैकिया आयोग को भंग करते हुए कहा कि इस संबंध में जारी दो अधिसूचनाएं जांच आयोग कानून, 1952 का उल्लंघन हैं.
असम गण परिषद (अगप) के नेता महंता ने 22 अगस्त, 2005 और तीन सितंबर, 2005 की अधिसूचनाओं के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा आयोग के गठन को चुनौती दी थी.
अधिवक्ता राजीब बरूआ और महाधिवक्ता डी. मजूमदार इस मुकदमे में क्रमश: वादी और राज्य की ओर से पेश हुए थे.
मणिपुर: सेना उग्रवादियों के ख़िलाफ़ अभियान की रणनीति में सुधार पर कर रही है विचार
नई दिल्ली: सेना उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बरती जा रही अधिक सतर्कता के मद्देनज़र उग्रवाद से प्रभावित पूर्वोत्तर में अपनी उग्रवाद विरोधी रणनीति में सुधार करने पर विचार कर रही है.
उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को मणिपुर में कथित गैर-न्यायिक हत्याओं के कई मामलों की जांच करने के सख़्त आदेश दिए हैं.
सैन्य सूत्रों ने बताया कि सेना मुख्यालय मणिपुर में सेना की ओर से मृतकों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंतित है. साथ ही वह राज्य में उग्रवादियों के ख़िलाफ़ अपने अभियान की तीव्रता में आई कमी को लेकर भी चिंतित है. मणिपुर में 10 से ज़्यादा बड़े उग्रवादी समूह सक्रिय हैं.
सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने अभियानों की रणनीति में सुधार करने के लिए पिछले महीने विस्तृत विचार विमर्श किया. ऐसा लगता है कि आफस्पा से संबंधित मामलों पर न्यायालय के निर्देशों के कारण अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है.
उच्चतम न्यायालय ने पिछले कुछ महीनों में सीबीआई को मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित गैर-न्यायिक हत्याओं और फ़र्ज़ी मुठभेड़ों की विस्तृत जांच करने के निर्देश देते हुए कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
सूत्रों ने बताया कि अदालत के आदेश और सीबीआई की कार्रवाई के बाद मणिपुर में तैनात कुछ सैनिकों और अधिकारियों के बीच स्पष्ट बेचैनी है और इसलिए वे उग्रवादियों के ख़िलाफ़ अभियान चलाने में अत्यधिक सतर्कता बरत रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 2017 में उग्रवाद रोधी अभियानों में कुल आठ सैन्यकर्मी मारे गए और 26 घायल हो गए जबकि मारे गए उग्रवादियों की संख्या तीन थी.
उन्होंने बताया कि इस साल अगस्त तक सेना के नेतृत्व वाले अभियानों में केवल तीन उग्रवादी मारे गए जबकि पांच सैनिक शहीद हुए और 17 घायल हुए.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1997 से लेकर अब तक पूर्वोत्तर में अभियानों में कुल 1,889 सैनिक मारे गए और 3,168 जवानों को गंभीर चोटें आईं जबकि इस दौरान मारे गए उग्रवादियों की संख्या 4,974 है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘करगिल लड़ाई में 527 सैनिक मारे गए और 1363 घायल हुए लेकिन पूर्वोत्तर में मृतकों की संख्या देखें.’
असम: जूस में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाने के बाद तीन महिलाओं से बलात्कार
नगांव: असम के होजाई ज़िले में एक परिवार की तीन महिलाओं ने एक शख़्स पर उन्हें जबरन नशीला पदार्थ मिला जूस पिलाने के बाद कथित तौर पर उनके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया है. पुलिस ने बीते तीन सितंबर को यह जानकारी दी.
पीड़ितों ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी भी उन्हीं के उत्तर दीमारपुर गांव का रहने वाला है. यह वारदात एक और दो सितंबर की दरमियानी रात उनके घर पर अंजाम दी गई.
शिकायतकर्ताओं के मुताबिक आरोपी दो सितंबर की सुबह उनके घर गन्ने का रस लेकर आया था और उनसे उसे फ्रिज में रखने का अनुरोध किया.
महिला का पति सउदी अरब में काम करता है और दोनों लड़कियां उसकी रिश्तेदार हैं.
शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपी शख़्स रात को उनके घर आया और उन्हें जूस पीने के लिए बाध्य किया. जूस पीने के बाद बाद वे बेहोश हो गईं.
