मार्गरिटा विथ अ स्ट्रॉ, वेटिंग और दैट गर्ल इन यलो बूट्स जैसी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने कहा कि शादी के बाद लोग उन्हें ‘अनुराग की पत्नी’ कहते थे लेकिन अनुराग को कभी ‘कल्कि का पति’ नहीं कहा.
नई दिल्ली: अभिनेत्री कल्कि कोचलिन का मानना है कि समाज ने शादी नाम की संस्था को कुछ इस तरह से बनाया है, जहां महिला को कमज़ोर रूप में देखा जाता है.
शैली चोपड़ा और मेघना पंत द्वारा लिखित किताब ‘फेमनिस्ट रानी’ के विमोचन के मौके पर कल्कि ने कहा कि विशेष तौर पर एक महिला के लिए शादी के साथ ‘सबसे बड़ी समस्या’ है कि यह ‘स्वामित्व’ का विचार है.
कल्कि और फिल्मकार अनुराग कश्यप ने 2011 में विवाह किया था लेकिन दो साल बाद दोनों अलग हो गए और 2015 में दोनों का तलाक़ हो गया.
उन्होंने कहा कि शादी के बाद उन्हें तभी आमंत्रित किया जाता था जब अनुराग को आमंत्रित किया जाता था. लोग उन्हें ‘अनुराग की पत्नी’ कहते थे लेकिन अनुराग को कभी ‘कल्कि का पति’ नहीं कहते थे.
उन्होंने कहा कि शादी नाम की संस्था महिला को कमज़ोर बनाती है… यहां तक कि पति अगर चाहे भी तब भी वह कमज़ोर ही रहती है. ऐसा इस कारण होता है क्योंकि समाज ने इस संस्था को इस तरह से ही बनाया है.
कल्कि ने कहा किसी भी रिश्ते में ईमानदारी और स्वतंत्रता ज़रूरी है. तलाक़ के बाद पूरी प्रक्रिया से वह किस तरह गुज़रीं, कल्कि ने इस बात का भी ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘मैंने ख़ुद को बहुत लंबे समय तक अकेला पाया. मुझे किसी भी तरह से उस ख़ालीपन का भरना था. इस ख़ालीपन को मैं किसी भी तरह के पागलपन या शराब पीकर या फिर हर समय लोगों से घिरे रहकर नहीं भरना चाहती थी. मैंने ख़ुद को भरने के लिए अंतर्मुखी रूप को चुना और घर पर रहने के साथ परिवार के लोगों के साथ ज़्यादा समय बिताने लगी. मैं खुश हूं कि मैं इस तरह की यात्रा से गुज़री.’
कार्यक्रम के दौरान कल्कि ने अपने फिल्मी करिअर और स्त्रीवाद पर भी बातचीत की. उन्होंने कहा कि सभी इंसान बराबर हैं और उन्हें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हम एक पितृसत्तात्मक समाज में रह रहे हैं, इसलिए स्त्रीवाद शब्द को पितृसत्ता के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जाता है लेकिन स्त्रीवाद का मतलब बराबर होने से है. मुझे लगता है कि ‘समानतावादी’ शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए क्योंकि यह सभी इंसानों के बराबर होने और इसके लिए एक-दूसरे का सम्मान करने की बात कहता है.’
मार्गरिटा विथ अ स्ट्रॉ, दैट गर्ल इन यलो बूट्स और वेटिंग जैसी फिल्मों में गैर पारंपरिक रोल करने वाली इस अभिनेत्री ने कहा कि अपनी गैर परंपरागत पसंद के लिए मुझे सिनेमा और वास्तविक जीवन में कोई बड़ी कीमत नहीं चुकानी पड़ी.
कल्कि ने कहा, ‘मैंने सोच-विचार कर चुनने (फिल्म चयन) की अपनी आज़ादी और योग्यता को बरक़रार रखा है. ये सच है कि लोगों ने मुझे रुढ़िवादी बनाने की कोशिश की लेकिन यह बहुत ही थोड़े समय के लिए होता है, अगर आप यह महसूस करें कि आप अपनी नई फिल्म की तरह ही नए हैं. आपको शुरू में आने वाली प्रतिक्रियाओं के परे जाकर देखना होगा और यह पहचानना होगा कि अभी और ज़्यादा काम करना और कुछ बड़ा करने की कोशिश अभी बाकी है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)