लोगों ने दुर्घटनास्थल पर किया प्रदर्शन. आरोप लगाया कि ट्रेन तेज़ गति से निकली और ट्रैक पर लोगों की मौजूदगी के बावजूद चालक ने रफ़्तार कम नहीं की. रेलवे ने कहा कि दशहरा कार्यक्रम की सूचना नहीं दी गई थी, वहीं अमृतसर नगर निगम का कहना है कि कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी गई थी.
अमृतसर/नई दिल्ली: दशहरे के मौके पर रावण दहन देखने के लिए 20 वर्ष से भी अधिक समय से लोग जोड़ा फाटक पर ख़ाली पड़े मैदान में एकत्रित होते रहे हैं जो रेलवे पटरियों से महज़ 50 मीटर दूर है.
वहीं रेलवे की ओर से कहा गया कि कार्यक्रम के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई.
बहरहाल बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक की दशहरा उत्सव की ख़ुशियां शुक्रवार को तब मातम में बदल गईं जब एक ट्रेन की चपेट में आने से कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई. ये लोग वहां रावण के पुतले का दहन देखने के लिए जुटे थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हादसे के वक़्त तकरीबन 300 लोग धोबी घाट मैदान पर थे. यह जगह अमृतसर स्टेशन से दो किलोमीटर दूर है.
रावण दहन के वक्त 74643 जालंधर-अमृतसर डीएमयू लोगों के ऊपर से गुज़र गई. इसके बाद दूसरी पटरी पर 13006 अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन आ गई और उन लोगों को अपनी चपेट में ले लिया जो डीएमयू से बचने के लिए दूसरी पटरी पर खड़े हो गए थे.
55 वर्षीय जसवंत ने कहा कि इस प्लॉट में रावण का पुतला जलाया जाता है जबकि रामलीला रेलवे पटरियों से थोड़ी दूरी पर आयोजित की जाती है.
जसवंत ने दावा किया कि आतिशबाज़ी के शोर के कारण लोगों को जालंधर से आती ट्रेन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई नहीं दी.
उन्होंने दावा किया कि इस ट्रेन के जालंधर से अमृतसर जाने से पहले भी दो ट्रेनें पटरियों से गुज़रीं लेकिन उन्होंने अपनी गति धीमी कर ली थी.
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह हादसा शुक्रवार की शाम क़रीब सात बजकर 10 मिनट पर हुआ जब रावण दहन देख रहे लोग पटरियों पर खड़े थे.
एक अन्य स्थानीय निवासी बलविंदर ने कहा, ‘इस ख़ाली प्लॉट पर 20 वर्ष से अधिक समय से रावण का पुतला जलाया जाता रहा है लेकिन इससे पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई.’
गौरतलब है कि अमृतसर में जोड़ा फाटक के समीप शुक्रवार शाम को रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े लोग एक ट्रेन की चपेट में आ गए जिससे कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई और 72 अन्य घायल हो गए.
दुर्घटनास्थल पर लोगों ने किया प्रदर्शन
हादसे में 61 लोगों की मौत के बाद शनिवार को दुर्घटनास्थल के पास सैकड़ों की संख्या में जुटे स्थानीय लोगों ने धरना दिया. प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की और ट्रेन के चालक के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की.
एक प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि ट्रेन तेज़ गति से निकली और भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी के बावजूद चालक ने ट्रेन की रफ़्तार कम नहीं की.
दुर्घटनास्थल पर सुबह से हज़ारों लोग जुटे हुए हैं. पुलिस ने भीड़ प्रबंधन करने के लिए व्यापक व्यवस्था की है.
पटरियों के समीप दशहरा कार्यक्रम की हमारे पास सूचना नहीं थी: रेलवे बोर्ड
अमृतसर रेल हादसे पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एक बयान में कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था.
उन्होंने कहा कि यह हादसा दो स्टेशनों- अमृतसर एवं मनावाला के बीच हुआ, न कि रेलवे फाटक पर.
लोहानी ने रेलवे कर्मचारियों द्वारा भीड़ जमा होने की जानकारी नहीं देने के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘बीच के रास्ते पर ट्रेनें अपनी निर्धारित गति से चलती हैं और यह उम्मीद नहीं होती कि लोग पटरियों पर मौजूद होंगे. बीच के खंड पर रेल कर्मचारी तैनात नहीं होते हैं. रेलवे फाटक पर कर्मचारी होते हैं जिनका काम यातायात नियंत्रित करना है.’
उन्होंने कहा कि गेटमैन रेलवे फाटक से 400 मीटर की दूरी पर था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर ड्राइवर ने आपात ब्रेक लगाए होते तो इससे भी बड़ा हादसा हो सकता था.
लोहानी ने बताया कि ट्रेन अपनी निर्धारित गति से चलती है और शुरुआती रिपोर्ट से मालूम होता है कि चालक ने ब्रेक लगाए जिससे ट्रेन धीमी हो गई थी.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास न तो इसकी कोई सूचना थी और न ही हमसे अनुमति ली गई थी. यह कार्यक्रम रेलवे की ज़मीन के बगल में, एक निजी स्थान पर आयोजित किया गया था.’