शिकायत के मुताबिक आरोपी ने पहले महिला के साथ बलात्कार किया और जब उसे होश आया तो उसने देखा कि वह व्यक्ति दोनों लड़कियों के साथ बुरा काम कर रहा था. जब उसने आरोपी को रोकने की कोशिश की तो उसने चाकू से उसे मारने की धमकी दी.
उन्होंने ग्रामीणों की मदद से पुलिस से शिकायत की जिसके बाद मामले की जांच शुरू की गई. आरोपी पर पहले भी बलात्कार का आरोप था. वह अभी फरार है.
मेघालय: बेटी से बलात्कार के आरोप में एक व्यक्ति गिरफ़्तार
तुरा: मेघालय के पश्चिमी गारो हिल्स जिले में अपनी दस वर्षीय बेटी के साथ बलात्कार करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बीते तीन सितंबर को यह जानकारी दी.
पुलिस अधीक्षक डॉ. एमजीआर कुमार ने बताया कि यह कथित घटना पिछले महीने की है. पीड़ित की मां ने बीते दो सितंबर को एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद आरोपी को हिरासत में ले लिया गया.
हालांकि आरोपी ने इससे पहले ही पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था.
कुमार ने बताया कि हाल में मामले के बारे में पुलिस को सूचित किए जाने के बाद तुरा महिला पुलिस थाने से एक टीम पीड़िता के घर पहुंची थी.
डॉ. कुमार ने कहा, ‘इस मामले पर लड़की और उसकी दादी ने पुलिस से बात करने से इनकार कर दिया और पति तथा पत्नी उस समय वहां नहीं थे. उसने दो सितंबर की शाम पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया.’
आरोपी को अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में रिमांड पर भेज दिया गया.
असम: गैंगरेप और हत्या के दोषी को फांसी की सज़ा
नगांव: असम के नगांव ज़िले की एक अदालत ने गत मार्च में ज़िले में 11 वर्षीय लड़की से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मुख्य आरोपी जाकिर हुसैन को बीते सात सितंबर को फांसी की सज़ा सुनायी.
ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश रीता कार ने हुसैन (19) को हत्या के लिए फांसी की सज़ा और नाबालिग लड़की से बलात्कार के लिए पॉक्सो कानून के तहत आजीवन कारावास की सज़ा सुनायी.
अदालत ने यद्यपि गत चार सितंबर को उसे दोषी ठहराया था और पांच अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.
जांच टीम का हिस्सा रहे नगांव के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रिपुल दास ने कहा कि दो अन्य नाबालिग आरोपी भी दोषी ठहराए गए थे और उन्हें इस सप्ताह के शुरू में एक किशोर अदालत ने तीन वर्ष के लिए सुधार गृह भेज दिया था.
नगांव जिले के धनियाभेंटी लालुंग गांव में 23 मार्च को घर में अकेली कक्षा पांच की छात्रा को सामूहिक बलात्कार के बाद जला दिया गया था.
युवक अपराध के बाद मौके से फरार हो गए और लड़की को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसने अगले दिन दम दोड़ दिया.
बतद्रव पुलिस थाने में एक मामला दर्ज किया गया और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने तेजी से जांच करते हुए 28 अप्रैल को आठ व्यक्तियों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर किया.
घटना को लेकर पूरे राज्य में व्यापक प्रदर्शन हुए थे. असम सरकार ने विधानसभा में घोषणा की कि वह सदन के अगले सत्र में बलात्कार रोधी एक कड़ा कानून ले आएगी. सरकार ने यह भी घोषणा की कि एक विशेष अभियान के ज़रिये महिला उप निरीक्षकों की भर्ती की जाएगी ताकि पुलिस बल में महिलाओं की संख्या 30 प्रतिशत हो.
सिक्किम: पहला डेटा शेयरिंग-एक्सिसिबिलिटी पोर्टल शुरू हुआ
गंगटोक: मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने प्रदेश के पहले डेटा शेयरिंग और एक्सिसिबिलिटी पोर्टल (एसडीएसएपी) का शुभारंभ किया.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक ऐसा कोई एकल मंच नहीं था जहां राज्य और विभागों के सभी महत्वपूर्ण आंकड़ों को एक साथ लाया गया हो.
बीते छह सितंबर को एक कार्यक्रम के दौरान एसडीएसएपी के अलावा स्टेट डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर प्लेटफॉर्म को भी शुरू किया गया.
यह दो पोर्टल सरकारी अधिकारियों द्वारा सांख्यिकीय डेटा को आसानी से दर्ज करने और उनके प्रसार के लिए बनाई गई सूचना प्रबंध प्रणालियां हैं.
