बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न ज़िलों के प्रभावित किसानों ने हलफ़नामे में कहा कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिए उनकी ज़मीन का अधिग्रहण किया जाए.
अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में भूमि अधिग्रहण के संबंध में किसानों द्वारा 40 नई याचिकाएं दायर की गई हैं. मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस वीएम पंचोली की एक खंडपीठ गुरुवार को इन पर सुनवाई कर सकती है.
जून में दायर इसी तरह की याचिकाओं के साथ इस पर सुनवाई की जाएगी. इस संबंध में 40 याचिकाएं दायर की गई हैं, जबकि सूरत जिले के अंतरोली गांव के चार किसानों ने अपनी याचिकाएं वापस ले ली हैं.
बुलेट ट्रेन के लिए स्टेशन इसी गांव में बनाया जाएगा. याचिकाकर्ताओं के वकील आनंद याग्निक ने कहा,‘वापस ली गई याचिकाओं के मुकाबले, प्रभावित किसानों की ओर से 40 अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं और गुजरात खेदूत समाज के प्रभावित 150 गांवों से इस हफ्ते के अंत तक अन्य 200 याचिकाएं दायर करने की संभावना है.
इस बीच, परियोजना से प्रभावित होने जा रहे किसान मामले को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के समक्ष उठाने की योजना बना रहे हैं. भारत और जापान के बीच अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन का दावा करते हुए किसानों ने आरोप लगाया कि जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) अपने देश के नियमों के अनुसार काम नहीं कर रही है. इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा योजना माना जाता है.
इससे पहले बीते सितंबर महीने में गुजरात के 1000 किसानों ने हाईकोर्ट में अलग से हलफनामा दायर कर कहा था कि केंद्र की इस महत्वाकांक्षी 1.10 लाख करोड़ रुपये की परियोजना से काफी किसान प्रभावित हुए हैं और वे इसका विरोध करते हैं.
बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न जिलों के प्रभावित किसानों ने हलफनामे में कहा कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाए.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त को हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि बुलेट ट्रेन प्रभावित किसानों के मामलों की जल्दी से सुनवाई करें.
याचिकाकर्ताओं की एक और मांग यह है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 26 के तहत उनकी जमीन के बाजार मूल्य को संशोधित नहीं किया गया है. याचिकाकर्ताओं ने गुजरात के भूमि अधिग्रहण संशोधन अधिनियम 2016 को भी चुनौती दी है, जिसके तहत 2013 के कानून को बदल दिया गया है.
किसानों का कहना है कि नए कानून के तहत राज्य सरकार को बेबुनियाद शक्तियां मिल गई हैं कि वे सार्वजनिक हित के नाम पर किसी भी परियोजना को सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन से छूट दे सकते हैं.
राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि की चौड़ाई सिर्फ 17.5 मीटर है इसलिए पुनर्वास मुद्दे कम हैं.
बता दें कि पिछले साल सितंबर में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का शिलान्यास किया था.
इस परियोजना के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में करीब 1,400 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी, जिसमें से 1,120 हेक्टेयर निजी तौर पर स्वामित्व में है. लगभग 6,000 भूमि मालिकों को मुआवजा देना होगा.
क्या है बुलेट ट्रेन परियोजना
इस परियोजना की कुल लंबाई 508.90 किमी है. जिसमें 487 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर और 22 किमी सुरंग बननी है. प्रस्तावित 12 स्टेशन में से आठ का निर्माण गुजरात में होना है. गुजरात में इसकी लंबाई 349.03 किमी है जबकि महाराष्ट्र में 154.76 किमी है. वहीं 4.3 किमी यह दादरा एवं नगर हवेली से गुजरेगी.
इस पूरी परियोजना के लिए गुजरात में 612.17 हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 246.42 हेक्टेयर और दादरा नगर हवेली में 7.52 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को 15 अगस्त 2022 तक शुरू कर देना चाहती है.
गौरतलब है कि उच्च गति से चलने वाली यह ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद की 500 किमी की दूरी को तीन घंटे से कम समय में पूरा करेगी, जिसके लिए अभी सात घंटे लगते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)