महाराष्ट्र के ज़िला परिषद स्कूलों को नरेंद्र मोदी से प्रेरित फिल्म दिखाने के निर्देश पर विवाद

फिल्म दिखाने के राज्य सरकार के निर्देश की आलोचना करते हुए मुंबई इकाई के कांग्रेस प्रमुख संजय निरूपम ने मोदी पर अशोभनीय टिप्पणी की. भाजपा नेताओं ने निरूपम के बयान पर कड़ा विरोध जताया.

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फिल्म चलो जीते हैं की ​सूरत में स्पेशल स्क्रीनिंग. (फोटो साभार: फेसबुक/Chalo Jeete Hain)

फिल्म दिखाने के राज्य सरकार के निर्देश की आलोचना करते हुए मुंबई इकाई के कांग्रेस प्रमुख संजय निरूपम ने मोदी पर अशोभनीय टिप्पणी की. भाजपा नेताओं ने निरूपम के बयान पर कड़ा विरोध जताया.

Chalo Jeete Hain
फिल्म चलो जीते हैं की सूरत में स्पेशल स्क्रीनिंग. (फोटो साभार: फेसबुक/Chalo Jeete Hain)

मुंबई: महाराष्ट्र में ज़िला परिषद स्कूलों से कहा गया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित एक लघु फिल्म की स्क्रीनिंग अगले सप्ताह करें. इस पर विपक्षी पार्टियों ने सत्तारूढ़ भाजपा पर सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि ज़िला परिषद स्कूलों को प्रधानमंत्री मोदी से प्रेरित लघु फिल्म ‘चलो जीते हैं’ को 18 सितंबर को बच्चों को दिखाने को कहा गया है क्योंकि इस फिल्म में ‘सामाजिक संदेश’ है और इससे बच्चों को प्रेरणा मिलेगी.

उन्होंने बताया कि फिल्म दिखाने का ख़र्चा एक गैर सरकारी संगठन उठाएगा और इस पर सरकार का धन नहीं ख़र्च होगा.

शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया कि यह निर्देश मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किया गया है लेकिन उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि यह लिखित आदेश था या नहीं.

मोदी पर बनी 32 मिनट की इस फिल्म का निर्देशन मंगेश हदावले ने किया है. इसमें मोदी के शुरुआती जीवन की कहानी है. फिल्म के निर्माता महावीर जैन, भूषण कुमार और तनु वेड्स मनु फेम निर्देशक आनंद एल. राय हैं.

राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने सरकार के इस क़दम की आलोचना की है.

राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी पर सिर्फ एक लघु फिल्म ही क्यों दिखाई जाए, उन पर तो पूरा पाठ्यक्रम बनना चाहिए और छात्रों को इसमें डिग्री भी मिलनी चाहिए.

वहीं राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि स्कूलों को मोदी पर बनी फिल्म दिखाने का निर्देश देना यह दिखाता है कि मोदी की लोकप्रियता ख़त्म हो रही है.

कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी पर सिर्फ एक लघु फिल्म ही क्यों दिखाई जाए, उन पर तो पूरा पाठ्यक्रम बनना चाहिए और छात्रों को इसमें डिग्री भी मिलनी चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 12 सितंबर को इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग राज्यसभा के सचिवालय में की गई. इस दौरान उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जयंत सिन्हा और जेपी नड्डा मौजूद थे.

बीते 11 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग राष्ट्रपति भवन में की गई थी.

कांग्रेस नेता संजय निरूपम का विवादित बयान, प्रधानमंत्री मोदी को कहा- ‘अनपढ़-गंवार’

कांग्रेस की मुंबई इकाई के प्रमुख संजय निरूपम ने बीते बुधवार को एक विवादित बयान दिया. महाराष्ट्र के स्कूलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ज़िंदगी पर बनी लघु फिल्म दिखाने के राज्य सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए उन्होंने मोदी को ‘अनपढ़-गंवार’ क़रार दे दिया.

संजय निरूपम ने कहा, ‘मोदी जी के ऊपर कोई फिल्म बनी है उसे दिखाने की जबरदस्ती की जा रही है. ये सरासर गलत है. हमारे बच्चों को राजनीति से दूर रखना चाहिए. जो बच्चे कॉलेज में पढ़ रहे हैं, मोदी जैसे अनपढ़-गंवार के बारे में जानकर उनको क्या मिलने वाला है.’

उन्होंने कहा, ‘ये बहुत ही शर्मनाक बात है कि हमारे देश के नागरिकों को आज तक पता ही नहीं चला कि हमारे प्रधानमंत्री की डिग्री कितनी है. जब डिग्री मांगा जाता है तो पूरा का पूरा यूनिवर्सिटी मना कर देता है. आरटीआई के एप्लिकेशन पेंडिंग पड़े हुए हैं. ऐसे प्रधानमंत्री जो कितना पढ़े हैं, ये किसी को मालूम नहीं उनके बारे में पढ़ने लिखने वाले बच्चों को बताकर मुझे लगता है कि उनको पढ़ने लिखने के लिए और भी प्रेरित करने के बजाय उनकी प्रेरणा कम हो जाएगी.’

भाजपा नेताओं ने निरूपम के बयान पर कड़ा विरोध जताया.

भाजपा की महाराष्ट्र इकाई की प्रवक्ता शाइना एनसी ने निरूपम को ‘मानसिक तौर पर विक्षिप्त’ क़रार दिया.

कांग्रेस नेता निरूपम ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘जबरन फिल्म दिखाने का फैसला गलत है. बच्चों को राजनीति से दूर रखना चाहिए. मोदी जैसे अशिक्षित और निरक्षर व्यक्ति पर बनी फिल्म देखकर बच्चे क्या सीखेंगे?’

निरूपम ने कहा, ‘बच्चों और लोगों को तो यह भी नहीं पता कि प्रधानमंत्री के पास कितनी डिग्रियां हैं.’

बाद में अपने बयान के बारे में पूछे जाने पर निरूपम ने पत्रकारों से कहा कि सत्ताधारी पार्टी को हर शब्द पर आपत्ति करने की कोई ज़रूरत नहीं है और ‘लोकतंत्र में प्रधानमंत्री भगवान नहीं होता.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)