अधिकारी ने बताया कि ये प्लेटफॉर्म सभी सरकारी विभागों और पीएसयू के इस्तेमाल के लिए हैं. इनसे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी.
असम: दोबारा आई बाढ़ से चार ज़िले जलमग्न
गुवाहाटी: असम में फिर से बाढ़ आई है जिसमें चार ज़िले जलमग्न हैं. इसमें 12,000 लोग प्रभावित हुए हैं. ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की एक आधिकारिक रिपोर्ट में बीते एक सितंबर को बताया गया कि धेमाजी, विश्वनाथ, गोलाघाट और शिवसागर ज़िलों में कुल 676 हेक्टेयर कृषि भूमि डूब गई है. राज्य में इस मौसम में तीसरे दौर की यह बाढ़ है.
एएसडीएमए ने कहा कि नए दौर की बाढ़ में किसी के भी मरने की ख़बर नहीं है. पिछले दो दौर की बाढ़ में 50 लोगों की जान गई थी.
बाढ़ में इन चार ज़िलों के 48 गांवों के 12 हजार 428 लोग प्रभावित हुए हैं.
सबसे बुरी तरह प्रभावित धेमाजी ज़िले में 11 हज़ार 355 लोग प्रभावित हुए हैं. इसके बाद विश्वनाथ में 390, शिवसागर में 350, गोलाघाट में 333 लोग प्रभावित हैं.
इसमें कहा गया है कि विश्वनाथ और गोलाघाट ज़िलों में दो राहत शिविर स्थापित किए गए हैं.
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट के अनुसार ब्रह्मपुत्र नदी जोरहाट में निमाटीघाट, गोलाघाट के धनसीरी और सोणितपुर जिले में एनटी रोड क्रॉसिंग पर जिया भराली में ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है.
नगालैंड: बारिश से प्रभावित दो ज़िलों ने केंद्रीय दल को पेश की रिपोर्ट
कोहिमा: नगालैंड में अगस्त के मध्य तक बारिश से सबसे ज़्यादा प्रभावित फेक और कैफाइर ज़िला प्रशासनों ने इससे हुए नुकसान तथा उसकी मरम्मत के आलोक में आवश्यक निधि के लिए यहां एक केंद्रीय दल को रिपोर्ट पेश की.
अधिकारियों ने बताया कि बीते सात सितंबर को कोहिमा में पांच सदस्यीय अंतर मंत्रालयी केंद्रीय दल के सामने यह रिपोर्ट पेश की गई. अभी अन्य ज़िलों से रिपोर्ट नहीं आई है. यह रिपोर्ट मीडिया को भी उपलब्ध कराई गई.
फेक ज़िले के उपायुक्त ओरेंथुंग ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार ज़िले में आधारभूत संरचना के नुकसान की मरम्मत के लिए 416.06 लाख रुपये की ज़रूरत है जबकि कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्र को फिर से खड़ा करने के लिए 281.34 लाख रुपये की ज़रूरत है.
कैफाइर ज़िले के उपायुक्त और ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के चेयरमैन मोहम्मद अली शिहाद ने कहा कि जिला भूस्खलन के कारण एक महीने से ज़्यादा समय तक देश के शेष हिस्सों से कटा रहा. प्रशासन अभी तक दूरवर्ती गांवों तक पहुंच नहीं पाया है.
उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग और गांव की सड़कों की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार से ध्यान देने का आग्रह किया.
असम: खसरे का टीका लगने के बाद 25 छात्र बीमार
हैलाकांडी: असम के हैलाकांडी ज़िले में शनिवार को खसरे का टीका लगाए जाने के बाद कम से कम 25 छात्र बीमार पड़ गए. टीका लगने के बाद बच्चों ने मितली, पेट दर्द और बुखार की शिकायत की.
हैलाकांडी के उपायुक्त आदिल ख़ान ने बताया कि कतलिचेरा क्षेत्र में शाहबाद एमई मदरसे के छात्रों को मध्याह्न भोजन के बाद खसरे के टीके लगाए गए जिसके बाद कई छात्रों ने मितली, बुखार, पेट दर्द और उल्टी की शिकायत की.
उन्होंने बताया कि बच्चों को इलाज के लिए नज़दीकी जन स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया.
अधिकारी ने बताया कि उनकी हालत स्थिर है और घबराने की कोई बात नहीं है.
स्वास्थ्य सेवा के संयुक्त निदेशक अविजीत बसु ने कहा कि छह बच्चों को भर्ती किया गया है तथा अन्य बच्चे निगरानी में हैं और उन्हें जल्द छुट्टी दे दी जाएगी.
उपायुक्त ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)