यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने पटियाला हाउस कोर्ट में एक निजी आपराधिक मानहानि मुक़दमा दायर किया है.
नई दिल्ली: पत्रकार प्रिया रमानी ने सोमवार को कहा कि वह केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा उनके ख़िलाफ़ अदालत में दायर मानहानि की शिकायत का सामना करने के लिए तैयार हैं और उन्होंने अकबर के बयान पर निराशा जताते हुए कहा कि इसमें पीड़ित जिस सदमे और भय से गुज़रे हैं उसका कोई ख्याल नहीं रखा गया.
उन्होंने यह भी कहा कि अकबर डरा धमकाकर और उत्पीड़न करके पीड़ितों को चुप कराना चाहते हैं.
अफ्रीका से लौटने के बाद केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कई महिलाओं द्वारा उनके ख़िलाफ़ लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों को रविवार को ख़ारिज करते हुए इन्हें झूठा, मनगढ़ंत और बेहद दुखद बताया.
उन्होंने रमानी के ख़िलाफ़ दिल्ली की एक अदालत में सोमवार को निजी आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की.
रमानी ने हाल ही में भारत में ज़ोर पकड़े ‘मीटू’ अभियान के तहत उनके ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.
रमानी ने एक बयान में कहा, ‘मैं बेहद निराश हूं कि एक केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं के व्यापक आरोपों को राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए ख़ारिज कर दिया.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मामला दायर करके अकबर ने उनके ख़िलाफ़ लगाए कई महिलाओं के गंभीर आरोपों का जवाब देने के बजाय अपना रुख़ स्पष्ट कर दिया. वह डरा धमकाकर और प्रताड़ित करके उन्हें चुप कराना चाहते हैं.’
रमानी ने कहा, ‘यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि मैं अपने ख़िलाफ़ लगे मानहानि के आरोपों के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए तैयार हूं क्योंकि सच ही मेरा बचाव है.’
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भी अकबर के ख़िलाफ़ बोला उन्होंने अपनी निजी और पेशेवर ज़िंदगी को बड़े जोख़िम में डालकर ऐसा किया.
पत्रकार ने कहा, ‘इस समय यह पूछना गलत है कि वे अब क्यों बोली क्योंकि हम सभी भली भांति जानते हैं कि यौन अपराधों से पीड़ितों को कैसा सदमा लगता है और उन्हें कितनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है. इन महिलाओं के इरादे और उद्देश्य पर संशय जताने के बजाय हमें यह देखना चाहिए कि पुरुषों और महिलाओं की भावी पीढ़ी के लिए कार्यस्थल को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है.’
पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ एमजे अकबर ने निजी आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की
केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने हाल ही में उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ सोमवार को पटियाला हाउस अदालत में एक निजी आपराधिक मानहानि शिकायत दायर की.
विदेश राज्यमंत्री अकबर ने रमानी पर जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया और इसके लिए पत्रकार के ख़िलाफ़ मानहानि से जुड़े दंडात्मक प्रावधान के तहत मुक़दमा चलाने का अनुरोध किया.
शिकायत में कहा गया, ‘शिकायतकर्ता (अकबर) का पत्रकारिता में लंबा करिअर रहा है, उन्होंने भारत की पहली साप्ताहिक राजनीतिक समाचार पत्रिका शुरू की थी.’
शिकायत में रमानी द्वारा सोशल मीडिया पर उनके ख़िलाफ़ लगाए गए मानहानिपूर्ण आरोपों का उल्लेख किया गया है.
अकबर ने अपनी शिकायत में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी (रमानी) ने द्वेषपूर्ण तरीके से कई गंभीर आरोप लगाए हैं जिसे वह मीडिया में बेरहमी के साथ फैला रही है.
शिकायत में कहा गया है कि यह भी स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता (अकबर) के ख़िलाफ़ झूठी बातें किसी एजेंडे को पूरा करने के लिए प्रायोजित तरीके से फैलाई जा रही हैं.
इसमें अकबर के ख़िलाफ़ रमानी के आरोपों को बदनाम करने वाला बताया गया. इसमें कहा गया कि आरोपों की भाषा और सुर पहली नज़र में ही मानहानिपूर्ण हैं और इन्होंने न केवल उनके (अकबर) सामाजिक संबंधों में उनकी प्रतिष्ठा और साख़ को नुकसान पहुंचाया है बल्कि समाज, मित्रों और सहयोगियों के बीच अकबर की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है. आरोपों ने अपूरणीय क्षति की है और अत्यंत दुखद हैं.
अधिवक्ता संदीप कपूर के ज़रिये दायर शिकायत में रमानी के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) के तहत नोटिस जारी करने का अनुरोध किया गया.
भारतीय दंड संहिता की धारा 500 में व्यवस्था है कि आरोपी को दोषी ठहराए जाने पर दो साल के कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकती है.
मीटू अभियान के दौरान एमजे अकबर का नाम सोशल मीडिया पर उस समय सामने आया था जब वह नाइज़ीरिया में थे.
अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिलाओं में प्रिया रमानी, गज़ाला वहाब, शुमा राहा, अंजू भारती और शुतापा पॉल शामिल हैं.
महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि अकबर के अदालत जाने के फैसले से हैरान नहीं
यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली एक पत्रकार के ख़िलाफ़ अदालत जाने के केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के फैसले पर कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने कोई हैरानी नहीं जताई और कहा कि वह पहले व्यक्ति नहीं हैं जिसने अपनी गलतियां स्वीकार नहीं की हैं और इस मामले में वह आख़िरी भी नहीं होंगे.
महिला अधिकार कार्यकर्ता वाणी सुब्रमण्यम ने कहा कि वह अकबर के अदालत जाने से चकित नहीं हैं क्योंकि जब ऐसे लोगों की सत्ता और अधिकारों को चुनौती मिलती है तो वे ऐसे ही प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह पहले शख़्स नहीं हैं जो अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते और दुर्भाग्य से वह अपनी ख़ामियों को कबूल नहीं करने वाले आख़िरी इंसान भी नहीं होंगे.’
‘ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेंस एसोसिएशन’ (ऐपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि अकबर का केंद्रीय मंत्री बने रहना सभी महिलाओं के चेहरे पर न केवल मंत्री द्वारा बल्कि मोदी सरकार द्वारा भी तमाचे की तरह है.
‘सेंटर फॉर सोशल रिसर्च’ की निदेशक रंजना कुमारी ने कहा कि एक नागरिक के नाते अकबर को अदालत में जाने का पूरा अधिकार है लेकिन मामला उनके और पत्रकार के बीच का नहीं है बल्कि 14 अन्य मीडियाकर्मियों ने भी उन पर आरोप लगाये हैं.
कुमारी ने आरोप लगाया, ‘वह सत्ता के पद पर हैं और वह लोगों को प्रभावित कर सकते हैं.’
महिला कार्यकर्ता छवि मेथी ने कहा कि अकबर को उनकी बात रखने का उचित अवसर मिलना चाहिए लेकिन हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए.