एडिटर्स गिल्ड ने मीडिया संस्थानों से यौन उत्पीड़न के मामलों में पूरी जांच कराने को कहा

‘मीटू’ अभियान को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए किसी भी शख़्स को क़ानून के हिसाब से दंडित किया जाना चाहिए. देश में प्रेस की आज़ादी के लिए निष्पक्ष, न्यायोचित और सुरक्षित कार्य वातावरण ज़रूरी है.

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People participate in a "MeToo" protest march for survivors of sexual assault and their supporters in Hollywood, California last Noember. Less than four months after the #MeToo movement inspired a national conversation about sexual misconduct and led to the downfall of dozens of powerful American men, a backlash seems to be underway. File/Lucy Nicholson, Reuters
People participate in a "MeToo" protest march for survivors of sexual assault and their supporters in Hollywood, California last Noember. Less than four months after the #MeToo movement inspired a national conversation about sexual misconduct and led to the downfall of dozens of powerful American men, a backlash seems to be underway. File/Lucy Nicholson, Reuters

‘मीटू’ अभियान को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए किसी भी शख़्स को क़ानून के हिसाब से दंडित किया जाना चाहिए. देश में प्रेस की आज़ादी के लिए निष्पक्ष, न्यायोचित और सुरक्षित कार्य वातावरण ज़रूरी है.

People participate in a "MeToo" protest march for survivors of sexual assault and their supporters in Hollywood, California last Noember. Less than four months after the #MeToo movement inspired a national conversation about sexual misconduct and led to the downfall of dozens of powerful American men, a backlash seems to be underway. File/Lucy Nicholson, Reuters
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: ‘मीटू’ अभियान के तहत यौन उत्पीड़न के रोज़ नए आ रहे आरोपों के बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने यौन उत्पीड़न की शिकार महिला पत्रकारों का समर्थन करते हुए मीडिया संस्थानों से ऐसे सभी मामलों में बिना भेदभाव के जांच करने को कहा है.

गिल्ड ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा है कि यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए किसी भी शख़्स को क़ानून के हिसाब से दंडित किया जाना चाहिए. देश में प्रेस की आज़ादी के लिए निष्पक्ष, न्यायोचित और सुरक्षित कार्य वातावरण ज़रूरी है.

यौन उत्पीड़न की घटनाओं का स्पष्ट विरोध करते हुए गिल्ड ने सार्वजनिक बहस में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाने का साहस दिखाने वाली महिला पत्रकारों की प्रशंसा की और उनके साथ एकजुटता प्रकट की.

उसने महिला पत्रकारों के साथ कथित यौन उत्पीड़न के वाकयों पर चिंता भी प्रकट की. गिल्ड ने कहा, ‘जब यौन उत्पीड़न करने वाला पेशे के लिहाज़ से वरिष्ठ पद पर हो तो स्थिति और बदतर हो जाती है.’

मीडिया संस्थानों से यौन उत्पीड़न के सामने आए सभी मामलों में पूरी जांच करने की ज़रूरत बताते हुए गिल्ड ने कहा कि आंतरिक प्रक्रिया को मज़बूत करना ज़रूरी है जिसमें कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाए और जागरूकता बढ़ाई जाए.

‘मीटू अभियान’ के तहत सोशल मीडिया पर कई महिला पत्रकारों ने विभिन्न संस्थान में अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटनाओं को साझा किया है. मालूम हो कि केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और पूर्व पत्रकार एमजे अकबर पर अब तक तकरीबन आठ महिला पत्रकार यौन उत्पीड़न का आरोप लगा चुकी हैं.

बिज़नेस स्टैंडर्ड के पत्रकार रहे मयंक जैन पर भी कुछ महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए, जिसके बाद उन्होंने अख़बार से इस्तीफा दे दिया. टाइम्स आॅफ इंडिया के संपादक केआर श्रीनिवास पर भी छह से सात महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, जिसके बाद प्रबंधन ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है.

टाइम्स आॅफ इंडिया कार्यकारी संपादक और डीएनए के संस्थापक संपादक रह चुके गौतम अधिकारी पर भी कई महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. वर्तमान में अधिकारी सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस में सीनियर फेलो थे. आरोपों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

इसके अलावा यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ प्रशांत झा ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)