रेलवे को दोषी ठहराने से इनकार करते हुए लोहानी ने कहा कि राष्ट्रीय परिवाहक लोगों से अतिक्रमण नहीं करने की नसीहत देते हुए लंबे अरसे से अभियान चला रहा है.
आधी रात को मौके पर पहुंचे लोहानी ने कहा, ‘हम इस अभियान को और आगे ले जाएंगे.’
हादसे को लेकर रेलवे का कहना है कि पुतला दहन देखने के लिए लोगों का वहां पटरियों पर एकत्र होना स्पष्ट रूप से अतिक्रमण का मामला था और इस कार्यक्रम के लिए रेलवे द्वारा कोई मंज़ूरी नहीं दी गई थी.
अमृतसर प्रशासन पर इस हादसे की ज़िम्मेदारी डालते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को दशहरा कार्यक्रम की जानकारी थी और इसमें एक वरिष्ठ मंत्री की पत्नी ने भी शिरकत की.
मालूम हो कि रावण दहन कार्यक्रम में पंजाब सरकार में मंत्री और पूर्व क्रिकेट नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी पूर्व विधायक नवजोत कौर सिद्धू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई थीं.
पूर्व विधायक और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू समरोह की मुख्य अतिथि थीं.
जानकारी के अनुसार, समारोह का आयोजन कथित तौर पर कांग्रेस पार्षद विजय मदान के पति सौरभ मदान ने किया था. समारोह स्थल पर नवजोत सिंह सिद्धू, उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू, सौरभ मदान और उनकी पत्नी पत्नी विजय मदान का पोस्टर लगा हुआ है.
अकाली दल, भाजपा और आप सहित विपक्षी दलों ने समारोह आयोजित करने की अनुमति देने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने रेलवे पटरी के नज़दीक दशहरा समारोह आयोजित करने की अनुमति देने के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाली पंजाब सरकार को भी ज़िम्मेदार ठहराया.
रेलवे अधिकारियों ने कहा, ‘हमें इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी और हमारी तरफ से कार्यक्रम के लिए कोई मंज़ूरी नहीं दी गई थी. यह अतिक्रमण का स्पष्ट मामला है और स्थानीय प्रशासन को ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए.’
इतनी भीड़ होने के बावजूद रेल चालक द्वारा गाड़ी नहीं रोके जाने को लेकर सवाल उठने पर एक अधिकारी ने कहा, ‘वहां काफी धुआं था जिसकी वजह से चालक कुछ भी देखने में असमर्थ था और गाड़ी घुमाव पर भी थी.’
दशहरा समारोह के लिए अनुमति नहीं दी गई थी: अमृतसर नगर निगम
अमृतसर नगर निगम ने शनिवार को कहा कि यहां ‘धोबी घाट’ मैदान में दशहरा समारोह आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई थी.
अमृतसर नगर निगम की आयुक्त सोनाली गिरी ने यहां बताया, ‘दशहरा समारोह आयोजित करने की अनुमति किसी को नहीं दी गई थी. इसके अलावा किसी ने भी अमृतसर नगर निगम में अनुमति के लिए आवेदन भी नहीं किया था.’
उन्होंने कहा कि समारोह यहां ‘धोबी धाट’ मैदान में आयोजित किया गया था.
आयुक्त ने कहा कि पिछले साल से अलग शुक्रवार शाम में व्यापक पैमाने पर समारोह का आयोजन किया गया था.
उन्होंने बताया, ‘शुक्रवार शाम में जितने बड़े समारोह का आयोजन किया गया पिछले साल इतने व्यापक स्तर पर कार्यक्रम नहीं किया गया था.’ उन्होंने बताया कि वहां एक छोटा मंदिर भी है.
हादसे के मजिस्ट्रटी जांच के आदेश
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को अमृतसर ट्रेन हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच कराने का आदेश दिया और कहा कि चार हफ्ते में रिपोर्ट जमा की जाएगी.
सिंह अस्पताल पहुंचे और इस दुखद हादसे में घायल हुए लोगों एवं मृतकों के परिजनों से मुलाकात की.
अमृतसर ट्रेन हादसे में अब तक 39 मृतकों की पहचान हुई: अधिकारी
अमृतसर के निकट शुक्रवार को ट्रेन दुर्घटना में मारे गए 61 लोगों में से अब तक 39 लोगों की पहचान हो पाई है. अधिकारियों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी.
अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन हादसे में घायल हुए लोगों को सात अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. उन्होंने बताया कि 29 शवों का पोस्टमॉर्टम कराया जा चुका है.
37 ट्रेनें निरस्त, 16 का बदला रास्ता
पंजाब के अमृतसर में हुए रेल हादसे के आलोक में रेलवे ने शनिवार को वहां से गुज़रने वाली 37 रेलगाड़ियों को निरस्त कर दिया है जबकि 16 अन्य का मार्ग परिवर्तित कर दिया है. इसके साथ ही जालंधर-अमृतसर रेलमार्ग पर आवाजाही रोक दी गई है.
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने बताया कि 10 मेल/एक्सप्रेस और 27 पैसेंजर रेलगाड़ियों को निरस्त कर दिया गया है. इसके अलावा 16 अन्य गाडियों को दूसरे मार्ग से उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है जबकि 18 ट्रेनों को बीच में ही रोक कर उनकी यात्रा समाप्त कर दी गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)