दिल्ली पुलिस ने मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद बैरिकेड हटा दिए और किसान क्रांति पदयात्रा के दौरान रोके गए किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने और किसान घाट की ओर जाने की अनुमति दे दी थी.
नई दिल्ली: किसान क्रांति पदयात्रा के तहत हरिद्वार से दिल्ली के लिए कूच करने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार तड़के यहां किसान घाट पर अपना मार्च समाप्त कर दिया.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इससे पहले दिल्ली पुलिस ने मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद बैरिकेड हटा दिए और किसान क्रांति पदयात्रा के दौरान रोके गए किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने और किसान घाट की ओर जाने की अनुमति दे दी.
कुछ ही घंटों में हजारों की संख्या में किसान ‘किसान घाट’ पर पहुंच गए. यह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का स्मारक है. किसानों ने यहां श्रद्धांजलि अर्पित की.
किसान अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर सवार होकर राष्ट्रीय राजधानी में घुसे और किसान घाट की ओर बढ़े. वहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.
भाकियू की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता पवन खताना ने बताया, ‘राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आए किसान किसान घाट पर पहुंचे और तड़के पांच बजे तक अपने-अपने घरों की ओर लौटने लगे.’
आंदोलन में शामिल कोई भी किसान अब दिल्ली में नहीं हैं. हालांकि भाकियू प्रमुख नरेश सिंह टिकैत समेत कई किसान अब भी उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर डटे हुए हैं. यह वही स्थान है जहां कल सुरक्षा बलों के साथ उनकी झड़प हुई थी.
खताना ने कहा, ‘हमारी यात्रा हरिद्वार के टिकैत घाट से शुरू होकर दिल्ली के किसान घाट पर समाप्त होनी थी. किसान वहां पहुंचे और उसके बाद लौटने लगे. हमारा मुख्य उद्देश्य था कि हमसे जुड़े मुद्दे सामने आएं और यह हुआ भी. अब सरकार क्या करना चाहती है, यह फैसला तो उसी को लेना है. किसानों ने अपना काम कर दिया. अगर वह हमारी मांगों पर सहमत होते हैं तो बहुत बढ़िया है, नहीं तो चुनाव के दौरान तो उन्हें हमारे पास आना ही होगा.’
आंदोलन में शामिल होने वाले 24 वर्षीय मुकुल सिंह ने बताया कि वह मुजफ्फरनगर लौट चुके हैं. कृषि ऋण माफी से लेकर ईंधन की कीमतों में कटौती समेत विभिन्न मांगों को लेकर हजारों किसानों ने मंगलवार को दिल्ली की तरफ कूच किया था. इससे दिल्ली की ओर आने वाली सड़कों पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था.
राष्ट्रीय राजधानी की ओर से आने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा था. वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोंडा, बस्ती और गोरखपुर तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए थे.
पुलिस ने उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की सीमा को सील कर दिया था. निषेधाज्ञा लगाते हुए पांच या उससे अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने, एंप्लीफायर, लाउडस्पीकरों और इस तरह के उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी.
किसान क्रांति पदयात्रा 23 सितंबर को हरिद्वार में टिकैत घाट से शुरू हुई थी. इसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से किसान शामिल हुए थे. किसान पैदल, बस और ट्रैक्टर ट्रॉली में सवार होकर पहुंचे थे.
उनके हाथों में भारतीय किसान संघ (भाकियू) के बैनर थे. भाकियू ने कई मांगों को लेकर मार्च का आह्वान किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)